मानव तस्करी का गढ़ बना उत्तराखंड

0
882

देहरादून। उत्तराखंड मानव तस्करी का गढ़ बनता जा रहा है, इसका कारण अन्तर्राष्ट्रीय तथा अन्तर्राज्यीय सीमाओं से जुड़ा होना है। मानव तस्करी का शिकार कमजोर वर्ग तथा आर्थिक रूप से विपन्न क्षेत्रों की बालिकाएं हो रही हैं, जहां थोड़ा बहुत खर्च करके मानव तस्कर इन परिवारों को अपना शिकार बना रहे हैं और बालिकाओं को मानव तस्करी का माध्यम।

बीते दिनों किडनी निकालने का एक मुद्दा जोर-शोर से उठा था। उत्तरांचल डेंटल कॉलेज लालतप्पड़ के साथ-साथ उत्तराखंड सरकार की एक मंत्री का पति पर भी इस तरह के गंभीर आरोप लगा है। जिसकी सफाई प्रदेश सरकार की राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार रेखा आर्या ने अपने आवास पर पत्रकारों को दी लेकिन यह इस बात का प्रतीक है कि कहीं न कहीं किडनी कांड से उनके दामन के दाग नहीं धुल पाए हैं।
ठीक यही स्थिति उत्तरांचल डेंटल मेडिकल कॉलेज की भी रही है, जहां डॉ अक्षत के खाते में जुलाई में लाखों की राशि जमा हुई। इसी प्रकार डॉ अक्षत, संतोष राऊत के साथ-साथ बिचौलिए का काम करने वाले राजीव चौधरी और उनकी पत्नी अनुपमा के खाते में भी राशियां जमा हुई हैं, जो पुलिस ने छानबीन के दौरान निकाला है। यह मानव अंगों के तस्करी से जुड़ा मामला है, यह मामला और गंभीर तब हो जाता है कि जब मंत्री के परिजनों पर आरोप लगता है।
इसी प्रकार प्रत्यक्ष मानव तस्करी की लगभग चार से पांच हजार की घटनाएं उत्तराखंड में हो चुकी हैं, जिनमें अधिकांश मामलों में लड़कियां ही गायब हुई हैं। इस तरह के अपराधों में उत्तरकाशी जिले के बड़कोट थाना क्षेत्र से दो नाबालिग बच्चियां गायब हो गई थी। निर्धन परिवार की इन मासूम बच्चियों को क्षेत्र में मानव तस्करी का गिरोह चलाने वाली शीला नामक महिला ने हरियाणा के झज्जर में बेच दिया था, जहां इन्हें कई दिन वहशी दरिंदो ने अपना हवस का शिकार बनाया। पुलिस के अथक परिश्रम के बाद आखिकार सफलता मिली और दोनों बहनों को इस गिरोह के चंगुल से मुक्त कराया गया। आरोपियों के विरुद्ध संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। तत्कालीन थानाध्यक्ष संतोष कुंवर और उनके साथियों को जिन्होंने इन बच्चियों को बचाया।
उत्तराखंड का यह क्षेत्र लंबे समय से मानव तस्करी के लिए कुख्यात है। इस क्षेत्र में एक पूरा गिरोह इस घिनौने काम को अंजाम देता है जो इन निर्धन बच्चियों के परिजनों को पैसा का लालच दे मात्र चंद हजार रुपये में इन बच्चियों को जिस्म की मंडी में बेच देते हैं, जहां से आज तक ही शायद कोई बच्ची वापस लौटी हो। आंकड़ा 100 से 200 नहीं अपितु 4000 से 5000 उत्तराखंड से लापता बच्चियों का है। पिछले दिनों मंत्री रेखा आर्या ने भी मानव तस्करी पर चिंता व्यक्त की थी तथा विशेष कदम उठाए जाने का आग्रह किया था लेकिन उन्हीं को पति गिरधारी लाल साहू पर उनके ही कर्मचारी नरेश चन्द्र द्वारा किडनी निकलवाने का आरोप लगाया है।
आरोप के अनुसार मंत्री रेखा आर्य के पति गिरधारी लाल साहू के घर पर काम करने वाले नौकर नरेशचन्द्र की पत्नी वैजंती की दोनों किडनियां खराब हो गई थी। गिरधारी लाल ने उसका इलाज पहले दिल्ली और बाद में श्रीलंका के एक अस्पताल में करवाया। पत्नी की देखरेख के लिए श्रीलंका गए नरेशचंद्र का आरोप है कि खून जांच के बहाने उसे बेहोश कर उसकी किडनी निकालकर उसकी पत्नी को ट्रांसप्लांट कर दी गई। अब पीड़ित की शिकायत के बाद उत्तराखंड पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। जांच के बाद साहू के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। पति के इस काम से मंत्री रेखा आर्य का कोई लेना-देना नहीं है लेकिन विपक्ष उन्हें भी घेरने की तैयारी में जुटा है।
खबरों के अनुसार इसमें भाजपा के कई नेता भी चुपके-चुपके रेखा आर्य की घेराबंदी में जुट गए हैं। हालांकि रेखा आर्य पहले ही कह चुकी हैं कि मामले में जो भी दोषी हो उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। राज्य की मंत्री से जुड़े इस मामले की जानकारी केंद्र को भी मिल चुकी है। केंद्र सरकार का रुख मानव अंग तस्करी के मामलों में अब तक बेहद कड़ा रहा है। ऐसे में मंत्री के पति पर आरोप लगना काफी गंभीर है।