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अब सेटेलाईट से जुडेंगे गांव 

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पिथौरागढ़ – बीएसएनएल अल्मोड़ा परिक्षेत्र के महाप्रबंधक अनिल कुमार गुप्ता ने कहा कि संचार सुविधा से वंचित क्षेत्रों में अब विभाग लोगों को सेटेलाइट फोन उपलब्ध कराएगा। इसके लिए लोगों को लाइसेंस लेना होगा। उन्होंने कहा कि धारचूला, मुनस्यारी और बेरीनाग जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में संचार सुविधाओं को बेहतर करने के लिए यह प्रयास किया जा रहा है। इसके सार्थक परिणाम जल्द सामने आएंगे।

शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि सीमांत जिले पिथौरागढ़ की इंटरनेट सेवाओं में बार-बार आने वाला व्यवधान अगले पंद्रह दिन में दूर कर लिया जाएगा। बीएसएनएल ने तमाम पुराने उपकरणों को हटाकर नए उपकरण लगाने का काम शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि इंटरनेट सेवा के लिए वर्ष 2002 में उपकरण लगाए गए थे जो काफी पुराने हो चुके हैं। इससे कई बार सेवाओं में व्यवधान की शिकायत आती रहती है। उन्होंने बताया कि दूरसंचार ने जनपद अल्मोड़ा के अंतर्गत हवालबाग, ताकुला, लोहाघाट और बागेश्वर को केंद्र सरकार की विशेष योजना में शामिल किया है।

योग प्रशिक्षितों ने की विद्यालयों में योग विषय शुरू करने की मांग

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गोपेश्वर। चमोली जिले के योग प्रशिक्षितों ने रविवार को जिला मुख्यालय गोपेश्वर में एक बैठक आयोजित कर सरकार से मांग की है कि योग को विद्यालयी पाठ्यक्रम में अनिवार्य शिक्षा के रूप में किया जाए। ताकि योग प्रशिक्षितों को इससे रोजगार मिल सके।

रविवार को गोपेश्वर में आयोजित बैठक में योग प्रशिक्षितों का कहना था कि एक ओर केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक सभी योग को सींखने की बात कर रहे हैं लेकिन योग को विद्यालयी शिक्षा में अलग विषय के रूप में शामिल नहीं किया जा रहा है। यदि सरकार ऐसा करती है तो उत्तराखंड के तमाम योग शिक्षकों को इसमें तैनात कर उन्हें रोजगार मिल सकता है। उन्होेेंने कहा कि योग प्रशिक्षित बेरोजगारों द्वारा एक लंबे समय से जनपद के विभिन्न हिस्सों में नि:शुल्क योग शिविरों का अयोजन किया जा रहा है, जिसका आशातीत लाभ भी लोगों को मिल रहा है और सभी इसको सफल कार्यक्रम बता रहे है। इसके बाद भी सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है।

योग प्रशिक्षितों ने मांग की है कि योग को विद्यालयी शिक्षा में एक अलग विषय के रूप में खोल कर पद सृजित किये जाए ताकि योग प्रशिक्षितों को रोजगार मिल सके। बैठक में संदीप शाह, बबीता नेगी, महावीर कंडियाल, प्रदीप कुमार, प्रेम प्रकाश, चंदा रावत, अर्चना नेगी, प्रकाश गडिया, अंजना, कुसुम, माधुरी, जगत सिंह आदि ने अपने विचार रखे।

एतिहासिक गौचर मेले की अंतिम बैठक संपन्न

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गोपेश्वर। भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन 14 नवम्बर से चमोली जिले के गौचर में आयोजित होने वाले एतिहासिक मेले की अंतिम बैठक संपन्न हो गई। जिसमें मेले को संचालित करने के लिए विभिन्न कमेटियों को उनके दायित्व सौंपे गये है।
जिलाधिकारी चमोली की अध्यक्षा में संपन्न बैठक में डीएम ने सभी समितियों को निर्देश दिए हैं कि वे मेले के सफल संचालन के लिए 10 नवम्बर तक सभी व्यवस्थाओं का चाक-चौबंद करें। जिलाधिकारी ने कहा कि गौचर मेला एक एतिहासिक व राज्य मेला है। जिसके सफल आयोजन के लिए सभी की सहभागिता अपेक्षित है। मेला समिति के अंतर्गत गठित सभी समितियों की तैयारियों की समीक्षा करते हुए उन्होंने निर्धारित समय सीमा के अन्तर्गत गौचर मेले में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करने के निर्देश दिये।
मेले के दौरान आयोजित होने वाले कार्यक्रमों जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम, अतिथियों के स्वागत, शांति एवं सुरक्षा व्यवस्था, खेलकूद, गोष्ठियों का आयोजन, स्वास्थ्य शिविर, बिजली, पानी, सफाई आदि की व्यवस्था को भी समय से ठीक करने के निर्देश समितियों को दिये गये है।
बैठक में नगर पंचायत अध्यक्ष गौचर मुकेश नेगी, अपर जिलाधिकारी ईला गिरि, सीटीओ वीरेन्द्र कुमार, एसडीएम/मेलाधिकारी केएन गोस्वामी, एसडीएम योगेंद्र सिंह, डीडीओ आनंद सिंह, सीईओ एलएम चमोली, एसीएमओ डॉ पंकज जैन, जिला पर्यटन विकास अधिकारी एसएस यादव सहित समितियों के अध्यक्ष, जनप्रतिनिधि व विभागीय अधिकारी मौजूद रहे।

फर्जी तरीके से चल रहे शिक्षा मंत्री के जिले में स्कूल

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उधमसिंह नगर। प्रदेश में शिक्षा का स्तर लगातार गिरते जा रहा है जिसके लिए कई बार हाईकोर्ट सरकार को फटकार भी लगा चुकि है, बावजूद इसके प्रदेश की शिक्षा विभाग का सिस्टम है कि सुधरने का नाम नहीं ले रहा है, सूबे के शिक्षा मंत्री के ही गृह जनपद का हाल ये है कि यहां शिक्षा के नाम पर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड किया जा रहा है, और योजनाओं का लाभ लेने के लिए स्कूल प्रबन्धक फर्जीवाडे का विघालय चला रहे हैं।

जिस सूबे के शिक्षा मंत्री के गृह जनपद में ही शिक्षा का फर्जीवाडा चल रहा हो उस प्रदेश की शिक्षा का सिस्टम कितना बेहतर होगा ये अंदाजा आप लगा सकते हैं, उत्तराखण्ड के शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय के गृह जनपद उधमसिंह नगर के जसपुर ब्लाक में शिक्षा का एसा खेल चल रहा है जिसके बारे में सुनकर आप चौंक जाएंगे, ये जो स्कूल आपको दिखा रहे हैं वो वास्तव में स्कूल के नाम पर रजिस्टर्ड ही नहीं है, और छ सौ बच्चे इस इण्टर कालेज में पडते हैं, जबकि जिसे इण्टर कालेज दिखाया गया है वास्तव में वो मदरसे के नाम से रजिस्टर्ड है, और मदरसे के नाम पर ना तो यहां बच्चे पढते हैं और ना ही कोई स्टाफ है, दस्तावेजों पर मदरसा चलाया जा रहा है जबकि स्कूल के नाम पर कोई मान्यता नहीं है,यही नहीं मदरसे के सभी लाभ इसके प्रबन्धक द्वारा लिए जा रहे हैं, वहीं जब इसकी जानकारी के लिए समाचार प्लस की टीम स्कूल में पहुंची तो देखिये प्रबन्धक को किस तरह से अपनी कमियों को छुपा रहे हैं और समाचार पल्स की टीम को प्रलोभन देने का प्रयास कर रहे हैं।

वहीं जिस स्कूल को संचालित किया जा रहा है वहीं पढाने वाली शिक्षिकाए भी विघालय के रवैाये से नाखुश है उनका कहना है कि उनके द्वारा ट्रेनिंग तो स्कूल में की जा रही है लेकिन डीलीट के फार्म भरने के नाम पर स्कूल प्रबन्धन ने उनसे दस हजार रुपये की मांग की जबकि वास्तव में उसकी फीस साढे चार हजार होती है। वहीं इस मामले में शिक्षा विभाग के अधिकारी है कि चेन की नींद सोये है, और मीडिया द्वारा जानकारी देने के बाद बताया जा रहा है कि कार्यवाही की जाएगी।

पलायन एक चिंतन: भराड्सर ताल,भाग-3

दिनांक-12-10-2017

देववासा के ढलानदार बुग्याल पर लेगे हमारे टैंटों में रात को सोना सच में एक युद्ध अभ्यास जैसा साबित हुआ। बेहद कड़क ठंड के साथ तंबू के अंदर बिछी मैट और स्लीपिंग बैग का कोई तालमेल ही नहीं बैठ रहा था। बस लेटते ही हम नीचे की तरफ फिसले जा रहे थे। भविष्य में ऐसे हालात दोबारा ना हों इसके लिये ये अच्छा सबक था।सुबह उठे तो एहसास हुआ की इस जगह पर धूप आने में काफी देर है। इसलिए रातभर जलते चूल्हे के इर्द-गिर्द हमारा सुबह का जमावड़ा लग गया। काली चाय के मीठे घूंट और गपशप के साथ आराम से सब तैयार हुऐ।

वहीं थोड़ी दूर एक कोने पर सभी स्थानीय गाँवों के हमारे साथी धूप में सबसे अलग बैठे बातें कर रहे थे। मुझे लगा कि मुझे उनके बीच उनके साथ उस बातचीत का हिस्सा होना चाहिए। मैं पंहुचा तो वे सरकारों की अनदेखी बदहाल सड़क, बिजली और स्वास्थ्य की चर्चा पर मशगूल थे। रैक्चा के प्रधान प्रहलाद रावत ने मुझे अपनी बातचीत में शामिल करते हुऐ बताया की हमने अपने गाँव में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का जोरदार स्वागत किया था लेकिन उन्होंने भी सड़क के लिये हमें कागजी औपचारिकता में उलझा कर लौटा दिया, लेकिन तत्कालीन पंचायत मंत्री प्रितम सिंह के प्रयास से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़क के टेंडर कर जल्दी काम शुरू किया गया। यहां सड़क की बदहाल व्यवस्था के चलते ही इस क्षेत्र को ग्रामीण सेब फल पट्टी के रूप में विकसित नहीं कर पा रहे हैं। सरकारी योजनाओं की सैटिंग के लिये बदनाम मोरी ब्लाक के लोगों के लिये रोजगार के अन्य बेहतरीन विकल्प ना होने कि बात पर तो मुझे भी उनसे आंशिक रूप से सहमत होना पड़ा। गोविंद वन पशु बिहार के कारण टिहरी बांध की तर्ज पर वे भी विस्थापन के एवज में मोटे मुआवजा लेने के अलग-अलग सुझावों पर भी बात कर रहे थे, जिस पर हस्तक्षेप करते हुऐ मैंने उन्हें सरकार की वर्तमान विस्थापन नीती के खिलाफ पर्वतीय क्षेत्रों से मैदानी क्षेत्रों में विस्थापन के विरूद्ध इसी भौगोलिक वातावरण के समतुल्य दूसरे पर्वतीय क्षेत्र में विस्थापन की मांग पर जोर देने की सलाह दी। जिससे उनकी संस्कृति,खान-पान,वेश-भूषा, कृषी, पशु-पालन, भवन निर्माण शैली और भाषा दुष्प्रभावित ना हो। मैंने टिहरी से विस्थापित अपने रिश्तेदारों का हवाला देते हुऐ बताया की किस तरह वे आज अपने पहाड़ के अस्तित्व को खोकर पहाड़ और मैदान के बीच की अजीब सी अव्यवस्थित संस्कृति में जीने को मजबूर हैं। मेरी बात से सहमत होते हुऐ उन्होंने इस विषय पर नये सिरे से विचार करने की बात कही।

मुझे आज भी याद है 2007-08 में पुरोला के एक राजनीतिक कार्यक्रम पर आये कांग्रेस नेता राहुल गाँधी के सामने तब के नौजवान छात्र और हमारी इस यात्रा के स्थानीय साथी जयमोहन राणा ने यहाँ 60 रूपये किलो मोटा नमक खरीदने को मजबूर दुख भरे हालात से राहुल गांधी को चौंका दिया था। हम कितनी भी बड़ी बड़ी बातें कर लें लेकिन अपनी धरती और गाँव की ये तकलीफें इनके लिये रोजमर्रा की दिनचर्या का हिस्सा है। इतने दूर यहाँ के बाशिंदों के दुख-तकलीफ के साथ उनके मन के इस मर्म को दुनिया के सामने लाना भी हमारे इस अभियान का हिस्सा है।

रैक्चा-फिताड़ी से हमारे साथ आये सभी स्थानीय साथियों में प्रधान प्रहलाद रावत, प्रह्लाद पंवार, राजपाल रावत,जयमोहन, रोजी सिंह, कृष्णा के साथ हमारे पलायन एक चिंतन दल के साथी और असिस्टेंट कमिश्नर फाइनेंस मनमोहन असवाल ने आज यहाँ से वापस रैक्चा-फिताडी लौटना था। गले लगाकर दोस्तों को विदा किया गया। बाकी सभी टीम के सदस्यों को आज देववासा से सीधे धार-धार लंबा सफर तय करते हुऐ भीतरी गाँव के लिये ढलानदार रास्ते से नीचे उतरना था। हमारे टीम लीडर रतन असवाल ने हम सब को सारा नीजी सामान खुद ही उठाने की हिदायत देते हुऐ सामान ढुलान पर लगी चार में से दो खच्चरों को वापस फिताडी भेज दिया।

मैं सीमा सुरक्षा बल का गुरिल्ला प्रशिक्षु रहा हूँ। सन 1998-99 के दौरान हिमांचल के सराहन और उत्तराखंड के ग्वालदम कैंप में जंगल ट्रैनिंग तथा माउंट ट्रेनिंग के का प्रशिक्षण लिया था। ये छण मुझे उन दिनों के एहसास और अनुभवों को याद करा रहे थे। आसपास के हालात में चलने से लेकर खाने-पिने के एहतियातन मैं बेहद सूझ-बूझ से काम ले रहा था। ऐसी जगह पर आप किसी पर लापरवाही के चलते बिमार या चोटिल होकर कर बोझ नहीं बनना चाहेंगे। इसलिए सही तरीके से अपना पिठु कस कर पीठ पर बांध कर मैं तैयार हुआ। चलते हुऐ मुझे एहसास होने लगा की खाली चलने से ज्यादा आरामदायक थोड़ा बहुत वजनदार सामान पीठ पर लाद कर चलना होता है।

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हम देववासा से लौटेने लगे तो एक ऊंची पहाड़ी से रतन असवाल ने हमें चारों तरफ फैले “हिमालय दिग्दर्शन” से परिचित कराया। एक तरफ चांगशील की ऊंची चोटी तक हिमांचल सरकार की सड़क दिखाई दे रही थी वहीं दूसरी तरफ उससे बहुत नीचे रूपीन सुपीन की नदी घाटियों के दोनों तरफ के गाँव तक भी सड़क से पूरी तरह नहीं जुड़े थे। हिमालय की बंदरपूंछ चोटी से लेकर राड़ी का बौख पर्वत तक वहां से दिखाई दे रहा था। सुदूर पर्वतों की ढ़लान पर लाल केदार मार्छा की खूबसूरत छटा हिमांचल और उत्तराखंड के गाँवों का एहसास करा रही थी।

आज के अगले सफर भीतरी गाँव की तरफ बढ़े तो फिर से एक खड़ी चढ़ाई भरे रास्ते ने मोर्चा खोल दिया। मैने झल्लाकर कर गाइड सुरेन्द्र से इस बाबत पूछा तो उसने हमेशा की तरह बड़ी साफगोई से कह दिया की बस ये सीधा-सिधा रास्ता है। फिर समझ आया की इनका सिधा सिधा रास्ता भी कितना खड़ी चढ़ाई भरा होता है। विकल्प हीन भारतीय जनता की तरह हम भी तमाम दुश्वारियों के बावजूद आगे बढ़ने के लिये मजबूर थे।

लगभग डेढ़ किलोमीटर बाद तो हम मानों दुनिया के सबसे खूबसूरत पहाड़ी रास्ते पर थे। जो हरे-भरे बुग्यालो के बीचों-बीच शानदार छफुटी के रूप में सिधा निकल रहा था। बेहद सुगंधित खुशबू हमें आसपास कस्तूरी मृग के होने का एहसास करा रही थी। हो सकता है वो खुशबु बुग्यालों में अज्ञात जड़ी-बूटीयों या औषधिय पौधों की रही हो। खैर हम सब एक उत्साह से अपने ढलते सफर की तरफ बढ़ चले गये। चलते-चलते रास्ते में गुड़ चना खाते हुऐ एक घाटी से हमें सांकरी का छोटा सा बाजार नजर आने लगा तो मोबाइल पर नेटवर्क मिलने की उम्मीद जाग उठी फोन खोला तो हाल जस के तस थे। घर पर पिछले तीन दिनों से कोई बात नहीं हुई थी। इस दौर में बिजली और मोबाइल सेवा से इस क्षेत्र के ग्रामीण लोगों के कटे होने का एहसास हमें समझ आ रहा था। लगभग 10 किलोमीटर चलने के बाद आसमान में काले बादल मंडराते नजर आये तो बारिश का डर सताने लगा।

हम पथरीली ढलान पर एक घने जंगल में बने जंगलात के एक जीर्ण-शीर्ण पैदल रास्ते पर चल रहे थे। जो शायद काफी समय खुद के बदहाल हालत का बयान कर रहा था। ट्रैकिंग के नजरिये से बेहद खूबसूरत इस रास्ते की सबसे बड़ी कमी दूर-दूर तक पानी का नामो-निशान ना होना था। हम सब बेहद संतुलित मात्रा में पानी का घूंट पी कर चल रहे थे। तनु जोशी, नेत्रपाल यादव, सौरभ और मुझे छोड़ सभी लोग काफी आगे निकल चुके थे। शाम ढलने को थी। हमारे साथ सबसे आखिरी में रास्ते भटकने के एहतियातन हमारा पोटर जुनैल भी चल रहा था। हमसे थोड़ा दूरी पर आगे अजय कुकरेती और दलबीर रावत भी धीमी रफ्तार से आगे सरक रहे थे। चढ़ाई की तरह ढलान पर तेज चलना भी कठिन होता है।

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काफी नीचे उतर आने के बाद हमें एक छोटे से बुग्याल में अपने नीले कैंप लगे दिखाई दिये। हमारे लिये ये राहत भरा एहसास था। लगभग 14 किलोमीटर चलने के बाद हमने भीतरी गाँव से लगभग 8 किलोमीटर ऊपर इस जंगल के पहले पानी के बहते स्रोत के पास “बणांग” नामक इस जगह को रात्रि विश्राम के लिया चुना था। चारों तरफ जंगल से घिरे इस बुग्याल में गुजरों का एक उजड़ा हुआ डेरा भी था। रतन भाई ने बताया जंगल में जहाँ गुजरों का डेरा होता है वह उस जंगल की सबसे शानदार और सुरक्षित जगह होती है। आस पास बांझ के पेड़ों की चोटी तक बारीक लोपिंग भी इस जगह पर गुजरों के नियमित प्रवास की पहचान करा रही थी।

हमारे पंहुचने से पहले कैंप के नजदीक जल रहे आग के भट्टे पर दाल का कुकर सिटी मार रहा था। आखिरी पदयात्री के रूप में जैसे ही हम कैंप में पंहुचे तो जबरदस्त बारिश और ओलों ने हमारा जोरदार स्वागत किया। हम सब टैंट में दुबक गये। बारिश थमी तो बाहर निकल कर चूल्हे की आग को दुरूस्त कर रात्रि भोजन की तैयारी में जुट गये।

रतन भाई द्वारा दाल का गर्म सूप तैयार किया गया था। जो गिलासों में भर भर कर पिया गया, जिससे हमें थकान मिटने के साथ ऊर्जा मिल रही थी। भोजन पकने के साथ साथ चूल्हे के आसपास किर्तम मामटी ने खच्चर के प्लान की बोरीयां बिछा कर बैठने की व्यवस्था कर दी।

महफिल सजने लगी होंठो पर हिमांचली और जौनसारी गीतों के सुर बुबुदाने लगे फिर रतन भाई और गणेश काला ने खुले कंठ से नरेन्द्र नेगी जी के गीतों की तान छेड़ी तो मुकेश बहुगुणा ने चुटकलों के ब्रेकअप से शमा खुशनुमा कर दिया। दलबीर रावत ने भी एक शानदार गीत गाया तो नेत्रपाल यादव को भोजपुरी गीतों की तान पर में नृत्य करना पढ़ा। कुछ एक कुंमाऊनी गानों पर तनु ने भी गला साफ किया तो हमारे स्थानीय गाइड सुरेन्द्र और पोटर जुनैल और खच्चर वाले किर्तम मामटी के साथ मैने लोकल गीतों के पर यथा संभव तांदी नृत्य किया।

भराड़सर की सफल यात्रा के एहसास भरे रोमांचकारी इन छणों में भोजन के बाद हम एक बार फिर खामोश जंगल की इस खूबसूरत रात के आगोश में सो गये।

एक गांव ऐसा भी जिसके चार सौ लोगों की जन्मतिथि आधार कार्ड में एक

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हरिद्वार। आधार कार्ड में लालढांग क्षेत्र के एक ही गांव के करीब चार सौ लोगों की एक जन्मतिथि अंकित होने का मामला प्रकाश में आया है। मामला संज्ञान में आते ही जिलाधिकारी दीपक रावत ने शनिवार को गांव में छापा मारा और कार्रवाई के निर्देश दिए। आधार कार्ड में बच्चों और माता-पिता की जन्मतिथि एक दर्शाई गई है।

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आधार कार्ड को सरकारी विभाग के अधिकारी और कर्मचारी ही पलीता लगा रहे हैं। एक ओर केंद्र सरकार हर चीज को आधार से लिंक करने की बात कह रही है। वहीं अधिकारियों की लापरवाही के कारण कई परिवारों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मामला बहादराबाद ब्लॉक के गुर्जर बस्ती का सामने आया। आधार कार्ड में पूरे परिवार की जन्मतिथि एक दर्शाई गई है। सात साल के बच्चे और 70 साल के दादा के साथ परिवार के सभी सदस्यों की जन्मतिथि एक जनवरी अंकित की गई है।
गुर्जर बस्ती निवासी वजीर चोपड़ा व जहांगीर ने बताया कि करीब दो वर्ष पहले प्राथमिक विद्यालय में आधार कार्ड बनाने का कैंप लगा था। उस समय पूरे परिवार के साथ कार्ड बनवाने गए थे। उन्होंने बताया कि जिन्होंने उस समय कैंप में आधार कार्ड बनाया। कैंप में तैनात कार्मिकों की लापरवाही से पूरे परिवार की जन्मतिथि एक जनवरी अंकित की गई है।
उन्होंने बताया कि अब हर जगह आधार कार्ड की आवश्यकता पड़ रही है, लेकिन सही जन्मतिथि नहीं होने से उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने बताया कि गुर्जर बस्ती में ही करीब चार सौ लोगों के आधार कार्ड में जन्मतिथि एक जनवरी अंकित की गई है।
बता दें कि मामला तब सामने आया, जब केन्द्र सरकार की योजना के मुताबिक वन गुर्जरों को निर्वासित किया जाना था। इसके चलते उन्हें भूमि आवंटित किए जाने की योजना थी। आधार कार्ड में सभी लोगों की जन्मतिथि एक जैसी आने पर मामले का पटाक्षेप हुआ। मामले के सामने आते ही जिलाधिकारी दीपक रावत ने आज गांव में छापा मारा और मामले की जांच के आदेश अधिकारियों को दिए।

डीएम ने ओडीएफ घोषित करने के निर्देश दिए

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पौड़ी। जनपद पौड़ी गढ़वाल में ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के तहत स्थानीय निकायों व ग्रामीण क्षेत्रों में ओडीएफ की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिलाधिकारी सुशील कुमार ने सभी स्थानीय निकायों को हर हाल में आगामी 31 अक्टूबर तक सभी वार्डों को ओडीएफ घोषित करने के निर्देश दिए।

बैठक में उन्होंने यूजर्स चाजर्स न लगाने वाली पौड़ी व श्रीनगर के ईओ को फटकार लगाते हुए इस कार्य में किसी भी तरह की कोताही न बरतने के भी निर्देश दिए। उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पट्टे धारकों को पट्टे वितरित करने, डोर टू डोर कूड़ा एकत्रित करने, सरकारी सम्पत्ति में अतिक्रमण की स्थिति के साथ ही फेरी नीति के लिए समिति का गठन करते हुए तत्काल बैठक करवाने के निर्देश उपजिलाधिकारियों तथा अधिशासी अधिकारियों को दिये। उन्होंने सभी स्थानीय निकायों में ट्रंचिंग ग्राउंड निर्माण के कार्यों में तेजी लाने के निर्देश देते हुए इन कार्यों में तत्काल प्रस्ताव तैयार करने की भी आवश्यकता जताई। बताया गया कि कोटद्वार में ट्रंचिंग ग्राउंड के लिए नई भूमि तलाशी गई है तथा सतपुली में प्रस्ताव बनाए गए हैं।
डीएम ने श्रीनगर के ट्रंचिंग ग्राउंड पर तंज कसते हुए ईओ को लताड़ लगाई और कहा कि इस ट्रंचिंग ग्राउंड के पास उगी झाड़ियों का तत्काल कटान करते हुए डीपीआर तैयार करें। उन्होंने श्रीनगर, पौड़ी, दुगड्डा, जोंक, सतपुली, व कोटद्वार के विस्तारीकरण के कार्यों में भी तेजी लाने के साथ ही इस कार्य के लिए बीएलओ तथा सूपरवाइजर नियुक्त करने के निर्देश उप जिलाधिकारियों को दिए। उन्होंने कूड़ा फेंकने वालों पर लगाम लगाने के लिए चालान करने को कहा।
इस मौके पर डीएफओ रमेश चंद, अपर जिलाधिकारी रामजी शरण शर्मा, एसडीएम सदर केएस. नेगी, एसडीएम कोटद्वार राकेश तिवारी, एसडीएम श्रीनगर एमडी जोशी, एसडीएम थलीसैंण कमलेश मेहता, एसडीएम लैंसडोन सोहन सिंह सैनी समेत कोटद्वार, पौड़ी व श्रीनगर तथा अन्य स्थानीय निकायों के अधिशासी अधिकारी उपस्थित रहे।

पौड़ी होगी पर्यटन नगरी के रूप में विकसित

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पौड़ी। पौड़ी को पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने के प्रयासों को लेकर शनिवार को विकास भवन सभागार में जिलाधिकारी सुशील कुमार की अध्यक्षता में बैठक आयोजित हुई। बैठक में डीएम ने खिर्सू-पौड़ी में पर्यटन हब, इको पार्क, एडवेंचर पार्क, मिनि स्टेडियम के साथ ही साहसिक पर्यटन की गतिविधियों जिसमें पैरा ग्लाडिंग से लेकर दूरबीन लगाए जाने तक की कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश जिला पर्यटन विकास अधिकारी को दिए। इस मौके पर विभिन्न क्षेत्रों में पर्यटन सर्किट बढ़ाए जाने के प्रस्तावों पर चर्चा हुई। इनमें कंडोलिया-झंडीधार-डांडा नागराजा तथा लैंसडोन-ताड़केश्वर-रतवाढाब क्षेत्रों में पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ाये जाने के प्रयास किए जाने पर चर्चा हुई।

बैठक में जिलाधिकारी ने उप जिलाधिकारियों को उनके क्षेत्रों में पर्यटन विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का मौका मुआयना करने के निर्देश दिए। उन्होंने कलाल घाटी व कर्ण्वाश्रम क्षेत्रों में पर्यटन की गतिविधियों को लिए पर्यटन विभाग द्वारा किये जा रहे कार्यों का भी निरीक्षण करने के निर्देश उप जिलाधिकारियों को दिए। उन्होंने गढ़वाल मंडल विकास निगम के गेस्ट हाउसों को हर प्रकार की सुविधा सम्पन्न करने तथा पुराने जर्जर गेस्ट हाउसों को अपडेट करने को कहा। इस मौके पर डीएफओ रमेश चंद, अपर जिलाधिकारी रामजी शरण शर्मा, एसडीएम सदर केएस नेगी, एसडीएम कोटद्वार राकेश तिवारी, एसडीएम श्रीनगर एमडी जोशी, एसडीएम थलीसैंण कमलेश मेहता, एसडीएम लैंसडोन सोहन सिंह सैनी, डीटीडीओ खुशाल सिंह नेगी आदि उपस्थित रहे।

रिस्पना को पुनर्जीवन के लिए सीएम की पहल का मैड ने किया स्वागत

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देहरादून। मेकिंग ए डिफरेंस बाई बीइंग द डिफरेंस (मैड) संस्था ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा इको टास्क फोर्स की 127वीं टुकड़ी को रिस्पना नदी के पुनर्जीवन हेतु गहन वृक्षारोपण करने के उत्तरदायित्व का स्वागत किया है।

इको टास्क फोर्स का नेतृत्व कर रहे कर्नल राणा ने मैड संस्था द्वारा नदियों को पुनर्जीवित किये जाने के प्रयासों का संज्ञान लेते हुए मैड से संपर्क साधा और नदी के बारे में जानकारी मांगी। मैड ने यह सुझाव दिया कि नदी एवं घाटी को समझने के लिए सबसे उपयुक्त यही होगा कि रिस्पना घाटी में जा कर उसका मुआयना किया जाए। कर्नल राणा तुरंत तैयार हो गए और शनिवार की सुबह रिस्पना घाटी की रेकी करने के लिए तय कर लिया गया।
शनिवार की सुबह शुरू हुई ट्रैक लगभग दोपहर तक चली। इन चार-पांच घंटों में मैड संस्था के सदस्यों ने इको टास्क फोर्स के साथ मिलकर रिस्पना घाटी को करीब से समझने की कोशिश की। न सिर्फ जल संवर्धन छेत्रों और स्रोतों को अपनी आंखों से देखा बल्कि झाड़िपानी के क्षेत्र में मॉक्रेट से आगे और थलयनी गांव के समीप सदस्यों ने खुद देखा कि कैसे रिस्पना घाटी में संगरक्षण हेतु और अधिक काम किया जा सकता है, जिससे रिस्पना का बहाव बहुत बढ़ाया जा सकता है।
मैड संस्था ने इको टास्क फोर्स का ध्यान राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान (एनआइएच) रुड़की द्वारा तैयार की हुई 2014 कि उस रिपोर्ट की ओर आकर्षित किया। जिसमें एनआइएच ने 2014 में ही रिस्पना को बारामासी नदी को दर्जा दे दिया था। संस्था ने यह तर्क दिया है कि क्यों ना इस एक वर्ष में रिस्पना नदी के बहाव को दोगुना करने का संकल्प लिया जाए।
राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान को इस अभियान के साथ जोड़ा जाए ताकि वो सारे माप ले सके और कोशिश कर सके कि आगामी बरसाती मौसम में जल को योजनाबद्ध तरीके से संघरक्षित किया जाए। इसके लिए जो भी जरूरी पौधे रोपे जाए, उसमें एफआरआई के विशेषज्ञों को अभियान के साथ जोड़ा जाए। इको टास्क फोर्स ने न सिर्फ धरातल पर उतर कर मैड के साथ कंधे से कंधा मिलाया बल्कि उनके विचारों को गौर से सुना।
मैड उम्मीद करता है कि इको टास्क फोर्स के पास रिस्पना की बागडोर आने से उसकी जो बदतर हालात शहर में हो रखी है, उसमे सुधार होगा। इस अभियान में मैड के संस्थापक अध्यक्ष अभिजय नेगी, विजय विनोद, अक्षत, राहुल, शिवम, हृदयेश, दक्ष समेत अन्य सदस्य मौजूद रहे।

सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन से होगी केदारपुरी निर्माण कार्यों की निगरानी: मुख्य सचिव

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मुख्य सचिव का पद संभालने के तुरंत बाद उत्पल कुमार सिंह ने कोदारनाथ का दौरा कर वहां हो रहे निर्माण कार्यों का जायज़ लिया। इससे मुख्य सचिव ने अपनी प्राथमिकताओं को साफ कर दिया है। उत्पल कुमार सिंह ने शनिवार को केदारनाथ पहुँचकर वहां किए जा रहे पुनर्निर्माण कार्यो का निरीक्षण किया। इनमे

  • सरस्वती नदी पर कराये जा रहे घाट निर्माण व बाढ़ सुरक्षा कार्य,
  • तीर्थ पुरोहितों का भवन-निर्माण कार्य,
  • एम.आई-26 हैलिपेड के पास किए जा रहे टू टियर बैरियर व ड्रेनेज सिस्टम और
  • पजांब सिंध लाॅज के समीप सरस्वती नदी पर हो रहे पुल निर्माण काम शामिल रहे।
CS Photo 02, dt.28 October, 2017-1 इस मौके पर मुख्य सचिव ने पुनर्निर्माण कार्यो में तेजी लाने के निर्देश दिए। गौरीकुंड से केदारनाथ तक सभी पड़ावों पर सीसीटीवी कैमरे लगाये जायं। जिससे कि निर्माण कार्यों की निगरानी की जा सके। इसके साथ ही माॅनिटरिंग के लिए ड्रोन का इंतजाम करने के लिए कहा। इसके साथ साथ
  • केदारनाथ मंदिर के पीछे की भूमि का समतलीकरण करने एवं उसका एक पार्क के रूप में लैण्ड स्केपिंग किया जायेगा।
  • मंदिर के पीछे समस्त मलबे एवं बोल्डरर्स को हटाने और वहां भी एक पार्क बनाया जायेगा। इस काम को एन.आई.एम.को  दिया जायेगा।
  • केदारनाथ मंदिर के चबूतरे/प्लेटफार्म को प्रधानमंत्री की इच्छा से बढ़ाया जायेगा।
  • केदारनाथ मंदिर को जानेवाले मुख्यमार्ग का निर्माण इस प्रकार किया जायेगा कि केदारपुरी में प्रवेश करते हुए यात्रियों को मंदिर का विराट एवं भव्य स्वरूप दिखायी दे।
  • केदारनाथ पुर्ननिर्माण कार्यों की माॅनीटरिंग हेतु विभिन्न स्थानों पर सी0सी0टी0वी0 कैमरे स्थापित कराये जांए ताकि पुनर्निर्माण/नवर्निमाण कार्यों की प्रगति किसी भी स्थान पर बैठकर देखी जा सके।
  • एन.आई.एम. को निर्देशित किया गया कि केदारनाथ में उरेडा के पावर प्लांट के प्रोजेक्ट को 15 दिन के अन्दर पूरा किया जाये।

हांलाकि मौसम खराब होने के कारण मुख्य सचिव पूरे इसाके का दौरा नहीं कर सके और बीच में ही वापस लौटना पड़ा। लेकिन उम्मीद की जा रही है कि उनके इस दौरे से केदार पुरी में हो रहे निर्माण कार्यों में तेज़ी आयेगी।