कुमांऊ राइफल्स का गौरवपूर्वण इतिहासः थल सेनाध्यक्ष

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पिथौरागढ़- उत्तराखंड निवासी पूर्व थल सेनाध्यक्ष स्व. बीसी जोशी के बाद आज जरनल विपिन रावत के पिथौरागढ़ पहुंचने से पूर्व सैनिक गदगद हैं। कुमाऊं राइफल्स के पूर्व सैनिकों ने राइफल्स के शतवर्षीय समारोह पर भी हर्ष जताया। इस समारोह में थल सेनाध्यक्ष के भाग लेने को समारोह में चार चांद लगना बताया है।

पिथौरागढ़ में आज से 23 साल पूर्व उत्तराखंड के ही थल सेनाध्यक्ष स्व. बीसी जोशी आए थे। उनका दो दिवसीय कार्यक्रम था। सोमवार को एक बार फिर थल सेनाध्यक्ष विपिन रावत पिथौरागढ़ आए। इस बार कुमाऊं राइफल्स के शत वर्षीय समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में आए और अल्प समय के लिए प्रवास किया। रावत सुबह नौ बज कर 45 मिनट में पहुंचे और 11 बजकर 50 मिनट में हेलीकॉप्टर से चले गए। सेनाध्यक्ष के शतवर्षीय समारोह में भाग लेने से जहां सैनिकों में जोश भरा था वहीं पूर्व सैनिक भी उत्साहित नजर आए। पूर्व सैनिकों ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बताया।

समारोह में पहुंचे पूर्व सैनिकों ने अपनी बटालियन के शतवर्षीय समारोह का स्वागत करते हुए इस कार्यक्रम में थल सेनाध्यक्ष के भाग लेने को बहुत भी महत्वपूर्ण बताया। अपनी इस बटालियन के सौ साल पूरे होने और इस अवधि में सेना के गौरवशाली इतिहास पर गर्व जताया। समारोह में बुजुर्ग सेवानिवृत्त सैनिकों और अधिकारियों का जोश देखने योग्य था। कार्यक्रम के समापन अवसर पर थल सेनाध्यक्ष के साथ वर्तमान सैनिकों सहित पूर्व सैनिकों का ग्रुप फोटो खींचा गया।

85 वर्षीय समारोह में पहुंचे कै. उम्मेद सिंह लुंठी ने कहा कि, “हमारी पल्टन के सौ साल पूरे हुए हैं, पिथौरागढ़ में शतवर्षीय उत्सव मनाया गया। इस उत्सव में थल सेनाध्यक्ष के मुख्य अतिथि होने से सभी का गौरव बढ़ा है। तृतीय कुमाऊं राइफल्स ने हमेशा देश की रक्षा के लिए आगे बढ़ कर कार्य किया है। इस राइफल्स में रहते हुए हमने भी पाक के साथ युद्ध में भाग लिया।”