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खाने में स्वाद बढ़ाते ”पत्थरों” का खत्म होता संसार

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स्वादिष्ट और लज़ीज़ व्यंजन किसे अच्छे नहीं लगते, मगर क्या आप जानते हैं कि आधुनिक युग के उपकरण व्यंजनों का स्वाद बिगाड रहे हैं। जी हां आज के ज़माने की मिक्सी हमारे भोजन का जायका बिगाड़ रही है। कभी सिलबट्टे पर पिसे मसाले और चटनी की सुगंध और मसालों का स्वाद हमारे भोजन को लज़ीज़ बनाते थे मगर काम की आपाधापी और समय बचाने की जुगत में हम वो स्वाद ही भूल चुके हैं। सिलबट्टे की जगह बिजली से चलने वाली मिक्सी ने ले ली और हम असली स्वाद को ही भुला चुके है। वहीं पत्थर को तराश कर उसे उपयोग में लाने के लिए कड़ी मेहनत कर पत्थर तराशने वाले कास्तकारों के सामने की भी रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
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पत्थरों को आकार देकर उसे घरेलू उपयोग के लिये बनाने वाले कास्तकारों की कला पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। आधुनिक दौर ने इन्हें इनके इस पैत्रिक काम को ही छोड़ने पर मजबूर कर दिया है। बुख्शा जनजाति के लोग सालों से पत्थरों को तराश कर उन्हें भोजन में उपयोग के लिए बनाते हैं मगर सिलबट्टों की जगह मिक्सी ने जब से ली है तब से पत्थरों के इन कास्तकारों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। कई पिढियों से पत्थरों को तराशने वाले कास्तकार आज जहां भुखमरी की कगार पर हैं, वही इनके व्यापार पर भी संकट मंडरा रहा है। कभी असली स्वाद के लिए सिलबट्टों की मांग इतनी अधिक थी कि इससे जुडे़ कास्तकारों की आजीविका आसानी से चल जाती थी मगर अब लगातार ही उनका व्यापार घटता जा रहा है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड की सीमा से सटे क्षेत्र में सिलबट्टों का सबसे बड़ा कारोबार काशीपुर में ही होता था, खास तौर पर यहां लगने वाले चैती मेले में इसका खास तौर पर पत्थर बाजार लगाया जाता है जहां हर प्रकार के पत्थरों के कास्तकार अपनी कला को बेचते हैं लेकिन ना अब पत्थर ही मिल पाते हैं और ना तराशे पत्थरों के कदरदान।
जबकि महिलांए भी मानती है कि भोजन का असली स्वाद सिलबट्टों पर पिसे मसालों से ही आता है जबकि मिक्सी से पिसे मसालों से भोजन बनता है मगर स्वाद नहीं मिलता। बहरहाल पत्थरों को तराशने वाले सिलबट्टों के कास्तकारों के सामने जहां आर्थिक संकट खड़ा है वहीं नयी पीढी भोजन के असली स्वाद से महरुम हो रही है। आधुनिक मशीनों ने किचन से सिलबट्टों को बाहर कर दिया है तो दूसरी ओर कास्तकारों को भुखमरी की कगार पर छोड़ दिया है।

बढ़ती गर्मी से राहत के कुछ उपाय

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मौसम के तेवरों के चलते उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों जैसे देहरादून में गर्मी के चलते लोगों के पसीने छूट गए।पिछले एक हफ्ते में उत्तराखंड के मैदानी इलाकों में रिर्काड तोड़ गर्मी हुई है।

इस गर्मी से बचने के लिए डा.टम्टा और डा. संजय सरीन ने कुछ उपाय बताएं है जो आपको भीषण गर्मी में भी तरोताजा रह सकता हैः

क्या करेः

  • पानी की मात्रा ज्यादा से ज्यादा लें
  • बाडी को हाइड्रेट करने वाले फल और सब्जियां खांए जैसे कि खीरा, पपीता, तरबूज आदि
  • हाथ साफ करके ही खाना खांए
  • जितना हो सके लिक्विड चीजें लें
  • बाहर निकलने से पहले पानी जरुर पिएं
  • घर से बाहर निकलने से पहले अपने चेहरे को कवर करके निकले
  • छाता और धूप के चशमों का प्रयोग करें
  • गर्मी से आंखों पर पड़ने वाले किरणों को रोकने के लिए यूवी रेज़ चश्में का प्रयोग करें
  • हल्के व सूती कपड़े पहने

क्या ना करेः

  • बासी खाना ना खाएं
  • बाहर की चीजें ना खाएं
  • ज्यादा देर के कटे फल ना खाएं

डा. संजय सरीन ने बताया कि अगर बाडी में पानी की कमीं हो जाए तो तुरंत ओआरएस का घोल लें और ज्यादा दिक्कत होने पर डाक्टर से संर्पक करें।

कहने को मार्च का महीना खत्म होने में केवल एक दिन बचा है और अप्रैल शुरु होने से पहले मौसम का यह रुप देखने को मिल रहा तो आने वाले महीनों में मौसम कैसा होगा इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं।

 

बाउंसरों की सुरक्षा के बीच दीपिका पादुकोण पहुची ”आनन्दा इन हिमालय”

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हिमालय की गोद में बसा आनंदा रेजार्ट धीरे धीरे बालीवुड सितारों का पसंदीदा डेस्टिनेशन बनता जा रहा है। पिछले कुछ सालों में नरेंद्र नगर में स्थित आनंदा स्पा एंड रिर्जाट लगभग सभी फिल्मी सितारों के लिए एक हाल्ट डेस्टिनेशन बन चुका है, जिसमें खुबसूरत आदाकारा रेखा का नाम भी शुमार है।शनिवार को सैलिब्रिटी के नामों में एक और नाम जुड़ गया है और वह है दिपिका पादुकोण। सूत्रों के अनुसार बालीवुड की हिट और लोकप्रिय हीरोईन दिपिका पादुकोण शाम को करीब 7 15 पर जाली ग्रांट एयरपोर्ट पर चार्टर्ड प्लेन से पहुंची और आनंदा के लिए निकल पड़ी।खबरों के अनुसार दिपिका ऋषिकेश में आने वाले दो दिन बिताने वाली हैं।

सूत्रों के मुताबिक दीपिका कुछ दिनों तक आनंदा इन हिमालय में रुक कर यहाँ के स्पा और मसाज का आनंद उठाएगी,बाउंसरों की कड़ी सुरक्षा के बीच दीपिका पादुकोण जोलीग्रांट हवाई अड्डे पर पहुची और यहाँ से बॉय रोड नरेन्द्र नगर के लिए रवाना हुयी उनके साथ उनके पारिवारिक मित्र भी थे ,जो कुछ दिन उत्तराखंड में बिताएंगे ऋषिकेश में राफ्टिंग का मजा और गंगा आरती का भी लुफ्त उठाएंगे ।

दिपिका के उत्तराखंड आने पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने टिव्टर के माध्यम से टिव्ट किया है कि दिपिका का उत्तराखंड राज्य में स्वागत है।आपको बता दें कि नए साल के आगमन पर आनंदा रेर्जाट में फिल्मी सितारों का तांता लगा हुआ था।चाहें वो अनुष्का शर्मा,विराट कोहली,सोनम कपूर,आमिताभ बच्चन, अरशद वारशी हो और अंबानी परिवार हो।

3 अप्रैल से एफआरआई में शुरु होगा 19वां राष्ट्रमंडल वानिकी सम्मेलन

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शनिवार को फारेस्ट ऱिसर्च इंस्टीटूयूट ने प्रेस वार्ता का आयोजन किया। प्रेस कांफ्रेस में 3 अप्रैल से शुरु होने वाले 19वे राष्ट्रमंडल वानिकी सम्मेलन में होने वाले कार्यक्रमों की रुपरेखा तैयार की गई।डा.सुरेश गैरोला डीजी एफआरआई ने बताया कि वर्ष 1930 में पहली बार यह सम्मेलन लंदन में किया गया था।भारत में यह दूसरी बार है। डा. गैरोला ने कहा कि यह केवल एफआरआई ही नहीं बल्कि पूरे राज्य और पूरे देश के लिए गर्व की बात है।इससे पहले वर्ष 1968 में 9वी बार यह सम्मेलन दिल्ली में आयोजित किया गया था और अब 2017 में 19वे बार, एक बार फिर भारत को इस सम्मेलन की मेजबानी का मौका मिला है।3 अप्रैल को उत्तराखंड राज्यपाल डा.के.के पाल मुख्य अतिथि के रुप में इस सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे।

डा. गैरोला ने वन से संबंधित समस्याओं पर बात करते हुए कहा कि आज का समय जंगलों के लिए कठिन समय है। ग्लोबल तापमान में होने वाले फेरबदल से लेकर, मौसम में बदलाव, वनों का कम होना आदि आने वाले समय में बहुत बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। ड़ा.गैरोला ने बताया कि बढ़ते तापमान की वजह से बहुत से बदलाव आ रहे हैं जैसे कि फारेस्ट कंपोजिशन का लेवल बढ़ना, फसलों का पैटर्न बदलना, प्रजातियों का लुप्त होना और जंगल की उत्पादकता कम होना आदि। डा.सुरेश गैरोला ने बताया कि इस कांफ्रेस का पहला फोकस होगा राष्ट्रीय स्तर की समस्यों का समाधान।आपको बता दें कि 53 कामनवेल्थ देशों में 49 देश इस कांफ्रेस में भाग ले रहे हैं।कांफ्रेस में मौजूद एफआरआई की डायरेक्टर डा.सविता ने बताया कि इस सम्मेलन में फारेस्ट्री क्षेत्र के दिग्गजों के साथ,फारेस्ट डिर्पाटमेंट,भारत सरकार की फारेस्ट मिनिस्ट्री के प्रोफेशनल,अफिसर और एकेडमिशियन भाग लेंगे।

इस सम्मेलन में 4 पूर्ण सेशन,21 टेक्निकल,और 6 अलग-अलग थीम पर चर्चा होगी।डा. सविता ने बताया कि 5 दिन के इस सम्मेलन में 95 प्रेजेन्टेशन दिखाए जाऐंगे और अब तक इस सम्मेलन में आने के लिए 700 डेलीगेट्स ने रजिस्ट्रेशन करा लिया है।डा.सविता ने बताया कि 61 विदेशी डेलीगेट्स इस सम्मेलन में भाग लेंगे।सीएफए और मिनिस्ट्री आफ फारेस्ट्री,भारत सरकार इस सम्मेलन में बराबर अपना सहयोग दे रहा है।इस सम्मेलन का आयोजन करने के लिए इंटरनेशनल और नेशनल लेवल पर दो कमेटियों का गठन किया गया है जो अक्टूबर 2015 से इस सम्मेलन की तैयारियों में सहयोग कर रही हैं।डा.सविता ने बताया कि इस सम्मेलन में 7 साईड इवेंट भी होंगे जो दुनिया के कोने कोने से आए प्रोफेशनल करेंगे। इसेक अलावा संबंधित विषयवस्तु पर राष्ट्रीय और अंर्तराष्ट्रीय प्रतिनिधियों के शोध एवं विकास कार्यकलाप की प्रदर्शनी औऱ पोस्टर शो का सत्र भी चलेगा। सम्मेलन में हस्तशिल्प और हाथ से बनाए हुए स्वंय समूहों के हर्बल औषधि उत्पादन, एनजीओ, कारीगर, कार्पोरेट मार्केटिंग संघ के उत्पाद आदि की प्रदर्शनी तीन दिनो तक चलेगी।सम्मेलन के चौथे दिन एक एनकांफ्रेस टूर का आयोजन किया जाएगा जिसके माध्यम से सम्मेलन में विदेशी मेहमानों का उत्तराखंड की बायोडायर्वसिटी से परिचय कराया जाएगा जिसमें एक ग्रुप ऋषिकेश और दूसरे ग्रुप को धनौल्टी की तरफ रवाना किया जाएगा।

तापमान का पारा चढ़ते ही शुरु हो गई जंगलों में आग

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उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्र में बढ़ते हुए तापमान ने लोगों को बेहाल कर दिया है, और कुछ ऐसा ही हाल पहाड़ों का भी है। पहाड़ी क्षेत्रों में बढ़े हुए तापमान ने गर्मी के साथ मौसम को शुष्क कर दिया है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून ने तापमान के बहुत उतार चढ़ाव देखे गए और पिछले हफ्ते तापमान बढ़ के 37-38 डिग्री तक पहुंच गया जो अब तक का सबसे गर्म तापमान रहा पिछले 16 सालों में।लंबे समय तक शुष्क मौसम, लू और तापमान के बढ़ने की वजह से राज्य में तबाही के दरवाजे वन अग्नि के रूप मे खुल गए हैं। पिछले साल की गर्मियों में प्रदेश ने पहाड़ी क्षेत्रों में जंगलो को तबाह होते देखा है, जंगलों को राख होते देखा है और जैसे हालात है आने वाली गर्मी एक बार फिर यही संकेत दे रही है।

दो दिन पहले मसूरी के नालापानी में जंगली क्षेत्रों में लगभग 5 हेक्टेयर जंगल आग लगने की वजह से खाक हो गए।जंगल में लगने वाली आग 6:30 से शुरु हुई जिसको रोकने में फारेस्ट डिर्पाटमेंट को लगभग डेढ़ घंटे लगे। मसूरी एसडीओ के.पी वर्मा ने बताया, ‘फारेस्ट डिर्पाटमेंट अपनी तरफ से सभी सावधानियां बरत रहा है, फायर लाईन बनाने के साथ, अस्थायी फारेस्ट गार्ड जिनको आग बुझाने से लेकर अन्य चीजों की ट्रेनिंग दी गई है। इस समय के लिए हर पद की छुट्टिया कैंसल कर दी गई है और हमने कुछ समर्पित नंबर शुरु किए है किसी भी आग से संबंधित इमरजेंसी के लिए।’

15 फरवरी से 15 जून को फारेस्ट फायर सीजन कहा जाता है, क्योंकि इसके दौरान तापमान में उतार चढ़ाव देखा जाता है, साथ ही जंगलों में आग की कतार देखी जा सकती है। जबकि दिन में आग से होने वाला धुंआ इस बात का परिचायक है कि कहीं आग लगी है। हर साल उत्तराखंड के लगभग 3400 स्क्वायर फीट हरे भरे जंगल, वन अग्नि की गिरफत में आते हैं।

मसूरी और रायपुर रेंज मे आग लगने पर कृपया इस नंबर पर काल करेः

  • मास्टर कंट्रोल रुमः 8954138283

 

गंगा के बाद अब गंगोत्री-यमुनोत्री को भी मिला मानव अधिकार

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हाई कोर्ट ने गंगा-यमुना के बाद अब गंगोत्री और यमनोत्री ग्लेशियर को भी जीवित व्यक्ति यानी एक नागरिक के अधिकार दे दिए हैं। इसके साथ ही इस क्षेत्रबकी नदियों, झील-झरने और घास के मैदान भी इस श्रेणी में आ गए हैं। न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और आलोक सिंह की संयुक्त फैसले ने याचिकबपर सुनवाई के बाद यह निर्देश दिए है।कोर्ट ने सरकार को प्रदेश के 7 जन प्रतिनिधियों का चयन करके इसके लिए कमेटी का गठन करने को भी कहा है।
ग्लेशियर को मानव का दर्जा मिलने से इन क्षेत्रों में मानवीय गतिविधियां सीमित होगीं। इसका असर ग्लेशियर की सेहत पर पड़ेगा और इनके पिघलने की रफ्तार भी कम हो सकती है। गंगोत्री ग्लेशियर की लंबाई 30 और चौड़ाई लगभग 4 किमी है। उत्तरकाशी से गंगोत्री धाम तक केंद्र सरकार पहले ही इको सेंसिटिव ज़ोन घोषित कर चुकी है। भागीरथी नदी को भी मानव का दर्जा दिया जा चूका है। अब गंगोत्री ग्लेशियर में भी मानव हलचल को कम किया जा सकेगा। जिसका लाभ इस पूरे क्षेत्र के पयार्वरण को मिलेगा।
ऋषिकेश से गंगोत्री धाम की दूरी 224 किमी है।गंगोत्री ग्लेशियर पहले गंगोत्री के काफी करीब था। लेकिन ग्लेशियर पिघलने की वजह से अब 18 किमी दूर पहुंच चुका है। वैज्ञानिक लंबे समय से इस क्षेत्र में मानवीय गतिविधियोंको कम करने की मांग कर रहे थे। अब कोर्ट ने उनकी मुराद पूरी कर दी है।
हरिद्वार निवासी अधिवक्ता ललित मिगलानी ने गंगा को प्रदूषण मुक्त करने को लेकर जनहित याचिका दायर की है। हाई कोर्ट ने 2 दिसम्बर 2016 को इस मामले में फैसला दिया था। इसका पालन नहीं होने पर केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के साथ ही प्रदेश के सभी जिलाधिकारी तलब किए थे। इसमें गंगा में प्रदूषण फैला रहे आश्रमो, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों व उधोगों को फौरन प्रभाव से बंद करने के आदेश दिए थे।

भंग हुई बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति

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राज्य में नई सरकार बनते ही पुराने निज़ाम के खाँचे में बदलाव शुरू हो गया है। इसी सिलसिले में राज्य सरकार ने बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति को भंग कर दिया है। इस बारे में बताते हुए सचिव, संस्कृति, धर्मस्व/तीर्थाटन प्रबंधन एवं धार्मिक मेला शैलेश बगोली ने बताया कि श्री बदरीनाथ एवं श्री केदारनाथ मंदिर अधिनियम, 1939 की धारा-11(2-क) के अधीन शक्तियों का प्रयोग करते हुए वर्तमान में गठित श्री बदरीनाथ श्री केदारनाथ मन्दिर समिति को भंग किया जाता है।
बगोली ने बताया कि श्री बदरीनाथ एवं श्री केदारनाथ मन्दिर समिति के कुशल प्रबंधन के हित में नई समिति बनने तक सचिव, धर्मस्व को प्रशासन नियुक्त किया गया है।
गौरतलब है कि मौजूदा समिति के अध्यक्ष श्रीनगर से पिछली विधान सभा से विधायक गणेश गोदियाल थे। हाल के विधानसभा चुनावों मे कांग्रेस को मिली हार के बाद राज्य में बीजेपी सरकार बनते ही ये तो था कि ऐसे सभी पदों पर राजनीतिक नियुक्तियाँ के लिये अब बीजेपी नेताओं का नंबर लगेगा। इस कड़ी में मंदिर समिति का नंबर शुरुआत में ही लग गया है। बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति बद्रीनाथ, केदारनाथ के साथ साथ कई बड़ें छोटे मंदिरों के प्रबंधन के लिये ज़िम्मेदार है। अब देखना यह है कि सरकार किसे समिति की कमान देती है और इससे मंदिर प्रबंधन और यात्रियों के लिये कितनी बेहतर सुविधाएँ मिलती हैं।

देहरादून के हर वार्ड के लिए नगर निगम ने स्वीकृत किए 15 लाख रुपये

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नगर निगम बोर्ड बैठक में हर वार्ड के लिए 15 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं। 60 वार्डो के हिसाब से यह धनराशि 9 करोड़ बैठती है। हाल ही में नगर निगम में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के अभिनन्दन समारोह हुआ था। इसमें आए खर्चे को देखते हुए बोर्ड ने पांच लाख स्वीकृत किए। हलाकि, पार्षदों ने कहा कि पांच लाख से कम ही खर्चा हुआ होगा। एक पार्षद ने आरटीआई लगाने की भी बात कही है। मेयर ने बताया कि रिस्पना-बिंदाल की सफाई को नगर निगम 25 लाख देगा, बाकी 25 लाख एमडीडीए खर्च करेगा। कोटेशन से तीन लाख की स्ट्रीट लाइट का सामान मंगवाया जाएगा। स्लैब के लिए 10 लाख स्वीकृत किए हैं।
दूध की डेरियों से गोबर नाली में बहाने पर नगर निगम की बोर्ड बैठक में जुर्माने के नए शुल्क प्रस्तावित किए हैं। पहली बार में 500, दूसरी बार में 1000 और तीसरी बार गन्दगी करने में 5 हजार जुर्माना लगेगा। यह प्रस्ताव सरकार को भेजा जाएगा।
बोर्ड बैठक में घरों से कूड़ा उठाने की व्यवस्था पर पार्षदों ने खूब हंगामा किया उन्होंने कहा कि कूड़ा ठीक से उठाया नही जाता है। ऐसे में मेयर ने कहा कि अब घरों से कूड़ा उठाने की गाड़ी चालक सीधा पार्षद के सम्पर्क में रहेगा। पार्षद की स्वीकृति के बाद ही चालक के महीने का भुगतान होगा। जो कूड़ा उठा रहे हैं, उनके खिलाफ एफ आई आर कराई जाएगी। उधर, बोर्ड ने वर्कशॉप, ट्रांसपोर्ट का काम वरिष्ठ नगर निगम स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. कैलाश गुंजियाल को दे दिया है। कूड़ा उठाने का इंचार्ज वरिष्ठ नगर निगम स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आर के सिंह को बनाया गया है।

ऋषिकेश नगर पालिका परिषद में हुई बैठक,जल्द शुरू होगा क्षेत्र में सफाई अभियान

तीर्थनगरी ऋषिकेश में सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने और बेहतर व्यवस्था को बनाने के लिए ऋषिकेश के नगर पालिका कार्यालय में एक बैठक का आयोजन किया गया जिसमें स्थानीय लोगों ने हिस्सा लिया और अपनी परेशानी पालिका अध्यक्ष को बताई। मीडिया से बात करते हुए पालिका अध्य्क्ष दीप शर्मा ने बताया कि ऋषिकेश छेत्र में सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाने की जरूरत है जिसके लिए हम जल्द ही सफाई अभियान चलाने जा रहे है और साथ ही शहर में अधूरे पड़े कामो को भी जल्द से जल्द पूरा करने का प्रयत्न किया जाएगा।

आपको बता दे की ऋषिकेश नगर पालिका में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ पर गन्दगी का अम्बार लगा रहता है हालाँकि समय समय पर नगर पालिका ऋषिकेश द्वारा साफ़ सफाई के लिए स्वछता अभियान चलाए जाते है जिसमे क्षेत्र के लगभग हर हिस्से में वहां के स्थानीय प्रतिनिधि द्वारा साफ़ सफाई करवाई जाती है जिससे शहर को स्वछ रखा जा सके,साथ साथ शहर में फोगिंग आदि को लेकर भी बैठक में फैसला लिया गया।

चार्जशीट गायब होने के मामले को गंभीरता से ले: एसएसपी डा. सदानंद दाते

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रुद्रपुर कोतवाली से चार्जशीट गायब होने के मामले को गंभीरता से लेते हुए एसएसपी डा. सदानंद दाते ने तीन एसआइ सस्पेंड कर दिए थे। जबकि एक एसटीएफ में तैनात एसआइ के खिलाफ कार्रवाई के लिख लिखा गया है। चार्जशीट कोतवाली से गायब होने के मामले में छानबीन के निर्देश दिए गए हैं।

जिसमें बीस चार्जशीट गायब होने की बात सामने आई है। इसमें से सर्वाधिक मामले एसआई गोपाल सिह नेगी के सामने आए हैं। सीओ कार्यालय को बाईपास करते हुए कहीं चार्जशीट सीधे न्यायालय तो नहीं भेजी गई इसकी जांच के लिए एसआइ आशुतोष सिह के नेतृत्व में एक टीम ने न्यायालय पहुंच कर पत्रावलियां खंगाली।

हर थाने को लंबित विवेचनाओं के सापेक्ष चार्जशीट का मिलान करने के निर्देश दिए हैं। उधर, चार्जशीट की तलाश में एसएसपी के निर्देश पर एक टीम ने न्यायालय में जाकर जांच की कहीं चार्जशीट सीधे न्यायालय तो नहीं भेज दी। एसएसपी ने मामले की गहराई से जांच के निर्देश दे दिए हैं।