एनएच घोटाले में बीस और कर्मचारियों पर लटकी तलवार

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मुआवजा घोटाले में निचले स्तर के कर्मचारियों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। 20 से ज्यादा कर्मचारी चिह्नित कर लिए गए हैं, जिन पर कार्रवाई के लिए शासन के इशारे भर का इंतजार है। डीएम ने इन कर्मचारियों की सूची भी शासन को भेज दी है। ये कर्मचारी न सिर्फ कृषि भूमि को अकृषक बताकर रिपोर्ट देने बल्कि रिकॉर्ड की चोरी और नुकसान के भी जिम्मेदार माने गए हैं।

एनएच चौड़ीकरण की आड़ में मुआवजा घोटाले ने पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया है। जांच में घोटाले का दायरा बढ़कर ढाई सौ करोड़ पहुंच चुका है। साफ हो चुका है कि अपने अधिकारों से बाहर जाकर भू स्वामियों पर जमकर कृपा बरसाई। यह सब कमीशनखोरी के लिए हुआ। अब जांच में परतें खुल रही हैं और छोटे-बड़े सभी अधिकारी-कर्मचारियों की गर्दन फंसती जा रही है।

कमिश्नर ने भी शासन को पूरे मामले से अवगत कराते हुए स्वतंत्र एजेंसी से जांच की वकालत की है। शासन-प्रशासन के रुख से दोषी कर्मचारियों और अधिकारियों की सांसें भी तेज हो चली हैं। तहसील, एसडीएम, चकबंदी, एनएचएआइ और एसएलएओ कार्यालय समेत कई विभागों के दो सौ से अधिक कर्मचारी और अधिकारी जांच के दायरे में हैं। फिलहाल 20 कर्मचारी चिह्नित कर लिए गए हैं। इनमें उन तहसीलों के कर्मचारी भी हैं जहां से रिकार्ड गायब हैं।

इससे पहले राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पहले ही भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टोलेरेन्स पाॅलिसी की वकालत करते रहे हैं। ऐसे में ये देखने लायक होगा कि नई सरकार के आने के बाद रफ्तार पकड़ी ये जांच कितना जल्दी अपने अंजाम तक पहुंचती है।