लोकतंत्र की मजबूती के लिए सबसे जरूरी है सदन का चलना : मुख्यमंत्री

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देहरादून, प्रेमनगर में भारत के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों एवं सचिवों के 79वें वार्षिक सम्मेलन को उत्तराखंड मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने संबोधित किया।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने इस सम्मेलन में प्रतिभाग कर रहे सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह पहला मौका है जब उत्तराखंड को इस तरह के आयोजन की मेजबानी मिली है। यह हमारे लिए गर्व की बात है। एक स्वस्थ और मजबूत लोकतंत्र में आप जैसे लोगों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सदन का अध्यक्ष एक अभिभावक की तरह होता है। सदन में सबको अधिकतम अवसर देना, सबकी सुनने का दायित्व होता है, इसके लिए विशेष कौशल की जरूरत होती है, जिसका सभी बड़ी कुशलता से निर्वहन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जिस तरह लोक सभा में कार्य हो रहा है, वह एक ऐतिहासिक कार्य हो रहा है। लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कुशलता से सदन को संचालित किया है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए सबसे जरूरी है कि सदन सुचारू रूप से चलता रहे। सदन ही वो जगह है, जहां से देश को या राज्यों को चलाने के लिए गंभीर चर्चाएं होती हैं, कानून बनते हैं, सदन में ही जनता से जुड़े मुद्दे उठते हैं। जिस तरह से संसद में अध्यक्षीय शोध कदम के तहत नए नए शोध और तकनीकों को बढ़ावा मिल रहा है, राज्यों की विधान सभाओं में भी इसे लागू किया जाना चाहिए। जितना शोध, रिसर्च और जनता के मुद्दों पर व्यापक विचार विमर्श होगा उतना ही अच्छा आउटपुट हमें मिलेगा।
 संसद की तरह ही विधानसभाऐं भी बेहतर परफॉरमेंस दें। जिस तरह की प्रोडक्टिविटी संसद में देखी जा रही है, अगर इसी तरह की प्रोडक्टिविटी राज्यों की विधान सभाओं में आ गई तो जिस न्यू इंडिया के निर्माण का सपना हम सबने मिलकर देखा है, वो जल्द साकार होगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की भारत में विशिष्ट पहचान है, भारत में जो 16 प्रकार की जलवायु हैं, उनमें से 14 प्रकार की जलवायु उत्तराखण्ड में है। हम उत्तराखण्ड में ई-कैबिनेट की शुरूआत करने जा रहे हैं। हमारा प्रयास है कि राज्य में जल्द ही ई-विधानसभा की शुरूआत की जाए।