उत्तराखंडी संस्कृति की झलक मिलेगी एक नये अंदाज मे

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इतिहास

अपनी लोक भाषा के बारे मे जानना सबको अच्छा लगता है और लोक गाथायें हमको अपने गौरवशाली इतिहास के बारे मे बताती हैं। पर क्या कोई ऐसा तरीका है जिससे हम लोक भाषा के साथ लोक गाथाओं का भी आनंद ले सकें? जी हां बिल्कुल है।

चखुल संस्था ने शुरुआत करी है देवभूमि कॉमिक्स की जो उत्तराखंड की लोक गाथाओं को वहीँ की लोक भाषाओं मे एककॉमिक बुक के रूप मे लायी।इसी शृंखला मे देवभूमि कॉमिक्स की सबसे पहली गढ़वालीकॉमिक बुक “काफल पाको” जो उत्तराखंड के प्रसिद्ध फल काफल के बारे मे एक लोक गाथा है उसको प्रस्तुत किया है।

चखुल के अंकित भंडारी का कहना है कि उनका विचार इसकॉमिक बुक को ऐसे बनाना था जो कि छोटे बच्चों से लेकर बड़े उम्र के लोग भी आसानी से पढ़ सकें तो उनकी टीम ने इसपर लग भग 2 महीने काम किया। और बच्चों से लेकर बड़ों तक के विचार जाने गए इस के उपर।

इस कॉमिक बुक की खास बात ये है कि ये ना सिर्फ आपको लोक गाथा के बारे मे बताती है ब्लकि उसका एक भाग बना देती है। इसको हिन्दी और गढ़वाली भाषाओं मे लिखा गया है ताकि लोगों को समझने मे आसानी हो।इस कॉमिक बुक और जमीनी स्तर पर जोड़ने के लिए इसकी प्रत्येक खरीदी का 10% हिस्सा कोठारी पार्वतीय विकास समिति जो ग्रामीण उत्तराखंड मे स्वरोजगार के ऊपर कार्य कर रही है उन्हें दिया जाएगा।
यह बुक Amazon पर उपलब्ध है।

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