सांध्यकालीन कक्षाओं का ‘जिन्न’ आया बोतल से बाहर

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देहरादून। उच्च शिक्षा के हालातों को बेहतर करने के लिए एक बार फिर सांध्यकालीन कक्षाओं का ‘जिन्न’ बोतल से बाहर आ गया है। पहले जहां सरकार ने छात्रों की सहूलियत को देखते हुए इवनिंग क्लासेज की घोषणा की थी, वहीं इस बार राज्यपाल ने शिक्षा व्यवस्था को ढर्रे पर लाने के मकसद से संस्थानों को सांध्यकालीन कक्षाएं संचालित करने की नसीहत दी है। लेकिन, हकीकत की जमीन पर अभी भी कोई पॉजिटिविटी इवनिंग क्लास के प्लान से निकलती दिखाई नही दे रही है। भले ही कुछ संस्थानों में इवनिंग कक्षाओं का संचालन किया गया, लेकिन बिना संसाधनों और सुविधाओं के इस बार भी सांध्यकालीन कक्षाओं की योजना का परवान चढ़ना टेढ़ी खीर नजर आ रहा है।

बढ़ती छात्र संख्या और गिरती शिक्षा की गुणवत्ता को देखते हुए साल 2015 में सरकार ने इवनिंग क्लासेज शुरू करने का प्लान तैयार किया था। लेकिन इसके बाद इसे लागू करने में काफी परेशानियां आईं। हालांकि कुछ संस्थानों ने सांध्यकालीन कक्षाओं का संचालन शुरू भी किया लेकिन दाखिला लेने वाले छात्रों की परीक्षाओं को लेकर भारी फजीहत झेलनी पड़ी। अब एक बार फिर उच्च शिक्षा के हालात सुधारने को राज्यपाल डा. कृष्ण कांत पॉल ने सांध्यकालीन कक्षाओं के संचालन के निर्देश दिए हैं। भेल ही यह निर्देश शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए लिया जा रहा है, लेकिन बिना सुविधाओं और संसाधनों के सांध्यकालीन कक्षाओं का संचालन होगा यह एक बड़ा सवाल होगा।
बीते सालों पर गौर करें तो हालात यह रहे कि डीएवी पीजी कॉलेज में सांध्यकालीन कक्षाएं संचालित नहीं हुई। कम छात्र संख्या होने के कारण एमकेपी पीजी कॉलेज में इवनिंग क्लास नहीं चलाई गई। एसजीआरआर में भी यही हाल देखने को मिला। राजधानी के चार कॉलेजों में से केवल एक डीबीएस पीजी कॉलेज में सांध्यकालीन कक्षाएं सांचालित हुई। लेकिन यहां भी हालात कुछ बेहतर नजर नहीं आए। इसके अलावा डिग्री कॉलेजों में शिक्षकों की कमी पर गौर करें तो अभी भी राज्य में करीब पांच हजार शिक्षकों की भर्ती बाकी है। कॉलेजों में पढ़ाने को शिक्षक ही नहीं हैं। ऐसे में जो हैं वो या तो सुबह की पाली में शिक्षण कर सकेंगे या फिर शाम की पाली में कक्षाएं ले सकेंगे। इन हालातों में सांध्यकालीन की सुबह कब होगी या तो वक्त ही बताएगा।