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हाथियों का आतंक, गन्ने की फसल रौंदा

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हरिद्वार,  क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में हाथियों का आतंक रुकने का नाम नहीं ले रहा है। देर रात हाथियों ने भोगपुर गांव के पास खेतों में घुसकर जमकर उत्पात मचाया। हाथियों ने खेतों में खड़ी गन्ने और बाजरे की करीब 50 बीघा फसल रौंद डाली। लगातार जगंली जानवरों द्वारा फसल को पहुंचाये जाने वाले नुकसान से लोगों में खासा रोष है। किसानों ने वन अधिकारी और क्षेत्रीय विधायक से जंगली जानवरों की रोकथाम करने और जानवरों द्वारा नष्ट हुई फसल का मुआवजा दिलाने की मांग की है।

हाथियों से न केवल खेती का नुकसान हो रहा हैं, अपितु यहां के लोगों में इस बात को लेकर दहशत भी हैं। गांव में करीब 20-25 हाथियों का एक झुंड पास के खेतों में घुस आया। हाथियों ने किसानों के खेतों में खड़ी गन्ने को बाजरे की करीब 50 बीघा फसल को नष्ट कर दिया। भोगपुर गांव के किसानों का कहना है कि, “जंगली जानवरों ने जीना मुश्किल कर दिया है। हम लोग कड़ी मशक्कत कर फसलों को उगाते हैं और गंगा पार से चारे की तलाश में हाथी खेतों में घुस आते हैं और फसलों को नष्ट कर रहे हैं।”

किसान खेतों से जंगली जानवरों की रोकथाम करने के लिए वन विभाग के अधिकारियों से लगातार मांग करते आ रहे है, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। किसानों ने वन अधिकारी और क्षेत्रीय विधायक स्वामी यतीश्वरानंद से जंगली जानवरों की रोकथाम करने और जानवरों द्वारा उजाडी गई किसानों की फसल का मुआवजा दिलवाने देने की मांग की है।

वृद्ध ने फांसी लगाकर की खुदकुशी करने की कोशिश

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काशीपुर, पारिवारिक कलह के चलते वृद्ध ने फांसी लगाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया। किरायेदार की चीख-पुकार सुनकर पेंट कर रहे पेंटरों ने वृद्ध के फांसी लगाने का प्रयास विफल कर दिया। सूचना पर पहुंची पुलिस वृद्ध को कोतवाली ले आई।

पुलिस के अनुसार, राम श्याम कालोनी निवासी राम चंद्र वर्मा पुत्र स्व. गज्जन राम ने घर की पहली मंजिल के बरामदे की छत में लगे कुंडे में रस्सी बांधकर आत्महत्या करने का प्रयास किया। किरायेदार युवती ने उन्हें ऐसा करते देखा तो शोर मचा दिया। चीख-पुकार सुनकर मोहल्ले के लोग जमा हो गए। साथ ही पड़ोस में पेंट कर रहे पेंटर ने वृद्ध का फांसी लगाकर आत्महत्या करने का प्रयास विफल कर दिया।

सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंच गई। साथ ही बेटा पवन कुमार भी बैंक से घर पहुंच गया। इस दौरान वृद्ध ने बेटे व बेटे की पत्नी पर अभद्रता करने का आरोप लगाया। साथ बेटे ने भी आए दिन पिता के यही ड्रामा करने की बात कही। दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद पुलिस वृद्ध को कोतवाली ले गई।

आजीवन कारावास के तीन दोषी हाईकोर्ट से बरी

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हाई कोर्ट ने आजीवन कारावास को सजा भुगत रहे तीन हत्याभियुक्तों को बरी कर दिया है। मामले के अनुसार 14 जून 2006 को हेड़ाखान चोरगलिया नैनीताल में हुई पूजा नामक युवती की हत्या के मामले में पिता महेंद्रपाल, भाई इंद्रपाल और रवि पाल को गिरफ्तार किया गया था। उन पर आरोप था कि पड़ोस में रहने वाले युवक राकेश के साथ अनैतिक संबंध के चलते उन्होंने पूजा की हत्या की।

आरोप था कि 14 जून को वे मृतका को लेकर हेड़ाखान चोरगलिया की तरफ ले गए थे। मुखबिर ने पुलिस को सूचना दी कि वापसी में वे तीनों ही लौटे। इसके आधार पर पुलिस ने उन लोगों से पूछताछ की। पूछताछ करते समय महेंद्रपाल और और रवि पाल को पुलिस ने पकड़ लिया और इंदर पाल भाग गया। पुलिस द्वारा पूछने पर उन्होंने हत्या करना कबूल किया था। इसके बाद उनकी निशानदेही खून से सने कपड़े और चाकू बरामद भी कर लिया गया था।

26 मार्च 2012 को निचली अदालत ने तीनो अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। निचली कोर्ट के फैसले के खिलाफ अभियुक्तों ने हाई कोर्ट में अपील दायर की।कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में तीनों आजीवन सजा पाए हत्या अभियुक्तों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि, “पुलिस निचली अदालत में साक्ष्यो को कोर्ट में पेश करने में नाकाम रही है।” मामले की सुनवाई न्यायधीश राजीव शर्मा व न्यायाधीश शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ में हुई।

15 नवंबर को खुलेगा राजाजी पार्क

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हरिद्वार। राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क के दरवाजे पांच माह बाद फिर से सैलानियों के लिए 15 नवंबर से खोल दिए जाएंगे। पार्क प्रशासन की ओर से सैलानियों के लिए पार्क में जंगली जानवरों के दीदार कराने के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।

विदित हो कि 15 जून की शाम राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क सैलानियों के लिए बंद कर दिया गया था। जिससे पांच माह से पार्क के अंदर सैलानियों के प्रवेश पर रोक लग गई थी। पांच महीने से पार्क के अंदर सैर करने व जंगली जानवरों को देखने के लिए पशु प्रेमी इंतजार कर रहे थे लेकिन अब सैलानियों की इंतजार की घड़ी समाप्त होने वाली है। पार्क के चीला रेंज के रेंजर अजय कुमार शर्मा ने बताया कि पार्क को 15 नवंबर से सैलानियों के लिए खोल दिया जाएगा। जिससे पार्क के अंदर पर्यटकों की आवाजाही शुरू हो जाएगी।

जल संस्थान की लीकेज से बढ़ा लोनिवि का सिरदर्द

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देहरादून। जल संस्थान की बेफिक्री के कारण शहर के अलग-अलग हिस्सों में दस जगह पर पाइप लाइन लीकेज से हर दिन लाखों लीटर पानी सड़कों पर बर्बाद हो रहा है और अधिकारियों को पता ही नहीं। मामला तब प्रकाश में आया जब पानी बहने से सड़कें खराब होने लगी और लोक निर्माण विभाग ने जल संस्थान को इन लीकेज के बारे में जानकारी देते हुए ठीक करने को कहा।

इन जगहों पर आज नहीं बल्कि पिछले कई दिनों से पानी की बर्बादी हो रही है। जिस कारण इन लाइनों से सप्लाई वाले इलाकों में लोगों को पेयजल किल्लत से भी जूझना पड़ रहा है। जब इनके कारण लोक निर्माण विभाग को परेशानी हुई तो विभाग ने शहर के इन तमाम स्थानों को चिह्नीत कर सूचीबद्ध किया। इसके बाद जल संस्थान के अधिशासी अभियंता को इस सूची को भेजते हुए कहा है कि इससे सड़कों को काफी नुकसान पहुंच रहा है, जिस कारण मामले को संज्ञान में लेते हुए जल संस्थान ने इस सभी लीकेज को जल्द ठीक कराए। इनमें डालनवाला क्षेत्र तो ऐसा हैं जहां एक नहीं बल्कि दर्जनों जगहों पर पाइप लाइन फटी हुई हैं और वहां सड़क भी टूटकर गड्ढों में तब्दील हो चुकी है।
जल संस्थान के अधिशासी अभियंता मनीष सेमवाल ने कहा कि जहां भी पानी की लीकेज होती है जल संस्थान तुरंत अपने कर्मचारी भेजकर लाइन ठीक करा देता है। इन जगहों पर निरीक्षण किया जाएगा, जहां भी लीकेज होगी तुरंत ठीक कराई जाएगी।
इन जगहों पर लीकेज
-आराघर अजंता बैंड के सामने।
-सुभाष रोड के पूर्व सैनिक दफ्तर के पास
-सीएमआई तिराहे पर
-नगर निगम से आगे पावर हाउस के पास
-क्रास रोड में गोयल पैथोलॉजी के समीप
-सर्कुलर रोड वेल्हम ब्वायज के पास
-कर्जन रोड सतपाल महाराज के घर के पास
-कर्जन रोड वन निगम दफ्तर के पास
-कर्जन रोड सर्कुलर रोड तिराहे पर।
-डालनवाला में विभिन्न जगहों पर। 

दून में एक से तीन तक नहीं भेजे जाएंगे पानी टैंकर

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देहरादून। अब अगर आपके घर दिन के एक से तीन बजे के बीच पानी खत्म हो गया है तो जल संस्थान से पानी के टैंकर भेजने की उम्मीद न कीजिए। क्योंकि, दून शहर में दिन के एक से तीन बजे तक पानी के टैंकरों की सप्लाई पर रोक लगा दी गई है। जल संस्थान की मानें तो ऐसा यातायात व्यवस्था केे मद्देनजर निर्णय लिया गया है।

बता दें कि दून में जल संस्थान मुख्य रुप से टैंकरों की सप्लाई परेड ग्राउंड स्थित नलकूप से करता है। दिन में एक से तीन बजे का समय स्कूलों की छुट्टियों का माना जाता है। साथ ही इसी समय जब पानी के टैंकरों की सप्लाई की जाती है तो पहले ही वाहनों की रेलमपेल होती है और टैंकरों के कारण शहर पूरी तरह से जाम हो जाता है। इसकी वजह यह भी है कि दून में सिर्फ एक या दो टैंकर से सप्लाई नहीं दी जाती, बल्कि सरकारी व प्राइवेट मिलाते हुए 500 से ज्यादा टैंकर विभिन्न इलाकों में पानी की आपूर्ति करते हैं। अब सोचनीय है कि यदि पांच सौ टैंकर दोपहर में शहर में निकलेंगे तो निश्चित रुप से जाम जैसी स्थिति पैदा होगी। जल संस्थान के अधिशासी अभियंता मनीष सेमवाल ने बताया कि यातायात पुलिस के साथ हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया था। जहां भी टैंकर से पानी की सप्लाई करने की जरूरत पड़ेगी वहां एक बजे से पहले और तीन बजे के बाद ही टैंकर भेजा जाएगा।
अवैध कनेक्शन कराएं वैध
जल संस्थान ने दून में पानी के अवैध कनेक्शनों के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है। अधिशासी अभियंता का कहना है कि अभियान के पहले चरण में लोगों से अपील की जा रही है कि वह स्वत: ही पहल करते हुए अपने पानी के अवैध कनेक्शनों को वैध करा लें। जो लोग अभी कनेक्शन वैध नहीं कराएंगे तो जल संस्थान उनके खिलाफ कनेक्शन काटने की कार्रवाई की जाएगी।

बच्चों के साथ पीएम नरेंद्र मोदी ने किया योग

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सुबह छह बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी के प्रशिक्षु अधिकारियों और केंद्रीय विद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ योग किया। 

अपने दो दिवसीय दौरे पर मसूरी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मसूरी पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया गया। दोपहर दो बजे पीएम मोदी वायुसेना के विशेष चॉपर से पोलो ग्राउंड पहुंचे। पोलो ग्राउंड में प्रोटोकॉल मंत्री धन सिंह रावत, एलबीएस अकादमी की निदेशक उपमा चौधरी, कमिश्नर दिलीप जावलकर ने बुके देकर उनका स्वागत किया। क्षेत्रीय विधायक गणेश जोशी, टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह, पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल, पूर्व पालिकाध्यक्ष ओपी उनियाल, मंडलाध्यक्ष मोहन पेटवाल ने भी पीएम का स्वागत किया। इस दौरान पूर्व पालिकाध्यक्ष ओपी उनियाल ने गणेश सैली में लिखी मसूरी मेडले पुस्तक पीएम मोदी को भेंट की।

पोलो ग्राउंड हेलीपैड पर तिब्बती बैंड की धुन से प्रधानमंत्री का स्वागत किया गया। इसके बाद वह कार से एलबीएस अकादमी पहुंचे। उन्होंने कालिंदी गेस्ट हाउस और सरदार पटेल सभागार में एकेडमिक काउंसिल के सदस्यों से वार्ता की। अकादमी के कालिंदी गेस्ट हाउस से उन्होंने वहां से हिमालय का दीदार भी किया। इस गेस्ट हाउस से 12 महीने हिमालय की बर्फ से ढकी पर्वतमालाओं का दीदार होता है। शाम को प्रधानमंत्री ने प्रशिक्षु अधिकारियों की ओर से आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम इंद्रधनुष में भी शिरकत की। इस दौरान प्रधानमंत्री के मसूरी दौरे को लेकर पुलिस प्रशासन पूरी तरह सतर्क रहा। एलबीएस अकादमी और हैप्पी वैली पर पुलिस का कड़ा पहरा दिखा।

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केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के जवान और पीएसी को भी सुरक्षा व्यवस्था में लगाया गया है। इससे पूर्व दिल्ली से देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचने पर राज्यपाल डॉ.कृष्ण कान्त पाल एवं मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का स्वागत किया। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, विधायक हरबंश कपूर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, डीजीपी श्री अनिल रतूड़ी आदि मौजूद थे।

जाम से जूझे लोग
प्रधानमंत्री के आगमन के दौरान मसूरी में एलबीएस अकादमी मार्ग को तीन घंटे के लिए डायवर्ट किया गया। इस दौरान हैप्पीवैली क्षेत्र जीरो जोन रहा। पीएम का काफिला जैसे ही पोलो ग्राउंड से एलबीएस अकादमी की ओर निकला, पूरे मार्ग पर वाहनों को रोक दिया गया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने भी हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन स्वीकार किया। प्रधानमंत्री ने सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और सरदार पटेल की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। उसके बाद वह अकादमी के प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों से मिले। उन्होंने 92वें फाउंडेशन कोर्स के प्रशिक्षु अफसरों के साथ फोटो भी खिंचवाया।

आज दिल्ली रवाना होंगे पीएम
बह छह बजे प्रधानमंत्री अकादमी के प्रशिक्षु अधिकारियों और केंद्रीय विद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ योग करेंगे साथ ही इसके बाद उनका घुड़सवारी का आनंद लेंगे। इसके बाद सुबह नौ बजे ऑडिटोरियम का शिलान्यास करेंगे वसंपूर्णानंद हॉल में प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों को संबोधित करेंगे। इसके बाद वे पोलो ग्राउंड हेलीपैड से जौलीग्रांट होते हुए दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे।

अक्षय पर भड़के मल्लिका के पिता विनोद दुआ

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स्टार प्लस पर लौटे कामेडी शो ‘द ग्रेट लाफ्टर इंडियन’ में कुछ सही नहीं हो रहा है। इस शो में अक्षय कुमार सुपर जज की कुर्सी पर हैं। पहले सप्ताह में टीआरपी में मात खाने के बाद इस शो की टीम ने शो के तीनों जजों को बाहर का रास्ता दिखा दिया।

चैनल ने शो के जजों की तिकड़ी मल्लिका दुआ, हुसैन दलाल और जाकिर हुसैन को बाहर करके साजिद खान और श्रेयस तलपड़े को नए जज के तौर पर साइन किया। अब इस शो को लेकर एक और विवाद गहराता जा रहा है। मल्लिका दुआ के पिता और देश के जाने माने पत्रकार विनोद दुआ ने शो के दौरान अक्षय कुमार द्वारा उनकी बेटी को लेकर कहे कुछ शब्दों पर गहरी आपत्ति जताते हुए अक्षय कुमार को खरी खोटी सुनाई है।

इस शो में अक्षय कुमार ने कहा था कि, “मल्लिका जी आप घंटा बजाओ, मैं आपको बजाता हूं।” विनोद दुआ ने अक्षय द्वारा बोले गए इन शब्दो को आपत्तिजनक मानते हुए इनको महिला अपमान और सभ्यता से जोड़ दिया है। बाद में विनोद दुआ ने सोशल मीडिया से इस पोस्ट को हटा दिया। इस विवाद पर अक्षय कुमार की सफाई भी सामने आई है। उनकी ओर से कहा गया है कि जज की कुर्सी से हटाए जाने के बाद ये पब्लिसिटी स्टंट किया जा रहा है। अक्षय ने दावा किया कि उनकी बात में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है।

अरबाज ने कहा- मई 2018 से शुरु होगी दबंग 3

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सलमान खान की फिल्म ‘दबंग’ की तीसरी कड़ी की शूटिंग अगले साल मई में शुरु होगी। ये जानकारी अरबाज खान ने दी, जो इस फिल्म के निर्माता हैं। अरबाज ने कहा कि इस वक्त फिल्म की स्क्रिप्ट पर काम चल रहा है। दबंग की दो कड़ियां लिखने वाले लेखक दिलीप शुक्ला इन दिनों फिल्म की स्क्रिप्ट पर काम कर रहे हैं।

अरबाज का कहना है कि स्क्रिप्ट फाइनल होने के बाद फिल्म की बाकी कास्टिंग का काम शुरु होगा और मई में फिल्म सेट पर जाएगी। ‘दबंग 3’ का निर्देशन प्रभुदेवा कर रहे हैं, जबकि दबंग 2 का निर्देशन खुद अरबाज ने किया था। ‘दबंग’ की पहली कड़ी के निर्देशक अनुराग कश्यप के भाई अभिनव कश्यप थे।

‘दबंग’ को मिली सफलता के क्रेडिट को लेकर अभिनव का सलमान और अरबाज के साथ इतना टकराव हुआ था कि ‘दबंग 2’ से उनको अलग कर दिया गया था। अरबाज ने ये भी कहा कि वे इस बार भी फिल्म में मक्खी का किरदार खुद करेंगे। उन्होंने ‘दबंग 3’ में सोनाक्षी सिन्हा के होने के संकेत दिए, लेकिन बाकी कास्टिंग की बात को वे हवा में उड़ा गए और इंतजार करने के लिए कहा।

अरबाज इस सवाल पर भी चुप रहे कि ‘दबंग 3’ को रिलीज कब किया जाएगा। अगले साल 2018 में ईद के मौके पर सलमान की ‘रेस 3’ रिलीज होगी और 2019 में ईद के मौके पर सलमान की फिल्म भारत परदे पर आएगी, जिसका निर्माण सलमान के बहनोई अतुल अग्निहोत्री कर रहे हैं और अली अब्बास जाफर इसके निर्देशक होंगे।

पलायन एक चिंतन: भराड्सर ताल

दिनांक-10-10-2017

गांव की सुबह चिड़ियों की पहली चहचाहट के साथ ही खुल गयी। लेकिन रात के सफर की थकान और इस ठंड में गर्म बिस्तर के मोह के कारण हम उस घर की चहल-पहल को नजर अंदाज कर नींद की हल्की-फुल्की झपकीयों का आनंद लेते रहे। सुबह की चाय ने हमारा ये आलस्य दूर कर दिया। चाय की चुस्की के साथ मेरे साथी भवन के अंदर की काष्ठ कला को अभिभूत होकर देखते रहे, लेकिन मेरे लिये ये सब नया नहीं था, क्यों की रौंतेली रंवाई के इस खूबसूरत परिवेश में पला-बढ़ा हूँ।

कमरे से बाहर निकलते ही सामने विशाल पहाड़ और उस पर घने जंगल को चिरती टेड़ी-मेड़ी पतली से पगडंडी जो नीचे गहरी खाई में बहती सुपीन नदी की तरफ जाती है। गहरी खाई में बहती नदी को देख कर लगा की कल रात अंधेरे में हमने काफी लंबा सफर तय किया। हमारे साथी गाँव के अदभुत और बेजोड़ काष्ठ कला के भव्य मकानों और उसके आस-पास फैली प्राकृतिक छटाओं के साथ ग्रामीणों की स्थानीय वेषभूषा की फोटो अपने कैमरे में कैद करने में मशगूल थे। जिस घर में हम रूके थे वहां शौचालय की पक्की व्यवस्था थी जिसके लिये मैंने प्रधानमंत्री जी के प्रति शौच करते हुऐ कृतज्ञता भी प्रकट करी।

घर की रसोई में बड़े जोर-शोर से ग्राम प्रधान प्रहलाद रावत की पत्नी और परिवार की अन्य महिलायें हमारे लिये सुबह का नाश्ता तथा लंच पैक तैयार कर रहे थे। प्रधान जी गाँव से आगे के सफर के लिये खच्चर और पोटर की व्यवस्था पर लगे थे। बाहर आंगन में हमाम पर पानी गर्म था जो इस इलाके में लगभग हर घर में होता है जिसमें लकड़ी जलाकर पानी गर्म किया जाता है। जो एक तरह का पहाड़ी गीजर है। इसमें जितनी मात्रा में ठंडा पानी डालो ये उतनी मात्रा में गर्म पानी बाहर देता है। सभी मेहमानों ने गर्म पानी से आवश्यकता अनुसार अपनी देह को सफर के लिये तरो ताजा किया।

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सुबह की गुनगुनी धूप में बाहर छजे पर पहाड़ी जखिया के तुड़के में बनी स्वादिष्ट मैगी के साथ गर्मा-गर्म चाय ने ऊर्जा का नया संचार किया। विदाई से पूर्व प्रधान प्रहलाद भाई ने हमें स्थानीय हिमांचली टोपी के सम्मान से नवाजा तथा दल की एक मात्र महिला सदस्य तनु जोशी को प्रधान जी की अध्यापिका पत्नी ने शाल भेंट कर सम्मानित किया। आतिथ्य संस्कार के इन भावुक छणों से हम अभिभूत थे। रैकचा गाँव और ग्राम प्रधान के इस अपनेपन के हम आजीवन आभारी रहेंगे।

ठाकुर रतन भाई के नेतृत्व में हमने रैकचा गाँव से सटे फिताडी गाँव के ग्राम देवता सोमेश्वर महाराज के मंदिर से यात्रा का प्रारंभ किया। यहां के हर मंदिर की छत पर लकड़ी से बना मुनाल और बकरी इस हिमालयी समाज के ऐतिहासिक पहलू को दर्शाता था। मंदिर में लकड़ी के मुख्य द्वार पर हर दौर के सिक्के और नाग तथा हाथी घोड़े के अनेक भित्ति चित्र खुदे होने से हम मंदिर की पौराणिकता को समझ आती है। जो लगभग यहां के हर प्राचीन मंदिर में देखने को मिलता है। महासू मंदिर के उल्ट यहाँ के अधिकांश मंदिर तीन गर्भ गृह की जगह एक ही गृभ गृह के कम ऊंचाई वाले मंदिर थे।

अंततोगत्वा हम लंबे समय से ठप पड़ी सड़क पर सिधे-सिधे रैकचा से कासला गाँव के लिये चल पड़े जो यहाँ से लगभग दो-ढाई किलोमीटर की दूरी के सिधे-सपाट रास्ते पर था। सड़क के इर्द-गिर्द लाल केदार-मारछा की खेती हमें अभिभूत कर रही थी। पीठ पर घास का बोझा लादी ग्रामीण महिलाऐं इस पर्वतीय राज्य की अन्य ग्रामीण महिलाओं के जस के तस हालातों का प्रतिनिधित्व कर रही थी। मेरे कालेज के साथी जयमोहन राणा, रोजी राणा, रैकचा के प्रधान प्रहलाद रावत, राजपाल रावत, प्रहलाद पंवार, दिनेश सिंह,जुनैल सिंह,और हमारा गाइड सुरेन्द्र चार खच्चरों पर हमारा समान लाद कर काफिले में साथ हो लिये।

कासला गाँव पंहुच कर हमने मंदिर प्रांगण में बच्चों को पढ़ा रही आंगनवाड़ी कार्यकत्री और ग्रामीणों से चाय पीते हुऐ स्थानीय समस्याओं पर बातचीत करी। हमारे साथ स्थानीय एसडीएम की उपस्थिति की पूर्व खबर और सर-बडियार की हमारी यात्रा के पुराने किस्सों और अनुभवों के कारण यहाँ के विद्यालय चाक चौबंद दिखाये दे रहे थे।

कासला से राला गाँव की ऊंची पगडंडी पर बढ़ते हुऐ नदी की ठीक उस पार ऊंची पहाड़ी के ढालदार मैदान पर एक बहुत बड़ा गाँव लिवाडी दिखाई दिया जो इस क्षेत्र की पंचगाई पट्टी का सबसे आखिरी गाँव था। गाँव के लिये एक ऊंची चट्टान पर सड़क काटता हुआ एक जेसीबी भी नजर आया। जिसे देखकर ऐसा महसूस हो रहा था मानो 15 अगस्त सन 1947 को यह जेसीबी सड़क काटने के लिये दिल्ली से निकला हो इसे लिवाडी आते-आते 70 साल लग गये हों। ये असल में सिर्फ एक जेसीबी ही नही हमारी सरकारों की कछुवा चाल का जीता-जागता उदाहरण था। जिसे देख कर हम खुशी जाहिर करें या अफसोस यह कह पाना बड़ा मुश्किल था। इस गाँव में मेरा दोस्त नरेन्द्र परमार अभी हाल में ही शिक्षक के रूप में तैनात हुआ है। गाँव की विकटता और जिस बदहाल संचार व्यवस्था का जिक्र उसने कुछ दिन पहले मुझसे किया था वो मैं भली-भांति समझ पा रहा था।

कासला से लगभग 2 किलोमीटर तक पशुओं के सूखे गोबर से भरे और उन पर मंडराते काले किट-पतंगो से भरी पगडंडी पार कर हम जब राला गाँव पंहुचे तो पानी की एक पाइप लाइन से बहते बेतहाशा शितल जल से हमने अपनी तीस बुझाई। गाँव के बिच से गुजरते हुऐ हम गाँव वालों की निगाहों के सवालों से रूबरू हुऐ। जो शायद हम से हमारा गंतव्य पूछ रहे थे। लेकिन हमारे पथ की दिशा उन्हें हमारे भराड्सर की यात्रा का बोध कर रही थी।

राला गाँव के स्कूल पंहुच कर बेहद अनुशासन पूर्वक बच्चों द्वारा “गुड मार्निग सर” के सामूहिक अभिवादन से अभिभूत होना पड़ा। पिछे छूटा जब भी कोई साथी आता तो बच्चे ऐसे ही बार-बार खड़े होकर सबका अभिवादन करते। स्कूल का भवन सर-बडियार की अपेक्षा बेहद अच्छी हालात में था। बगोरी-हर्षिल के एक नौजवान अध्यापक भी तन्मयता से बच्चों को पढ़ा रहे थे। स्कूल की भोजन माता सभी आगुंतकों के लिये कुर्सी ला रही थी। आंगन साफ सुथरा वा आस पास की तरतीब से कटी झाड़ीयां बता रही थी की ये सिर्फ हमें दिखाने के लिये किया गया ड्रामा नहीं अपितु वास्तव में स्कूल प्रबंधन बेहतर अध्यापकों के हाथ में था। जो हमारे लिये काफी सूकून देय एहसास था।

बाकी साथियों को पिछे छोड़ हम कमजोर चाल वाले यात्री अजय कुकरेती, तनु जोशी और मैंने चाय का मोह त्याग सामने खड़ी चढाई के लक्ष्य को समय से पूरा करने का निर्णय लिया। खट्टी-मीठी टाफी को चूसते हुऐ हम ने जैसे ही उस ऊंचे रास्ते को पार किया तो सामने एक और ऊंची पगडंडी का कठिन सफर मुंह उठाये खड़ा था। हमने थोड़ा मखमली घास पर सुस्ताते हुऐ थकान को मिटाया और बाकी सभी साथियों का इंतजार करने लगे। धिरे-धिरे खच्चर वालों के साथ हमारे सभी साथी पंहुच गये। जिनमें स्थानीय साथियों और मनमोहन असवाल, रतन भाई, सौरभ और गणेश काला की रफ्तार सबसे तेज थी। वे सबसे देर में निकलते और सबसे पहले पंहुच जाते। जबकि मुकेश बहुगुणा ,दलबीर रावत, पिंटू धस्माना और नेत्रपाल यादव बेहद संतुलित चाल से चल रहे थे।

थोड़ा सुस्ताने और तंबाकू-पानी के बाद हम फिर ऊंचे पहाड़ों के इस खुशनुमा सफर पर बढ़ चले। समय रहते हमें अपने आज के पड़ाव देववासा तक पंहुचना था। हालांकि गाँव वालों का मानना था की आज हम किसी भी सूरत में देववासा नहीं पंहुच पायेंगे। फिर भी हम हिम्मत रखते हुऐ चल पड़े। दोपहर पार हो चुकी थी बेहद भूख लगने के बावजूद भी रतन भाई की डांट के डर से मैं भोजन करने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था।

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अब सबसे आगे चलने का मोर्चा मैंने संभाल रखा था लेकिन जल्दी ही स्थानीय सहयात्रीयों और मनमोहन असवाल हमें पिछे छोड़ते हुऐ आगे निकल पड़े। एक लंबी खड़ी चढाई को पार कर रतन असवाल ने सबको भोजन करने की सलाह दी तो मेरी जान में जान आ गयी। मैने अपने लंच पैक को खोला तो प्रधान प्रहलाद रावत ने चार पूरी और मिक्स सब्जी का एक बेहतरीन बंच तैयार कर रखा था। जिसे मैंने एक विदेशी शैलानी की भांति एक साथ बरगर की तरह खाना शुरू किया। एक लंच पैक एक्स्ट्रा था वो प्रधान जी के कहने पर मैने अपने खच्चर वाले सहयोगी और उसके साथी को दे दिया। इसी तरह हम सब ने बांट कर भोजन किया और बोतल में भरे ठंडे पानी से अपनी प्यास बुझाई।

लगभग चार बजे भोजन से तृप्त होने के बाद हम आगे बढ़े तो बुग्याल और पेड़ों का खूबसूरत साझा जंगल देखने को मिला। अब चलते-चलते बेतहाशा थकान से हम ढिले पढ़ने लगे। इसलिए वस्तु स्थिति का भांपते हुऐ ठाकुर रतन असवाल ने इस “सुराल” के जंगल में ही एक जगह पानी के नजदीक रात्री विश्राम करने का फैसला लिया।

खच्चरों से सामान उतारा गया और फटाफट उपयुक्त जगह पर टेंट खड़े किये गये। हमारे खच्चर वाले ने जब खच्चर की पीठ से प्लान उतारा तो बेहद आत्मीयता से खच्चर की पीठ को सहलाने लगा। दोनों के बेहद भावात्मक लगाव को देख लगा की पशु और पशु स्वामी के बीच के ये रिश्ता आज का नहीं सदियों पुराना है। एक दूसरे के प्रति समर्पण का यह भाव मुझे अंदर तक प्रभावित कर गया। खच्चर वाले से बातचीत कर जान-पहचान बढ़ी तो पता चला वो फिताडी गाँव का किर्तम सिंह है जिसे मैंने प्यार से मामटी बोलना शुरू किया जो गढ़वाल के भैजी और कुमाऊँ के दाज्यू के समान आत्मीयता भरा संबोधन है। किर्तम मामटी भराड़सर के देवता का अनन्य भक्त था जिस कारण उसे नीजी हांथों से तैयार भोजन को ही खाने की बंदिशे थी। जब उसका खाना बनता तो हम सब में से किसी को भी उसके चूल्हे को छूने तक की इजाजत ना थी।

खैर मुकेश बहुगुणा के नीजी टेंट को महिला आरक्षण के तहत अलग से तनु को समर्पित कर हम एक टैंट में तीन लोग काबिज हो गये। टेंट से उचित दूरी पर जंगल से लकड़ी इक्कठा कर भट्टा जलाया गया। खिचड़ी के साथ फिताडी से जयमोहन द्वारा लायी गयी बकरे की एक रान को छोटे-छोटे टुकड़े में भून कर सिग्नेचर की वाइन के साथ परोसा गया। मैं और तनु तथा अजय कुकरेती भाई शरीफ और सज्जन शाकाहारी प्राणी की भांती खिचड़ी खा कर ही संतोष पूर्वक सो गये।