दून घाटी में गिद्धों के संरक्षण को यूएई ने की मदद

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देहरादून, दून विश्वविद्यालय के पीएचडी स्कॉलर खिमानंद बलोदी को यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) की संस्था ‘मोहम्मद बिन जायद स्पीसीज कंजरवेशन फंड’ ने दुर्लभ गिद्दों के संरक्षण लिए एक वर्ष की फेलोशिप प्रदान की है। इस फेलोशिप के तहत खिमानंद को दून घाटी में गिद्दों के संरक्षण के लिए कार्य करना है, जिसके लिए उन्हें संस्था ने पांच हजार डॉलर की प्रोत्साहन राशि भी मुहैया कराई है।

खिमानंद बलोदी ने बताया कि, “गिद्दों की कई प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर हैं। दूनघाटी में पिछले कुछ समय से बिजली के तारों की वजह से कई गिद्दों की मौतें हुई हैं। गिद्द बिजली के तारों के नजदीक कूड़ा करवट इकट्ठा होने की वजह से आते हैं। इस फेलोशिप के तहत बिजली के तारों की वजह से गिद्दों की मौतों को रोकने पर मुझे काम करना है।

मोहम्मद बिन जायद स्पीसीज कंजरवेशन फंड दुनियाभर में संकटग्रस्त वन्य जीवों को बचाने के लिए काम कर रहे जुझारू, समर्पित और जानकार वैज्ञानिकों को सहयोग प्रदान करती है। इससे पहले भी खिमानंद बलोदी को कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने उत्तराखंड में गिद्दों के संरक्षण पर काम करने के लिए सम्मानित किया है। उन्हें कंजर्वेशन लीडरशिप प्रोग्राम ने फ्यूचर कंजर्वेशनिस्ट अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है, जिसके तहत उन्हें कनाडा में वन्यजीव संरक्षण के तौर तरीकों का प्रशिक्षण भी दिया गया, साथ ही 12,500 डॉलर की प्रोत्साहन राशि भी दी गई। इसके अलावा उन्हें ओरिंटल बर्ड क्लब (इग्लैंड), वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्लूटीआई) ने भी गिद्दों के संरक्षण के लिए सम्मानित किया है। खिमानंद बलोदी की उपलब्धियों पर दून विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर प्रोफेसर कुसुम अरूणाचलम ने उन्हें बधाई दी और उम्मीद जताई कि गिद्दों के संरक्षण के लिए उनके प्रयास सफल होंगे। इसमें दून विश्वविद्यालय भी उनके साथ हर तरह से सहयोग करेगा।