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पलायन रोकने में राज्य सरकार की मदद करेगी पतंजलि

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उत्तराखंड में बढ़ते पलायन, किसानों की समस्या और युवाओं को रोजगार देने के लिए अब सरकार को बाबा रामदेव की संस्था पतंजलि योगपीठ का सहारा लेना पड़ रहा है। शनिवार सीएम त्रिवेंद्र ने पतंजलि के सीईओ और रामदेव के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के साथ सहयोग कार्यक्रम की समीक्षा की। इस बैठक में राज्य के किसानों की आय बढ़ाने, पलायन रोकने, रोजगार के साधन बढ़ाने, शोध कार्यों को बढ़ावा देने जैसे कई मुद्दों पर चर्चा हुई। इस बैठक में सीएम और आचार्य बालकृष्ण के साथ कैबिनेट मंत्री हरक सिंह और विभाग से जुड़े तमाम अधिकारी उपस्थित रहे।

गौरतलब हो कि पिछले महीने भी सरकार के प्रतिनिधियों की बाबा रामदेव के साथ बैठक हुई थी। एक महीने बाद फिर से कार्यक्रम की समीक्षा हो रही है कि सरकारी विभाग किन-किन क्षेत्रों में कार्य योजना बना रहे हैं। पिछले दिनों योगगुरू बाबा रामदेव ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और कृषि मंत्री हरक सिंह रावत के साथ मुलाकात कर इस सहयोग कार्यक्रम की शुरुआत की थी।

एम्स में बनेगा 500 बेड का आवासी भवन,तीमारदारों को मिलेगी सहूलियत

ऋषिकेश एम्स मैं आने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों के लिए एक अच्छी खबर है। अब जल्द ही ऋषिकेश एम्स में मरीजों के तीमारदारों के लिए 500 बेड का आवास गृह बनाया जाएगा ताकि अस्पताल में पहुंचने वाले मरीजों के तीमारदारों को खुले आसमान के नीचे रात ना गुजारनी पड़े।

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आपको बता दें कि ऋषिकेश एम्स में रोजाना देश के कोने कोने से बड़ी संख्या में मरीज और उनके तीमारदार पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें रात गुजारने के लिए कोई छत नहीं मिलती जिस कारण वह एम्स परिसर के बाहर ही खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर होते हैं। लेकिन अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने घोषणा की है कि जल्द ही एम्स आवास गृह बनाया जाएगा ताकि मरीजों के तीमारदारों को सहूलियत मिल सके। फिलहाल मुख्यमंत्री ने ऋषिकेश एडीएम को एम्स के निकट भूमि की व्यवस्था बनाने के निर्देश दे दिए हैं।

मानकों के पायदान पर फेल हुए बिग बाजार के खाद्य तेल, मुकदमा दर्ज

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बिग बाजार के खाद्य तेल खाद्य सुरक्षा विभाग के गुणवत्ता मानकों में खरे नहीं उतर सके है। लैब ने इनकी क्वालिटी को खराब बताया है। रिपोर्ट आने के बाद एडीएम कोर्ट में बिग बाजार प्रबंधन के खिलाफ खाद्य सुरक्षा अधिनियम में मुकदमा दर्ज हो गया है।

तकरीबन छह माह पूर्व खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने शहर के अलग अगल डिपार्टमेंटल स्टोर से विभिन्न खाद्य पदार्थों के सैंपल लिये थे। इन खाद्य पदार्थों की क्वालिटी जांचने के लिये सभी को लैब में भेज गया था। लैब में राजपुर रोड स्थित बिग बाजार से लिये गये खाद्य तेल की क्वालिटी बेहद खराब पाई गई।
खाद्य विभाग के जिला अभिहित अधिकारी जीसी कंडवाल ने बताया कि लैब से रिपोर्ट आने के बाद संबंधित प्रतिष्ठन को नोटिस भेजा गया था। उसके बाद एडीएम कोर्ट में एफसीआई की स्वीकृति के बाद मुकदमा दर्ज किया गया। उन्होंने बताया, खाद्य सुरक्षा की टीम शहर के हर कौने से दूध और खाद्य पदार्थ के सैंपल आजकल भर रही है। मिलावटीखोरी के खिलाफ व्यापक अभियान विभाग छेड़ चुका है। 

मनमाना पैसा नहीं वसूल पाएंगे व्यवसायी

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प्रदेश में शराब व्यापारियों द्वारा मानमाने ढंग से पैसे लिए जाने के मामले में आबकारी विभाग ने गंभीर संज्ञान लिया है। आबकारी विभाग ने सभी शराब व्यापारियों को निर्देश दिए गए हैं कि शराब की बिक्री पर इसकी रशीद भी ग्राहक को देनी होगी। साथ ही सभी शराब की दुकानों में स्वैप मशीन भी लगाने के निर्देश दिए हैं। जिनमें से कुछ व्यापारी मशीन लगा चुके हैं और कुछ की बैंक में प्रक्रिया चल रही है।

जिला आबकारी अधिकारी मनोज कुमार उपाध्याय ने कहा कि कई दिनों से राजधानी में शराब व्यापारियों द्वारा प्रिंट रेट से अधिक वसूले जाने की शिकायत मिल रही थी जिसका संज्ञान लेते हुए निर्देश जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यापारी ऐसा करता पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

परियोजना के संबंध में रेल अधिकारियों और डीएम के बीच बैठक

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देवबंद-रुड़की न्यू रेल लाइन परियोजना के सम्बंध में जिलाधिकारी दीपक रावत एवं भारतीय रेल विभाग के अधिकारियों के बीच आज कलेक्ट्रेट में बैठक हुई।

अधिकारियों ने जिलाधिकारी को अवगत कराते हुए रेल परियोजना में राज्य सरकार की ओर से सहयोगी विभागों द्वारा किये जाने वाले कार्यों के सम्बंध में बताया।
रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि रुड़की से देवबंद तक कुल 51 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना है। अधिग्रहण की सीमा में क्षेत्र कौ गांव आ रहे हैं जिनमें से चार गांवों में भूमि अधीग्रहण किया जा चुका है। उन्होंने जिलाधिकारी से पिटकुल द्वारा रेल लाइन मार्ग में पड़ने वाली विद्युल लाइनों के सिानातंरण तथा उस पर होने वाले खर्च निर्धारण किये जाने, इरीगेशन विभाग द्वारा झबरेड़ा नाले पर बाॅक्स ब्रिज बनाने की एनओसी प्रदान करने, वन निगम से रेलवे ट्रैक में आ रहे पेड़ों के कटान तथा निलामी किये जाने, पीडब्ल्यूडी द्वारा रुड़की स्टेशन के नजदीक जंक्शन प्वांइट के अनुरूप लेवल क्राॅसिंग तैयार करने आदि से सम्बधी बिन्दुओं पर चर्चा की। जिलाधिकारी ने उक्त बिन्दुओं से सम्बंधित विभागीय अधिकारियों को तीव्रगति से कार्य करते हुए अवगत कराने के निर्देश दिये।

28 अगस्त- 5 सितम्बर को देहरादून में अायोजित होगा विश्व पुस्तक मेला

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आम नागरिको में पढाई-लिखाई की प्रवृत्ति को बढ़ाने के लिए एवं जागरूकता में वृद्धि के उद्देश्य से लगाये जाने वाले विश्व पुस्तक मेला के आयोजन को लेकर उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ.धन सिंह रावत ने समीक्षा की। ‘पढेगा उत्तराखण्ड और बढेगा उत्तराखण्ड’ थीम को लेकर परेड ग्राउण्ड में लगाई जाने वाले विश्व पुस्तक मेला का आयोजन 28 अगस्त, 2017 से 05 सितम्बर, 2017 के मध्य होगा। पुस्तक मेला का उद्घाटन राज्यपाल डाॅ.कृष्ण कांत पाल एवं मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा संयुक्त रूप से किया जायेगा। इस संबंध में उच्च शिक्षा मंत्री ने प्रेस वार्ता भी की।
एन.बी.टी. के अधीन लगाई जाने वाले विश्व पुस्तक मेला में लगभग 200 प्रकाशको के स्टाॅल लगने की आशा की गई है। 2019 तक पूर्ण साक्षरता का लक्ष्य हासिल करने में यह पुस्तक मेला सहयोगी होगा। 9 दिवसीय विश्व पुस्तक मेला में प्रतिदिन सुबह 11 बजे से सायं 8 बजे तक अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।
विचार गोष्ठी, बौद्धिक परिचर्चा, सांस्कृतिक कार्यक्रम, विश्व विद्यालय, अन्र्तविद्यालय प्रतियोगिता के आयोजन में प्रख्यात साहित्यकार, शिक्षाविद् एवं समाजसेवी को आमंत्रित किया गया है। आम नागरिको को न्यूनतम 10 प्रतिशत की छूट पुस्तको पर होगी। जो छात्र अपने पहचान पत्र के साथ आयेंगे, उन्हें 20 प्रतिशत की छूट मिलेगी। इसके अतिरिक्त महापुरूषों से संबंधित पुस्तकों पर 20 प्रतिशत की छूट होगी।
पुस्तक मेला का उद्देश्य उत्तराखण्ड के छात्र-छात्राओं में पढ़ने की अभिरूचि को जगाना है तथा विश्व स्तरीय पुस्तकों की उपलब्धता आमजन तक पहुंचाना है।इस अवसर पर संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा सविता मोहन, उप निदेशक हर्षवन्ती बिष्ट, प्राचार्य डी.ए.वी. देवेन्द्र भसीन, सहायक निदेशक एन.बी.टी. मयंक सुरोलिया आदि उपस्थित थे।

संविधान और विधान से बड़े क्यों बाबा ?

धार्मिक संस्था डेरा सच्चा सौदा प्रमुख संत गुरमीत राम रहीम को 15 साल पुराने यौन शोषण मामले में सीबीआई अदालत ने दोषी करार दिया गया है। हलांकि जिस तरह से हरियाणा और पंजाब में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चौकसी बरती जा रही थी उससे यह साफ हो गया था कि सीबीआई अदालत की तरफ से फैसला बाबा के खिलाफ जा सकता है। सिरसा में कर्फ्यू लगा दिया गया है। फैसले के बाद बाबा को अंबाला सेंटल जेल भेजे जाने की बात थी। हलांकि अभी यह स्थिति साफ नहीं हुई है कि उन्हें कितने साल की सजा दी जाएगी। अदालत के इस निर्णय के बाद अब दोनों राज्यों में सबसे बड़ा सवाल कानून व्यवस्था का खड़ा हो गया है।

इस निर्णय से यह बात साफ हो चला है कि कोई कितना बड़ा क्यों न हो वह कानून और संविधान, न्याय व्यवस्था से अलग नहीं है। यह न्याय प्रणाली की बड़ी जीत है। गुमनाम शिकायत पर जिस तरह सीबीआई अलालत ने काम किया है, वह लोकतांत्रिक व्यव्यस्था की जीत है। लेकिन सवाल कई हैं। सबसे खास बात है कि क्या धर्म और आस्था की आड़ में संविधान और कानून बौना साबित हो गया है। राजनीति क्या संविधान और विधान का गलाघोंट रही है। धर्म, जाति, संप्रदाय पर सरकारों का लचीला रुख, कई सवाल खड़े करता है। राष्ट्रीय मीडिया में डेरा सच्चा प्रमुख संत गुरमित राम रहिम छाए हुए हैं। हरियाणा की पंचकूला स्थित सीबाई अदालत की तरफ से शुक्रवार को 15 साल पुराने एक यौन शोषण मामले में फैसला आना था। इसकी वजह से हरियाणा और पंजाब राज्यों में कानून-व्यवस्था का खयाल खड़ा हो गया है। हरियाणा में के पंचकूला औद दूसरी जगहों पर धारा 144 लागू लगा दी गई है। बावजूद बाबा के समर्थक तीन दिन से पंचकूला पहुंच कर डेढ़ लाख से अधिक लोग सड़कों पर अपना डेरा जमा चुके थे। इस पर हाईकोर्ट को कड़ी टिप्पणी करनी पड़ी। अदालत ने यहां तक कहा कि क्यों न राज्य के डीजीपी को हटा दिया जाए। राज्य में धारा 144 लागू होने के बाद इतनी संख्या में लोग कहां से पहुंच गए।
देश में पहली बार ऐसा हुआ जब किसी भी अदालत के फैसला सुनाने के पहले सेना बुलाई गई हो और ड्रोन, हेलीकाप्टर के अलावा कमांडो तैनात किए गए हों। एक बाबा ने दो राज्यों की पूरी व्यवस्था ठप कर दी है। इसकी वजह से पंजाब और हरियाणा की सरकारों को सतर्क रहना पड़ रहा है। पहले भी जाट आंदोलन के दौरान खट्टर सरकार की ढ़िलाई से काफी नुकसान उठाना पड़ा था, लिहाजा सरकार वह स्थिति पैदा नहीं होना देना चाहती। दोनों राज्यों की राजनीति में बाबा की अच्छी पकड़ है।
स्वाल उठता है कि बाबाओं पर सरकारें क्यों इतनी मेहरबान क्यों रहती हैं। उन्हें आस्था की आड़ में संविधान और विधान से खेलने की आजादी क्यों दी जाती है। बाबा हैं तो उन्हें सब कुछ करने की खुली छूट कैसे मिल जाती है। जिस संत पर देश की सबसे प्रतिष्ठित सुरक्षा एजेंसी फैसला सुना रही हो, वह अदालत किस लाव लश्कर के साथ पहुंचता है ,यह कैसी बिडंबना है। क्या एक आम आदमी के साथ भी ऐसी स्थियां बनती हैं। बाबाओं का रुतबा, उनकी आजादी क्या हमारे संविधान और कानून से बड़ी है। महिलाओं और आश्रम की साध्वियों के यौन शोषण को लेकर बाबाओं, संतो और मठाधीशों को इतिहास कलंकित रहा है। हम यह कत्तई नहीं कहते हैं कि यह बात सभी धार्मिक संस्थाओं और पीठाधीश्वरों पर लागू होती है, लेकिन अपवाद को भी खारिज नहीं किया जा सकता है। देश में ऐसी स्थितियां क्यों पैदा हुईं।
गुरुमित राम रहीम एक विशेष समुदाय के संत हैं और दुनिया में उनके पांच करोड़ से अधिक भक्त हैं। राजनेता चुनाव जीतने के लिए उनकी दुआ और आशीर्वाद लेते हैं। क्या इस लिहाज से वह न्याय व्यवस्था से परे हैं। वह कुछ भी करने को आजाद हैं। वह यौन शोषण करें या फिर जमीनों पर अतिक्रम, धर्म के नाम पर इस तरफ के बाबाओं को खुली छूट कब तक मिलती रहेगी। संविधान और कानून से वह खिलवाड़ कब तक कैसे करते रहेंगे। संत आशाराम बाबू, रामपाल सिंह, चंद्रास्वामी और न जाने कितने बाबाओं और राजनेताओं का संबंध जग जाहिर है।
हमारी धार्मिक आस्था और अधिकार इतने अनैतिक क्यों हो चले हैं। एक बाबा पर यौन शोषण का आरोप लगता है। जांच के बाद देश की सबसे विश्वसनीय संस्था सीबीआई उस पर फैसला सुनाती है और संत के समर्थक हिंसा और मरने- मारने पर उतारु हैं, यह सब क्यों। क्या आपका यह दायित्व नहीं बनता है कि जिसे आप भगवान मान रहे हैं उसकी नैतिकता कितनी अनैतिक हो चली है, बावजूद आप देश की संविधान, काननू और व्यवस्था पर विश्वास नहीं जता रहे हैं, आस्था के नाम पर आप मोहरे बने हैं। खुले आम सड़कों पर नंगा प्रदर्शन कर रहे हैं। फिर देश, संविधान, कानून और व्यवस्था का मतलब ही क्या रह जाता है। इस तरह की अनैतिक भक्ति किस काम की। जिस बाबा और संत से आप सदआचरण की संभावना कर रहे क्या वह आपके विश्वास पर खरा उतर सकता है। फिर बगैर जांच परख के गुरु करना हमारी सबसे बड़ी मूर्खता होगी। बाबाओं, और संतो के नाम पर अगर इसी तरह लोगों को धार्मिक स्वतंत्रा की आजादी मिलती रहेगी, फिर देश और उसके संविधान का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। उस स्थिति में हम एक राष्ट्र के निर्माण के बजाए ऐसे समाज का निर्माण कर रहे होंगे जहां सदाचार की बजाय कदाचार अधिक होगा। अगर यह सिलसिला बंद नहीं हुआ तो लोकतांत्रिक व्यस्था भीड़ के हवाले होगी। जहां किसी भी तंत्र का कोई कानून लागू नहीं होता है सिर्फ बस सिर्फ हिंसा से नियंत्रण ही एक जरिया बचता है। उस स्थिति से हमें बचना होगा। देश जनादेश से चलता है, जनादेश कोई बाबा नहीं देता है। राजनेताओं और राजनीति को यह बात भी समझनी होगी। सिर्फ नारों से देश नहीं बदल सकता है। उसके लिए जमींन तैयार करनी होगी। हम संत राम रहीम, आसाराम, रामपाल सिंह और दूसरे बाबाओं से किस चरित्र निर्माण की उम्मीद कर सकते हैं। बाबाओं को हम आस्था को प्रतिबिंब कब तक मानते रहेंगे। सेना तैनात कर, बिजली काट और कर्फ्यू लगा कर कब तक व्यवस्था और संविधान की रक्षा की जाएगी। अब वक्त आ गया है जब धर्म के ढोंगियों का संरक्षण और रक्षण बंद होना चाहिए।

युवती का अपहरण करने वाला गिरफ्तार

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गांव रावली महदूद से अपहृत युवती को सिडकुल थाना पुलिस ने बरामद कर लिया और आरोपी युवक को भी गिरफ्तार कर लिया है। युवती को पुलिस ने उसके परिजनों को सौंप दिया।

थाना सिडकुल क्षेत्र के गांव रावली महदूद से एक माह पहले युवती लापता हो गई थी। परिजनों ने कॉलोनी में रहने वाले परमेंद्र पर युवती के अपहरण का आरोप लगाया था। परिजनों ने तलाश करने के बाद परमेंद्र के विरुद्ध अपहरण का मुकदमा दर्ज करा दिया था। सिडकुल पुलिस व परिजन उसी दिन से अपहृत युवती की तलाश कर रहे थे। गुरुवार को सिडकुल पुलिस को सूचना मिली कि परमेंद्र युवती समेत बिजनौर में रह रहा है। आरोप था कि परमेंद्र ने उसे बंधक बनाया हुआ है। इस सूचना पर पुलिस गुरुवार को बिजनौर पहुंची और एक मकान से परमेन्द्र व युवती को बरामद कर लिया। दोनों को हरिद्वार लाया गया।

युवक का शुक्रवार को चालान कर दिया गया। एसओ सिडकुल कमल मोहन भंडारी ने बताया कि युवती को को उसके परिजनों को सौंप दिया।

चकमा देकर ठगे 50 हजार

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रुद्रपुर से पीलीभीत अपने घर जा रहे एक चालक को ठग ने चकमा देकर 50 हजार रुपये ठग लिए, पीड़ित ने जब मामले की सूचना कोतवाली पुलिस को दी तो पुलिस ने बताए गए हुलिए के आधार पर एक संदिग्ध को दबोच लिया। वहीं पुलिस अब आरोपी से पूछताछ कर रही है।

पीलीभीत के काजरपुरी गांव निवासी प्रेमबाबू पुत्र तोता राम रुद्रपुर के ट्रांजिट कैंप में रहकर सिडकुल में मशीन चलाता है। गुरुवार की सुबह वह पीलीभीत जाने के लिए किच्छा के आदित्य चौक पहुंचा, यहां एक व्यक्ति उसे खुद को सरकारी गाड़ी का चालक बताकर उसे जल्द घर छोड़ने को कहने लगा। वह साथ जाने को तैयार हो गया, जाने से पहले उसने प्रेम से अपने पास अधिक नगदी हो तो उसे रास्ते में नगदी की जांच का भय दिखा एक लिफाफे डालने को कहा, प्रेम ने उसके दिए लिफाफे में अपने पास मौजूद 50 हजार की नगदी लिफाफे में रख दी, वाहन चालक ने लिफाफे में टेप लगाने के बहाने लिफाफा पल भर में बदल उसे मौके पर गाड़ी लाने को कह नौ दो ग्यारह हो गया। प्रेम ने काफी देर इंतजार किया पर चालक नहीं आया तो उसने लिफाफा खोला तो उसमें से पैसे के बजाय कागज के टुकड़े थे।

अपने को ठगी का शिकार हुआ मान वह कोतवाली पहुंचा,एसएसआई लाखन ¨सह को आप बीती बतायी, पुलिस ने तत्काल आदित्य चौक पर तलाशी अभियान चलाया, आधे घंटे में ठगी करने वाले हूबहू मिलता व्यक्ति पुलिस के हत्थे चढ़ गया। एसएसआई के अनुसार प्रेम ने उसे पहचान लिया है, उसके पास फिलहाल पैसे बरामद नहीं हुए है, संभावना है कि उसने मौका लगते ही पैसे अपने किसी साथी को थमा दिए है। पुलिस उससे पूछताछ कर उसके साथियों का पता लगाने का प्रयास कर रही है।

तिरंगे के अपमान पर लोगों में उबाल

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चीन से मंगाए गए जूतों के डिब्बे का रंग तिरंगा होने के मामले में शहर में जमकर हंगामा हुआ। विश्व हिंदु परिषद ने इसके विरोध में प्रदर्शन किया और चीन का पुतला फूंका।

शुक्रवार को विश्व हिंदु परिषद ने जूते के डिब्बों को तिरंगा रूप देने के विरोध में जमकर हंगामा किया। कई कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे और जमकर नारेबाजी करते शिखर तिराहे पर पहुंचे। यहां कार्यकर्ताओं ने चीन का पुतला फूंका। उन्होंने लोगों से अपील किया कि राष्ट्रध्वज का अपमान करने वाले चीन के उत्पादों का बहिष्कार करें। उन्होंने कहा कि यह चीन की भारत विरोधी साजिश का हिस्सा है। इसका जवाब लोगों को एकजुट होकर देना होगा। चीन के किसी भी उत्पाद की खरीद से लोग बचें। गौरतलब है कि गुरुवार को अल्मोड़ा के एक जूता सेलर ने रुद्रपुर से जूते मंगाए थे। जूते का ऑर्डर उनके पहुंचा तो वे हैरान रह गए कि जूतों के डिब्बे तिरंगे थे।