देेेेहरादून, मेकिंग अ डिफरेंस बाई बीइंग द डिफरेंस (मैड) संस्था ने ‘असामान्य’ बारिश और हानि के लिए सरकार की गलत नीति नियोजन और एमडीडीए जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि सरकार समय रहते ध्यान दी होती तो बारिश से इतना नुकसान देहरादून में नहीं होता।
प्रेस वार्ता में मैड संस्था के संस्थापक अध्यक्ष अभिजय नेगी ने बीते दिनों हुई बारिश पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए प्रशासन की नाकामियों को गिनाया। उन्होंने कहा कि संस्था के सदस्य मौके पर निरीक्षण कर खामियों पर बारिकी से अध्यन किया। उन्होंने एसजीआरआर कॉलेज, बिंदाल पुल के समीप एक गिरे हुए बिजली के खंबे और हाईटेंशन वायर का हवाला देते हुए कहा कि यह दिखाता है क्या हो सकता है अगर हम नदी के बहाव से छेड़छाड़ करें और नदी के अंदर ही लोगों को बैठाएं।
मैड ने एमडीडीए के बहुत चर्चित रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोग्राम की ताजा तस्वीरें दिखाते हुए कहा कि, “मैड एमडीडीए के रिवरफ्रंट प्रोग्राम का विरोध पहले से करता आ रहा है और उन दीवारों की खस्ता हालातों पर मुख्य सचिव से लेकर जिला अधिकारी को कई बार बता चुका है। जब यह सवाल एमडीडीए से पहले किया गया था तो उन्होंने कहा की यह दीवारें नदियों के सौ साल के फ्लड प्लेन डाटा को स्टडी करके बनाई गई है।”
ढही हुई दीवारों के द्वारा कुछ और ही तस्वीर शहर वासियों के सामने रखी जा रही है। इसी तरह अलग अलग जगहों का ब्यौरा देते हुए मैड संस्था के सदस्यों ने यह स्पष्ट किया कि सरकार और प्रशासन को अब एक ऐसी नीति बनानी चाहिए जिससे कोई भी अतिक्रमण को कानूनी जामा ना पहनाया जाए। इसके लिए पहले से ही उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा सरकार को कई हिदायतें दी गई है जिनमें से एक का भी सरकार ने पालन नहीं किया है।
मैड का कहना है कि, “सीवर लाइन से सीवर रिसकर लोगों के घरों में घुस गया है। यह खासकर दीप नगर इलाके में देखा गया है। जिन नदियों के तलो को ही खोद कर उनमें सीवर लाइन डाली गई वह सिर्फ पौधे रोपने से ही वापस नहीं आने वाले।”





















































