(गोपेश्वर) । चमोली जिले में बुधवार रात से ही मौसम ने करवट बदलनी शुरू कर दी थी। रात्रि में हल्की बूंदा-बांदी हुई। गुरुवार सुबह आसमान में बादलों के बीच से सूर्य देव लुकाछिपी का खेल खेलते रहे। दोपहर बाद बाद अचानक गरज के साथ बारिश होनी शुरू हो गई। इससे बदरीनाथ, हेमकुंड, गौरसौं, रूद्रनाथ, तुंगनाथ आदि स्थानों पर बर्फबारी हुई, जबकि निचले स्थानों पर बारिश हुई है। इससे ठंड बढ़ी है। जिले में कुछ दिनों से पारा चढ़ने लगा था, वहीं अब बारिश व बर्फबारी से एक बार फिर से मौसम सर्द हो गया है।
बारिश से बढ़ी ठिठुरन, सर्द हवाओं ने गिराया तापमान
(चकराता) गुरुवार को जौनसार-बावर परगने के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बारिश होने से तापमान में काफी गिरवाट आ गई। आलम यह था कि चकराता के मुख्य बाजार सहित छावनी बाजार में रौनक नाम मात्र की रही तथा शाम ढलते ही लोग घरों में दुबकने को मजबूर हो गए। जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में हुई बारिश से पछवादून के मैदानी क्षेत्रों में ठिठुरन बढ़ गई। शाम को शीतलहर चलने से लोग घरों से बाहर नहीं निकले। दूसरी तरफ प्रशासनिक स्तर पर अलाव जलाने का चलन भी खत्म होने से बेसहारा लोगों और सड़क की फुटपाथ पर रात गुजारने वाले लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
नगर पालिका परिषद, छावनी परिषद सहित तहसील प्रशासन के अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, प्रशासन के पास अलाव जलाने का निश्चित बजट होता है। इस बजट से प्रशासन सर्दी के मौसम में निश्चित समय तक अलाव की व्यवस्था करता है। अलाव का बजट फरवरी माह में ही समाप्त हो चुका है।
गेहूं पर मेहरबान, सब्जियों पर होगा बुरा असर
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, ठड बढ़ने से खेतों में खड़ी गेहू की फसल पर इसका लाभदायक प्रभाव होगा, जबकि मटर, टमाटर के अतिरिक्त अन्य सब्जी की फसलों के उत्पादन पर ठंड का बुरा प्रभाव पड़ेगा जिससे उत्पादन कम हो सकता है।
पशुपालकों को भी आ रही दिक्कत
ठंड की वजह से पशु पालक भी बेहद परेशान है। इन दिनों जौनसार-बावर के पर्वतीय क्षेत्रों में पशुपालक अपने पशुओं के साथ छह माह के प्रवास पर जंगलों में जाने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें अपने पशुओं को ठंड से बचाने के लिए तरह-तरह के उपाय करने पड़ रहे हैं।




















































