अपनी मुहिम ‘मेरा गांव स्वच्छ गांव” से लोगों को दिशा देते भूवन

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मेरा गांव स्वच्छ गांव सुनने से ही मालूम होता है कि स्वच्छता और उससे होने वाले फायदे से संबंधित बात है।जी हां मेरा गांव स्वच्छ गांव एक दिशा है जो उन लोगो को दिशा और जागरुक कर रही है जो आज तक मानसिक बीमारी गरीबी से ग्रसित रहे जिनको विश्वास ही नही था कि वो लोग भी राष्ट्र के विकास में आम भागीदारी निभा सकते हैं।

SWACHCH GAON

”मेरा गांव स्वच्छ गांव” में कंडारी चमोली गांव के हर परिवार से एक नागरिक हर महीने के पहले और तीसरे रविवार को एक निर्धारित समय पर इकट्ठा होकर पूरे गांव में स्वच्छता अभियान चलाता हैं।मेरा गांव स्वच्छ गांव पहले गांव में सफाई का काम करते हैं उसके बाद इको-फ्रेंडली डस्टबिन को जगह-जगह लगाया जाता है,जिससे आने जाने वाले राहगीर इधर-उधर कूड़ा ना डाले।इसके बाद गांव के रास्तों पर चूना डाला जाता हैं जिससे एक उत्सव का माहौल बनाया जा सके।इस चूने को देखकर आने जाने वाले लोग यह सवाल करते हैं कि गांव में क्या हो रहा तो गांव वाले बड़े गर्व से बताते हैं कि यहां सफाई का काम हुआ है  और इससे यह संदेश आगे दूसरे लोगों तक जाता है।इस मुहिम के बाद गांव वालो ंको यह भरोसा तो हो गया है कि देश सेवा के लिए पैसो के अलावा और भी जरिए हैं।

टीम न्यूज़पोस्ट से बातचीत में इस मुहिम के मुख्य प्रचारक भुवन रावत ने बताया कि ”मेरा मानना है कि जब तक इन अभियानों को धर्म से नहीं जोड़ा जाएगा तब तक हमें सफलता पाने में कठिनाई होगी।मार्च 2017 से इस अभियान की शुरुआत मां धारी देवी के मंदिर से हुई।इस अभियान के दौरान मां धारी देवी तक पहुचने के रास्ते में सफााई के साथ-साथ कूड़ेदान भी लगाए गए ताकि दर्शन को आए भक्त सफाई के महत्तव को समझे और इसमें हमारा साथ दें।सफाई करने के बाद आसपास के 20-25 गांवों में लोगों से,बच्चों के अभिभावकों से मिलकर उन्हें स्वच्छता का महत्व भी समझाया गया।इसके बाद यह मुहिम 15 अगस्त 2017 कंडारा गांव में शुरु किया गया जो आज भी गांव वालों द्वारा उसी मेहनत और लगन से किया जा रहा है।भुवन ने बताया कि चाहें परिस्थिति कैसी भी हो गांव वाले रुकते नहीं है,चाहे बारिश हो या तूफान।

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भूवन कहते हैं कि मेरा यह प्रयास बिना मेरे परिवार के सहयोग के शायद ही सफल हो पाता।उन्हें इस काम में उनकी मां,पत्नी,भाभी,भईया और सभी का पूरा सहयोग मिला।भूवन बताते हैं कि यहां तक मेरे बच्चे भी मुझे याद दिलाते रहते हैं कि आज रविवार हैं मतलब सफाई का दिन।भूवन अभी श्रीनगर में जी.वी.के कंपनी के हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट में उप प्रबंधक के रुप में काम कर रहे हैं।

भूवन ने कहते हैं कि यह तो शुरुआत है ”मेरा गांव स्वच्छ गांव के  बाद मेरा शहर स्वच्छ शहर उसके बाद मेरा जिला स्वच्छ जिला,फिर मेरा देश स्वच्छ देश और आखिरी में मेरी धरती स्वच्छ धरती बन पाना तभी संभव है जब सबका साथ मिलेगा।इस मुहिम को धर्म की सेवा के साथ जोड़ा जाएगा तभी देश सेवा के साथ-साथ मानव सेवा भी होगी”।भूवन ने बताया कि किसी भी अच्छे काम को करने से पहले परेशानियों का सामना करना पड़ता है लेकिन अपना राज्य सुंदर और स्वच्छ बनाने के लिए छोड़ी परेशानियां झेलना कोई बड़ी बात नहीं है”।

अंत में भूवन कहते हैं कि ”हम सब को मिलकर सुंदर उत्तराखंड के साथ स्वच्छ उत्तराखंड बनाने का भी प्रण लेना चाहिए”।