तो भगवान बद्री विशाल भी हुए मिलावट के शिकार!!

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तीर्थयात्रियों को यह जानकर झटका लगेगा कि मंदिर में उनकेे द्वारा चढ़ाया हुआ ‘प्रसाद’ जो चारधम मंदिरों में दिया गया था वह ना केवल केमिकल से बना हुआ था बल्कि उसमें खराब गुणवत्ता वाले इन्ग्रिडियेंट भी इस्तेमाल किया गया था।

देहरादून का एक गैर सरकारी संगठन सोसाइटी आॅफ पाॅल्यूशन एंड इन्वाॅरमेंट कन्जरवेशन साइंटिस्ट (एसपीईसीएस) ने एक अध्ययन के बाद पाया है कि गांगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ के चारों देवस्थानों में इलायची को प्रसाद के रुप में दिया गया था,जिसमें रसायन शामिल थे। इसके अलावा, एनजीओ ने दावा किया है कि, घी, नारियल, काजू और किशमिश भी खराब गुणवत्ता के थे।

एनजीओ ने मई-जून की अवधि में 1,143 खाद्य पदार्थों का सेंपल लिया और जांच करने पर 983 नमूनों में मिलावट मिला।एनजीओ के एक अधिकारी ने कहा कि इससे ज्यादा बुरा क्या हो सकता है कि भोजन तैयार करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले नमक में आयोडीन शामिल नहीं है।

टेस्ट किए गए सेंपल के कुल नमूनों में से 86% का मिलावट मिला। नमक के सैंपल में 81 प्रतिशत में आयोडीन नहीं था, सरसों के तेल और वर्मिलियन मिलावटी पाए गए।चाइनिज नूडल्स बनाने के लिए इस्तेमाल में आने वाले मिर्च के सॉस, टमाटर सॉस और सिरका जैसे कुछ सामान्य आइटम खाने के लिए हानिकारक और अनफिट पाए गए।

एसपीईसीएस के सेक्रेटरी बृजमोहन शर्मा ने बताया कि “केवल भोजन ही नहीं, यहां तक कि देवताओं को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद खराब गुणवत्ता का है। यात्रा पर लोगों को दिया जाने वाला खाना जिसकी गुणवत्ता इतनी खराब हो वह जीवन के लिए गंभीर खतरा हो सकता है। नमक, जो  खाने के लिए सबसे एक महत्वपूर्ण माना जाता है,वो भी आयोडीन के बिना पाया गया जो खतरनाक है।”

चारधाम यात्रा शुरु होने के पहले 10 दिनों में, 2.21 लाख तीर्थयात्रियों ने बद्रीनाथ और केदारनाथ में श्रद्धांजलि अर्पित की। तीर्थयात्रा का मौसम 27 अप्रैल को शुरू होने के बाद करीब 15 लाख तीर्थयात्रियों ने दो महीनों में चार पर्वतों का दौरा किया।

खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसए) एडिशनल कमीश्नर पंकज पांडे ने एनजीओ के निष्कर्षों को खारिज कर दिया।उन्होंने कहा कि “यदि निष्कर्ष वास्तविक हैं, तो वे सरकार के साथ अपने आंकड़े क्यों नहीं साझा करते हैं?उन्होंने कहा कि हम इस बात का दावा नहीं कर सकते कि कि चारधाम मार्ग पर कोई मिलावट नहीं है, लेकिन यह रिपोर्ट बढा़-चढ़ा कर पेश की गई है।

वहीं पर्यटन सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम भी पंकज पांडे के समर्थन में आए।उन्होंने कहा कि “मैं यह नहीं कह सकता कि रिपोर्ट सही है या नहीं, लेकिन यह राज्य का नाम खराब करती है। अगर एनजीओ मिलावट को  लेकर इतनी परेशान है, तो यह प्राधिकरण तक क्यों नहीं पहुंचता है?

एसपीईसीएस के सचिव बृजमोहन शर्मा से इस बारे में कहा कि “हम साल 2005 से यह टेस्ट करते आ रहे हैं लेकिन इसपर सरकार का रवैया मुझे आज तक समझ नहीं आया,रिर्पोट को खारिज़ करने के अलावा आज तक किसी भी सरकार ने इसपर कोई कदम नहीं उठाया है”।उन्होंने कहा कि “रही बात राज्य का नाम खराब होने की तो हमारा काम जनता को सही और सच बताने का है हम वहीं कर रहे हैं।” रिर्पोट के बारे में उन्होंने कहा कि “राज्य में सचिव से मिलना मुश्किल होता है और सीएम को हमने यह रिर्पोट भेज दी है।शर्मा ने कहा कि देखना यह है ये सरकार इसपर कोई कदम उठाती है या नहीं।”

वहीं शासन की तरफ से भी इन खबरों पर ध्यान देते हुए जिलाधिकारियों और अधिकारियों को यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले खाने की दुकाओनों आदि पर सैंपलिंग कर प्रसाद, खाना आदि कि गुणवत्ता की जांच करने को कहा गया है।