क्यों छिनी इन नेताओं की सुरक्षा?

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केंद्र सरकार ने उत्तराखंड के 10 बागी कांग्रेसी विधायकों 2016 में दी गई विशेष सुरक्षा को वापस ले लिया है। गौरतलब है कि इन विधायकों को ये सुरक्षा  2016 में उस समय हरीश रावत सरकार के खिलाफ विद्रोह करने के बाद केंद्र सरकराकी तरफसे दी गई थी।

यद कदम विद्रोही कांग्रेस के विधायकों के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में आने के करीब 20 महीनों के बाद उठाया गया है। जिन 10 विद्रोही कांग्रेस नेताओं को सुरक्षा दी गई थी उनमे में हरक सिंह रावत, विजय बहुगुणा, शैला रानी रावत, शैलेंद्र मोहन सिंघल, उमेश शर्मा ‘काऊ’, प्रदीप बत्रा, रेखा आर्य, सुबोध उनियाल, प्रणव सिंह चैंपियन और अमृता रावत शामिल थे। 2016 में विद्रोह के बाद के राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान गृह मंत्रालय ने नेताओं के खिलाफ खतरे की बात का तर्क देकर उन्हें विशेष सुरक्षा कवर प्रदान किया था।

हालांकि, ये सुरक्षा कवर इन नेताओं के बीजेपी में शामिल होने के कई महीनों बाद तक जारी रहा। इन सभी ने 2017 के विधानसभा चुनावों में चुनाव लड़ा और उनमें से अधिकांश को फिर से चुन लिया गया और नई सरकार में मंत्री भी बन गए। सुरक्षा कवर वापस लेने के बारे में विधायकों का कहना है कि केंद्र की दी गई सीआईएसएफ के जवानों की सुरक्षा को 5 फरवरी को वापस ले लिया गया था और अब राज्य में अपनी सरकार है और हम सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। सुरक्षा की आवश्यकता तब थी क्योंकि हमें डर था कि कांग्रेस सरकार और इसके सदस्य हमारे विरोध के लिए कुछ भी कर सकते हैं।”