उरेडा के प्रकल्पों पर उठी उंगलियां, विभाग ने निराधार बताया

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उत्तराखंड में सरकारी विभागों का राम मालिक है। वैकल्पिक ऊर्जा के नाम पर लोगों को रोशन करने वाली संस्था रोशन करने के बजाय लोगों के शोषण पर लगी हुई है। इसका कारण कुछ निहित लोगों का स्वार्थ है। उत्तराखंड सूर्योदय स्वरोजगार योजना संचालित की जा रही है प्रदेश के 11 पर्वतीय जनपदों में 1928 लोगों ने सोलर संयंत्रों के स्थापना हेतु आवेदन किया। इसमें 1900 संयंत्र चार या पांच किलोवॉट क्षमता के स्थापित कराए जाने हैं, जिनका काम अब तक जारी है।
इन संयंत्रों के स्थापना के बाद जो संस्था स्थापित करेगी, उसको पांच वर्ष तक अनुरक्षण करने की जिम्मेदारी भी दी गई है। इस काम के लिए जो फर्में चुनी गई हैं, उनमें मेसर्स जायसवाल बैट्री सर्विस को चमोली और बागेश्वर में में 294 संयंत्रों का काम सौंपा गया जबकि चमोली में 174 और बागेश्वर में यह संख्या 120 है। इसी प्रकार मेसर्स मित्तल प्राइवेट लिमिटेड को भी दो जनपदों को काम सौंपा गया है, इनमें रुद्रप्रयाग, टिहरी शामिल हैं। 339 परियोजनाओं को बनाने वाली इसी संस्था को टिहरी में 200 तथा रुद्रप्रयाग में 139 परियोजनाएं सौंपी गई हैं। इसी प्रकार मैसर्स बीसा पावर टेक प्राइवेट लिमिटेड को देहरादून में 113 तथा उत्तरकाशी में 295 परियोजनाएं सौंपी गई है।
मैसर्स पावर वन माइक्रो सिस्टम को 298 परियोजनाएं दी गई हैं, इनमें पिथौरागढ़ में 203 तथा चंपावत में 95 परियोजनाएं शामिल हैं। मेसर्स उजास एनर्जी लिमिटेड को 321 प्रकल्प दिए गए हैं, इनमें पौड़ी के 223 तथा नैनीताल के 98 प्रकल्प शामिल हैं। इसी प्रकार मेसर्स एडॉस रिनेबल प्राइवेट लिमिटेड को 331 प्रकल्पों की सूची सौंपी गई है, इनमें नैनीताल में मात्र 20 तथा अल्मोड़ा में 361 परियोजनााएं शामिल हैं।
इस प्रकार इन छह संस्थाओं को आवंटित परियोजनाएं तथा कुल परियोजनाएं 1928 हैं। अब तक इन परियोजनाओं में कुछ न कुछ कमी रह गई है, जिनके कारण पूर्ण की गई परियोजनाओं की संख्या काफी कम है। इन परियोजनाओं के अन्तर्गत जो भी कार्य किया जा रहा है, उसमें 70 प्रतिशत केन्द्र सरकार की ओर से तथा 20 प्रतिशत राज्य सरकार की ओर से अनुदान दिया जा रहा है, जबकि लाभार्थी को 10 प्रतिशत राशि वहन करना होगा।
उरेडा के अधिकारियों का मानना है कि संयंत्रों की स्थापना के लिए जो फर्में चुनी गई हैं, उनके लिए राष्ट्रीय स्तर पर निविदा आमंत्रित की गई थी, उसी आधार पर न्यूनतम दरों पर यह छह संस्थाएं चयनित की गई हैं। विभागीय अधिकारी मानते हैं कि चार किलोवाट क्षमता के एक संयंत्र से एक वर्ष में पांच हजार यूनिट विद्युत उत्पादित हो सकती है, जो लगभग 16 से 18 हजार रुपये वार्षिक बजट कर सकती है। इस विद्युत उत्पादन के लिए सौर ऊर्जा प्लांट से धूप में विद्युत उत्पादन के समय यूपीसीएल की ग्रिड में भी विद्युत उपलब्ध हो तथा ग्रिड में विद्युत का वोल्टेज 190 से 250 के मध्य हो अन्यथा तकनीकी कारणों से सोलर पावर प्लांट से ग्रिड में आपूर्ति नहीं हो पाएगी और संयंत्र का वार्षिक विद्युत उत्पादन कम जो जाएगा।
विभाग ने इसके लिए सोलर मॉड्यूल्स जिन्हें सोलर प्लेट कहा जाता है कि संख्या क्षमता के आधार पर निर्धारित होती है। चार किलोवॉट क्षमता में 250 वॉट क्षमता के 16 मॉड्यूल लगाए जाते हैं अथवा 315 क्षमता वॉट के 13 मॉड्यूल्स लगाए जा सकते हैं। इसी प्रकार पांच किलोवॉट क्षमता के संयंत्र में 250 वॉट की 20 मॉड्यूल्स अथवा 315 वॉट क्षमता के 16 मॉड्यूल्स लगाए जा सकते हैं।
विभाग मानता हैं कि संयंत्र में स्थापित सभी मॉड्यूल्स की क्षमता संयंत्र की निर्धारित क्षमता से कम नहीं होनी चाहिए। इसी प्रकार इन्र्वटर भी महत्वपूर्ण है, जो सोलर प्लांट से उत्पादित बिजली डीसी को एसी में बदलने का कार्य करता है। सूर्योदय रोजगार के अन्तर्गत जिन संस्थाओं को इन्र्वटर के लिए चुना गया है,उनमें पावर वन माइक्रो सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड, सेनझैन ग्रॉट न्यू एनर्जी, सेनझैन जिनफू यूऑन टेक कंपनी, इनरटेक यूपीएस प्राइवेट लिमिटेड, समिल पावर कंपनी, सोलक्स प्राइवेट लिमिटेड, सेनझैग कस्तर न्यू एनर्जी कंपनी लिमिटेड तथा फुजिमा पावर सिस्टम लिमिटेड के इन्र्वटरों को मान्य किया गया है। इसके लिए केन्द्र सरकार के निर्देशानुसार इंटरनेशनल इलेक्ट्रानिक कमीशन (आईईसी) टेस्ट नंबर 61683 तथा 60068 के अनुरुप प्रमाणपत्र प्राप्त करना आवश्यक होता है। इस प्रमाण पत्र के बाद ही खातों का चयन होता है। कार्य पूर्णत: की ओर है विभागीय आंकड़ों के अनुसार 1028 प्रकल्पों को पूर्ण किया जा चुका है। 250 प्रकल्प और पूरे हो चुके हैं, लेकिन उनकी रिपोर्ट नहीं आई है। एक सप्ताह के भीतर उनकी रिपोर्ट भी आज जाएगी।

विभाग के प्रमुख अरुण त्यागी का मानना है कि उरेडा के कार्यों पर प्राय: लोग आरोप लगाते हैं कि प्लेटें कम लगाई गई,जिसके आधार पर बड़ा घोटाला हुआ है, लेकिन यह बात पूरी बात तरह से सत्य नहीं है। उन्होंने कि कई बार मॉड्यूल स्थापना के लिए 250 की क्षमता के स्थान पर 315 की क्षमता के प्लेटें लगा दी जाती हैं और प्रकल्प की व्यवस्था पूरी होती है। हमारा मुख्य उद्देश्य यह होता है कि संयंत्र में स्थापित सभी सोलर मॉड्यृूलों की सम्मिलित क्षमता संयंत्र की निर्धारित क्षमता से कम न हो। यही कारण है कि तरह-तरह के आरोप लगाकर प्रकल्पों को बदनाम करते हैं, जो सही नहीं है।
यही मान्यता उनके सहयोगी परियोजना अधिकारी सीपी अग्रवाल की भी है। इन दोनों अधिकारियों का कहना है कि हम सूर्योदय रोजगार योजना को पूरी तरह फिट और महत्वपूर्ण बनाने के लिए हर संभव और प्रभावकारी कदम उठा रहे हैं।
जिले आवंटित कार्यपूर्ण होनी की ओर
चमोली 177 36
बागेश्वर 120 28
रूद्रप्रयाग 139 128
टिहरी 250 143
देहरादून 113 67
उत्तरकाशी 132 25
चम्पावत 97 97
पिथौरागढ़ 202 117
पौड़ी 223 137
नैनीताल 118 55
अल्मोड़ा 361 215
कुल 1932 1028