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रुड़की में वणिज्यकर के डिप्टी कमिश्नर को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा

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रुड़की। रुड़की में गुरुवार को कुछ लोगों ने वणिज्य कर अधिकारी को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। उनकी गाड़ी में तोड़फोड़ की। युवकों का आरोप था कि इस अधिकारी की वजह से उनके भाई ने आत्महत्या की है।
घटना के अनुसार, आजादनगर का एक युवक विक्रम कारगी वाणिज्यकर में ड्राइवर के पद पर तैनात था। बुधवार देर शाम उसने गंग नहर में कूदकर आत्महत्या कर ली। गुरुवार को उसका शव पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल रुड़की लाया गया था। गुरुवार करीब 11.45 पर वाणिज्यकर विभाग में डिप्टी कमिश्नर के पद पर तैनात रोहित श्रीवास्तव अपने कार्यालय में बैठे थे तो कुछ युवक वहां पहुंचे उन्होंने आरोप लगाया कि इस अधिकारी ने विक्रम का मानसिक उत्पीड़न किया था, जिसके कारण उसे आत्महत्या को मजबूर होना पड़ा। इतना कहते ही युवकों ने रोहित के साथ मारपीट शुरू कर दी और उन्हें सिविल अस्पताल ले आए। अस्पताल लाकर विक्रम के परिजनों और संबंधियों ने रोहित श्रीवास्तव के साथ जमकर मारपीट की। उन्होंने बचकर भागने का प्रयास किया लेकिन फिर भी युवकों ने उनको दौड़ा-दौडा कर पीटा और उनकी गाड़ी में भी तोड़फोड़ की। घटना की सूचना पर जब तक पुलिस अस्पताल पहुंची तब तक युवक फरार हो चुके थे। घटना के बाद मौके पर कोतवाल गंगनहर कमल कुमार लुंठी, कोतवाल सिविल लाइन साधना त्यागी मय फोर्स पहुंची और युवको के धरपकड़ की कार्रवाई शुरू की।

आंदोलनकारियों को नहीं मिली कुर्सी तो जमीन पर बैठे

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हरिद्वार। उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में उत्तराखंड के आंदोलनकारियों को बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं मिली। कार्यक्रम में आमंत्रित आंदोलनकारी इस पर मंच के सामने ही जमीन पर बैठ गए। आंदोलनकारियों को मनाने जिलाधिकारी दीपक रावत की कोशिश भी नाकाम रही। खुद कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने भी आंदोलनकारियों को मंच से ही मनाने का प्रयास किया लेकिन आंदोलनकारी जमीन से उठने को राजी नहीं हुए। आंदोलनकारियों की इस स्थिति ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को असहज किया। हालांकि, कई लोगों ने आंदोलनकारियों के सम्मान में कुर्सी खाली कीं। ये नजारा ऋषिकुल ऑडिटोरियम में देखने को मिला।

राज्य सरकार की ओर से ऋषिकुल ऑडिटोरियम में उत्तराखंड स्थापना दिवस का भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में उत्तराखंड आंदोलनकारियों के साथ-साथ नगर के गणमान्य नागरिकों व सभी विभागों को आमंत्रित किया गया। कार्यक्रम स्थल पर मंच के सामने की दो कतारों की कुर्सियां राज्य आंदोलनकारियों के लिए रिजर्व की गई थी लेकिन कार्यक्रम शुरू होने तक राज्य आंदोलनकारी वहां नहीं पहुंचे। इसके चलते दूसरे गणमान्य नागरिक उन कुर्सियों पर बैठ गए। इसी दौरान राज्य आंदोलनकारियों का नेतृत्व करने वाले जेपी पांडे उत्तराखंड की जय जय कार के नारे लगाते हुए कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। आंदोलनकारियों को बैठने के लिए वहां कुर्सी नहीं मिली तो आंदोलनकारी असहज हो गए। जेपी पांडे ने सभी लोगों को मंच के सामने नीचे बैठने को कहा। इसके बाद सभी आंदोलनकारी नीचे बैठ गए। आंदोलनकारियों को नीचे बैठते ही जिलाधिकारी दीपक रावत ने सभी आंदोलनकारियों को मनाने का प्रयास किया। उनको कुर्सी पर बैठने को कहा। कई गणमान्य लोगों ने आंदोलनकारियों के सम्मान में कुर्सी भी खाली कर दी पर जिद पर अड़े आंदोलनकारी जमीन से उठने को राजी नहीं हुए। इसके बाद खुद कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने भी आंदोलनकारियों को उठकर कुर्सी पर बैठने को कहा, लेकिन वह तब भी नहीं उठे। जिला सूचना अधिकारी अर्चना ने महिलाओं को कुर्सी पर बैठने के लिए मनाने का प्रयास किया। महिलाएं भी जिला सूचना अधिकारी अर्चना की बात पर भी जमीन से उठने को राजी नहीं हुई। हालांकि, इस बीच जेपी पांडे खुद कुर्सी पर बैठ गए, लेकिन तमाम महिलाएं जमीन पर ही बैठी रही। 

एमएसबीवाई योजना बंद, करीब 12 लाख परिवारों को झटका

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देहरादून। प्रदेश में मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना (एमएसबीवाई) के लाभार्थी करीब बारह लाख परिवारों को बड़ा झटका लगा है। बीमा कंपनी को एक्सटेंशन न मिल पाने के कारण योजना बंद पड़ गई है। जिस कारण मरीजों को इलाज से महरूम होना पड़ रहा है। वह अस्पताल पहुंचकर खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
अप्रैल 2015 में शुरू हुई मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत लाभार्थियों को बायोमेट्रिक स्मार्ट कार्ड जारी किए गए थे। जिसके तहत कार्डधारक परिवार को 50 हजार रुपये का हेल्थ कवर और सवा लाख रुपये गंभीर बीमारियों का बीमा कवर मिलता है। इस कार्ड का इस्तेमाल एमएसबीवाई के पैनल में शामिल किसी भी अस्पताल में इलाज के लिए किया जा सकता है। योजना में सरकारी कर्मचारी, पेंशनर और आयकर दाता शामिल नहीं हैं। शुरुआती चरण में यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस से करार किया गया था। गत वर्ष बीमा कवर बढऩे के साथ ही नई कंपनी बजाज एलियांज ने इसका जिम्मा संभाला। जिसे कुछ वक्त पूर्व दो माह का एक्सटेंशन भी दिया गया था। वीरवार को अस्पतालों को कंपनी की ओर से एक ईमेल भेजा गया। जिसमें कहा गया कि इसके बाद कोई भी एमएसबीवाई कार्ड स्वीकार्य नहीं होगा।
एक्सटेंशन न मिलने से बिना इलाज लौट रहे मरीज
योजना के तहत अस्पताल मरीजों के कार्ड की पड़ताल कर वेबसाइट के जरिए संबंधित बीमा कंपनी से योजना के तहत नकदी रहित इलाज की अप्रूवल ली जाती है। कंपनी को एक्सटेंशन न मिलने से अब मरीज बिना इलाज वापस लौट रहे हैं। अपर सचिव स्वास्थ्य पंकज पांडे का कहना है कि कंपनी के एक्सटेंशन से जुड़ी फाइल पर कार्रवाई चल रही है। जल्द इस पर निर्णय ले लिया जाएगा। इसके अलावा नया टेंडर करने की भी तैयारी है।
योजना बंद होने से मरीजों की बढ़ी मुसीबत
मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना बंद होने से मरीजों पर आफत टूट पड़ी है। कई मरीज ऐसे हैं जिनका ऑपरेशन होना है और वह वीरवार ही अस्पताल में भर्ती हुए हैं। एमएसबीवाई से जुड़ी औपचारिकताएं पूरी होती इससे पहले ही योजना पर अडंगा लग गया। इनमें अधिकांश मरीज ऐसे हैं जो इलाज का खर्च वहन कर पाने में बिल्कुल भी सक्षम नहीं हैं। वह अब यह नहीं समझ पा रहे कि आखिर किया क्या जाए। इसे लेकर मरीजों के परिजनों व अस्पताल कर्मियों के बीच कई बार नोकझोंक भी हुई।
अनदेखी के चलते आई समस्या
जिस मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना पर सरकार अपनी पीठ थपथपाते नहीं थकती, वह अधिकारियों की अकर्मण्यता व सुस्ती की भेंट चढ़ गई है। यह जानकारी विभाग को भी थी कि कंपनी का अनुबंध खत्म हो रहा है। लेकिन फाइल शासन में पड़ी धूल फांक रही है। बताया गया कि एमएसबीवाई के लिए नए सिरे से टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। हद देखिए कि न टेंडर हुआ और न कंपनी को एक्सटेंशन ही दिया गया। यह स्थिति तब है जब स्वास्थ्य विभाग खुद सूबे के मुखिया यानि मुख्य मंत्री देख रहे हैं। 

उत्तराखंड राज्यपाल ने पुलिसकर्मियों को राष्ट्रपति पुलिस पदक व पुलिस पदक से नवाजा

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राज्य स्थापना दिवस पर राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल ने पुलिस लाईन में आयोजित रैतिक परेड़ की सलामी ली। राज्यपाल ने सराहनीय कार्य करने पर पुलिस अधिकारियों व पुलिसकर्मियों को राष्ट्रपति पुलिस पदक व पुलिस पदक से सम्मानित किया। राज्यपाल डाॅ. के.के.पाल व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा प्रकाशित पत्रिका का भी विमोचन किया। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राज्य स्थापना दिवस की बधाई देते हुए सभी अधिकारियों-कर्मचारियों और आमजन से प्रदेश के विकास हेतु समर्पित होकर काम करने का आह्वान किया। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने परेड में प्रतिभाग करने वाले प्रत्येक कर्मी हेतु रू.1000 तथा महिला आरक्षियों के पाइप बैण्ड की प्रत्येक प्रतिभागी हेतु रू.5000 की प्रोत्साहन राशि की घोषणा भी की।
इस अवसर पर राज्यपाल डाॅ.कृष्ण कांत पाल ने राज्य निर्माण के सभी ज्ञात-अज्ञात, अमर शहीदों व आंदोलनकारियों को श्रद्धापूर्वक नमन करते हुए राज्यवासियों को राज्य स्थापना के 17 वर्ष पूर्ण होने पर बधाई और शुभकामनाएं दीं। राज्य स्थापना दिवस पर शानदार परेड़ के लिए बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि शांति व कानून व्यवस्था, प्रत्येक सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होती है। प्रदेश का विकास मूलरूप से वहां की कानून व्यवस्था पर निर्भर करता है। इसमें पुलिस की अहम भूमिका होती है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भविष्य में भी राज्य की कानून व शान्ति व्यवस्था को बनाये रखने के अपने वायदे को निभाते हुए पुलिस, राज्य के समग्र विकास में सबसे मजबूत कड़ी के रूप में भी अपनी भूमिका निभाती रहेगी। उत्तराखंड में दूसरे राज्यों की तुलना में अपराध बहुत कम हैं। इसके लिए राज्य के शांतिप्रिय व सरल हृद्य नागरिक बधाई के पात्र हैं।
राज्यपाल ने कहा कि विगत 17 वर्षों में उत्तराखंड ने अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। बार-बार प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद उत्तराखंड वासियों की दृढ़ संकल्प शक्ति से राज्य ने अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। आज उत्तराखंड देश के अग्रणी राज्यों में शुमार हो चुका है। इन वर्षों में हमने कई उपलब्धियां हासिल की हैं, तो बहुत सी चुनौतियां भी हैं। जीडीपी व प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि का लाभ गरीबों, वंचितों, किसानों तक पहुंचाना है। सच्चे मायनों में विकास के लिए शहर-गांव, उद्योग-खेती के बीच के गैप को दूर करना होगा। इस दिशा में सरकार ने अनेक महत्वपूर्ण पहलें की हैं। पहाड़ के गांवों को आर्थिक दृष्टि से उन्नत बनाने के लिए समर्पित प्रयासों की आवश्यकता है।
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने नए भारत के निर्माण के लिए मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, डिजीटल इंडिया, स्वच्छ भारत व नमामि गंगा के माध्यम से जन-अभियान प्रारम्भ किया है। खुशी की बात है कि नए प्रगतिशील भारत में उत्तराखंड बढ़-चढ़कर अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभा रहा है। वर्ष 2019 तक पूर्ण साक्षरता, वर्ष 2022 तक सबको आवास व किसानों की आय दुगुनी करने का लक्ष्य पूरा करने में, उत्तराखंड अग्रणी राज्यों में रहेगा। डिजीटल उत्तराखंड के तहत ई-गर्वनेंस के लिए देवभूमि जनसेवा व ई-डिस्ट्रिक्ट सेवाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली का भी पूर्ण कम्प्यूटरीकरण किया जा रहा है। सभी पी.डी.एस. की दुकानों पर कैश लैस भुगतान के लिए पी.ओ.एस. मशीन स्थापित की जा रही हैं।
राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखंड की पहचान देश-दुनिया में देवभूमि के रूप में है। हमें इस पहचान को बनाए रखना है। महत्वाकांक्षी नमामि गंगे अभियान की सफलता उत्तराखंड की सक्रिय भूमिका के बिना सोची भी नहीं जा सकती है। राज्य में स्वच्छता अभियान की पहल को भारत सरकार द्वारा बेस्ट प्रेक्टीसेज का दर्जा दिया गया है। राज्य सरकार ने मार्च 2018 तक सभी नगर क्षेत्रों को भी ओ.डी.एफ. बनाने का लक्ष्य रखा है। हम सभी को सभ्य नागरिक की जिम्मेवारी को समझते हुए इसमें भागीदारी निभानी होगी।
राज्यपाल ने कहा कि राज्य में हमारे सामने बड़ी चुनौती, दुर्गम व दूर-दराज के इलाकों में बुनियादी सुविधाओं का विकास करना है। इसके लिए शिक्षा, स्वास्थ्य व पर्वतीय खेती पर फोकस करना होगा। राज्य सरकार गम्भीरता से इस दिशा में काम कर रही है। पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन को रोकने के लिए ग्रामीण विकास व पलायन आयोग का गठन करते हुए इसका मुख्यालय पौड़ी में स्थापित किया गया है। नीतिगत निर्णय लेते हुए मैदानी क्षेत्रों से बड़ी संख्या में डाॅक्टर पर्वतीय क्षेत्रों में नियुक्त किए गए हैं। किफायती दाम पर दवा उपलब्घ करवाने के लिए 100 जन औषधि केंद्र खोले जा रहे हैं। टेली-मेडिसिन व टेली-रेडियोलाॅजी का प्रयास किया जा रहा है। नए चिकित्सकों की नियुक्ति करने के लिए भी हर सम्भव कोशिश की जा रही है। शिशु तथा मातृत्व मृत्युदर को न्यूनतम करने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
राज्यपाल ने कहा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था ऐसी हो, जो छात्रों को प्रेक्टीकल नोलेज दे और उनमें स्किल डेवलपमेंट करे। विश्वविद्यालयों में ज्ञान के सृजन के लिए उच्च स्तरीय व मौलिक रिसर्च को प्रोत्साहित करना होगा। हमें विशेष प्रयास करना होगा ताकि हमारे शिक्षण संस्थान, क्वालिटी एजुकेशन व स्पोर्ट्स के सेंटर बन सकें। परंतु सबसे पहले स्कूली स्तर पर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए अत्यधिक प्रयास की आवश्यकता है। अगर स्कूल में बुनियाद पक्की बन रही है तो बच्चे आगे भी कामयाब रहेंगे।

राज्य स्थापना दिवस पर विकास पुस्तिका ‘‘संकल्प से सिद्धि तक’’ का विमोचन

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देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गुरूवार को सूचना भवन में आयोजित समारोह में सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग की विकास पुस्तिका ‘‘संकल्प से सिद्धि तक’’ का विमोचन किया। राज्य स्थापना दिवस की 17वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सहकारिता विभाग द्वारा संचालित ‘दीन दयाल उपाध्याय किसान कल्याण योजना’ का देहरादून में शुभारम्भ करते हुए किसानों को स्वीकृत ऋण के चेक भी वितरित किये। मुख्यमंत्री ने वर्ष 2016-17 हेतु देवभूमि उत्तराखण्ड खेल रत्न पुरस्कार और देवभूमि उत्तराखण्ड द्रोणाचार्य पुरस्कार भी प्रदान किये। खेल रत्न पुरस्कार प्रसिद्ध महिला अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी एकता बिष्ट तथा द्रोणाचार्य पुरस्कार उनके कोच लियाकल अली को प्रदान किया गया। सुश्री एकता बिष्ट की अनुपस्थिति में उनके माता-पिता ने यह पुरस्कार ग्रहण किया। इसी कार्यक्रम में ईको टास्क फार्स के शहीदों की पत्नियों, चन्द्रकला नेगी पत्नी स्व.राइफलमैन बिक्रम सिंह नेगी तथा राजेश्वरी देवी पत्नी स्व.राइफलमैन धर्मसिंह रावत को भी मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में उत्तराखण्ड जल संस्थान के अधिशासी अभियंता विनोद चन्द रमोला को उनके दायित्वों के कुशल निर्वहन हेतु उनके विभाग द्वारा प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।
प्रदेशवासियों को राज्य स्थापना की 17वीं वर्षगाठ की बधाई देते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि राज्य के किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार प्रयासरत् है। उन्होंने कहा कि राज्य के किसान भाईयों से हमने वादा किया था कि उनको सरकार द्वारा सस्ती ब्याज दर में ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। इसलिये दीन दयाल उपाध्याय किसान कल्याण योजना प्रारंभ की गई है। मुख्यमंत्री ने राज्य आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि सरकार आंदोलनकारियों के सपनों के अनुरूप राज्य का विकास करने के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार द्वारा पिछले 7 माह में किए गए कार्यों की जानकारी देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्ष 2022 तक देश के प्रत्येक नागरिक को आवास और भोजन उपलब्ध कराने का फैसला किया है। राज्य सरकार भी इसके लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए उज्जवला योजना से वंचित लोगों को, जिनकी वार्षिक आय 2 लाख 50 हजार से कम है और जिन्हें गैस कनेक्शन नहीं मिल पाया, उनको राज्य सरकार की ओर से निशुल्क गैस कनेक्शन दिया जाएगा, इसका आदेश जारी किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड देश को स्वच्छ हवा और स्वच्छ पानी देता है। उत्तराखण्ड की नदियाँ सूखती जा रही हैं। इसके लिए सरकार राज्य की 2 नदियों देहरादून में रिस्पना और अल्मोड़ा में कोसी नदी को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया है। इसके लिए जन सहयोग की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘‘जल पुरूष श्री राजेन्द्र सिंह जी से बात करके मुझे एहसास हुआ कि नदियों को पुनर्जीवित करना इतना कठिन भी नहीं जितना मुझे लग रहा था।’’
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि किसानों को उर्वरक में डी.बी.टी. की शुरूवात की जा चुकी है। पहले 5 राज्यों में इसकी शुरूवात की गयी है, जिसमें उत्तराखण्ड भी शामिल है। इस पारदर्शी व्यवस्था के तहत किसानों को रेट और सब्सिडी की जानकारी मिल जाएगी।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य की जीडीपी में कृषि का योगदान घटा है। हम नई तकनीकों का इस्तेमाल करके, सिर्फ परम्परागत खेती को न, करके नई चीजों को इसमें शामिल करके अपनी खेती को बढ़ा सकते हैं। हमें जीडीपी में कृषि के योगदान को बढ़ाना होगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि पलायन विकास के लिए भी हुआ है, लेकिन जो पलायन मजबूरी के कारण हुआ है, उसके लिए पलायन आयोग का गठन किया गया है। राज्य सरकार ने राज्य की 670 न्याय पंचायतों को ग्रोथ सेंटर के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिरूल से बायोफ्यूल बनाने की योजना है। पिरूल से तारपीन का तेल और इंडस्ट्रीयल डीजल बनाया जाएगा। स्थानीय लोगों को 5 से 7 रूपये प्रति किलो पिरूल का मूल्य दिया जाएगा जिससे लोगों को आमदनी होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में खुले में शौच से मुक्त होकर उत्तराखण्ड देश का चैथा राज्य बन गया है। सरकार राज्य के शहरी क्षेत्र को भी मार्च 2018 तक खुले में शौच से मुक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य में 5 करोड़ तक के कार्य राज्य के स्थायी निवासियों हेतु आरक्षित दिये गये हैं। साथ ही 5 मेगावाट तक के सौर विद्युत प्रोजेक्ट्स को भी राज्य के स्थायी निवासियों के लिए आरक्षित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में चिकित्सा व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए सेना के डाॅक्टर्स और अन्य राज्यों से भी डाॅक्टर्स का आवेदन मांगा गया है। राज्य में टेलीरेडियोलाॅजी की भी शुरूवात की जा रही है। राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में संचार व्यवस्थाओं को पहुंचाने के लिए बैलून टैक्नोलाॅजी का इस्तेमाल किया जाएगा। चमोली के सीमांत गाँव से इसकी शुरूवात की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देवभूमि उत्तराखण्ड को चारधाम आल वेदर रोड का तोहफा दिया गया है। 12 हजार करोड़ के इस प्रोजेक्ट को 4 हजार करोड़ रूपए जारी किया जा चुका है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट का कार्य भी प्रारम्भ हो गया है।
सूचना महानिदेशक डाॅ.पंकज कुमार पाण्डेय ने बताया कि ”संकल्प से सिद्धि तक..न रूकेंगे न थकेंगे, बस आगे ही बढ़ेंगे”, विकास पुस्तिका का मुख्य उद्देश्य राज्य सरकार द्वारा संचालित प्रमुख योजनाओं एवं नीतियों की जानकारी आम जनमानस तक पहुंचाना है। विकास पुस्तिका की मुख्य थीम गुड गवर्नेंस और जीरो टालरेंस आॅन करप्शन पर फोकस की गई है। कार्यक्रम का मंच संचालन अपर निदेशक सूचना डाॅ.अनिल चंदोला ने किया।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक,अरविंद पाण्डेय, राज्य मंत्री(स्व.प्रभा.) डाॅ.धन सिंह रावत, सचिव सूचना चन्द्रशेखर भट्ट, सचिव खेल डाॅ.भूपिन्दर कौर औलख सहित विभिन्न गणमान्य अतिथि, जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी भी उपस्थित थे।

हाईप्रोफाईल सोसायटी में एनआरआई के घर चोरी

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काशीापुर। एनआरआई के घर को चोरों ने इस कदर खंगाला कि लाखों की ज्वेलरी के साथ ही हजारों की नगदी भी ले उठे, चोरी की ये वारदात कहीं और नहीं बल्कि शहर की एक नामी कालोनी देवस्थली में हुई, जहां कडी सुरक्षा और सीसीटीवी की नजरों से बचते हुए चोरों ने बंद घर के ताले तोड कर पुरी वारदाता को अंजाम दिया है, कुण्डेश्वरी थाना क्षेत्र के हाईप्रोफाईल देवस्थली सोसायटी में रहने वाले एक एनआरआई परिवार को अचानक घर से बाहर जाना पडा लौटने पर पता लगा कि चोरों ने उनके घर में हाथ साफ कर लिया है जिसकी जानकारी पुलिस को दी गयी तो पुलिस ने छानबीन शुरु कर दी, वहीं शहर के नामी लोगों की इस हाईप्रोफाईल सोसायटी में बदनामी के डर से मामले को दबाने की कोशिशे भी शुरु हो गयी, यही नहीं पुरी सुरक्षा घेरे और सीसीटीवी की नजरें होने के बाद चोरी की वारदात ऐखिर कैसे हो गयी इसको लेकर पुलिस भी हैरान है वहीं सोसायटी में ही किसी कि मिलीभगत से इन्कर नहीं किया जा सकता, हाईप्रोईल इस चोरी के मामले में पुलिस भी धिमी गति से काम करते हुए देखी जा रही है।

बंद हुई ओमांग कुमार की फिल्म

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‘भूमि’ के बाद निर्देशक ओमांग कुमार की संजय दत्त के साथ शुरु होने वाली फिल्म को अब ताला लगा दिया गया है। भूमि के रिलीज होने से पहले ही ओमांग कुमार ने संजय दत्त को लेकर गुजरात के जामनगर घराने के महाराज की जिंदगी पर फिल्म बनाने का फैसला किया था और इसमें संजय का पहला लुक भी रिलीज कर दिया गया था।

‘भूमि’ रिलीज हुई और बाक्स आफिस पर इसे बड़ी असफलता का सामना करना पड़ा। ‘भूमि’ के फ्लाप होते ही संजय ने खुद को इस फिल्म से अलग कर लिया। इस पर ओमांग कुमार ने सफाई देते हुए कहा कि कहानी में बदलाव किया जा रहा है और अब संजय की जगह किसी युवा कलाकार को महाराजा के रोल में कास्ट किया जाएगा, अब ऐसा भी नहीं होगा।

‘भूमि’ में ओमांग के साथ पार्टनर रही टी-सीरिज ने भी संजय के अलग होने के बाद फिल्म से हाथ खींच लिए और इस फिल्म को अब हमेशा के लिए ताला लगा दिया है। दूसरी ओर, जामनगर राजघराने के वारिसों ने भी बिना अनुमति ये फिल्म बनाने का विरोध किया था और कानूनी कार्रवाई की धमकी दी थी।

‘हाउसफुल 4’ में होगी ‘हाउसफुल 3’ की टीम

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साजिद नडियाडवाला की कंपनी में हाल ही में ‘हाउसफुल’ सीरिज की चौथी फिल्म बनाने की घोषणा हुई, जिसका निर्देशन साजिद खान करेंगे, जिन्होंने ‘हाउसफुल’ की पहली और दूसरी कड़ी का निर्देशन किया था। ये भी बताया गया है कि ‘हाउसफुल 4’ की कहानी पुनर्जन्म पर आधारित होगी।

अब इस फिल्म को लेकर एक और रोचक बात का पता चला है। कहा जा रहा है कि हाउसफुल की चौथी कड़ी में अब तक सभी हाउसफुल सीरिज में काम करने वाले कलाकारों को एक साथ लाया जाएगा। इस बात के संकेत खुद साजिद नडियाडवाला ने दिए हैं। अगर ऐसा हुआ, तो हाउसफुल 4 में अक्षय कुमार, जान अब्राहम, रितेश देशमुख, अभिषेक बच्चन, अर्जुन रामपाल श्रेयस तलपडे, चंकी पांडे, मिठुन चक्रवर्ती, ऋषि कपूर, रणधीर कपूर, जानी लीवर और बोमन ईरानी एक साथ नजर आएंगे।

‘हाउसफुल’ की पहली कड़ी में काम करने वाली जिया खान अब हमारे बीच नहीं हैं। ‘हाउसफुल 4’ की कास्टिंग को लेकर कयास जारी हैं। एक तरफ चर्चा है कि इस सीरिज के साथ पहली बार संजय दत्त जुड़ने जा रहे हैं, वहीं अक्षय कुमार और रितेश के काम करने पर भी संशय के बादल मंडरा रहे हैं। साजिद नडियाडवाला का कहना है कि सही वक्त आने पर फिल्म की कास्टिंग की घोषणा की जाएगी। इस फिल्म को 2019 में दीवाली के मौके पर रिलीज करने की घोषणा की जा चुकी है। 

मीना कुमारी की बायोपिक से अलग हुईं विद्या

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इन दिनों अपनी आने वाली फिल्म ‘तुम्हारी सुलू’ के प्रचार में बिजी विद्या बालन ने उस खबर का खंडन किया है, जिसमें कहा गया था कि हिंदुस्तानी सिनेमा की सबसे महान अभिनेत्रियों में से एक मीना कुमारी पर बनने वाली बायोपिक में उनकी भूमिका विद्या बालन निभाएंगी।

इस फिल्म की योजना तिग्मांशु धूलिया बना रहे हैं, जो इन दिनों संजय दत्त के साथ ‘साहब, बीवी और गैंगस्टर’ की तीसरी कड़ी बना रहे हैं। विद्या बालन ने मीना कुमारी वाली फिल्म पर सिर्फ इतना कहा कि वे इसमें काम नहीं कर रही हैं। लेकिन सूत्रों के हवाले से पता चला है कि वे इस फिल्म को लेकर उत्साहित थीं, लेकिन कुछ सीनों को लेकर उनकी तिग्मांशु के साथ उनकी बात नहीं जमी और विद्या बालन ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया।

तिग्मांशु के साथ जुड़े सूत्रों का कहना है कि विद्या के मना करने के बाद इस फिल्म में मीना कुमारी का रोल करने के लिए उनकी अगली पसंद कंगना है, लेकिन कंगना एलान कर चुकी हैं कि वे अब किसी और निर्देशक की फिल्म में काम नहीं करेंगी और खुद ही अपने लिए फिल्मों का निर्देशन भी करेंगी।

स्कूल बंक करने का मामला फिर पहुंचा आयोग

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देहरादून। राजधानी में स्कूल बंक कर सिनेमा हॉल में फिल्में देखने वाले बच्चों की शिकायत एक बार फिर मानवाधिकार आयोग पहुंच गयी है। देवभूमि जनसेवा समिति ने साल भर बाद कार्रवाई न होने पर आयोग को तीन सुझाव भी दिए हैं। समिति की शिकायत पर प्रशासन ने तीन बजे तक स्कूली ड्रेस में बच्चों की सिनेमा हॉल में एंट्री पर रोक लगाई है।

पुलिस को भी गश्त करने के दिए दिए निर्देश 
दून में पढ़ रहे स्कूली बच्चों के स्कूल ड्रेस में सिनेमा देखने और बंक करने की शिकायत पर एक बार फिर मानवाधिकार को कार्रवाई के लिए देवभूमि जनसेवा समिति ने आयोग को सुझाव देते हुए कार्रवाई करने की मांग की है। दरअसल साल भर पहले मानवाधिकार आयोग ने जिला प्रशासन, मनोरंजन विभाग को निर्देशित किया था। जिसमें मनोरंजन विभाग ने सिनेमा हॉल के मालिकों को नोटिस भेजकर तीन बजे से पहले 18 वर्ष से कम के बच्चों को थिएटर में एंट्री न देने के निर्देश दिए थे। इसके साथ ही सिनेमा हॉल को शिकायत मिलने पर लाइसेंस रद्द करने की तक चेतावनी दी थी। साथ ही पुलिस विभाग ने सभी थाने चौेकी प्रभारियों को गश्त के जरिए बच्चों पर नजर रखने को भी कहा था। बावजूद इसके साल भर बाद स्थिति न सुधरने पर देवभूमि जनसेवा समिति ने मानवाधिकार आयोग को मामले पर कार्रवाई करने के लिए तीन सुझाव भी दिए हैं। जिनमें सिनेमा हॉल के बाहर बोर्ड लगाने, पुलिस की गश्त बढ़ाने, स्कूलों को नोटिस जारी कर दो बार हाजिरी लगाने की मांग की गई है।

मामले में देवभूमि जनसेवा समिति के अध्यक्ष राजेंद्र नेगी ने बताया कि स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था को लेकर लगातार संघर्ष किया जा रहा है। पिछले साल भी आयोग ने प्रशासन को निर्देशित कर कार्रवाई करने को कहा था। लेकिन कुछ खास असर नहीं पड़ा है। ऐसे में मजबूर होकर संस्था को एक बार फिर आयोग का दरवाजा खटखटाना पड़ा है। उधर दूसरी ओर पीपीएसए के अध्यक्ष प्रेम कश्यप ने बताया कि जो बच्चे सिनेमा हॉल में स्कूल ड्रेस पहनकर फिल्में देखने जाते हैं उनके टिकट पर रोक लगनी चाहिए। साथ ही अभिभावकों को भी अधिक जागरुक होने की जरूरत है। स्कूल से लगातार गैर हाजिर रहने पर बच्चे पर स्कूली स्तर पर कार्रवाई करने को भी आयोग द्वारा आदेश दिए जाने चाहिए।