बाजार में आई एनसीआरटी की किताबें, सरकारी स्कूलों के छात्रों के बस्ते खाली

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(विकासनगर) निजि शिक्षण संस्थानों द्वारा एनसीआरटी की पुस्तकें लागू करने में आनाकानी करने के बावजूद पछवादून के बाजार में पाठ्य पुस्तकें आ गई हैं। बाजार में किताबें आते ही अभिभावक भी दुकानों की ओर उमड़ पड़े। सस्तें दामों में किताबे मुहैया होने से जहां अभिभावकों के चेहरे खिले रहे वहीं सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत नौनिहालों के बस्ते भरने की अभी उम्मीद नहीं दिख रही है।

प्रदेश सरकार ने इस बार विद्यालयों को निश्शुल्क पाठ्य पुस्तक मुहैया कराने के बजाय प्राथमिक स्तर पर प्रत्येक नौनिहाल के खाते में डेढ सौ व जूनियर स्तर पर प्रत्येक छात्र के खाते में ढाई सौ रुपए जमा करने की व्यवस्था की है। हालांकि नौनिहालों के खाते में पैसे कब तक आएंगे यह विभागीय अधिकारी भी नहीं बाता पा रहे हैं। हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद नए शिक्षा सत्र में बुधवार को पहली बार निजि शिक्षण संस्थान खुले। संस्थानों के खुलते ही बाजार में एनसीआरटी की पाठ्य पुस्तकें भी मुहैया हो गई हैं। बाजार में किताबें आते ही अभिभावकों की भीड़ दुकानों में उमड़ गई। अधिकांश अभिभावकों ने बताया कि जिन पुस्तकों के लिए गत वर्ष से चार हजार से अधिक की राशि चुकानी पड़ती थी वो सभी किताबें इस बार पांच सौ रुपए में ही मुहैया हो रही हैं।

सस्ते दामों पर किताबें मुहैया होने से सभी अभिभावकों के चेहरे पर खुशी दिखाई दी। लेकिन सरकारी विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के बस्ते अभी भरने की उम्मीद नहीं दिख रही है। सरकार द्वारा निश्शुल्क पुस्तकों के बजाय नौनिहालों को नगद राशि मुहैया कराए जाने के निर्णय के चलते इन नौनिहालों को पाठ्यक्रम समय पर मुहैया होने पर अभी संशय बना हुआ है। शिक्षक भी दबी जुबान में मान रहे हैं सरकार द्वारा समय पर ड्रेस का पैसा ही नहीं मुहैया कराया जाता है ऐसे में प्रत्येक छात्र को पाठ्य पुस्तकों के पैसा समय पर मुहैया हो पाएगा, इसमें संशय है। शिक्षकों ने बताया कि छात्र-छात्राओं के अभिभावक भी डेढ़ सौ रुपए के लिए नौनिहालों का बैंक खाता खोलने में आनाकानी कर रहे हैं। अब देखना है कि सरकारी स्कूलों के छात्र-छात्राओं को कब तक पाठ्य पुस्तकें मुहैया होती हैं।