इंटरनेशनल टाइगर कॉन्सर्वेशन डे: उत्तराखंड में टाइगर की बढ़ती संख्या,उम्मीद से ज्यादा मुसीबतें 

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(देहरादून) उत्तराखंड में टाइगर की बढ़ती संख्या नयी उम्मीद लेकर आयी है लेकिन यह उम्मीद आने वाले दिनों के लिए एक खतरे की घंटी भी है उत्तराखंड के दोनों महत्वपूर्ण नेशनल पार्क आबादी से सटे  हुए है , वही वन विभाग के रिजर्व फारेस्ट में पिछले दो सालो में हुयी बाघों की मोतो ने यहाँ के पार्क की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है ,और ऐसे  में बाघों की बढ़ती संख्या यहाँ मानव जीव संघर्ष के लिए खतरे की घंटी बन सकती है
उत्तराखंड के दो रास्ट्रीय पार्क राजा जी नेशनल टाइगर रिजर्व पार्क और जिम कार्बेट पार्क अपनी जेव्य सम्पदा  के लिए जाने जाते है हर साल होने वाली जीव गणना में भी यहाँ के परिणामो ने आशा की किरण जगाई है , लेकिन पार्को में बढती वाईल्ड एनीमल  कि संख्या ने यहाँ   वन तस्करों कि विशेष निगाह भी बना दी है जो बाघों और दुर्लभ प्रजाति के जीव प्राणियों कि सुपारी लेकर अंतरास्त्रीय मार्केट में जीव जन्तुओ के अंगो कि तस्करी कर रहे है .इसे कई गिरोह इस  समय उत्तराखंड में सक्रिय है जो समय समय पर पकडे भी जाते है और फिर सक्रिय हो जाते है जानकर मानते है कि  इसके लिए मानव-जीव सघर्ष को रोकना होगा साथ ही सुरक्षा को और पुख्ता करना होगा
उत्तराखंड में लगातार हो रही बाघों  कि मोतो ने  यहाँ के पार्को कि सुरक्षा व्यवस्था कि पोल खोल कर रख दी है पिछले दो साल के WPSI और वन विभाग के  आकडे बताते है कि ये पार्क लगातर किसी न किसी कारण से 36 से ज्यादा बाघों  कि मोंत के कब्रगाह बन गए  है , २०११ में प्रदेश में २२ बाघों कि मोंत और २०१२ से अभी तक  १४ बाघों कि मोंत हो चुकी है , ऐसे में इन नए बढे हुए सदस्यों की संख्या यहाँ के फ़ूड चेन और एरिया मैनेजमेंट के लिए चुनौती है वन एक्सपर्ट भी दोनों पार्को में मानवीय दखल को लेकर है  कई बार चिंता जता चुके हैं
उत्तराखंड में टाईगर संख्या में इजाफा जहा एक ओर ख़ुशी लेकर आया था वही अब लगातार हो रहे मानव जीव संघर्ष ने इस चुनौती को और बढ़ा दिया है  आने वाले दिनों में अवैध शिकार  संघर्ष  घटनाये बढ़ जाएगी और सबसे ज्यादा मुश्किले  रिजर्व पार्क में मानवीय दखल को रोकने के रूप में सामने आएगी  क्योंकि रिजर्व पार्क कहीं ना कहीं ग्रामीण आबादी से लगे हुए हैं और ग्रामीण अपनी रोजमर्रा की जिंदगी को वनों से ही पूरा करते हैं ऐसे में संघर्ष बढ़ने
के आसार ज्यादा बढ़ जाते हैं जिस पर लगाम लगाना वन विभाग के लिए मुश्किल साबित हो रहा है अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर उत्तराखंड में बाघों की संख्या नई उम्मीद जगा रही है लेकिन एरिया मैनेजमेंट ठोस काम ना होने के चलते बाघ अपनी टेरिटरी से पलायन करने को भी मजबूर हो रहे है।