दून की सड़कों पर ई-रिक्शा चलाने वाली पहली महिला बनी गुलिस्तां

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देहरादून। नारी शक्ति जो ठान ले उसे कर गुजरने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक देती है। ऐसी एक मिसाल राजधानी दून के इंदर रोड नई बस्ती निवासी 25 साल की गुलिस्तां अंसारी ने पेश की है। गुलिस्तां जब सड़कों पर रिक्शा लेकर निकली तो ऐसी नजर नहीं थी जो उनको बिना देखे रह पाई हो। परिवार की जिम्मेदारियां और पिता की मृत्यु ने गुलिस्तां के हाथ में रिक्शा थामा दिया और दून की पहली ई-रिक्शा महिला चालक बनने का गौरव हासिल किया।

 गुलिस्तां ने टीम न्यूजपोस्ट से बातचीत में बताया कि ”वह ई-रिक्शा से रोजाना करीब 500 रुपये कमाती हैं। इससे माह में 2500 की बैंक किस्त भी निकालती है। साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि पहले वह एक दवाई कम्पनी में काम करती थीं। लेकिन वहां वेतन कम होने के कारण गुजारा करना मुश्किल हो जाता था। जिसके बाद उन्होंने स्वरोजगार की राह चुनी। और ई रिक्शा चलाना शुरु कर दिया। उन्होंने बताया कि चालक के रुप में बीते 20 दिन के तजुर्बे से वह खुश हैं। वे स्वरोजगार की दिशा में काम कर रहे लोगों को बैंक से मिलने वाले पैसे पर छूट की पक्षधर हैं। उन्हें पुरुष रिक्शा चालकों से भी सहयोग मिला। साथ ही महिला और लड़कियां उनकी ई रिक्शा से चलना काफी पसंद करती है और अपने को बहुत सेफ भी महसूस करती हैं।”

गुलिस्ता ने बताया कि उनके पिता की वर्ष 2007 में मृत्यु हो गई थी। जिसके बाद उनकी मां ने मजदूरी कर परिवार पाला, बहनों की शादी की। अब मां बूढ़ी हो गई हैं। छह बहनों में सबसे छोटी गुलिस्तां ने घर का बेटा बनने की ठानी। गुलिस्तां सिर्फ पांचवीं कक्षा तक पढ़ी हैं, लेकिन उन्होंने पुरुष प्रधान समाज के सभी दायरों को तोड़ते हुए स्वरोजगार एवं नारी सशक्तिकरण के क्षेत्र में ठोस कदम उठाया है। उन्होंने मेहनत करना अपनी मां से सीखा है। उन्होंने बैंक से लोन लेकर ई रिक्शा खरीदा और फिर बेधड़क रूट पर निकल पड़ीं।

गुलिस्ता ना केवल अपने परिवार के लिए बल्कि उन जैसी हजारों महिलाओं के लिए एक मिसाल हैं जो अपने पैरों पर खड़े होकर अपने परिवार का पालन-पोषण करना चाहती हैं।टीम न्यूजपोस्ट गुलिस्ता और उनके जैसे और भी महिलाओं के जज्बें को सलाम करता है।