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आयकर विभाग ने 60 करोड़ के टीडीएस बकाएदार विभागों के खाते किए फ्रीज

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देहरादून। आयकर विभाग की टीडीएस विंग ने करीब 60 करोड़ रुपये की टीडीएस अदायगी न करने वाले डेढ़ दर्जन से अधिक विभागों व संस्थानों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए इन विभागों के खातों के भुगतान पर रोक लगा दी है। इसमें उत्तराखंड सचिवालय, राज्य सरकार के कई विभागों के कार्यालय समेत केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाले संस्थान भी शामिल हैं। आयकर विभाग की इस कार्रवाई से हड़कंप मचा हुआ है।

अधिकारियों ने आनन-फानन में हिसाब-किताब बनाना शुरू कर दिया है। खातों पर रोक के चलते संबंधित संस्थानों के कार्मिकों को वेतन भी जारी नहीं किया जा सकेगा। आयकर अधिकारी (टीडीएस) आबिद अली के मुताबिक, जिन विभागों व संस्थानों के खातों पर रोक लगाई गई है, उन पर पिछले सात-आठ सालों से टीडीएस का बकाया चल रहा है। वेतन, ठेकेदारों को भुगतान, भवन किराया आदि पर टीडीएस काटकर इन संस्थानों ने जमा ही नहीं कराया है। वहीं, तमाम संस्थान रिटर्न फाइल करने में भी पीछे चल रहे हैं। विभाग ने ऐसे टॉप संस्थानों व उनके कार्यालयों की सूची तैयार की, जिन पर टीडीएस का सबसे अधिक बकाया चल रहा है। लोनिवि व सिंचाई विभाग के सबसे अधिक कार्यालयों के खातों पर रोक लगाई गई है।
आयकर अधिकारी आबिद अली ने बताया कि संबंधित कोषागार कार्यालयों व बैंकों के माध्यम से बकाएदार संस्थानों के भुगतान पर रोक लगा दी गई है। अब जब तक टीडीएस का बकाया अदा नहीं कर दिया जाता या फिर संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दे दिया जाता, तब तक खातों पर से रोक नहीं हटाई जाएगी। पहले चरण की इस कार्रवाई के बाद अन्य संस्थानों के खातों पर भी रोक लगाने की कार्रवाई की जाएगी।
बड़े बकाएदार, जिनके भुगतान पर रोक


संस्थान/कार्यालय, बकाया राशि (रु. लगभग में)
सिंचाई खंड चमोली, 2.91 करोड़
एम्स ऋषिकेश, 2.75 करोड़
लोनिवि प्रांतीय खंड 2.70 करोड़
लोनिवि निर्माण खंड 2.32 करोड़
इंजीनियर लायजन ऑफिसर, 1.95 करोड़
एमडीडीए, 1.94 करोड़
लोनिवि प्रांतीय खंड, 1.55 करोड़
कंप्टरोलर्स कार्यालय,
पंतनगर 1.44 करोड़
उत्तराखंड सचिवालय 1.41 करोड़
लोनिवि अस्थाई खंड 1.40 करोड़
जीई एमईएस रुड़की, 1.35 करोड़
सिंचाई खंड कार्यालय, 1.22 करोड़
लघु सिंचाई 1.18 करोड़
उत्तराखंड जल संस्थान 92.79 लाख
एलबीएस प्रशासनिक अकादमी, 91.59 लाख 

सरकारी योजना की आस में टूट गयी रामसिंह की सांस

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पिथौरागढ़- राज्य गठन के बाद से ही प्रदेश की सभी सरकारों ने समाज के अंतिम व्यक्ति तक के उत्थान के लिए तमाम दावे करती रहती हैं। लेकिन यह दावे सिर्फ कागजी ही साबित हो रहा है। पिथौरागढ़ जिले में रामसिंह की मौत ने सरकार के इन दावों की सच्चाई को एक बार फिर उजागर कर दिया है। राम सिंह को कई बार आवास बनाने का भरोसा मिला, लेकिन यह भरोसा पूरा नहीं हुआ। यह परिवार किस हाल में जी रहा होगा और इसका अंदाज इसी से लगाया जा कि राम सिंह के अंतिम संस्कार तक के लिए परिवार के पास पैसे नहीं थे।

धारचूला तहसील के बलुवाकोट क्षेत्र के तल्ला गांव निवासी राम सिंह ग्वाइला 65 वर्ष की उम्र में मौत हो गई। राम सिंह के परिवार में पत्नी और दो नाबालिग बच्चे हैं। पूंजी के नाम पर राम सिंह के पास एक कमरे का मकान है, जिसकी दीवार दो वर्ष पूर्व टूट गई थी। अंत्योदय की श्रेणी में आने वाले इस परिवार को पिछले कई वर्षो से जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने सरकारी योजना के तहत आवास देने आश्वासन दिया। आवास तो मिला नहीं मकान की टूटी दीवार की मरम्मत तक के लिए सरकार से पैसा नहीं मिल पाया। इस कारण पूरा परिवार प्लास्टिक की पन्नियों से टूटी हुई दीवार को ढंककर शीतकाल का सामना कर रहा है।

एक सप्ताह पहले राम सिंह ठंड का शिकार हो गया और सोमवार को उसकी मौत हो गई। राम सिंह और उनकी पत्नी मुर्सी देवी मजदूरी करती है। कोई जमा पूंजी नहीं होने के कारण मंगलवार को गांव के चंचल सिंह ऐरी, त्रिलोक सिंह, तारा सिंह भंडारी, कल्याण सिंह, दिलीप सामंत आदि ने चंदा एकत्रित कर राम सिंह का अंतिम संस्कार किया।

मजदूर की मौत के बाद भी इस परिवार की सुध लिए जाने की कोई उम्मीद नहीं के बराबर है। प्रशासन भी अपनी उदासीनता को छुपाने के लिए अक्सर ऐसे मामलों से बचने की ही कोशिश ज्यादा करता रहा है। सरकार की आवास योजनाओं का हाल किसी से छुपा नहीं है। राम सिंह जैसे कई लोग आज भी एक अदद आवास के लिए एड़ियां रगड़ रहे हैं।

गुणवत्ता युक्त शिक्षा पर ध्यान दें शिक्षक: सीएम

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देहरादून।मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बुधवार को लक्ष्मण इण्टर कालेज में आयोजित राजकीय शिक्षक संघ के चतुर्थ द्विवार्षिक अधिवेशन को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री कहा कि शिक्षकों व सरकारी कर्मियों में अन्तर है, शिक्षक राज्य के लिये प्राइड भी होता है। राज्य में शिक्षकों की बड़ी संख्या के दृष्टिगत उन्होंने देहरादून में संगठन के लिये संघ भवन की जरूरत बतायी, उन्होने कहा कि संगठन लोकतंत्र को मजबूत करते है, लोकतंत्र संविधान की रीढ़ है, राज्य का आधार ही शिक्षा से जुडे लोग है, यह राज्य के सम्मान से जुड़ा विषय भी है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि किसी भी विभाग का केन्द्र बिन्दु आम आदमी होना चाहिए, शिक्षा से बच्चे का अहित न हो यह हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। हमारी चाहे कोई भी समस्या हो किन्तु बच्चों की शिक्षा बाधित न हो इसके लिये शिक्षकों को सम्वेदनशील बनना होगा। प्रदेश में बच्चों से सीधा संवाद कार्यक्रम करने के लिये प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा पहल की गई है। बच्चों को महसूस होना चाहिए कि हममेें और आपमें एक कदम का फासला है। हम आज जहां है वहां कल बच्चे भी पंहुच सकते है, उनमें यह अहसास होना चाहिए।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि जब स्कूलों में बच्चों की संख्या अधिक रहेगी तभी स्कूल बंद होने से बचे रहेंगे तथा शिक्षकों को भी लाभ मिल सकेगा। उन्होंने चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि आज 60 प्रतिशत बच्चे निजि स्कूलों में पढ़ रहे हैं, केवल 40 प्रतिशत बच्चे ही सरकारी स्कूलों में रह गये हैं। जबकि सरकारी स्कूलों के अध्यापक सबसे योग्य है तथा वेतन भी अधिक पाते है। ए ग्रेड में सरकारी अध्यापक ही आता है। हमारे बच्चे भी सरकारी अध्यापक तभी बन पायेंगे जब हम उनके लिये अवसर छोड़ेंगे, इसके लिये स्कूलों को बंद होने से बचाना होगा, उनकी गुणवत्ता युक्त शिक्षा पर ध्यान देना होगा। उन्होने शिक्षकों से योग्य 10-12 शिक्षकों का थिंक टैंक गठित करने की भी बात कही। यह थिंक टैंक शिक्षा की गुणवत्ता, विद्यालयों की मजबूती स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ाने आदि समस्याओं के समाधान के लिये अपने सुझाव रखे। हमे अपने बच्चों की चिंता करनी होगी, हमारे बच्चे हमारे विद्यालयों में गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्राप्त कर सके इस पर मनन करने की जरूरत है। इसमें सभी को सहयोगी बनना होगा।
शिक्षक संघ के अधिवेशन में प्रतिभाग करने वाले शिक्षकों को विशेष आकस्मिक अवकाश की स्वीकृति भी उन्होंने प्रदान की तथा कहा कि शीघ्र ही प्रदेश में स्थानान्तरण अधिनियम लाया जायेगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने राजकीय शिक्षक संघ की स्मारिका ‘‘शिक्षा दर्पण‘‘ का विमोचन तथा वेबसाइट का लोकार्पण किया। कार्यक्रम संगठन के प्रान्तीय महामंत्री सोहन माजिला द्वारा संगठन में कार्यकलापों की जानकारी दी।

वन निगम का रास्ते को लेकर जीएमवीएन ठेकेदारों से विवाद

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देहरादून/डोईवाला। वन विकास निगम माजरीग्रान्ट जाखन लांट तौल कांटे से संचालित खनन के वाहनों के आवागमन के रास्ते को लेकर गढ़वाल मण्डल विकास निगम के खजिन ठेकेदारों के साथ विवाद खड़ा हो गया। ठेकेदारों ने निगम के तौल कांटे से संचालित वाहनो का रास्ता बन्द कर दिया।

निगम के वाहनों रूकने का मामला उच्चाधिकारियों के पास पहुंचा। जिलाधिकारी ए.एस. मुरूगेशन ने मामले की सुलझाने के लिए डोईवाला एसडीएम कुष्म चौहान को निर्देशित किया। बुधवार की एसडीएम की मध्यक्षता में वन विकास निगम, जीएमवीएन के अधिकारियों के साथ रास्ते के विवाद को सुलझाने को लेकर बातचीत हुई,लेकिन अभी रास्ते का मामला सुलझ नही पाया है। फि लहाल निगम के खनन केवाहनों का संचालन जारी रहा,लेकिन निगम के तौल कांटे से संचालित खनन केवाहनों के रास्ते का कोई निस्तारण नही हुआ तो निगम क ा तौल कांटे का संचालन बन्द हो सकता है। माजरीग्रान्ट स्थित जाखन नदी में वन विकास निगम का खनन का लांट खुला हुआ है। इस लांट के तौल कांटे से खनन संचालित किया जा रहा था। जीएमवीएन ने वन निगम के लांट के समीप खनिज के चुगान का ठेका दे दिया है। जहां से निगम के तौल कांटे से खनन के वाहन का संचालन हो रहा था।
जीएमवीएन के ठेकेदारों ने निगम के संचालित वाहनो का रास्त बन्द कर दिया। रास्ता बन्द करने से जीएमवीएन ठेकेदार और वन विकास निगम के कर्मचारियों में रास्ते को लेकर आपस में विवाद हो गया। मामले देहरादून के जिलाधिकारी एएस मुरूगेशन के संज्ञान में आया। उन्होंने मामले के निस्तारण के लिए डोईवाला एसडीएम कुष्म चौहान को निर्देशित किया। इस मौके पर उपजिलाधिकारी कु ष्म चौहान, जीएमवीएन के महाप्रबंधक मोहन सिह, निगम के डीएलएम इन्द्रसिह नेगी, क्षेत्रीय खनन अधिकारी कुबेर सलाल आदि अधिकारी कर्मचारी मौजूद थे। 

एमडीडीए उपाध्यक्ष से मिले मसूरी विधायक

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देहरादून। मसूरी विधायक गणेश जोशी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमण्डल ने मसूरी क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं को लेकर बुधवार को एमडीडीए उपाध्यक्ष आशीष श्रीवास्तव से मुलाकात की। इस दौरान विधायक गणेश जोशी ने मुख्यमंत्री की घोषणाओ के बावजूद विकास कार्य शुरू न होने पर नाराजगी जाहिर की।
इसपर एमडीडीए उपाध्यक्ष ने सचिव पीसी दुमका, एससी अनिल त्यागी ओर अधिशाशी अभियंता को मौके पर बुला कर सभी कार्यो की जानकारी ली। गणेश जोशी ने कहा की इससे पूर्व एमडीडीए के 2 अन्य उपाध्यक्ष मसूरी मे वेंडर जोन के लिये निरीक्षण कर चुके है। किन्तु अभी तक कार्य शुरू नहीं हुए। इसी प्रकार मसाइनिक लॉज (मसूरी) पर बन रही पार्किंग, मसूरी मे पर्यटकों के लिये सौचालय निर्माण, माता संतला देवी मंदिर का मार्ग निर्माण एवं मंदिर प्रांगण मे सौंदीकरण कार्य, श्यामा प्रसाद मुखर्जी पार्क का सौंदीकरण कार्य, टपकेशवर मंदिर मे लिफ्ट लगवाने, अनरवाला मे शहीद रमेश बहादुर थापा के नाम पर बन ने वाले शहीद द्वार ओर घुचुपानी के लिये वैकल्पिक मार्ग निर्माण एवं नयागाँव मे बन रहे सामुदायिक भवन मे हो रही देरी को प्रमुखता से रखा। हाल ही मे 15 सितम्बर को आतंकियो से लोहा लेते हुए असम मे शहीद हुए मेजर विजय सिंह अहलावत के सम्मान मे विजय कॉलोनी मे द्वार का निर्माण कार्य जल्द पूर्ण करने को कहा। इन सभी विषयो पर उपाध्यक्ष ने स्पष्ट किया की जल्द ही उपरोक्त कार्य को प्राथमिकता से पूर्ण करा जाएगा। इस अवसर पर दीपक पुण्डीर, संध्या थापा, ज्योति कोटिया, ईशांत छेत्री एवं राजीव गुरुङ उपस्थित रहे।

कुख्यातों की सुरक्षा पुलिस के लिए बड़ी चुनौती

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देहरादून। उत्तराखंड की जेलों में इस समय कई कुख्यात बंद हैं। ऐसे में इन कुख्यातों की सुरक्षा पुलिस प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। दरअसल, दो दिन पहले गैंगवार के फलस्वरूप हुए देवपाल मर्डर ने कोर्ट-कचहरियों की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। जाहिर है ऐसे में जेलों में बदमाशों के बीच गैंगवार और गहराने से भी इंकार नहीं किया जा सकता। वहीं, आशंका जताई जा रही है कि देवपाल की हत्या का मु य आरोपी ऋषिपाल हरियाणा में छुपा हो सकता है। पुलिस जल्द उसके ठिकानों पर दबिश दे सकती है।

उत्तराखंड की जेलों में इस समय कई कु यात सलाखों के पीछे हैं। कु यात सुनील राठी को तो हाल ही में हरिद्वार जेल से बागपत जेल में शि ट किया गया जबकि उसका कट्टर दुश्मन चीनू पंडित रुडक़ी की ही जेल में बंद है। चीनू और राठी की दुश्मनी पिछले पांच सालों में तेजी से बढ़ी है। 2014 में चीनू के जमानत से बाहर आने के दौरान राठी गैंग ने उस पर हमला कर दिया था। इसमें चीनू के तीन बदमाश मारे गए थे जबकि वह बच निकला था। अब जबकि राठी के राइट हैंड माने जाने वाले देवपाल की हत्या कर दी गयी है तो इस बात की प्रबल संभावना है कि बदमाशों में यह जंग और तेज हो सकती है। देवपाल की हत्या में ऋषिपाल का नाम सामने आया है। ऋषिपाल को चीनू का भी करीबी समझा जाता है। ऐसे में इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता कि ऋषिपाल ने न केवल उसे अपनी दुश्मनी के चलते मौत के घाट उतारा बल्कि चीनू का उकसावा भी इसमें कारण रहा है। ऐसे में आने वाले दिनों में उत्तराखंड पुलिस को बेहद चौकन्ना रहना होगा ताकि जेलों में बंद यह कु यात अपने दुश्मनी की खातिर उत्तराखंड की जमीन को लाल न कर दें। आइजी जेल पीवीके प्रसाद का कहना है कि इस घटना के बाद हर संभव चौकसी बरती जा रही है।
ये कुख्यात भी हैं बंद
चीनू के रुडक़ी जेल में बंद होने के अलावा सचिन खोखर इस समय नैनीताल जेल में बंद है। इसे चीनू पंडित का करीबी माना जाता है। हाल ही में सचिन ने रुडक़ी में कोर्ट से आठ घंटे की पैरोल लेकर शादी रचाई। कु यात के इस कदम को उसकी रुडक़ी में अपनी धमक दिखाने के तौर पर देखा जाता है। वहीं, प्रवीण वाल्मीकि भी चमोली की पुरसाड़ी जेल में बंद है। करीब एक साल पहले वाल्मीकि ने पुरसाड़ी जेल के जेलर के मोबाइल से ही बुलंदशहर में एक व्यक्ति से फिरौती की मांग कर डाली थी। जिसके बाद शासन ने जेलर को सेवा से बर्खास्त कर दिया था।
विकास को बी-वारंट पर लाएंगे
देवपाल की हत्या में देहरादून से धरे गए शूटर विकास को रुडक़ी पुलिस बी-वारंट पर लाने की तैयारी कर रही हे। बता दें कि विकास इस समय देहरादून पुलिस के पास है। जल्द ही रुडक़ी पुलिस देहरादून में बी-वारंट के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल कर सकती है। दूसरी ओर, मौके से दबोचे गए दोनों शूटरों अजय व मोहित का भी पुलिस रिमांड लेने की तैयारी में है।
बागपत जेल के जेलर की हुई पेशी
रुडक़ी के एक चिकित्सक से पचास लाख रुपए की फिरौती मांगने के मामले में बुधवार को बागपत जेल के जेलर की रुडक़ी कोर्ट में पेशी हुई। बता दें कि कु यात राठी इस समय बागपत जेल में ही कैद है। ऐसे में पुलिस का मानना है कि बगैर किसी अंदर के व्यक्ति की मदद के बिना जेल से रंगदारी मांगना आसान नहीं है।

जौनसार-बावर में लहलहा रहा दक्षिण अमेरिकी योकॉन

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विकासनगर। भले ही सरकारें सूबे में कृषि को बढ़ावा देने के दावे कर रही हों, लेकिन तकनीकी व संचार माध्यमों के बढ़ते प्रचार-प्रसार ने ग्रामीण काश्तकारों को भी कृषि क्षेत्र में नए प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया है।

काश्तकार सिर्फ परंपरागत व नकदी फसलों के उत्पादन में ही प्रयोग नहीं कर रहे, बल्कि जलवायु व धरातलीय समानता के आधार पर देश-दुनिया में पाए जाने वाले ऐसे पौधे भी यहां उगा रहे हैं, जो आर्थिकी को नई ऊंचाइयां दे सकते हैं। ऐसा ही प्रयोग मल्टीपल एक्शन ग्रुप फॉर इंटीग्रेटेड सोसाइटी से जुड़े जौनसार-बावर परगने के बैराटखाई निवासी काश्तकार भाव सिंह ने किया है। इन्होंने दक्षिण अमेरिका में उगाए जोन वाले औषधीय पादप योकॉन का उत्पादन बैराट खाई में किया है। प्रयोग के तौर पर बीते वर्ष डेढ़ बीघा जमीन पर योकॉन उगाया गया, जिसके अपेक्षित परिणाम भी मिले। अब वह इसे वृहद स्तर पर उगाने की तैयारी करने के साथ अन्य काश्तकारों को भी इस बारे में जानकारी मुहैया करा रहे हैं।
आमतौर पर पेरू का ‘भूरा सेब’ के नाम से विख्यात योकॉन का पौधा औषधीय पादप है, जो ठंडे स्थानों पर उगाया जाता है। जौनसार-बावर (देहरादून) के बैराटखाई में इसे उगाने वाले काश्तकार भाव ङ्क्षसह व मल्टीपल एक्शन ग्रुप फॉर इंटीग्रेटेड सोसाइटी के अध्यक्ष अमित रोहिला ने बताया कि जैविक खेती से जुड़े काश्तकार योकॉन की खेती सिक्किम व शिमला में पिछले कई वर्षों से कर रहे हैं। प्रयोग के तौर पर उत्तराखंड के जौनसार-बावर परगने में भी बीते वर्ष डेढ़ बीघा भूमि में इसकी खेती की गई। यह बारहमासी पौधा है, जिसकी जड़ें (कंद) औषधीय उपयोग में काम आती हैं।
सगंध पौधा केंद्र सेलाकुई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुनील साह बताते हैं कि औषधीय पादप योकॉन उत्तराखंड के काश्तकारों के लिए नया पौधा है। उत्तरकाशी के मोरी ब्लाक व जौनसार-बावर के कुछ क्षेत्रों में इसका उत्पादन किया जा रहा है। योकॉन के एक पौधे से सात किलो तक स्वास्थ्यवर्धक कंद मिल जाता है। लिहाजा काश्तकारों को इसका आर्थिक लाभ देने के लिए बाजार विकसित किया जाना भी जरूरी है। इस दिशा में प्रयास हो रहे हैं।

योकॉन के औषधीय गुण
-एंटीआक्सीडेंट: कैफीक एसिड, फेरलिक एसिड व क्लोरोजेनिक योकॉन के पत्तों में पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट हैं। जबकि, इसकी जड़ में शरीर को सूजन से रोकने व पुरानी बीमारियों को समाप्त करने वाले औषधीय गुण पाए जाते हैं।
-कम ट्राइग्लिसराइड: योकॉन में फ्रटूलीगोसेकेराइडस होता है, जो कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक है।
-कैंसर की रोकथाम: यह एपोपोटिकिस की शुरुआत करके उत्परिवर्ती कोशिकाओं का प्रसार रोककर त्वचा, कोलन व रक्त कैंसर के उपचार में प्रभावी है।
-मधुमेह नियंत्रण: प्राकृतिक स्वीटनर के रूप में उपयोग किया जाता है, जो मधुमेह के रोगियों के लिए चीनी मुक्त मिठास तैयार करने में उपयोगी है।
हर्बल चिकित्सा: योकॉन को दक्षिण अमेरिका में आदिवासी लंबे समय से गुर्दा व मूत्राशय की समस्याओं से निजात पाने के साथ ही ङ्क्षसड्रिस, नेफ्रैटिस व मलेरिया की रोकथाम के लिए उपयोग में लाया जाता है।
-एंटी फंगल: त्वचा संबंधी रोगों के निवारण में भी इसका उपयोग प्रभावी होता है।
-कब्ज का इलाज: योकॉन आंतों की गति बढ़ाकर कब्ज को नियंत्रित करने में सहायक होता है।

नृसिंह मंदिर की सुरक्षा-व्यवस्था बढ़ाई

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गोपेश्वर। मंदिरों में लगातार हो रही चोरी की घटनाओं के बाद बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति ने चमोली जिले के जोशीमठ के नृसिंह मंदिर की सुरक्षा-व्यवस्था बढ़ा दी है। अब चौबीस घंटे मंदिर में सुरक्षा कर्मचारी तैनात रहेंगे।

बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के सीईओ बीडी सिंह ने बताया कि मंदिरों में लगातार चोरी की घटनाओं में इजाफा हो रहा है। इसके मद्देनजर नृसिंह मंदिर की सुरक्षा पर समिति ने विशेष ध्यान दिया है। मंदिर की सुरक्षा में आठ कर्मचारियों की तैनाती की गई है और ये सभी कर्मचारी सशस्त्र होंगे।

दो लोग गिरफ्तार, 15 लीटर कच्ची शराब बरामद

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गोपेश्वर। चमोली जनपद की पुलिस चौकी घाट की पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार कर उनके पास से 15 लीटर अवैध कच्ची शराब बरामद की गई है। यह गिरफ्तारी घाट-नंदप्रयाग मोटर मार्ग पर की गई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
पुलिस चौकी प्रभारी घाट विनोद कुमार गोला ने बताया कि घाट-नंदप्रयाग मोटर मार्ग पर वाहनों की जांच की जा रही थी। इसी बीच मुनियाली गांव के समीप दो लोगों को शिव सिंह और धीरेन्द्र को गिरफ्तार कर उनके पास से क्रमश: दस और पांच लीटर अवैध कच्ची शराब बरामद की गई है। दोनों अभियुक्तों के विरुद्ध आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।

धरती सिकुड़ने की दर 18 एमएम प्रतिवर्ष, हलचल से वंचित हो रही ऊर्जा

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देहरादून। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी नई दिल्ली के अध्ययन में सामने आया कि देहरादून से टनकपुर के बीच करीब 250 किमी क्षेत्रफल की जमीन लगातार सिकुड़ती जा रही है। धरती के सिकुड़ने की यह दर सालाना 18 मिमी. प्रतिवर्ष है। मंगलवार को सेंटर के निदेशक डॉ. विनीत गहलोत ने इस अध्ययन को देहरादून में आयोजित ‘डिजास्टर रेसीलेंट इंफ्रांस्ट्रक्चर इन दि हिमालयास: अपॉर्च्युनिटीज एंड चैलेंजेज’ वर्कशॉप में किया।

डॉ. गहलोत के मुताबिक, वर्ष 2012 से 2015 के बीच देहरादून (मोहंड) से टनकपुर के बीच करीब 30 जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) लगाए गए। इसके अध्ययन पर पता चला कि यह पूरा भू-भाग 18 मिमी की दर से आपस में सिकुड़ रहा है। जबकि पूर्वी क्षेत्र में यह दर महज 14 मिमी प्रति वर्ष पाई गई। इस सिकुड़न से धरती के भीतर ऊर्जा का भंडार बन रहा है, जो कभी भी इस पूरे क्षेत्र में सात-आठ रियेक्टर स्केल के भूकंप के रूप में सामने आ सकती है। क्योंकि इस पूरे क्षेत्र में पिछले 500 सालों में कोई शक्ति शाली भूकंप नहीं आया है। एक समय ऐसा आएगा जब धरती की सिकुड़न अंतिम स्तर पर होगी और कहीं पर भी भूकंप के रूप में ऊर्जा बाहर निकल आएगी। नेपाल में धरती के सिकुड़ने की दर इससे कुछ अधिक 21 मिलीमीटर प्रति वर्ष पाई गई। यही वजह है कि वर्ष 1934 में बेहद शक्तिशाली आठ रिक्टर स्केल का नेपाल-बिहार भूकंप आने के बाद वर्ष 2015 में भी 7.8 रिक्टर स्केल का बड़ा भूकंप आ चुका है। हालांकि यह कह पाना मुश्किल है कि धरती के सिकुड़ने का अंतिम समय कब होगा, जब भूकंप की स्थिति पैदा होगी। इतना जरूर है कि जीपीएस व अन्य अध्ययनी के बदलाव व हर भूकंप का अध्ययन किया जा रहा है।
तीन बड़े लॉकिंग जोन पता चले
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के निदेशक डॉ. विनीत गहलोत के अनुसार वैसे से 250 किमी का पूरा हिस्सा भूकंपीय ऊर्जा का लॉकिंग जोन बन गया है, लेकिन अब तक के अध्ययन में सबसे अधिक लॉकिंग जोन चंपावत, टिहरी-उत्तरकाशी क्षेत्र में धरासू बैंड व आगरा खाल में पाए गए हैं।