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कॉन्ट्रैक्ट किलर भी कर सकता है रोमांस : नवाजुद्दीन सिद्दीकी

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बॉलीवुड अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी आजकल छाए हुए हैं। प्रतिभाशाली एक्टर होने के कारण उनकी फिल्मों की प्रतीक्षा हर आयु वर्ग के दर्शकों को रहती है। आगामी 25 अगस्त को उनकी एक और बहुप्रतीक्षित एक्शन थ्रिलर फिल्म‘बाबूमोशाय बंदूकबाज’ रिलीज होने वाली है। इसी फिल्म के प्रमोशन के सिलसिले में नवाज पिछले दिनों अपने सहयोगी कलाकारों- बिदिता बेग, श्रद्धा दास, जतिन गोस्वामी एवं निर्माता अश्मित कुंदर के साथ दिल्ली में थे। दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता में मीडिया के साथ बातचीत में नवाज़ और फिल्म के अन्य कलाकारों ने अपने अनुभव और फिल्म की खासियत साझा किया।

फिल्म के बारे में नवाज ने कहा, ‘फिल्म में मेरा किरदार विशेष और अनोखा है, वह सभी सामाजिक और नैतिक मूल्यों से बाहर है। नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपने किरदार के बारे में बताते हुए कहा कि ‘टाइटल बंदूकबाज से ही पता चलता है कि बाबूमोशाय बंदूक के बिना नहीं चलता है। इसलिए इस फिल्म में कुछ अलग तरह के एक्शन हैं।’

नवाज ने बताया, ‘बाबूमोशाय बंदूकबाज’ में मैं एक कॉन्ट्रैक्ट किलर की भूमिका में नजर आऊंगा, जो रोमांस भी करता नजर आएगा। हमारा मानना है कि एक कॉन्ट्रैक्ट किलर भी रोमांस कर सकता है, क्योंकि रोमांस एक तरह से नहीं, बहुत तरीके से होता है। हर किसी के रोमांस का तरीका अलग होता है। वैसे ही मेरा जो कैरेक्टर है, वह अपने हिसाब से रोमांस करता है।’

सेंसर प्रमाणन के बारे में नवाज ने कहा कि यह फिल्म बनावटी नहीं, बल्कि वास्तविक है। पहले इसमें 48 कट लगाने की बात की जा रही थी, लेकिन ऊपरवाले की दया से सेंसर ने सिर्फ 4 से 5 कटौती की है। हालांकि, फ़िल्म अपने दृश्यों के अनुसार थोड़ा सा बोल्ड जरूर है, लेकिन इसके बावजूद 48 कट की कोई जरूरत नहीं थी। उन्होंने कहा कि हम सबके लिए यह फिल्म विशेष है। फिल्म की अधिकांश शूटिंग पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं लखनऊ के आसपास हुई है। मुझे यकीन है कि लोग इस फिल्म को पसंद करेंगे।’

कुशन नंदी द्वारा निर्देशित और किरण श्याम श्रॉफ-आश्मित कपूर द्वारा निर्मित ‘बाबूमोशाय बंदूकबाज’ बाबू (नवाजुद्दीन) के बारे में एक विचित्र कहानी है। जो एक कांट्रैक्ट किलर है और वेश्यावृत्ति में भी शामिल है, साथ ही वह एक लड़की (बिदिता बेग) के साथ प्यार में भी पड़ जाता है। फिल्म की कहानी नवाजुद्दीन और दूसरे कॉन्ट्रैक्ट किलर के साथ तय हुई एक शर्त के इर्द-गिर्द घूमती है।

‘बरेली की बर्फी’ को पहले दिन ढाई करोड़ की कमाई

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 यूपी के बरेली शहर के नाम पर बनी फिल्म ‘बरेली की बर्फी’ का बॉक्स ऑफिस पर पहला दिन ठीकठाक रहा। रिलीज के पहले दिन इस फिल्म की कमाई 2.50 करोड़ की रही। इसे फिल्म की औसत कामयाबी माना जा रहा है। फिल्म को मीडिया में अच्छा रिस्पॉन्स मिला है, जिसे देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि वीकेंड में शनिवार और रविवार को फिल्म अच्छा कारोबार करेगी।

फिल्मी कारोबार के जानकारों का अनुमान है कि फिल्म पहले तीन दिनों में दस करोड़ से ज्यादा की कमाई कर सकती है। आयुष्मान खुराना, कीर्ति सैनॉन और राजकुमार राव की त्रिकोणीय प्रेमकथा पर आधारित ये छोटे बजट की फिल्म है, जिसका बजट 12 करोड़ और तीन करोड़ प्रमोशन का बजट है। इसे देखते हुए फिल्म एक सप्ताह में अपनी लागत वसूल कर सकती है। एक तर्क ये भी सामने आया है कि पिछले सप्ताह रिलीज हुई अक्षय कुमार की फिल्म ‘टॉयलेट एक प्रेमकथा’ के बॉक्स ऑफिस पर मजबूत होने से ‘बरेली की बर्फी’ की संभावना कम हो गई।

‘बरेली की बर्फी’ के साथ रिलीज हुई भारत-पाक बंटवारे की पृष्ठभूमि वाली प्रेमकथा ‘पार्टिशियन 1947’ और काजोल की तमिल फिल्म ‘वीआईपी 2’ के हिंदी वर्जन ललकार को दर्शकों ने पसंद नहीं किया और पहले दिन इन दोनों फिल्मों ने कोई उल्लेखनीय कमाई नहीं की।

कोतवाल के बयान पर भड़के लोग, हंगामा

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रानीखेत, में चेन स्नेचिंग के मामले में शिकायत लेकर पहुंचे लोगों को कोतवाल ने पहली घटना बताने का तर्क दिया तो लोग भड़क उठे। लोगों ने जमकर कोतवाली में हंगामा काटा। हंगामे के बाद कोतवाल ने जल्द मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया।

रानीखेत कोतवाली के पास शनिवार शाम को एक महिला से मंगलसूत्र लूट लिया गया। कैंट बोर्ड के पास हाफमून कॉलोनी निवासी मोहनी बिष्ट के गले से मंगलसूत्र लूट के मामले में रविवार को कांग्रेस नगर अध्यक्ष कैलाश पांडे के नेतृत्व में लोग कोतवाली पहुंचे। किसान मोर्चा जिलाध्यक्ष गोपाल देव व चंदन बिष्ट ने कोतवाल एमसी जोशी से शहर में चेन स्नेचिंग की पहली घटना का हवाला देते हुए जल्द कार्रवाई की मांग की।

इस पर कोतवाल ने अजीब तर्क देकर लोगों को टालने की कोशिश की। कोतवाल की बात पर कार्यकर्ता भड़क गए और उन्होंने कोतवाल को खरी खोटी सुनाई। कार्यकर्ताओं का पारा चढ़ने पर कोतवाल बैकफुट पर आ गए और शीघ्र मामले में कार्रवाई की बात कही। कोतवाल ने कहा कि मामले में दो टीमें लगाई गई हैं। शीघ्र ही चोर को पकड़ लिया जाएगा। 

सुअरों के उत्पात से परेशान लोगों ने किया प्रदर्शन

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चमोली जिले के जोशीमठ नगर में आजकल पालतु सुअरों ने आंतक मचाया हुआ है, जिससे वहां के लोग काफी परेशान है। यहां तक की नृसिंह मंदिर आहाते तक में इन सुअरों की गंदगी से श्रद्धालु भी दुखी नजर आ रहे है।

क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता भगवती प्रसाद नंबूरी के नेतृत्व में क्षेत्र की जनता ने एसडीएम के कार्यालय पर प्रदर्शन करते हुए सुअरों के मालिकों से इन्हें बाढे में बंद रखवाने की मांग की है। कहा कि पूरे नगर क्षेत्र में सुअरों द्वारा लोगों के खेतों, खलिहानों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। वहीं इनके द्वारा फैलायी जाने वाली गंदगी से राह चलने वालों को भी भारी परेशानी हो रही है।

यही नहीं बद्रीनाथ धाम का मुख्य पड़ाव होने के साथ ही भगवान नृसिंह का मंदिर भी यहां पर है, जहां पर इन सुअरों द्वारा काफी गंदगी फैलायी जा रही है। जिससे भगवान बद्रीनाथ के दर्शन करने से पहले नृसिंह मंदिर पहुंच रहे श्रद्धालु भी इन सुअरों से परेशान व दुखी है। स्थानीय लोगों ने उपजिलाधिकारी से मामले में उचित कार्रवाई की मांग की है। 

प्रकृति प्रेमी गुरुजी ने गांव-गांव जाकर रोपे आठ हजार पौध

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 चमोली जिले के विकास खंड पोखरी के राइका गोदली में सेवारत गुरुजी धन सिंह घरिया ने अपने आसपास की सात ग्राम पंचायतों में ग्रामीणों के सहयोग से आठ हजार से अधिक पौधों का रोपण किया। गुरुजी के इस सराहनीय कदम से ग्रामीण काफी खुश हैं।

धनसिंह घरिया एक लंबे समय से राइका गोदली में सेवारत हैं। वहीं, दुरस्थ और पैदल क्षेत्र होना यहां की भौगोलिक स्थिति अन्य स्थानों से भिन्न है। लोगों को अपनी रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं को पीठ पर ढोह कर लाना पड़ता है। विकट परिस्थिति होने के बावजूद यहां के लोग पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक दिखते है। इसीलिए उन्हें ग्रामीणों के साथ पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य करने में काफी सहयोग मिलता है। ग्रामीणों के ही सहयोग से इस बार उन्होंने आठ हजार से अधिक विभिन्न प्रजाति के पौधों का रोपण किया है।

बताते हैं कि विद्यालय परिवार का भी उन्हें भरपूर सहयोग मिलता है। छुट्टी के दिन सभी शिक्षक और छात्र गांवों में जाकर लोगों के साथ मिलकर पौधरोपण का कार्य करते हैं साथ ही ग्रामीणों के सामाजिक क्षेत्र में भी जागरूक किया जाता है।

तिरंगा यात्रा के दौरान बवाल, पांच पर मुकदमा दर्ज

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जनपद के लक्सर के खानपुर में भाजयुमो की तिरंगा यात्रा के दौरान हुए बवाल और मारपीट के मामले में लक्सर पुलिस ने खानपुर विधायक समेत पांच आरोपियों के खिलाफ दलित उत्पीड़न व मारपीट के आरोप में मुकदमा दर्ज किया है। वहीं, पूर्व जिला पंचायत सदस्य की ओर से पुलिस ने जिला पंचायत सदस्य समेत छह से अधिक आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। क्रॉस रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस मामले की जांच कर रही है।

शनिवार को खानपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा युवा मोर्चा की तिरंगा यात्रा के दौरान बवाल व मारपीट हो गई थी। इस मामले में जिला पंचायत सदस्य रजनीश कुमार की ओर से खानपुर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन पर हत्या की साजिश रचने और विधायक समर्थकों पर मारपीट करने का आरोप लगाया था। विधायक समर्थकों की ओर से जिला पचांयत सदस्य व उसके साथियों पर मारपीट का आरोप लगाया गया था।

वहीं, जिला पंचायत सदस्य व भाजयुमो खानपुर मंडल अध्यक्ष रजनीश की ओर से पुलिस को दी गई तहरीर में बताया गया कि खानपुर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन ने उनकी हत्या की साजिश की। इसी को लेकर विधायक समर्थकों जितेंद्र, ओमकार, जंगी व पदम सिंह ने उनके ऊपर जानलेवा हमला करते हुए जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए मारपीट की।
आरोप है कि उसे जान से मारने की धमकी दी गई।

तहरीर के आधार पर पुलिस ने विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, जितेन्द्र, ओमकार, जंगी तथा पदम सिंह के खिलाफ जातिसूचक शब्द कहने व मारपीट के आरोप में मुकदमा दर्ज कर लिया है।  वहीं, दूसरे पक्ष की ओर से भी पूर्व जिला पंचायत सदस्य भाजपा अनुसूचित मोर्चा के मंडल अध्यक्ष पप्पू सिंह आजाद की ओर से पुलिस को तहरीर देकर बताया गया कि वह तिरंगा यात्रा में शामिल होने आया था। जहां आरोपी रजनीश ने उनके साथ गाली गलौज व साथियों के साथ मिलकर मारपीट की।

आरोप लगाया कि गला दबाकर उसकी हत्या का प्रयास किया गया। इसी दौरान गले से सोने की चेन भी खींच ली गई। बीच बचाव करने आए उसके साथियों के साथ भी रजनीश व उनके साथियों ने मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी। मामले में पुलिस ने आरोपी रजनीश, रफल सिंह निवासी तुगलपुर, तथा मांगेराम तीन नामजद व तीन चार अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। खानपुर थानाध्यक्ष राजीव चौहान ने बताया कि दोनों पक्षों की तहरीर के आधार पर क्रॉस रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।

उत्तराखंड से आने-जाने वाली कई ट्रेनों का रूट डायवर्ट

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मुजफ्फरनगर में शनिवार को कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस दुर्घटना के बाद उत्तराखण्ड से आने-जाने वाली कई ट्रेनों के रूट को डायवर्ट किया गया है। जो ट्रेनें पहले दून-सहारनपुर-मेरठ होते हुए दिल्ली जाती थीं, उन्हें मेरठ की जगह शामली से निकाला जा रहा है। इनमें शनिवार शाम दून से गई शताब्दी एक्सप्रेस, रात को निकली नंदा देवी एक्सप्रेस को वाया शामली भेजा गया। रविवार सुबह दून से जाने वाली बांद्रा एक्सप्रेस और ओखा एक्सप्रेस को भी वाया शामली दिल्ली भेजा गया।

12055, नई दिल्ली-देहरादून जनशताब्दी एक्सप्रेस हापुड़ होकर मुरादाबाद के रास्ते आएगी।12205, नई दिल्ली-देहरादून नंदा देवी एक्सप्रेस वाया शामली-टपरी तथा 12018, देहरादून-नई दिल्ली शताब्दी एक्सप्रेस वाया शामली होकर जाएगी, 19020, देहरादून-बांद्रा एक्सप्रेस वाया शामली-हजरत निजामुद्दीन,19032, हरिद्वार-अहमदाबाद योग एक्सप्रेस वाया शामली -दिल्ली शाहदरा होकर जाएगी।

“उड़ान” एक ऐसा स्कूल जो जरूरतमंद बच्चों के सपनों दे रहा है नई उड़ान

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कहते हैं शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है लेकिन यह बात सरकारी स्कूलों की दीवारों पर लिखी हुई ही अच्छी लगती है लेकिन प्राथमिक शिक्षा के बाजारीकरण ने आज शिक्षा को सिर्फ एक विशेष वर्ग की पहुंच तक सीमित कर दिया है। निचले वर्ग के लिए सरकारी स्कूल की एक मात्र साधन रह गए हैं जिनकी दुर्दशा किसी से नहीं छुपी है, ऐसे में स्लम एरिया के बच्चों के लिए अंग्रेजी और कंप्यूटर कि शिक्षा के सपनों को साकार करने के लिए ऋषिकेश के युवा डॉक्टर राजे नेगी ने 2015 में 35 बच्चों के साथ ऋषिकेश मैं उड़ान स्कूल की कल्पना को साकार कर दिया हैं।

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स्लम एरिया के बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ बोली भाषा के स्कूल की शुरुआत की जिसमें ₹1 रोज या फिर 1 किलो रद्दी महीने में घरों से इकट्ठे कर बच्चों की शिक्षा पर खर्च किया जाता है। डॉक्टर राजे नेगी के अनुसार, “उनके परिवार में शिक्षा का माहौल शुरु से रहा, एक सपना था एक ऐसा स्कूल खोलना जो अपनी विशेष तरह की शिक्षा के लिए जाना चाहिए और ऐसा स्कूल बने जो शिक्षा और उत्तराखंड की संस्कृति के साथ-साथ नई पीढ़ी को संस्कार भी दे सके।”

इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए ₹1रोजाना का या फिर 1 किलो रद्दी महीने भर की फीस के रूप में लिया जाता है, जो बच्चे पैसा नहीं दे सकते वह अख़बार की 1 किलो रद्दी स्कूल में जमा करा सकता है। समय-समय पर यहां उत्तराखंड की सेलिब्रिटी आकर बच्चों के साथ समय बिताती हैं और इनके शिक्षा में योगदान करती हैं। वही यहां पढ़ने वाले बच्चों को समय समय पर आने वाले देशी विदेशी अतिथियों के साथ समय बिताकर नई तरह की शिक्षा और संस्कृति का अनुभव सांझा करने का मौका मिलता है।

डॉक्टर नेगी का यह प्रयास है कि बच्चों को उत्तराखंड की बोली भाषा भी सिखाया जाए जिससे आगे चलने पर इन बच्चों को पहाड़ी संस्कृति से रूबरू होने का अनुभव मिलता रहे।

अल्पसंख्यक कल्याण आयोग ने दिए छात्रवृत्ति मामले में जांच के आदेश

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अल्पसंख्यक कल्याण आयोग ने साल 2012-13 के बाद से अब तक बांटी गई छात्रवृत्ति की जांच के आदेश दिए हैं। मामले में आयोग के अध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा ने सभी जिलाधिकारियों को जांच कर रिपोर्ट भेजने को कहा है।

साल 2015 के बाद से छात्रवृत्ति आॅनलाइन माध्यम से वितरित होने लगी है। इससे पहले छात्रवृत्ति ऑफलाइन माध्यम से वितरित की जाती थी जिसके लिए स्कूलों की ओर से छात्रों की संख्या डिमांड अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को भेजी जाती थी। इसके बाद विभाग उसी के अनुरूप छात्रवृत्ति स्कूलों को आवंटित करने का कार्य करता था। इस अवधि में प्रतिवर्ष पहली से दसवीं कक्षा तक के करीब ढाई लाख बच्चों को छात्रवृत्ति बांटी जाती रही। साल 2015 के बाद छात्रवृत्ति की प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दी गई जिसके चलते अब आवेदनों की संख्या घटकर मात्र 26 हजार पर आ गई है।

घटी संख्या का लिया संज्ञान
स्कलों में आॅनलाइन माध्यम से छात्रवृत्ति देने की प्रक्रिया के बाद छात्रों की संख्या घट गई जिसके बाद अल्पसंख्यक कल्याण आयोग ने मामले का संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। आयोग को पूर्व में प्रदान की गई छात्रवृत्तियों में बड़े घोटाले की आशंका को देखते हुए यह निर्णय लिया गया। जांच का दूसरा पहलू कम छात्र संख्या के पीछे का कारण भी पता करना है। फिलहाल आयोग ने जिलाधिकारी व मुख्य शिक्षा अधिकारी के माध्यम से जांच कराए जाने का फैसला किया है।

अल्पसंख्यक छात्रों को 10वीं तक की शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने को केंद्र और राज्य सरकार की ओर से उन्हें छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। केंद्र सरकार की ओर से इन छात्रों को ‘अल्पसंख्यक भारत सरकार छात्रवृत्ति योजना’ तो राज्य सरकार की ओर से ‘अल्पसंख्यक राज्य सरकार छात्रवृत्ति योजना’ के तहत छात्रवृत्ति दी जाती है। दोनों छात्रवृत्तियों के लिए अब आॅनलाइन माध्यम से आवेदन करना होता है।

आॅनलाइन प्रणाली लागू होने के बाद अचानक आवेदकों में आई कमी को लेकर बाल अधिकार संरक्षण आयोग भी बेहद गंभीर हैं। मामले में बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को नोटिस जारी किया गया है। आयोग ने कहा कि छात्रवृत्ति की आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन होते ही छात्रों की संख्या ढाई लाख से घटकर 26 हजार कैसे रह गई। आयोग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। 

तनजुन ला तक भारत का क्षेत्र : फोनिया

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उत्तर पूर्व में डोकलाम को लेकर भारत चीन के बीच तनातनी बढ़ रही है। वहीं, उत्तराखंड की सीमा पर भी चीनी सेना की दखल बढ़ रही है। बीते कुछ दिनों में चीनी सेना ने स्थानीय लोगों को धमकाने और भारतीय सीमा में प्रवेश कर अपने मंसूबे साफ किए हैं। उत्तराखंड में भारत-चीन सीमा रेखा को लेकर दोनों देश अपना-अपना दावा कर रहे हैं।

इसी बीच उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के पूर्व पर्यटन मंत्री और भारत तिब्बत व्यापार से जुडे़ पुराने व्यवसायी केदार सिंह फोनिया ने प्रमाणों के आधार पर सनसनी खेज खुलासा किया। उन्होंने कहा कि बडाहोती तो भारत का है ही। अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा बडाहोती से तीन किमी आगे तनजुन ला पर है। उन्होंने कहा कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और चीन के तत्कालीन राष्ट्रपति चा उन लाई की अदुरदर्शिता के कारण भारत के बडाहोती को नौ मेंस लैंड घोषित किया गया।
भारत-चीन सीमा पर चल रहे तनाव के बीच मीडिया से बातचीत में पूर्व भाजपा नेता व मंत्री रही केदार सिंह फोनिया ने बताया कि जब गढ़वाल का विभाजन हुआ तो एक हिस्सा टिहरी नरेश के आधिपत्य में गया और दूसरा ब्रिटिश सरकार के हिस्से में गया। 1814 में ब्रिटिश सरकार और तिब्बती दमाई लामा के बीच समझौता हुआ और गढ़वाल और तिब्बत की सीमा रेखा तनजुन ला घोषित की गई। 1948 व 50 के बीच में तिब्बत पर चीन ने अधिपत्य किया और चीन की सेना बाड़ाहोती के पास तक आ गई।
1956 में दोनों देशों की सेना बाड़ाहोती में काफी नजदीक पहुंच गई थी। जबकि, अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा तनजुन ला थी। चीन सीना सीमा रेखा को लांघते हुए बाडा़होती के पास तक आ गई थी। उन्होंने बताया कि उससे पहले बाड़ाहोती में पीएससी की कंपनी तैनात थी। कंपनी कमांडर पित्रसेन रतुडी थे जो सुभाष चंद्र बोस की सेना में रह चुके थे।
चीन के राष्ट्रपति चा उन लाई और भारत के प्रधानमंत्री नेहरू की अदुरदर्शिता के कारण बाडड़ाहोती में दोनों ओर की सेना तीन-तीन किमी पीछे हटी। जबकि, चीन की सीमा बाड़ाहोती से तीन किमी पीछे तनजुन ला थी, ऐसे में चीनी सेना को छह किलोमीटर पीछे जाना चाहिए था। लेकिन, भारतीय राजनीतिक अदूरदर्शिता के कारण ऐसा हुआ।
फोनिया ने कहा कि वे आजजादी से पहले खुद तनजुन ला के दुसरी ओर व्यापार के लिए जा चुके हैं। 90 वर्षीय फोनिया कहते हैं कि बडाहोती भारत का हिस्सा है। इतना ही तनजुन ला तक भारतीय जमीन है। मूल रूप से भारत और तिब्बत की लाइन आॅफ कंट्रोल तनजुन ला ही है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार को अपनी जमीन वापस लेनी चाहिए। चीन की मौजूदा रणनीति भी यह है कि नौ मैंस लैंड पर कब्जा किया जाए और इसके बाद भारतीय सीमा के आसपास हस्तक्षेप शुरू किया जाए।