केंद्र से फंड रिलीज़ होने में देरी के कारण विकास पर लगी ब्रेक: हरीश रावत

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चुनावी मौसम में राज्य और कैंद्र सरकरा में तनातनी और आरोपों का सिलसिला शुरू हो गया है। शुक्रवार को देहरादून में पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि

  • केंद्र सरकार से एसपीए व शतप्रतिशत केंद्र प्रायोजित योजनाओं में 2254 करोड़ रूपए मिलने थे जिनमें से केंद्र से राज्य को केवल 905 करोड़ रूपए ही मिले हैं।राज्य सरकार ने इन पर कुल 1400 करोड़ रूपए का व्यय किया है। यानि 500 करोड़ रूपए राज्य सरकार ने अपने कोटे से खर्च किए हैं।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुसूचित जाति पोस्ट मेट्रिक स्कोलरशिप जो कि पूरी तरह केंद्र प्रायोजित योजना है,  केंद्र से हमें 160 करोड़ रूपए दिया जाना चाहिए था, परंतु केवल 75 करोड़ रूपए ही दिये गये हैं।
  • मुख्यमंत्री ने ये भी बताया कि यूटीलाईजेशन सर्टिफिकेट (यूसी) भेजने में अन्य राज्यों की तुलना में हमारे राज्य की स्थिति बेहतर है। साथ ही
  • एसपीए(आर), सीएसएस(आर) व फूड सब्सिडी में केंद्र से 1751 करोड़ रूपए की मांग की गई थी। केंद्र द्वारा मात्र 731 करोड़ रूपए अवमुक्त किए गए हैं।

मुुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्रीय पर्यटन मंत्री महेश शर्मा ने अनौपचारिक बैठक में श्री बद्रीनाथ धाम को प्रसाद योजना में शामिल करने के साथ ही महाभारत सर्किट में उत्तराखंड के अश्वमेधशाला, लाखामण्डल, सातताल आदि स्थानों को सम्मिलित किए जाने के प्रति आश्वस्त किया है। रावत ने यभी कहा कि नोटबंदी के कारण राज्य को ख़ासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। राजस्व, परर्यटन इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इसके लिये भी उन्होने पत्र लिखकर केंद्रीय वित्त मंत्री से मदद की अपील की है और हालात से निपटने के लिये सुझाव भी दिये हैं।

समय चुनावों का है यानि कि जनता को अपने कामें का हिसाब देने का। ऐसे में एक दूसरे पर लगने वाले इन आरोप-प्रत्यारोपों पर जनता कितना यकीन करती है ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा लेकिन इतना तो तय है कि हरीश रावत के इन आरोपों पर भाजपा जल्द पलटवार करेगी।