भागदौड़ भरा जीवन व अनियमित खानपान ने बिगाड़ा मानव जीवन का स्वरूपः आचार्य बालकृष्ण

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भारत आए ताईवान तथा सिंगापुर के एरोमा थैरेपी स्पा विशेषज्ञों के 14 सदस्यीय दल ने पतंजलि योगपीठ में आचार्य बालकृष्ण से मुलाकात की। दल के प्रमुख दिआना ओलिविया लिम व दल के अन्य सदस्यों ने पतंजलि आयुर्वेद हाॅस्पिटल का दौरा किया तथा पतंजलि की चिकित्सा पद्धति विशेषकर पंचकर्म चिकित्सा पद्धति की सराहना की।

दल के सदस्यों के साथ मुलाकात के दौरान आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हमारा शरीर हमें प्रकृति की सबसे अनमोल देन है। आज की भागदौड़ भरी जीवन पद्धति और अनियमित खानपान ने इसका स्वरूप ही बिगाड़ दिया है। बदलती परिस्थितियों में थकान, तनाव व रोगों से भरा शरीर जीवन के अहम हिस्से बन चुके हैं। इस तनाव व थकान से बचने के लिए एरोमा थेरेपी बड़ी कारगार सिद्ध हो रही है।

उन्होंने बताया कि प्राचीन काल में लोगों का जीवन संयमित व नियमबद्ध था। लोग अपनी प्राकृतिक संपदा से जुड़े रहते थे तथा प्राकृतिक चीजों का उपयोग कर अपने शरीर की सारी व्याधियों का उपचार किया करते थे। शारीरिक त्वचा को और ज्यादा निखारने के लिए कई घरेलू औषधियों का उपयोग कर शरीर का कायाकल्प किया जाता था। आज इन्हीं प्राकृतिक चीजों के उपयोग को एरोमा थेरेपी का नाम दिया गया है।

ऐरोमा थेरेपी उपचार की वह पद्धति है, जिसमें खुशबू के द्वारा अनेक बीमारियों का निदान होता है। इसमें कई प्रकार के पेड़, पौधों की जड़ों, पेड़ो के तने, फल-फूल, सब्जियां और कुछ मसालों को मिलाकर डिस्टीलेशन पद्धति के द्वारा इसका अर्क निकाला जाता है। फिर इस अर्क की औषधि से शारीरिक उपचार किया जाता है, जिससे रोग एवं त्वचा संबंधी बीमारी तो दूर होती ही है। इसकी खुशबू से शारीरिक तनाव भी अपने आप दूर हो जाता है।