Page 379

गंगा तट पर चलाया स्वच्छता अभियान

0

ऋषिकेश, ‘स्पर्श गंगा अभियान’ के तहत बड़ी संख्या में लोगों ने गंगा तट पर स्वच्छता अभियान चलाया। सुबह गंगा तट त्रिवेणी घाट पर लोगों को साफ सफाई से रहने का संदेश दिया गया। सभी से कहा गया कि सामाजिक सहभागिता से ही स्वच्छता का सपना पूरा होगा। हर किसी को इस मिशन को आगे बढ़ाना होगा, ताकि शहर को साफ-सुथरा बनाया जा सके। स्वच्छ गंगा निर्मल गंगा का सपना सामूहिक प्रयासों से ही साकार हो सकेगा। करोड़ों देशवासियों की आस्था की प्रतीक मां गंगा को दूषित और प्रदूषित न करें।

स्वच्छता अभियान का नेतृत्व कर रही परशुराम महासभा की अध्यक्ष सरोज डिमरी ने बताया कि, “प्रत्येक रविवार को गंगा तटों पर स्पर्श गंगा अभियान के तहत जोरदार तरीके से स्वच्छता अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। आसपास का वातावरण साफ-सुथरा रखें, साफ-सफाई रखने से अच्छा लगता है, जिससे बीमारियां फैलने का डर नहीं रहता। हर कोई आसपास सफाई रखे तो इस मुहिम को पंख लग सकते हैं।”

उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर शहर गांव और कस्बे को स्वच्छ सुंदर बनाने का संकल्प लिया है।

 

हरि कथा से मिलती है मन को शांति: हरभजन सिंह

0

आध्यात्मिक जगत में ऊंच-नीच, गरीब-अमीर, जाति-पाति, वेश-भूषा के प्रति भेदभाव एवं संर्कीणताओं को समाप्त करने के लिए क्षेत्रों एवं भाषाओं के सम्मेलन,एकत्व के लिए यज्ञ, कुंभ, मेलों एवं समागमों का आयोजन किये जाते हैं, जिसकी परम्परा युगों-युगों से होती आई है। मसूरी से पधारे मसूरी जोन के जोनल इन्चार्ज हरभजन सिंह ने संत निरंकारी भवन, हरिद्वार बाईपास पर संतों के उमड़े जनसैलाब को पावन सन्देश देते हुए यह, उद्गार व्यक्त किए।

उन्हाेंने फरमाया कि संसार में विचरण करते हुये कई विकारों की मन पर मैल चढ़ती है, पर इस मैल को चढ़े हुये रंग को धोने का एकमात्र साधन साधु-संगत, सन्तों-भक्तों के साथ मिल-जुलकर बैठकर सत्संग रूपी गंगा बताई है। समागम व सत्संग में आने पर मन पर चढ़ा मैल शब्द रूपी विचारों से धुल जाता है और मन निर्मल और आनन्दित हो जाता है। आपने सचेत करते हुये कहा कि भटकनों से सदा के लिए बचना है, भ्रमों से बचना है तो हर पल सत्संग करना ही एकमात्र विधि है। जिस प्रकार रात-दिन, सुबह-शाम, लाभ-हानि का चक्र है, एक की पूर्ति के बाद दूसरे सुख की लालसा जागती रहती है। सन्त निरंकारी मिशन का निश्चित मत है कि स्थाई सुख अर्थात आनन्द केवल परम पिता परमात्मा परमानन्द से जुड़कर ही मिल सकता है।

अध्यात्म जगत में समागम में भक्त और भगवान का एक विशेष प्रकार का संम्बंध होता है। इस दैवीय-सम्बन्ध से आध्यात्मिक प्रेम प्रकट होता है। वहां विशु़द्ध प्रेम होता है, जहां पर अंग-अंग और भविष्य का जीवन आनन्दित रहता है। प्रेम में दुख खत्म हो जाता है, तभी तो कहा गया कि ‘जब तेरा पता मिल गया, फिर मेरी हैसियत कहां रह गई। मेरा अस्तित्व कहां रहा गया। मैं तो तेरा ही स्वरूप हो गया हूं।

सत्संग समापन से पूर्व अनेकों सन्तों-भक्तों, प्रभु प्रेमियों ने गीतों, प्रवचनों द्वारा संगत को निहाल किया। मंच संचालन विजय रावत ने किया। उन्होंने कहा कि निरंकारी जगत में 70 वर्षों की इस परम्परा और संसार में फैली कुरीतियों को समाप्त करने के लिए 18,19 एवं 20 नवम्बर को 70वां विशाल वार्षिक सन्त-समागम बुराड़ी दिल्ली में होने जा रहा है। समागम द्वारा समस्त विश्व को भाईचारे, एकत्व, समर्पण एवं मानव एकता एवं मानव कल्याण का संदेश दिया जाता है।

इधर वादी तो उधर मुल्जिम बने चिकित्सक

0

रुड़की के चिकित्सक एक तरफ कुख्यात द्वारा 50 लाख की चौथ मांगे जाने के मामले में वादी बने तो दूसरी तरफ भारी रकम लेकर अवैध रूप से लिंग परीक्षण करने के मामले में जेल जाने के रूप में खुद चिकित्सक ही मुल्जिम बन गया।
पूर्व में कई मामलों को लेकर विवादित चिकित्सक को हाल ही में जेल में बंद कुख्यात बदमाश द्वारा धमकी देकर 50 लाख की चौथ मांगी गई है। यह मामला कल ही स्थानीय पुलिस की जानकारी में पहुंचा। मामले को लेकर आज ही मिली तहरीर पर गंगनहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज होने की जानकारी भी मिली है। उधर आज ही चिकित्सक लिंग परीक्षण के मामले में पकड़े गए। आज स्थिति यह थी कि इधर स्थानीय पुलिस और एसओजी उनसे धमकी के मामले को लेकर वादी के रूप में उनसे जानकारी जुटा रही थी तो उधर एनटीपीटी की टीम बतौर मुल्जिम उनसे पूछताछ कर रही थी।

प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं को सिक्योरिटी वापसी के लिए घिसनी पड़ रही एड़ियां

0

देहरादून, प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं को सिक्योरिटी लेने के लिए ऊर्जा निगम दफ्तरों में एडिय़ां घिसनी पड़ रही हैं। एक उपभोक्ता इस मामले को लेकर विद्युत उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच पहुंचा तो ऊर्जा निगम को ब्याज समेत सिक्योरिटी वापस करने के आदेश दिए हैं। लेकिन, इस समस्या से जूझ रहे उपभोक्ताओं की संख्या 800 से अधिक है।
उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) ने प्रीपेड मीटर योजना 13 जनवरी 2015 को अस्थायी कनेक्शनों के लिए शुरू की गई थी और अप्रैल तक प्रदेशभर में करीब 800 मीटर लगे। अधिकांश दून में ही थे। चार महीने बाद योजना तकनीकी कारणों से बंद हो गई थी। इससे प्रीपेड उपभोक्ताओं न तो सिक्योरिटी वापस मिली न बैलेंस। जबकि, स्थाई कनेक्शन लेने के बाद यह धनराशि बिलों में समायोजित होनी थी। ऊर्जा निगम ने तर्क दिया गया कि टैरिफ प्रीपेड का टैरिफ अपडेट नहीं होने के कारण धनराशि का समायोजन नहीं हो पा रहा। इस मामले में अजबपुर कलां निवासी यशोदा तडिय़ाल ने मंच में शिकायत की। मंच के न्यायिक सदस्य तेजवीर सिंह, तकनीकी सदस्य सीआर गोस्वामी और उपभोक्ता सदस्य हिमांशु बहुगुणा ने दोनों पक्षों को सुना। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता की जमानत राशि रोका जाना तर्क और न्याय संगत नहीं है। ऊर्जा निगम स्थाई कनेक्शन के बिल में निर्धारित ब्याज समेत सिक्योरिटी की धनराशि को समायोजित करे। लेकिन, सवाल ये भी है कि क्या हर उपभोक्ता को सिक्योरिटी के लिए मंच में वाद दायर करना होगा। वहीं, ऊर्जा निगम के मुख्य अभियंता एवं प्रवक्ता एके सिंह ने बताया कि प्रीपेड मीटर सेवा कुछ समय पहले ही दोबारा शुरू हुई है। जल्द ही सभी उपभोक्ताओं की सिक्योरिटी व बैलेंस की धनराशि को वापस किया जाएगा। 

गोमुख में अज्ञात बीमारी के कारण सूख रहे हैं भोज वृक्ष

0

उत्तरकाशी, गोमुख क्षेत्र में अज्ञात बीमारी से भोजवृक्ष के पेड़ सूख रहे हैं जिसकी सूचना विभागीय अधिकारियों को भी नहीं है। भोजवृक्ष दुर्लभ प्रजाति के पेड़-पौधों में से एक है जो कि चुनिंदा जगहों पर पाया जाता है।

दरअसल गोमुख ट्रैक मार्ग पर कनखू बेरियर के पास से गंगोत्री नेशनल पार्क की सीमा शुरू होते ही कई किमी के हिस्से में भोजवृक्ष किसी बीमारी की चपेट में आकर सूखने लगे हैं। ग्लोबल वार्मिंग के कारण स्नो लाइन पीछे सरकने से अब वहां भोज के जंगल उगने लगे हैं। जानकारों की माने तो पटागंणा गंगोत्री में कुछ वर्ष पहले कैल के पेड़ों पर आई ऐसी ही बीमारी से सैकड़ों पेड़ सूख गए थे। भोज के जंगल में जिस तरह से तने व टहनियों पर काले धब्बे आने से बड़ी संख्या में पेड़ सूखने लगे हैं। इसे नजर अंदाज करना गंभीर पर्यावरणीय संकट को न्योता देने जैसा है।

25 वर्षो से चीड़वासा में नर्सरी तथा भोजवासा में 7.5 हेक्टेयर में फ्लांटेशन में भोज वृक्षों के वनीकरण में जुटी अर्जुन पुरस्कार से सम्मनित डॉ. हर्षवंती बिष्ट कहती हैं कि, “क्षेत्र की कठिन परिस्थिति के बावजूद 53 प्रतिशत वनीकरण किए वृक्षों को जीवित रखने में सफलता मिली है। इस क्षेत्र में भोज के अलावा उच्च हिमालयी वनस्पतियों को संरक्षण की जरुरत है। भोजवृक्षों की बीमारी गंभीर मामला है। गंगोत्री हिमालय के पर्यावरण की चिंता करने वाले लोगों व पर्यावरण विज्ञानिकों को मिलकर इस समस्या पर ध्यान देने की जरुरत है।”

गंगोत्री नेशनल पार्क के उप निदेशक श्रवण कुमार कहते हैं कि, “भोजवृक्ष पर लगी बीमारी की जानकारी नहीं मिली है, वे शीघ्र क्षेत्र में जाकर स्थिति का पता लगाएंगे।” राज्य के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक डीबीएस. खाती कहते हैं कि, “जांच कराने के बाद जरुरत पड़ी तो एफआरआई के वैज्ञानिकों को मौके पर जाकर बीमारी का पता लगाने का अनुरोध किया जाएगा।” 

जेई परीक्षा में करीब 25 फीसद अभ्यर्थी रहे गायब

0

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की कंप्यूटर प्रोग्रामर पदों के लिए आयोजित परीक्षा में 47.51 फीसद अभ्यर्थी अनुपस्थित रहे। इसके चलते अधिकतर केंद्र खाली स्थिति में रहे। करीब ढाई साल बाद परीक्षा आयोजित किए जाने पर अधिकतर अभ्यर्थियों को मोह छूट गया या उन्होंने अन्य विकल्प अपना लिए। हालांकि, अवर अभियंता पदों की परीक्षा में सिर्फ 24.24 फीसद अभ्यर्थी ही अनुपस्थित रहे।

रविवार को आयोग की अवर अभियंता व कंप्यूटर प्रोग्रामर पदों के लिए दो परीक्षाएं आयोजित की गईं। दोनों परीक्षाओं के केंद्र देहरादून व हल्द्वानी में बनाए गए थे। पहली पाली (सुबह 10 से दोपहर 12 बजे तक) में अवर अभियंता पदों के लिए परीक्षा आयोजित की गई। जबकि दूसरी पाली (दोपहर दो से शाम चार बजे तक) में कंप्यूटर प्रोग्रामर पदों की परीक्षा थी। आयोग सचिव संतोष बडोनी के मुताबिक परीक्षा शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराई गई और परीक्षा के सभी प्रश्नों की आंसर-की आयोग की वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है। अभ्यर्थी 13 नवम्बर तक प्रश्नों पर अपनी चुनौतियां/प्रतिवेदन दे सकते हैं। प्रश्नों पर किसी भी तरह की शंका निर्धारित प्रारूप व सिर्फ ईमेल पर स्वीकार की जाएंगी। इसका प्रारूप भी आयोग की वेबसाइट पर जारी किया गया है।

परीक्षा का विवरण
अवर अभियंता : कुल पद, 295
परीक्षा केंद्र, दून 25, हल्द्वानी 10
प्रवेश पत्र जारी, 17160
परीक्षा में उपस्थिति, 12999
परीक्षा में अनुपस्थिति, 4161
कंप्यूटर प्रोग्रामर : कुल पद, 59
परीक्षा केंद्र, दून 10, हल्द्वानी 05
प्रवेश पत्र जारी, 8425
परीक्षा में उपस्थिति, 4422
परीक्षा में अनुपस्थिति, 4003

चार अभ्यर्थी घर ले गए एग्जाम शीट
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव संतोष बडोनी के मुताबिक देहरादून केंद्रों के चार अभ्यर्थी दूसरी एग्जाम शीट भी अपने साथ ले गए। जबकि इससे परीक्षकों के पास ही जमा कराना था। संबंधित अभ्यर्थियों से एग्जाम शीट वापस लाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हर अभ्यर्थी को तीन शीट दी जाती है, जिसमें दो शीट वापस करनी पड़ती है। इन्हें परीक्षा के बाद ट्रेजरी में जमा कराया जाता है। एक शीट अस्थाई, जबकि एक शीट स्थाई रूप से ट्रेजरी में जमा रहती है। अस्थाई रूप से जमा शीट कॉपियों की जांच के काम आती है। 

‘द ग्रेट खली’ देवांशी मेले में बनेंगे चीफ गेस्ट

0

उत्तरकाशी। उत्तरकाशी जिले के सीमांत ब्लॉक मोरी में 17 से 19 नवंबर के बीच आयोजित होने वाले तीन दिवसीय देवांशी खेल एवं सांस्कृतिक मेले में डब्लूडब्लूई के प्र‌सिद्ध रेसलर ‘द ग्रेट खली’ ऊर्फ दिलीप राणा मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होंगे। जबकि मेले का उद्घाटन मुख्यमंत्री रावत द्वारा किया जाएगा। साथ ही मेले में कई जानी मानी हस्थियों के बीच उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, अरविंद पांडे आदि शामिल होंगे।

शुक्रवार को मोरी में मेले की तैयारियों को लेकर बैठक आयोजित की गई। जिसमें मेला समिति के पदाधिकारियों द्वारा कार्यक्रम की रूपरेखा तय की गई। मेला संयोजक पूर्व खेल मंत्री नारायण सिंह राणा की अध्यक्षता में मुख्य तथा विशिष्ट अतिथियों के नामों पर मुहर लगाई गई। पदाधिकारियों द्वारा मेले के दूसरे दिन द ग्रेट खली दिलीप सिंह राणा को मुख्य अतिथि बनाने का निर्णय लिया गया। यमुना व टौंस घाटी के कालसी, चकराता, जौनपुर, जौनसार, पुरोला, नौगाॅव, मोरी क्षेत्र के इस संयुक्त सांस्कृतिक समागम का 17 से 19 नवम्बर तक आयोजन किया जाना है। जिसमें रंवाई, जौनसार एवं जौनपुर की पौराणिक सांस्कृतिक की छटा देखने को मिलेगी। इसके अतिरिक्त क्रिकेट, वालीबाॅल आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाएगा। बैठक में राजेंद्र रावत, अजीत पाल, वचन पंवार, कृपाल सिंह, दि मौजूद रहे। 

आपदा पीड़ित ग्रामीणों को नहीं मिली सरकार से मदद

0

उत्तरकाशी। वर्ष 2013 की आपदा में अपने आशियाने गवां चुके कफनौल गांव के अनुसूचित जाति के 20 परिवार चार साल से दर-दर भटक रहे है। इन्हें विस्थापन का आश्वासन तो दिया गया, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। ये परिवार छानियों में रह रहे हैं सिर छिपाने के लिए घर की मांग कर रहे हैं।

डीएम कार्यालय में पहुंचे कफनौल गांव के ग्रामीणों ने अपनी समस्या डीएम डॉ. आशीष चौहान को सुनाई और उनके माध्यम से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को ज्ञापन भेजा। कार्यालय पहुंचे ग्रामीण राजूलाल ने बताया कि कफनौल गांव में अनुसूचित जाति के बीस परिवार रहते हैं। जून 2013 दैवीय आपदा से उनके घर जमींदोज हो गए। मकान क्षतिग्रस्त होने से कुछ परिवार किराए का कमरा लेकर इधर-उधर रह रहे हैं, तो कुछ परिवार गांव के आसपास छानियों में अपना जीवन बिताने को मजबूर हैं। दैवीय आपदा के दौरान शासन-प्रशासन द्वारा उनके गांव का निरीक्षण हुआ था, लेकिन आज तक शासन-प्राशासन से उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला। गांव में जगह-जगह भू-धसाव हो रहा है।

वर्ष 2014 में भूगर्भीय वैज्ञानिकों की टीम ने गांव का सर्वे किया था, जिसमें जांच अधिकारियों ने गांव को खतरे की जद में बताया था। तब से लेकर आज तक गांव के ग्रामीण शासन-प्रशासन से मुआवजा और विस्थापन की मांग करते आ रहे हैं लेकिन आज तक ग्रामीणों को शासन-प्रशासन स्तर पर न तो मुआवजा मिला और न ही गांव का विस्थापन हुआ। समस्या के बारे में ग्रामीण कई बार शासन-प्रशासन स्तर पर लिखित और मौखिक रूप से गुहार लगा चुके हैं, उसके बावजूद भी शासन-प्रशासन कुंभकरण की नींद सो रहा है। 

शिवलिंग पीक की परिक्रमा के लिए पर्वतारोही विष्णु खोज रहे नया ट्रैक रूट

0

उत्तरकाशी। उत्तरकाशी जिले के ट्रैकिंग व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय पर्वतारोहण एजेंसी द्वारा एक नए ट्रैक रूट को विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। नेहरू माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट से प्रशिक्षित व माउंट एवरेस्ट फतह कर चुके विष्णु सेमवाल द्वारा 6,543 मीटर की ऊंचाई पर स्थित शिवलिंग परिक्रमा की योजना बनाई जा रही है जिसके तहत दुनिया भर से आने वाले पर्वतारोही शिवलिंग पीक के चारों तरफ से ट्रैक कर कुछ अनछुए स्थानों को देख सकेंगे। इस नए ट्रैक रूट का सर्वे करने के लिए विष्णु द्वारा इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन (आईएमएफ) व गंगोत्री नेशनल पार्क के अधिकारियों से परमिशन मांगने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अगर यह रूट खुल जाता है तो गढ़वाल क्षेत्र के पर्वतारोहण व्यवसाय में नई जान आ जाएगी।

दुनिया भर के ट्रैकरों व पर्वतारोहियों के लिए जिले की पर्वत श्रृंखलाएं हमेशा से ही आकर्षण का केंद्र रही हैं। यहां की भागीरथी, चौखंभा, गंगोत्री, बंदरपूंछ आदि चोटियों पर पूरे सीजन कई अभियान दल आते रहते हैं, लेकिन पर्वतारोहण प्रेमियों को हर समय कुछ नए एडवेंचर की तलाश रहती है जिसके लिए स्नो स्पाइडर ट्रैक एंड टूर के विष्णु द्वारा कैलाश मानसरोवर की तर्ज पर शिवलिंग पीक के परिक्रमा ट्रैक को विकसित करने की योजना बनाई गई है। उन्होंने बताया कि गंगोत्री से करीब 23 किमी दूर व 4,463 की ऊंचाई पर स्थित तपोवन से इस ट्रैक की शुरुआत होगी। जिसके बाद पर्वतारोही शिवलिंग पीक में चढ़कर मेरु ग्लेशियर व गंगोत्री ग्लेशियर ‌होते हुए तपोवन बेस कैंप पहुंचकर परिक्रमा पूरी करेंगे, जिसमें अनुमानित चार से पांच दिनों का समय लग सकता है।

विष्णु ने बताया कि फिलहाल आईएमएफ व वन विभाग के अधिका‌रियों से परमिशन मांगी जा रही है। इसके मिलते ही कुछ अनुभवी पर्वतारोहियों के साथ इस रूट का सर्वे किया जाएगा, जिसकी रिपोर्ट संबंधित अधिकारियों को भेजी जाएगी। अगर सब योजना के अनुसार रहा तो अगले सीजन तक दुनिया भर के पर्वतारोहियों को एक नया अनुभव मिलेगा। वहीं, प्र‌सिद्ध पर्वतारोही पद्मश्री चंद्रप्रभा एतवाल का कहना है कि नए ट्रैक की खोज करना किसी भी पर्वतारोही के लिए एक बड़ी उपलब्धि होती है लेकिन इसके लिए काफी ‌साहस व अनुभव की जरुरत होती है। जिसमें आईएमएफ व विशेषज्ञों की परमिशन व राय लेना भी जरुरी है।

अस्पताल के चिकित्सकों ने कूल्हे की हड्डी के टुकड़े से बनाई नाक की हड्डी

0

भालू के हमले में बुरी तरह घायल और चेहरे का आकार खो चुके चमोली निवासी नरेंद्र राम को कैलाश अस्पताल के चिकित्सकों ने अथक मेहनत के बाद नया रूप देने में सफलता हासिल की। भालू के हमले में नरेंद्र की नाक व उसकी की हड्डी नष्ट हो चुकी थी, लिहाजा चिकित्सकों ने कूल्हे की हड्डी से छोटा टुकड़ा निकालकर उसका प्रयोग नाक की हड्डी तैयार करने में किया। जबकि बाजू की त्वचा से नाक को अंदरूनी व बहारी आकार दिया गया। इस पूरी प्रक्रिया में नरेंद्र की बायीं बाजू को नाक से जोड़कर 21 दिनों तक रखा गया। यह जानकारी अस्पताल के निदेशक पवन शर्मा ने पत्रकार वार्ता में दी।

निदेशक पवन शर्मा ने बताया कि, “30 अगस्त को नरेंद्र राम को कैलाश अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल के सीनियर प्लास्टिक सर्जन डॉ हरीश घिल्डियाल, सीनियर आई सर्जन डॉ भावना तिवारी व इंटेसिविस्ट डॉ प्रवीण वर्मा ने नरेंद्र राम की स्थिति की जांच पर पाया कि उनके होंठ, नाक, पलक, गाल व भवें वाले हिस्सों पर गंभीर चोट थी। नाक की हड्डी हमले में नष्ट हो चुकी थी और आसपास कुछ अन्य फ्रेक्चर भी थे। जबकि उनकी बायीं आंख बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी, जिसे बचाया नहीं जा सका।

चेहरे का आकार पूरी तरह बदल चुका था। सबसे पहले नरेंद्र के गले के रास्ते सांस की नली में रास्ता बनाया गया, ताकि वह ठीक से सांस ले सके। वहीं, नरेंद्र को नया जीवन देने के लिए दो चरणों में प्लास्टिक सर्जरी करनी पड़ी। हालांकि चिकित्सकों के अथक प्रयास के साथ ही नरेंद्र ने भी पूरी हिम्मत दिखाई और जीवन की उम्मीद नहीं खोई। उनकी हिम्मत की बदौलत चिकित्सक अपना काम बखूबी पूरा करने में सफल रहे।