वाण गांव से कैलाश के लिए विदा हुई नंदादेवी

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लोकजात
गोपेश्वर, नंदा देवी की वार्षिक लोकजात यात्रा में नंदा देवी राजराजेश्वरी की डोली वाण गांव से अंतिम पड़ाव गैरोली पातल के लिए विदा हो गई है।
वाण गांव में मां नंदा को कैलाश विदा करते समय श्रद्धालुओं की आंखो से आंसुओं की अविरल धारा बहने लगी। वाण गांव में मां नंदा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। दोपहर बाद नंदादेवी को गैरोली पातल के लिए विदा किया गया। गुरूवार को बेदनी बुग्याल में पूजा अर्चना के बाद नंदादेवी की वार्षिक लोक जात का समापन होगा  जिसके लिए यहां पर श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला जारी है।
बेदनी में दोपहर के बाद मौसम साफ होने से श्रद्धालुओं में खुशी दौड पडी। श्रद्धालु बरसों बाद वेदनी की सुंदरता देख अभिभूत हो गये। इस बार बेदनी में 20 साल बाद खिले अनगिनत फूलों नें श्रद्धालुओं को रोमांचित किया। इस अवसर पर बेदनी में दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का भी आयोजन किया गया है।
स्थानीय व्यक्ति हीरा सिंह का कहना है कि नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा में बीते एक दशक में इस बार सर्वाधिक श्रद्धालुओं यहां पहुंचे। गुरूवार को बेदनी बुग्याल में पूजा अर्चना के बाद मां नंदा राजराजेश्वरी की वार्षिक लोकजात यात्रा संपन्न होगी।