गोमुख में अज्ञात बीमारी के कारण सूख रहे हैं भोज वृक्ष

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    उत्तरकाशी, गोमुख क्षेत्र में अज्ञात बीमारी से भोजवृक्ष के पेड़ सूख रहे हैं जिसकी सूचना विभागीय अधिकारियों को भी नहीं है। भोजवृक्ष दुर्लभ प्रजाति के पेड़-पौधों में से एक है जो कि चुनिंदा जगहों पर पाया जाता है।

    दरअसल गोमुख ट्रैक मार्ग पर कनखू बेरियर के पास से गंगोत्री नेशनल पार्क की सीमा शुरू होते ही कई किमी के हिस्से में भोजवृक्ष किसी बीमारी की चपेट में आकर सूखने लगे हैं। ग्लोबल वार्मिंग के कारण स्नो लाइन पीछे सरकने से अब वहां भोज के जंगल उगने लगे हैं। जानकारों की माने तो पटागंणा गंगोत्री में कुछ वर्ष पहले कैल के पेड़ों पर आई ऐसी ही बीमारी से सैकड़ों पेड़ सूख गए थे। भोज के जंगल में जिस तरह से तने व टहनियों पर काले धब्बे आने से बड़ी संख्या में पेड़ सूखने लगे हैं। इसे नजर अंदाज करना गंभीर पर्यावरणीय संकट को न्योता देने जैसा है।

    25 वर्षो से चीड़वासा में नर्सरी तथा भोजवासा में 7.5 हेक्टेयर में फ्लांटेशन में भोज वृक्षों के वनीकरण में जुटी अर्जुन पुरस्कार से सम्मनित डॉ. हर्षवंती बिष्ट कहती हैं कि, “क्षेत्र की कठिन परिस्थिति के बावजूद 53 प्रतिशत वनीकरण किए वृक्षों को जीवित रखने में सफलता मिली है। इस क्षेत्र में भोज के अलावा उच्च हिमालयी वनस्पतियों को संरक्षण की जरुरत है। भोजवृक्षों की बीमारी गंभीर मामला है। गंगोत्री हिमालय के पर्यावरण की चिंता करने वाले लोगों व पर्यावरण विज्ञानिकों को मिलकर इस समस्या पर ध्यान देने की जरुरत है।”

    गंगोत्री नेशनल पार्क के उप निदेशक श्रवण कुमार कहते हैं कि, “भोजवृक्ष पर लगी बीमारी की जानकारी नहीं मिली है, वे शीघ्र क्षेत्र में जाकर स्थिति का पता लगाएंगे।” राज्य के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक डीबीएस. खाती कहते हैं कि, “जांच कराने के बाद जरुरत पड़ी तो एफआरआई के वैज्ञानिकों को मौके पर जाकर बीमारी का पता लगाने का अनुरोध किया जाएगा।”