दलित और अल्पसंख्यक समाज के लोगों के मतदाता सूची से नाम गायब

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देहरादून। जन हस्तक्षेप ने अन्य राज्यों की तरह उत्तराखण्ड में भी मतदाता सूची से दलित और अल्पसंख्यक समुदाय के साढ़े बारह प्रतिशत से ज्यादा लोगों का नाम गायब होने का आरोप लगाया है। उनका कहना है यह एक सोची समझी रणनीति के तहत उन्हें मतदान से वंचिन रखने का खेल है।
रविवार को हिन्दी भवन में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय व सपा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सत्यनाराण सचान, भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के जीत सिंह, मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के बच्ची राम कांशिवाल और चेतना आंदोलन के संयोजक त्रेपन सिंह चौहान एवं सह संयोजक शंकर गोपाल नौजवान ने संयुक्त प्रेस वार्ता में जन यह आरोप लगाए। इस मौके पर हस्तक्षेप के नेताओं ने बताया कि 28 और 29 जनवरी को देहरादून के धर्मपुर, रायपुर एवं मसूरी विधानसभा में एक सर्वेक्षण में 298 वोटर के मतदाता कार्ड चेक किया गया। जिसमे से 37 यानी 12.5 प्रतिशत मतदताओं के नाम मतदाता सूची से नाम गायब मिला। उन 37 लोगों में से 90 प्रतिशत के उपर दलित और अल्पसंख्यक मतदाता थे। उन्होंने कहा कि अगर इसी तरह अन्य जिलों में हुआ होगा तो लाखों मतदता अपने अधिकार से वंचित रह पाएंगे।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने बताया कि इस प्रकार की घटनाएं स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए बहुत ही चिंताजनक विषय है। इसलिए हम निर्वाचन आयोग से मिलकर शिकायत करेंगे। ताकि समय रहते इन वोटरों का नाम मतदाता सूची में जोड़ा जा सके। साथ ही उन्होंने यह भी मांग की मतदान शुरु होते ही मंदिरा की दुकान को चुनाव समाप्ति तक बंद करा दिया जाए जिससे निष्पक्ष तरीके से चुनाव को संपन्न कराया जा सके।
इस मौके पर एसएच सचान ने कहा कि स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए आम वोटरों को जागरूक होना होगा तभी हम लोकतंत्र को मजबूत बना सकते है। उन्होंने शराब बंदी के लिए महिलाओं को तथा युवाओं को आगे आने की अपील की। जन हस्तक्षेप ने चुनाव आयोग से मांग करते हुए कहा कि दलित और अल्पसंख्यकों साथ सभी बस्तियों में मतदाता पंजीकरण अभियान घर-घर चलाया जाए। इसके साथ ही चुनाव में सत्ताधारी दल से जुड़े मंत्री चुनाव को प्रभावित करते है। इसलिए उनके वाहनों पर सख्त निगरानी रखा जाए और राज्य में शराब व्यवसाय को चुनाव शुरू होने से लेकर समािप्त तक पूर्ण प्रतिबंध रखने की निर्वाचन आयोग से मांग की। कहा कि इसके लिए केन्द्रीय और राज्य के निर्वाचन आयोग से जल्द ही भेंट कर स्वस्थ्य व पारदर्शी लोकतंत्र के लिए इन विषयों को रखा जाएगा।