उत्तराखंड पुलिस करेगी सोशल मीडिया की निगरानी

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    उत्तराखंड पुलिस अब पहाड़ी राज्य के कॉलेजों में अध्ययन करने के लिए बाहर से आए छात्रों का ट्विटर, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया खातों की निगरानी करेंगे। देहरादून में अध्ययन कर रहे एक कश्मीरी युवा डेनिश अहमद ने तीन दिन पहले जम्मू और कश्मीर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है जिसके बाद पुलिस ने यह कदम उठाने का फैसला लिया है।

    अहमद पर हिज्बुल मुजाहिदीन समूह का सदस्य होने का संदेह है, हालांकि आतंकवादी संगठन, गिरफ्तारी के तुरंत बाद, एक वक्तव्य जारी किया, जिसमें उन्होंने खुद को इस मसले से दूर किया है। अहमद डून पीजी कॉलेज में पढ़ रहा थे।

    पुलिस महानिदेशक एम डी गणपति ने कहा, कि “यह मामला उत्तराखंड से नहीं जुड़ा है लेकिन एक सावधानीपूर्वक उपाय के रूप में हम छात्रों से बाहर की गतिविधियों की नज़र रकेंगे और उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स की निगरानी करेंगे।”

    वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सोशल मीडिया सबसे शक्तिशाली माध्यम था, जिसके माध्यम से छात्रों को संदेहास्पद तत्वों के संपर्क में मिला, जैसा कि अहमद के मामले में हुआ है और इसलिए उन्होंने इस कदम को लेने का फैसला किया। अहमद अपने कॉलेज से 26 मई को अपने सेमेस्टर-एंड परीक्षा के बीच गायब हो गया था। दो दिनों के बाद, यानि की 28 मई को, वह दक्षिण-कश्मीर के रथसुना गांव में आत्म-स्टाइल वाले हिजबुल कमांडर सबसर भट्ट के अंतिम संस्कार में देखा गया, जहां उसकी एक ग्रेनेड चलानेवाले फोटो खिंची गई। उसकी यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वाइरल हुई, जिसके बाद वह खुफिया अधिकारियों के रडार पर आया।

    उत्तर प्रदेश, पंजाब और जम्मू और कश्मीर के कई छात्र राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाई कर रहे हैं। जम्मू और कश्मीर के 250 से अधिक छात्र उत्तराखंड में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ रहे हैं।
    गणपति ने कहा कि वर्तमान में पुलिस विभाग बाहरी छात्रों के डेटाबेस का रख-रखाव करता है। गणपति ने कहा, “उत्तर प्रदेश को छोड़कर हमारे पास अन्य राज्यों के छात्रों का डेटाबेस है।उन्होंने कहा कि छात्रों की एक रिपोर्ट सत्यापन विभाग से छात्रों के गृह राज्य में पुलिस विभाग को भेजी जाती है, लेकिन प्रतिक्रिया आम तौर पर समय पर नहीं होती है। “

    दानिश अहमद के मामले में भी यहीं हुआ, देहरादून पुलिस ने कहा कि उन्होंने 2015 में जम्मू-कश्मीर पुलिस को एक रिपोर्ट भेजी थी और छात्र के सत्यापन की मांग की थी। हालांकि, दो साल बाद भी पुलिस विभाग ने सत्यापन रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुआ है।