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शुरू हुई केदारनाथ में शिलापटों पर नामों की राजनीति

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदार पुरी दौरे को जहां सरकार और बीजेपी के नेता राज्य में विकास के डबल इंजन से जोड़ कर देख रहे हैं वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने इस दौरे को राजनैतिक शिष्टाचार की हत्या करार दे दिया है। दरअसल केदारनाथ विधानसभा सीट कांग्रेस के पास है और यहां से पहली बार विधायक बने मनोज रावत कांग्रेस की नुमाइंदगी कर रहे हैं। मोदी ने केदारनाथ में कई विकास कार्यों की आधारशीला रखी। कांग्रेस का आरोप है कि जानबूझकर प्रोटोकॉल को दरकिनारकर इन शिलापटों पर स्थानीय विधायक का नाम नहीं लिखा गया। इस बारे में न्यूजपोस्ट से बात करतेहुए मनोज रावत ने कहा कि “जब मैने इस बारे में डीएम से पूछा तो उन्होने कहा कि ये नाम सीधे पीएमओ से फाइनल होकर आये हैं। लेकिन ये काम तो राज्य सरकार का होता है। बीजेपी घमंड में राजनीतिक शिष्टाचार को भुला बैठी है और इसलिये मैंने भी कार्यक्रम में एक आम नागरिक की ही तरह हिस्सा लिया “। दरअसल प्रधानमंत्री के पिछले केदारनाथ दौरे के दौरान भी मनोज रावत ने सरकार और प्रशासन पर उन्हें आधिकारिक न्यौता न देने का आरोप लगाया था। इस बार स्थानीय विधायक को न्यौता तो मिला लेकिन शिलापट में विधायक के नाम को जगह नहीं मिल पाई।

वहीं बीजीपी इस मामले में कांग्रेस पार्टी और उनके विधायक पर बिना मतलब की राजनीति करने का आरोप लगा रही है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि कांग्रेस और उसके नेता केदारनाथ में हो रहे विकास के कामों में दिलचस्पी नहीं रखते बल्कि वहां बीजेपी द्वारा किया जा रहे कामों  को अपने नाम कैसे करा जाये इसमे रुचि रखते हैं।

बहरहाल इस पूरे मामले में ये बाततो तय है कि शिलापट पर किन लोगों के नाम आये इसमें सत्तारूढ़ दल की तरफ से खास ध्यान दिया गया है। लेकिन ये बात भी अपनी जगह है कि कांग्रेस को भी नामों पर ध्यान न देकर काम पर ध्यान देना चाहिये ताकि उनके द्वारा किेये गये काम किसी शिलापट के मोहताज न रहे।

बंद कमरे में बैठकर मौत का कर दिया सौदा

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काशीपुर, एेसा पहली बार नहीं कि जब डाक्टर पर लापरवाही का आरोप लगा हो और हंगामा ना हुआ हो, मगर हर बार की तरह ही इस बार भी एेसा ही हुआ, डाक्टरों की जमात ने फिर एक जान के बदले अपनी पेशकश रखी और शहर के मुअज्जिशों ने बैठ कर फैसला कर दिया। काशीपुर में एेसा कई बार हो चुका है, इससे ना डाक्टरों की जमात को फर्क पडा और ना आम जनता को कभी न्याय ही मिल पाया। मसलन कानून की दहलीज पर कभी एसे मामले पहुंच ही नहीं पाये और समाज की अलग अलग जमात ने मसले मौके पर निपटा दिये, इससे ना किसी को सबक मिला और ना ही न्याय।
इलाज के दौरान गर्भवती की मौत पर परिजनों ने मेहरोत्रा नर्सिग होम में तोड़फोड़ कर डाली। उन्होंने चिकित्सक पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाकर हंगामा काटा। चिकित्सक की गिरफ्तारी न होने तक शव को न उठाने की मांग पर परिजन अड़े रहे। इस पर अस्पातल स्वामी के घर पर मामले को सुलझाने का प्रयास किया गया, मगर मामला नहीं सुलझा।
मोहल्ला काजीबाग निवासी जीनत पत्नी मोहम्मद इस्लाम के पेट में गुरुवार दोपहर दर्द की शिकायत हुई। जीनत करीब आठ माह की गर्भवती थी, इस्लाम ने रामनगर रोड स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां पर महिला चिकित्सक न होने पर चिकित्सकों ने महिला को रेफर कर दिया। परिजन उसे डॉक्टर लाइन स्थित मेहरोत्रा नर्सिग होम में उसी दिन शाम करीब पांच बजे भर्ती कराया। महिला की शुक्रवार को करीब 11 बजे मौत हो गई। इस पर परिजन उग्र हो गए। उन्होंने अस्पताल में तोड़फोड़ कर दी। गेट के शीशे तोड़ दिए और कुछ सामान इधर-उधर फेंक दिए। उन्होंने चिकित्सक पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा काटना शुरू कर दिया और चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर अड़ गए।
सूचना पर मौके पर पहुंची कोतवाली पुलिस ने परिजनों को समझाने का प्रयास किया, मगर परिजन मानने को राजी नहीं हुए। इस बीच शहर के कुछ लोग अस्पताल पहुंच गए। उन्होंने वार्ता के लिए चिकित्सक को मौके पर ही बुलाने की मांग की। बावजूद अस्पताल स्वामी डॉ. रीता मेहरोत्रा मौके पर नहीं पहुंची। इसके बाद लोग परिजन के साथ मोहल्ला खत्रियान निवासी डॉ. रीता मेहरोत्रा के घर पहुंचे। परिजनों ने आरोप लगाया कि मरीज को देखने महिला चिकित्सक नहीं आई। यदि आतीं तो यह दिन देखने को नहीं मिलता। इस पर डॉ. रीता मेहरोत्रा ने कहा कि मरीज का हीमोग्लोबिन 7.2 था। गुरुवार रात आठ बजे मरीज को देखा तो सब ठीक था। शुक्रवार की सुबह सात बजे मरीज को देखने गए तो चेकअप के दौरान अचानक महिला की मौत हो गई।

आजादी के सत्तर सालों से अंधेरे में कटती है यहां दीपावली

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पिथौरागढ़- भारत-चीन सीमा पर साल भर आबाद रहने वाले बुई और पातों गांवों में आजादी के सत्तर साल बाद इस दिवाली पर बिजली तो पहुंची लेकिन घर रोशन नहीं हो सके। बिजली का पहुंचने का फायदा दोनों गांवों के 120 में मात्र दो परिवारों को मिल सका है। इस दीपावली पर भी बिजली से अपने घर रोशन करने का ग्रामीणों का सपना पूरा नहीं हो सका।

मुनस्यारी तहसील मुख्यालय से 17 किमी की दूरी पर स्थित बुई और पातों गांव आज तक बिजली से वंचित हैं। इन गांवों के लिए बिजली आने की बात तो कई वर्षो से चलती आ रही थी परंतु इस बार दिवाली से पूर्व गांव तक बिजली पहुंच गई। बिजली पहुंचने से इस दुर्गम और दूरस्थ गांवों के ग्रामीणों में खुशी फैल गई। इस बार की दीपावली बिजली के प्रकाश में मनाने को लेकर ग्रामीण उत्साहित थे। घरों को रोशन करने के लिए बाजार से बिजली की माला तक खरीद कर ले गए थे। ग्रामीणों की हसरत पर ठेकेदार ने पानी फेर दिया।

गांव तक बिजली तो पहुंचा दी। शिनाख्त के रूप में गांव के पूर्व प्रधान और सरपंच के घर तक बिजली पहुंचा कर उन्हें संयोजन दिए। इसके बाद सामान समेट कर चल दिया। ग्रामीण दीपावली की सायं तक अपने घरों के भी रोशन होने की आस में बैठे रहे। ठेकेदार के कार्य को इतिश्री कर चले जाने की सूचना मिलते ही ग्रामीणों में रोष फैल गया। ग्रामीणों ने इसे अपने साथ छल बताया है।

पातों गांव में 70 और बुई में 50 परिवार रहते हैं। बुई और पातों के बीच में दो तीन परिवार रहते हैं। ठेकेदार ने दोनों गांवों के बीच में रहने वाले दो परिवारों को बिजली दी है। वहीं ओखली नामक स्थान पर खराब ट्रांसफार्मर लगाया है। ग्रामीण अब इस बात को लेकर संशय में हैं कि गांव को कागजों में विद्युतीकृत दर्शा कर सीमांत के अन्य गांवों की तरह ही बिजली से वंचित कर दिया जाएगा। बुई और पातों के ग्रामीण दो गांवों को जिंदा रखे हैं। बुई और पातों के साथ-साथ विश्व प्रसिद्ध रालम ग्लेशियर के निकट स्थित रालम गांव को आबाद किए हैं। दुर्भाग्य यह है कि सीमा के इन अवैतनिक प्रहरियों को आज तक बिजली नहीं मिल सकी है। बुई व पातों गांवों में जहां ग्रामीण परंपरागत खेती के साथ आलू, राजमा का उत्पादन करते हैं वहीं लगभग 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित रालम गांव में जड़ी-बूटी, राजमा की खेती करते हैं। अलबत्ता साल के छह माह हिमाच्छादित रालम गांव तक नहीं जा पाते हैं। गांव के निवासी एवं भाजपा जिला महामंत्री मनोहर दरियाल ने बिजली के नाम पर जो खेल हुआ है उसे ग्रामीणों के साथ छल बताया है। इस मामले की शिकायत सीएम से करते हुए दोनों गांवों को बिजली संयोजन देने की मांग की है। साथ ही ठेकेदार और इसमें शामिल विभागीय अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है।

मिलीभगत से पनप रहा अवैध खनन का गोरख धंधा

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बागेश्वर- नदियों में अवैध रेता बजरी का धंधा जोर-शोर के साथ चल रहा है। सभी के संरक्षण से यह अवैध खनन खूब फल-फूल रहा है। इससे स्थानीय आवासीय घरों और कृषि भूमि पर खतरा मंडराने लगा है। लोगों ने जिलाधिकारी से अवैध खनन पर रोक लगाने की गुहार लगाई है।

सरयू, गोमती, गरुड़ गंगा, लाहूर समेत दर्जनों गाड़-गधेरों में अवैध रूप से रेता बजरी का दोहन हो रहा है। वन विभाग ने रेता-बजरी निकालने के लिए अभी तक कोई मानक तय नहीं किए हैं। नदी के किसी भी छोर से रेता निकाली जा सकती है। कुछ लोग तो वन विभाग से संपर्क साधकर ही बजरी का दोहन कर रहे हैं, लेकिन बिलौना, हरसीला, सीमार, रूनीखेत, आरे आदि स्थानों पर अवैध रेता बजरी का खनन हो रहा है। चोरी छिपे बजरी निकालने से स्थानीय घरों पर खतरा मंडराने लगा है। नदी की गहराई बढ़ने से कई स्थानों पर पानी का रूख भी बदल गया है। जिससे प्रतिवर्ष हजारों नाली कृषि भूमि बह रही है। पूर्व प्रधान दान ¨सह, करम ¨सह, तेज ¨सह रावत तथा बहादुर ¨सह आदि का कहना है कि वन विभाग और बजरी के धंधे में लिप्त लोगों में सांठगांठ है। आम आदमी जिसे मकान आदि का निर्माण करना है, उसे विभाग परेशान करता है। रेता निकालने की अनुमति मिलने में महीने बीत रहे हैं। नेपाल से आए मजदूर दिनदहाड़े नदियों में छलनी करने में तुले हैं।

सुविधा बदहाल, कहीं शौचालय नहीं, कहीं लटका ताला

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सरकार भले जी खुले में शौच मुक्त व स्वच्छ भारत के लिए जोर शोर से अभियान चला रही हो लेकिन सरकार के अधीन आने वाली संस्थाएं ही इस मंशा पर पलीता लगा रही हैं। अब विकासनगर की कृषि उत्पादन मंडी परिषद को ही लीजिए। यहां हर रोज सैकड़ों काश्तकार अपनी नगदी फसलों को बेचने आते हैं लेकिन काश्तकारों की सुविधा के लिए सार्वजनिक शौचालय की कोई सुविधा नहीं है।

यही हाल ब्लॉक मुख्यालय का भी है जहां निर्वाचित जन प्रतिनिधियों सहित आम जनता अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए आती है लेकिन उन्हें शौचालय की सुविधा मुहैया नहीं मिलती है। लिहाजा मरीजों व उनके तीमारदारों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। अब ऐसे में स्वच्छ व खुले में शौच मुक्त भारत का सपना कैसे साकार होगा इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

कृषि उत्पादन मंडी परिषद विकासनगर स्थानीय काश्तकारों के साथ ही जौनसार-बावर परगने, टिहरी, उत्तरकाशी, हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के काश्तकारों की उपज को बेचने का प्रमुख केंद्र है। इसके साथ ही यहां बाहरी प्रांतों से व्यापारी नगदी फसलों को खरीदने आते हैं। मंडी परिषद के परिसर में हर रोज सैकड़ों काश्तकारों सहित व्यापारियों की आमद लगी रहती है। लेकिन यहां आने वाले लोगों के लिए मंडी परिषद के परिसर में शौचालय की सुविधा मुहैया नहीं है।

लिहाजा काश्तकारों व बाहर से आने वाले व्यापारियों को परेशानी से जूझना पड़ता है। बावजूद इसके मंडी प्रशासन लोगों की सुविधा को शौचालय निर्माण करने की जहमत नहीं उठा रहा है। जबकि नगर क्षेत्र से दो किमी की दूरी पर पश्चिमीवाला व आसपास के ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पश्चिमीवाला में शौचालय निर्माण तो किया गया है लेकिन अस्पताल प्रशासन ने इस पर ताला लगाया हुआ है।

यहां आने वाले मरीजों व उनके तीमारदारों को शौचालय की सुविधा नहीं मिल रही है। कहीं शौचालय की कमी व कहीं शौचालय पर लटके ताले सरकार के स्वच्छ व खुले में शौच मुक्त भारत के दावों की पोल खोल रहे हैं। मानवाधिकार एवं आरटीआइ एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविंद शर्मा ने आम जनता की सुविधा से जुड़े सभी महत्वपूर्ण स्थलों पर शौचालय निर्माण करने की मांग प्रशासन से की है।

कृषि उत्पादन मंडी परिषद सचिव पीआर कलाकोटी ने कहा कि परिसर में शौचालय निर्माण के लिए मंडी समिति की बैठक में प्रस्ताव पारित कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। जबकि सीएचसी विकासनगर के प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. केके शर्मा ने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी को मरीजों के लिए शौचालय सुविधा मुहैया कराने के निर्देश दिए गए हैं।

नेपाल की लड़कियों की विदेश में हो रही थी तस्करी

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उधम सिंह नगर जिले की पुलिस को एक बड़ी सपफलता हासिल हुई, पुलिस ने मानव तस्करी का पर्दापफाश करते हुए एक महिला सहित दो लोगों को गिरफ्रतार किया है उनके पास से 6 नेपाली लड़कियां बरामद की हैं। मोटी कमीशन के लालच में इन नेपाली लड़कियों को विदेश भेजा जाता था। उनके पास से 5 पासपोर्ट एवं वीजा की कापी बरामद की है।

कोतवाली में मामले का खुलासा करते हुए एसएसपी डा. सदानंद दाते ने कहा कि पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि अन्तर्राष्ट्रीय गैंग जो नेपाल की लड़कियों को काम के नाम पर बहला-पफुसलाकर नेपाल से दिल्ली ले जा रहा है, जो लड़कियां नेपाल से रुद्रपुर होते हुए बस से दिल्ली जायेंगी। दिल्ली में इन्हें एजेन्टों के माध्यम से विदेश भेजा जायेगा। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए उन्हें रोडवेज से अपनी हिरासत में ले लिया और कोतवाली ले जाकर पूछताछ की तलाशी ली। जहां नानी माया माझी पत्नी चेरे माझाी निवासी ग्राम मायनी अचाम जिला सिन्धुंपाल्चोक नेपाल से उक्त 6 अन्य लड़कियों को बस टिकट बनबसा से दिल्ली के मिले और सभी लड़कियां नेपाली भाष बोल रही थीं जिस पर एनजीओ और एंटी ह्यूमन ट्रैपिफकिंग व नेपाल की संस्था मैती की संयुक्त टीम व स्थानीय पुलिस द्वारा संयुक्त रूप से पूछताछ करने पर यह बात प्रकाश में आयी कि नानी माया माझी द्वारा उक्त लड़कियां को दिल्ली में दो व्यक्तियों को स्पलाई करनी है जो जिन्हें विदेश कुवैत व दुबई भेजा जाना था जिसके लिए उसको मोटी रकम मिलती है। पुलिस ने उसके पास से 05 पासपोर्ट, बनबसा से दिल्ली के बस टिकट, वीजा कापी एवं मोबाइल फोन बरामद किये हैं।

200 करोड़ खर्चकर भी नहीं बना पुल

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टिहरी झील के ऊपर बन रहा डोबरा-चांठी पुल पर करीब दो सौ करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी पुल का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया। भाजपा नेता ने पुल निर्माण में लगी कंपनी के खिलाफ जांच की मांग करने की बात कही।

पूर्व ब्लॉक प्रमुख व भाजपा के वरिष्ठ नेता खेम सिंह चौहान ने पत्रकारों से वार्ता में कहा कि 11 साल बाद भी डोबरा-चांठी पुल नहीं बन पाया है। पुल पर अब तक करीब दो सौ करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, इसके बाद भी प्रतापनगर क्षेत्र की करीब ड़ेढ़ लाख आबादी के साथ उत्तरकाशी जिले की गाजणा पट्टी के लोगों को कालापानी की सजा झेलनी पड़ रही है। कहा कि पुल निर्माण में लगी कंपनी से हुए समझौते के मुताबिक डोबरा-चांठी पुल को अगस्त 2017 तक बनकर तैयार हो जाना चाहिए था, लेकिन पुल निर्माण में लगी गुप्ता एसोसिएट व अधिकारियों के उदासीनता के कारण समय पर पुल का निर्माण नहीं हो पाया।उन्होंने पुल निर्माण में लगी कंपनी व लेट-लतीफ करने वाले अधिकारियों के खिलाफ जांच की मांग की। साथ ही सरकार से बांध प्रभावित प्रतापनगर व उत्तरकाशी गाजणा पट्टी के लोगों को मुआवजे के तौर पर क्षेत्र में आईटीआई, मेडिकल कॉलेज व अन्य संस्थान खोलने की मांग की। उन्होंने टिहरी बांध प्रभावितों को भूमिधरी का अधिकार दिए जाने की भी मांग की।

बादमाशों व पुलिस के बीच मुठभेड़, दरोगा घायल, तीन गिरफ्तार

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मंगलौर कोतवाली क्षेत्र के ठसका गांव में शनिवार सुबह बादमाशों और पुलिस के बीच हुई मुठभेड़ में दोनों तरफ से जमकर फायरिगं हुई। फायरिंग में एक दरोगा घायल हो गए, वहीं एक बदमाश को भी गोली लगी है। मुठभेड़ के बाद पुलिस ने तीन बदमाश को गिरफ्तार किया गया, जबकि कुछ भागने में सफल रहे।
शनिवार तड़के पुलिस को सूचना मिली कि कुछ बदमाश ग्राम ठसका के समीप सड़क पर पेड़ डालकर रोड होल्डप की वारदात को अंजाम दे रहे हैं। पुलिस को पता चला कि बदमाश अभी तक कई लोगों के साथ लूटपाट कर चुके हैं। इसके साथ ही यूपी के एक बोलेरो सवार से नकदी व मोबाइल भी लूटा गया है। सूचना पर पुलिस ने क्षेत्र की घेराबंदी कर बदमाशों को सरेंडर करने के लि दबाव बनाया। लेकिन बदमाशों ने खुद को घिरता देख पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी।
अपने बचाव में पुलिस ने भी फायरिंग की। दोनों ओर से हुई ताबड़तोड़ फायरिंग के दौरान एक गोली दरोगा रविंद्र कुमार के हाथ मे लग गई। घायल दरोगा को प्राथमिक उपचार के बाद हायर सेंटर रेफर किया गया है। वहीं, एक बदमाश के पैर में भी गोली लगी है, उसका नाम याकूब निवासी थाना भोपा जिला मुजफ्फरनगर बताया गया है। करीब एक घंटा चली मुठभेड़ के बाद पुलिस ने तीन बदमाशों को दबोच लिया। पकड़े गए बदमाश उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के रहने वाले हैं। घटना की जानकारी के बाद पुलिस के आला अधिकारी और कई थानों की पुलिस भी घटना स्थल पहुंच गई है।
एसपी देहात मणिकांत मिश्रा ने बताया कि सुबह चार बजे बदमाश सड़क पर पेड़ डालकर लूटापाट कर रहे थे। मौके पर पहुंची पुलिस टीम पर भी बादमाशों ने फायरिंग शुरू कर दी। इसमें दरोगा घायल हुए हैं और तीन बदमाश गिरफ्तार किए गए हैं।

दिन में बंदर का और रात में जंगली सुअरों का आतंक

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विकासनगर, सहसपुर ब्लॉक के आधा दर्जन से अधिक गांवों के काश्तकार जंगली जानवरों के आतंक से परेशान हैं। दिन में बंदर व रात में जंगली सुअर काश्तकारों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। काश्तकारों ने वन विभाग से जंगली जानवरों के आतंक से निजात दिलाने की मांग की है।

सहसपुर ब्लॉक के अटकफार्म, केंचीवाला, धन्नोवाला, खैरी, बहादरपुर, तेलपुरा, राजावाला, भगवानपुर, कोठड़ा संतूर, भगवानपुर, पौड़वाला पंचायत के काश्तकार इन दिनों जंगली जानवरों के आतंक से परेशान हैं, काश्तकारों की फसलों को जंगली जानवर चौपट कर रहे हैं। तेलपुरा के काश्तकार नारायण सिंह फर्सवाण, लीला प्रसाद थापा, राम सिंह थापा, भरत सिंह थापा, बलबहादुर थापा, राजू थापा, हरीश चौहान, उत्तम ने कहा कि इन दिनों काश्तकारों की खेतों में गेहूं, आलू, टमाटर, सरसों सहित चारा बोया हुआ है, जिसे जंगली जानवर नष्ट कर रहे हैं। कहा कि दिन में बंदर खेतों सहित घरों के अंदर रखे हुए सामान को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बंदरों के आतंक से बच्चों को भी भय लगा रहता है।

जबकि रात में जंगली सुअर खेतों में घुस कर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। काश्तकारों ने बताया कि वन विभाग के अधिकारियों से कई बार जंगली जानवरों के आतंक से निजात दिलाने की मांग की जा चुकी है, लेकिन विभागीय अधिकारी काश्तकारों की समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। उधर, देहरादून वन प्रभाग की झाझरा रेंज के एसडीओ गुलवीर सिंह ने कहा कि कुछ समय पूर्व वन विभाग की टीम ने बस्ती में घुसे बंदरों को पकड़कर जंगल में छोड़ा था। शीघ्र ही बंदर पकड़ने का अभियान दुबारा शुरु किया जाएगा जबकि सुअरों से रखवाली के लिए काश्तकारों को खेतों के किनारे बाड़ लगाने के लिए कहा जा रहा है।

अनियंत्रित ट्रक ने चार को रोंदा एक की मौत, पुरी रात हंगामा

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काशीपुर के महुआखेड़ागंज स्थित बिजली घर के पास ट्रक ने स्कूटी और बुलेट सवार चार युवकों को टक्कर मार दी, इससे एक युवक की मौके पर ही मौत हो गयी जबकि बाकि गंभीर रूप से घायल हो गए। आनन् फानन में ग्रामीणों ने घायलों को अस्पताल पहुंचाया ग्रामीणों ने महुआखेड़ा चौक पर ट्रक समेत अन्य दो और ट्रकों को रोक कर तोड़फोड़ की व आग लगाने का प्रयास किया। ग्रामीणों ने चालक की पिटाई भी कर दी, ग्रामीणों ने सड़क पर शव रख कर जाम लगा कर हंगामा काटा,सूचना पर महुआखेड़ा गंज चौक पर पहुँची पुलिस ने भीड को तीतर बितर करने के लिए लाठियां भी भांजी।
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दरअसल काशीपुर के महुआखेड़ागंज के निवासी अंकित एक डॉक्टर के यहाँ कम्पाउण्डर है। शाम डॉक्टर की पत्नी को स्कूटी से ग्राम खड़कपुर देवीपुरा छोड़ने गया था, लौटते समय उसके गाँव के ही दोस्त 18 वर्षीय अनिकेत व् मनीष मिल गए उसने दोनों को स्कूटी से बिठा कर महुआखेड़ागंज चौक की तरफ चला तो अहरपूरा स्थित बिजली घर के पास सामने से आ रहे ट्रक को ओवरटेक करते समय सामने से आ रही बुलेट सवार से बचने पर स्कूटी अनियंत्रित होकर ट्रक के सामने पलट गई जिससे अनिकेत का सर पहिए के नीचे आ गया, अनिकेत की मौके पर मौत हो गयी जबकि अंकित व मनीष गंभीर रूप से घायल हो गए।
गुस्साए ग्रामीणों ने महुआखेड़ा गंज में ट्रक पर तोड़ पर फोड़ की पीछे से आ रहे ट्रक पर भी पथराव किया तथा आग लगाने का प्रयास किया। सूचना पर कोतवाली व आईटीआई पुलिस ने लाठी चार्ज कर लोगों को खदेड़ा। लोग इस बात पर अड़ गए की जब तक लाठी चार्ज करने वाले पुलिस कर्मियों को निलंबन व् ट्रक चालक को ग्रामीणों के सुपुर्द नही किया जाता तब तक जाम नहीं खोला जाएगा। मौके पर अपर पुलिस अधीक्षक डॉक्टर जगदीश चंद व् क्षेत्राधिकारी राजेश भट्ट ने ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया पर ग्रामीण अपनी मांग पर अड़े रहे। अनिकेत दो भाइयों में सबसे छोटा था, बाद में सुबह तड़के तीन बजे एसडीएम, एएसपी और सीओ ने बमुश्किल मृतक अनिकेत के परिजनों को समझाबुझाकर शव को कब्जे में लेकर जाम खुलवाया।