रेडियो कॉलर के द्वारा बारहसिंगा प्रजातियों का होगा अध्ययन

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चीला ,राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क की टीम ने एक बारहसिंगा पर रेडियो कॉलर लगाने में सफलता हासिल की है। कुछ माह पहले भी राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क की टीम ने एक जंगली हाथी पर रेडियो कॉलर लगाया था। वन्यजीवों पर अध्ययन के हिसाब से रेडियो कॉलर तकनीक बेहतरीन माध्यम साबित हुई है। अब वन महकमे ने इस तकनीक के तहत कार्य करना शुरू कर दिया है।

राजाजी टाइगर रिजर्व के झिलमिल झील कंजर्वेसन रिजर्व में गुरुवार को वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट के माध्यम से बारहसिंगा को ड्राइव नेट विधि के माध्यम से रेडियो कॉलर लगाया गया। इस कॉलर के माध्यम से महकमा विलुप्त हो रहे बारहसिंगों पर बारीकी से अध्ययन कर उनके संरक्षण और संवर्धन पर कार्य किया जाएगा। हालांकि इससे पूर्व आसाम के मानस सेंचुरी में भी बारहसिंगे को कॉलर लगाया गया था। वन्यजीव वैज्ञानिक विभास पांडु ने बताया कि, “यह विधि बेहतर होती है और इसमें वन्यजीव को नुकसान भी नहीं पहुंचता है।”

रेंज अधिकारी प्रदीप उनियाल ने बताया कि, “वर्ष 2005 में यहां पर बारहसिगों की संख्या केवल 35 के करीब थी। वर्तमान में इनकी संख्या 300 से ऊपर है, अभी पांच और बारहसिंगो को कॉलर लगाया जाना है।”