उत्तराखंड विधानसभा के 69 सीटों पर चुनाव संपन्न होने के बाद भाजपा कांग्रेस के बीच इस बार गढ़वाल कुमाउं दोनों मंडल में लड़ाई बहुत दिलचस्प हो गयी है, कई अहम चेहरे और अहम सीटों पर दोनों दलों की प्रमुखों की प्रतिष्ठा दावं पर लगी है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के दर्जनों विधायक कांग्रेस का साथ छोड़ भरतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये और वे भाजपा के चुनाव चिन्ह पर अपना भाग्य भी अजमाये है। वहीं भाजपा से कई बागियों ने कांग्रेस का दामन थाम कर चुनाव मैदान में भाजपा के सामने संकट खड़ा कर दिये है। ऐसे में मुकाबला बहुत ही रोचक हो गया है।
कांग्रेस के स्टार प्रचाकर और उत्तराखण्ड में हरदा नाम से मसहूर मुख्यमंत्री हरीश रावत गढ़वाल और कुमाउं मंडल के दोनों जगहों से अपनी चुनावी पैतरा के तहत चुनाव लड़े है। जबकि विपक्ष का कहना है कि अपनी हार के देखते हुए दो सीटों का चयन किया है। वहीं राजनीतिक विषलेशकों का कहना है कि कांग्रेस के पक्ष में लहर बनाने के लिए सीएम ने ऐसा निर्णय लिया है।
लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस से भाजपा में आये सतपाल महाराज अपनी गहरी पैठ बना लिये है। भाजपा में उन्हें सीएम पद का दावेदार भी माना जा रहा है। यहीं कारण है कि भाजपा अपने पूर्व अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत का टिकर काट कर महाराज को गढ़वाल के चौबटाखाल सीट से चुनाव में मैदान में उतारा है। हालांकि तीरथ को संतुष्ठ करने के लिए पार्टी ने उन्हें संगठन में राष्ट्रीय सचिव बनाया है। अब देखना है तीरथ सतपाल महराज के लिए कितना काम करते है।
उधर, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भाजपा के सहसपुर विधायक सहदेव पुंडीर खिलाफ चुनाव लड़े है जिनकी प्रतिष्ठा दावं पर लगी है। हालांकि इसी सीट पर बीजेपी की बागी लक्ष्मी अग्रवाल और कांग्रेस के आयेन्द्र शर्मा दोनों निर्दलयी प्रत्याशी के रूप में ताल ठोक कर सीट को हाट बना दिया है, जिससे चर्चा का बाजार गर्म है।
वहीं कुमाउं के रानीखेत से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के सामने फिर पुराने प्रतिद्वंद्वी करन मेहरा से सीधी लड़ाई है। 2012 विधानसभा चुनाव में अजय भट्ट 100 वोटों के कम अंतर से चुनाव जीत थे। इस बार बीजेपी के बागी प्रमोद नैनवाल के आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। ऐसे में अजय भट की प्रतिष्ठा दावं पर लगी हुयी है।
हमेशा सुर्खियों में रहने वाली कोटद्वार सीट इस बार भी लोगों के बीच कौतुहल बना हुआ है। यहां भी कांग्रेस के बागी हरक सिंह रावत भाजपा के चुनाव चिन्ह पर अपना किस्मत अजमाये है। इससे पहले 2102 में पूर्व सीएम और पौड़ी गढ़वाल के सांसद बसी खण्डूरी की चुनाव हार गये थे जिससे भाजपा कांग्रेस से एक सीट से पीछे हो गयी थी और सरकार से हाथ धाना पड़ा था।
वहीं कांग्रेस से भाजपा में आयी केदारनाथ की विधायक शौला रानी रावत बीजेपी से तो,कांग्रेस से मनोज रावत है। इन दोंनों प्रत्याशियों को सीटी टक्कर कांग्रेस के बागी कुलदीप रावत और भाजपा के बागी आशा नौटियाल से है।
हालांकि कांग्रेस से भाजपा में आये नरेन्द्र नगर से सुबोध उनियाल, देहरादून के रायपुर से उमेश शर्मा काउ, रूड़की से प्रदीप पत्रा की अपनी पकड़ मजबूत बनाये हुये है। हालांकि रूड़की सीट पर भाजपा के बागी सुरेश चैन कांग्रेस से ताल ठोके है जिससे सीटी टक्कर है। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहगुणा के पुत्र सौरव बहुगुणा अपने पिता के सीट पर सितारगंज से चुनाव लड़े है।
गढ़वाल, कुमांऊ मंडलों में दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
डिजिटल इंडिया की तरफ एक और कदम,8 मार्च से होगा रायवाला कैंट पूरी तरह कैशलेस
प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने के लिए रायवाला मिलिट्री स्टेशन ने एक कदम बढ़ा दिए है,जिसके तहत अब रायवाला कैंटीन और कैंट में डिजिटल पेमेंट से लेन-देन होगा जिससे सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को भी कैश की किल्लत से नहीं जूझना पड़ेगा।प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया के सपने की तरफ रायवाला मिलिट्री कैंप ने एक कदम बढ़ाया है।ऋषिकेश के रायवाला मिलिट्री स्टेशन पर SBI द्वारा सैनिकों और पूर्व सैनिकों के लिए एक डिजिटल मेला लगाया गया जिसमें सैनिकों को कैशलेस होने की जानकारी दी गयी और उसके महत्व के बारे में बताया गया। रायवाला मिलिट्री कैंट को जल्द ही कैशलेस भी किया जायेगा जिससे सैनिक परिवारों के साथ साथ कैंटीन परिसर में डिजिटल पेमेंट करने में सुविधा मिलेगी। सैनिकों ने भी इस कदम का स्वागत किया है।
रायवाला कैंट के ब्रिगेडियर संदीप सुध ने बताया की 15 मार्च से पूरे रायवाला कैंट को कैशलेस किया जायेगा, जिसकी तैयारी शुरू कर दी गयी है। कैंटीनों में डिजिटल मशीनें लगा दी गयी है और जो जगह बची हुई है उन जगहों पर बैंक से बातचीत करके 15 मार्च से शुरू कर दिया जायेगा। पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने को अब आर्मी भी तेजी के साथ अपना रही है। जिसके इंफ्रास्ट्रक्चर रायवाला कैंप में तैयार हो रहा है और आने वाले समय पर सैनिक,पूर्व सैनिक और उनके परिवार को हर काउंटर पर कैशलेस सुविधा मिल सकेगी।आर्मी कैंट की इस पहल से जहाँ एक और इस मुहीम से सेना के जवानों को लाभ होगा वहीँ दूसरी तरफ यह पहल प्रधानमंत्री के डिजिटल भारत के सपने की तरफ बढ़ता एक महत्वपूर्ण कदम भी है।
रिलायंस जिओ का नया ऑफर
रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड (आरआईएल) की टेलिकॉम कंपनी रिलायंस जिओ ने नए एलान किए हैं, जिसमें पहले 10 करोड़ ग्राहकों को रिलायंस जिओ का प्राइम मेम्बर बनने का मौका दिया जाएगा। इसके लिए उन्हें सिर्फ 99 रुपये का भुगतान करना होगा। इसके बाद वो रिलायंस जिओ प्राइम मेम्बर के रुप में असीमित सेवाओं, ऑफर्स का लाभ उठा सकेंगे। साथ ही उनके लिए मात्र 303 रुपये प्रतिमाह टैरिफ पर कंपनी का ‘न्यू ईयर ऑफर’ 31 मार्च, 2018 तक रहेगा। रिलायंस जिओ का प्राइम मेम्बर बनने के लिए उपभोक्ता को 31 मार्च, 2017 तक खुद को वेबसाइट या एप्प के जरिए खुद को रजिस्टर्ड कराना होगा।
1 अप्रैल, 2017 से लागू होने वाले नए रिलायंस जिओ प्लान में लोकल, एसटीडी की असीमित कॉलिंग फ्री होगी। इतना ही नहीं पूरे देश में रोमिंग भी फ्री होगी। साथ ही रिलायंस जिओ ग्राहक को किसी भी दूसरे टेलिकॉम ऑपरेटर की तुलना में 20 फीसदी ज्यादा डेटा मिलेगा। इन नए प्लान में टैरिफ 149 रुपये से 4999 रुपये तक होगा।
मंगलवार को रिलायंस जिओ के एक कार्यक्रम आरआईएल के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने बताया कि पिछले छह माह में 10 करोड़ लोग रिलायंस जिओ को अपना चुके हैं। हर सेकेंड 7 नए ग्राहक बन रहे हैं| ये सिलसिला पिछले 170 दिनों से चल रहा है। किसी भी स्टॉर्ट-अप के लिए ये अपने आप में एक रिकार्ड है, जिसमें रिलायंस जिओ ने फेसबुक, व्हॉट्सअप जैसों को टक्कर दी है। इतना ही नहीं दूसरी टेलिकॉम कंपनियों के लाखों ग्राहक नंबर पोर्टेबिलिटी के जरिए रिलायंस जिओ को अपना चुके हैं। रिलायंस जिओ उपभोक्ता प्रतिमाह 100 करोड़ जीबी डेटा और 200 करोड़ मिनट्स वाइस और विडियो प्रतिदिन का उपभोग कर रहे हैं, जिसके चलते रिलायंस जिओ दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क बन रहा है।
उत्तराखण्ड में वर्ष 2012 की तुलना में 2017 में मतदान घटा
उत्तराखण्ड में वर्ष 2012 की तुलना में 2017 में मतदान प्रतिशत 67.22 से घट कर 65.64 प्रतिशत पर रहा है। राज्य निर्वाचन आयोग के एक आंकड़े के अनुसार प्रदेश में इस बार 69 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में कुल 4870879(48 लाख 70 हजार 889) मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। वर्ष 2012 में 6277956 मतदाता हुए और वर्ष 2017 में 7420710(69 विधानसभा क्षेत्र) मतदाता दर्ज हैं।
प्रदेश में इस बार 69.34 प्रतिशत महिलाओं और 62.28 प्रतिशत पुरूष मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया।
वहीं चमौली जिले के एक विधानसभा सीट कर्णप्रयाग पर नौ मार्च को चुनाव होना अभी बाकी है। इस सीट पर बसपा प्रत्याशी के सड़क दुर्घटना में निधन हो जाने कारण चुनाव स्थगित कर पड़ना था।
वहीं उत्तराखण्ड में पिछले दस वर्षो में प्रदेश भर में 13 लाख से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। वर्ष 2007 के आकड़ों से तुलना करें तो 10 वर्ष में कुल 1327899(13 लाख 27 हजार 899) अधिक मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया है। वर्ष 2007 एवं 2012 के आंकड़ों में कर्णप्रयाग विधानसभा के आंकड़ें भी सम्मिलित हैं।
वर्ष 2007 में मतदाता सूची में कुल मतदाता 5985302(70 विधानसभा क्षेत्र), वर्ष 2012 में 6277956(70 विधानसभा क्षेत्र) मतदाता तथा वर्ष 2017 में 7420710(69 विधानसभा क्षेत्र) मतदाता दर्ज हुए। जबकि इस बार मतदाताओं की संख्या में 650954 की वृद्धि हुई है।
वर्ष 2017 में कुल 69.34 प्रतिशत महिलाओं और 62.28 प्रतिशत पुरूष मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया।
कहीं पास तो कहीं फेल रहा माॅक ड्रिल
मंगलवार को उत्तराखंड राज्य में आपदा से निपटने के लिए माक ड्रील का आयोजन किया गया। यह मौक ड्रील मुख्य सचिव के अध्यक्षता में किया गया है।इस ड्रील में प्रदेश के सभी सम्बंधित विभागों को शामिल किया गया जिसमें लोक निर्माण विभाग, जिला प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ आदि विभागों ने इस मौके पर ड्रील में प्रशक्षिण लिया।
इस अभ्यास से मान के चला गया कि सुबह 10 बजे चमोली जिले में 7.2 का भूकंप आया और भूकंप का केंद्र चमोली जिले को माना है और कुछ अन्य जिलों मे जैसे कि रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, टिहरी व देहरादून भी भूकंप से प्रभावित हुए हैं।सभी जिलों में बचाव कार्य के प्रशिक्षण दिया गया साथ ही एन डी आर एफ व एस डी आर एफ की टीमो के सहयोग के माध्यम से लोगो को आपदा से कैसे बचें यह भी बताया गया।
माक ड्रील कुछ क्षेत्रों में पास तो कुछ जगल फेल रहा।आधी अधूरी तैयारियों के साथ आपदा से निपटने के लिए राज्य कैसे हो सकता है तैयार।भूंकप के मद्देनजर उत्तराखंड ज़ोन 5 में आता है जिससे निपटने के लिए मुश्तैदी की जरुरत होती है।मंगलवार को हुई माक ड्रील में हैलीकाप्टर जैसा जरुरी रेस्क्यू साधन नहीं जुटा पाई प्रशासन।ड्रील के दौरान कई बार हुआ कि फोन नहीं उठा रहे थे प्रशासन के लोग।इसके साथ ही कुछ क्षेत्रों में अव्वल रही ड्रील,कुछ नए विभाग भी जोड़े गए रेस्क्यू डिर्पाटमेंट में।
काल्पनिक दृश्य को लेकर वास्तविक त्वरित कार्यवाही के लिए सभी टीमें घटना स्थल की तरफ विभिन्न क्षेत्रों में प्रस्थान करेंगी। इस वास्तविक दृश्य के अन्तर्गत मोबाईल, टेलीफोन, संचार सेवाएं ठप हो चुकी होंगी,हास्पिटल के सभी बैड फुल रहेंगे फिर भी घायलों, मृतकों की संख्या अस्पताल में आने के लिए बढ़ती जायेगी। आपदा परिचालन केन्द्र में सभी अधिकारी पहुंचेंगे।यहां पर पानी, बिजली, सड़क एवं राशन की आपूर्ति का नियंत्रण विभिन्न क्षेत्रों के लिए कन्ट्रोल रूम से समन्वय बनाकर किया जायेगा। वायरलेस से ही दूरसंचार का काम किया जायेगा।यह सभी इस माक ड्रील में दिखाया गया।
आपदा जैसी स्थिति से निपटने के लिए इस माक ड्रील का दोबारा मूल्यांकन होगा की आने वाले परिस्थितियो में आपदा से कैसे निपटा जाए। और राज्यो के सभी जिलों में लोगो को भी प्रशिक्षित किया गया कि परिस्थिति से निपटने के लिए कैसे मार्गदर्शन मिले।इस माक ड्रिल में एसडीआरएफ, बीईजी, पीएसी,की टीमों का भी सहारा लिया गया।आपदा जैसी स्थिति से निपटने के लिए इस मौक ड्रील के दुवारा मूल्यांकन होगा की कैसे विपरीत परिस्थितियो से निपटा जाये। राज्य के सभी जिलों में लोगो को माक ड्रील के द्वारा प्रशिक्षत किया जा रहा है ताकि कोई भी अनहोनी होने पर जब तक कोई भी बचाव दल उन तक नहीं पहुंचे वह स्वंय कि कैसी मदद कर सकते हैं।
कॉर्बेट में अवैध चहलकदमी को देखते हुए प्रशासन ने सील किए सभी एंट्री गेट
कॉर्बेट के घने जंगलों में अवैध चहलकदमी को देखते हुए कॉर्बेट पार्क प्रशासन ने सभी प्रवेश द्वार(एंट्री गेट)सील कर दिए हैं।उच्च वनाधिकारियों ने फोन पर बताया की पोचिंग रोकने के लिए प्रिवेंटिव एंटी पोचिंग मूवमेंट वन विभाग द्वारा चलाया जा रहा है।जंगलों में गस्त कर पोचरों की तलाश की जाएगी और जरुरत पड़ी तो उन्हें आत्मरक्षा में गोली भी मारी जा सकती है।
पुलिस के हाथ लगा ईनामी शातिर अपराधी
थाना प्रेमनगर पर पंजीकृत मु0अ0स0 42/16 धारा 364A/392/120B आईपीसी में प्रकाश मे आये 10 अभियुक्तों मे से 09 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा मे जिला कारागार भेजा जा चुका है। इस मुकदमे मे वांछित मुख्य अभियुक्त विनय त्यागी का दाया हाथ मोनू उर्फ सचिन त्यागी वांछित चल रहे थे,जिन्हे पुलिस के अथक प्रयासो के बाद भी लगातार फरार चलने के फलस्वरुप तारीख 04/07/16 को पुलिस महानिरीक्षक गढ़वाल परिक्षेत्र महोदय द्वारा गिरफ्तारी के लिए अभियुक्त मोनू पर 5 हजार रु0 का इनाम घोषित किया गया। जिस पर इनामी अपराधी की गिरफ्तारी हेतु वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून के निर्देशन मे श्रीमान पुलिस अधीक्षक नगर देहरादून और पुलिस क्षेत्राधिकारी नगर देहरादून महोदय के निकट पर्यवेक्षण मे थानाध्यक्ष प्रेमनगर के नेतृत्व मे टीम का गठन किया गया। जिसके फलस्वरुप पुलिस टीम द्वारा अपनी सूझबूझ एंव अथक प्रयासो से उक्त शातिर अपराधियो की गिरफ्तारी हेतु पतारसी सुरागरसी मे मामूर थे। जरिये मुखबिर सूचना मिली कि मंगलवार को मोनू त्यागी देहरादून कोर्ट में किसी केस के सिलसिले में आ रहा है, इस सूचना पर टीम द्वारा अारोपी को प्रिन्स चौक पर गिरफ्तार करने मे सफलता प्राप्त की गयी। उल्लेखनीय है कि अभियुक्त शातिर किस्म का है जिसके खिलाफ यू0पी0, उत्तराखण्ड, दिल्ली व हिमांचल प्रदेश आदि स्थानो मे दर्जनो मुकदमें पंजीकृत है।
24 फरवरी को महा शिवरात्रि की तैयारी पूरी,प्रशाासन ने कसी कमर
फरवरी में 24-28 तक बैंकिंग कार्य रहेगा बाधित
फरवरी के आखिरी हफ्ते में लोगों को नकद की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। 24- 28 फरवरी के बीच बैंकों का कामकाज बाधित रहेगा। हो सकता है ऐसे में एटीएम में नकदी की कमी हो जाए।
24 फरवरी के महा-शिवरात्री पर्व के चलते बैंकों का अवकाश रहेगा। 25 फरवरी को चौथा शनिवार और 26 को रविवार होने के चलते बैंकों का कामकाज नहीं होगा। 28 फरवरी को बैकों की यूनियन की राष्ट्रीय हड़ताल के चलते बैंकिंग कामकाज बाधित होगा। वहीं उत्तर-प्रदेश में 22 तारीख को चुनाव के चलते उन इलाकों में बैंक बंद रहेंगे। इस तरह फरवरी माह के आखिरी हफ्ते में बैंकिंग कामकाज बाधित रहेगा।
नैनीझील का लगातार गिरता जलस्तर है खतरे की घंटी
नैनीताल और उत्तराखण्ड की शान कही जाने वाली नैनीझील का जलस्तर बीते दो सालों से लगातार गिरता जा रहा है। साल 2011 के मुकाबले में इस साल झील में लगभग 6 फ़ीट पानी कम रह गया है। पहाड़ों में पड़ती बरसात के स्तर में लगातार गिरावट और शहर में बढ़ती आबादी के बोझ के चलते असामान्य रूप से गिरता ये जलस्तर खतरे की घंटी दे रहा है।
नैनीझील में हमेशा से ही शून्य जलस्तर से ऊपर और नीचे के जलभराव को नापा जाता है। यहाँ बरसातों के मौसम में झील जहाँ 11 फुट की अपनी क्षमता पूरी करने के बाद अतिरिक्त जल की निकासी करती है तो गर्मियों के जून माह तक इसका जलस्तर माइनस आठ से दस इंच तक गिर जाता है।
बीते कुछ सालों का अगर आंकलन करें तो पिछले दो सालों से झील के जलस्तर में चौकाने वाली गिरावट देखने को मिली है। 2014 की 20 फरवरी को जहाँ जलस्तर प्लस 4.50 फ़ीट था वहीँ 20 फरवरी 2015 को जलस्तर अचानक आश्चर्यजनक रूप से घटकर माइनस 4.6 इंच के न्यूनतम स्तर पर पहुँच गया था। इस साल ये जलस्तर अबतक के सबसे न्यूनतम माइनस 6.6 इंच तक पहुँच चुका है।
पिछले कुछ वर्षों में झील के जलस्तर की जानकारी देकर अपने पक्ष को और भी साफ़ करने की कोशिश करते हैं।
- 20 फरवरी 2011 जलस्तर प्लस 5.10 फ़ीट
- 20 फरवरी 2012 जलस्तर प्लस 4.85 फ़ीट
- 20 फरवरी 2013 जलस्तर प्लस 5.4 फ़ीट
- 20 फरवरी 2014 जलस्तर प्लस 4.50 फ़ीट
- 20 फरवरी 2015 जलस्तर माइनस 4.6 इंच
- 20 फरवरी 2016 जलस्तर माइनस 5.6 इंच
20 फरवरी 2017 को नैनीझील का जलस्तर माइनस 6.6 इंच पहुँच गया है जो गर्मियों तक अगर अच्छी बरसात नहीं होती है तो कहाँ पहुंचेगा ये अनुमान लगाया जा सकता है। लोक निर्माण विभाग के जे.ई.महेन्द्र पाल बताते हैं कि “विभाग ने डाँठ(निकासी गेट)की सुरक्षा के लिए इन्हें अच्छी तरह से सुधारा है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा झील की सुरक्षा दीवार ठीक करने के लिए पर्यटन विभाग ने बहुत काम किया है।”
नैनीताल की इस प्राकृतिक झील में जल संचार के लिए सन 1888 में अंग्रेजी शासनकाल में 62 नालों का निर्माण करा गया था जो चारों तरफ से पानी को झील तक पहुँचाने का काम किया करते थे। इसके अलावा कुछ साल पहले तक सूखाताल झील भी नैनीझील का बड़ा जलस्रोत माना जाता था लेकिन किन्हीं कारणों से सूखाताल में जमा होने वाले पानी को सीधे नैनीझील से होकर बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। एक मुख्य कारण शहर में बनी सैकड़ों सीमेंट की सड़कें भी हैं जो पानी को सीधे झील और फिर बाहर का रास्ता दिखाती हैं। इससे पहले यही पानी इन सड़कों में रीसकर धरती की कई परतों को पार करते हुए प्राकृतिक रूप से स्वच्छ होकर झील तक लंबे समय बाद पहुँचता था। अब शहर में आबादी और होटलों की संख्या लगातार बढ़ने के बाद जहाँ उपभोग के लिए पानी काफी मात्रा में चाहिए पड़ता है वहीँ घरों और होटलों की पानी की टंकियों में भरा पानी भी झील के जलस्तर को काफी कम कर देता है।
नैनीझील के इतिहास पर अगर नजर डालें तो पुराणों में सरोवर नगरी नैनीताल को ऋषियों की तपोस्थली के रूप में भी जाना जाता है । पुराणों में ही वर्णित है कि यहाँ अत्रि, पुलस्त्य और पुलह नामक ऋषियों ने तपस्या करते हुए अपने तपोबल से मानसरोवर का पानी यहाँ खींच लिया था। बाद में सन 1821 में अंग्रेजी शाशक यहाँ पहुंचे और इस खूबसूरत शहर का झील किनारे निर्माण हुआ। नैनीताल के व्यवसाईकरण के बाद से ही लगातार जैसे नैनीझील के अस्तित्व में ख़तरा सा मंडराने लगा है। झील के आसपास की गन्दगी और मलुवा इसके भीतर जाकर गाद बनती है जो इसके आक्सीजन के स्तर को शून्य तक गिरा देती है। ऐसे में अब झील को एरिएशन द्वारा कृतिम आक्सीजन देकर जीवित रखा गया है। वोटों की राजनीती करने वाले शियासतदांन भी इस निर्जीव झील के लिए कम ही सोचते हैं। लाखों लोगों को रोजगार देने वाली इस झील की उम्र भी कम ही रह गई दिखती है।




























































