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राज्य के सहकारिता सिस्टम को ऑनलाइन करने की कवायद

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(देहरादून) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिजिटल इंडिया की पहल के बाद अब उत्तराखंड का सहकारिता विभाग ने भी ऑनलाइन की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। पहले चरण में सहकारी बैंक व फाइनेंस सिस्टम को ऑनलाइन किया जाएगा, इसके बाद सरकार पूरे सहकारिता सिस्टम को ऑनलाइन करेगी।
सोमवार को उत्तराखंड राज्य सहकारी संघ लिमिटेड कार्यालय पर आयोजित 64वें सहकारिता सप्ताह के दौरान राज्य सहकारी संघ के अध्यक्ष दान सिंह रावत, डिप्टी रजिस्ट्रार नीरज बेलवाल ने यह बाते कही। बताया कि विभाग को डिजिटलाइजेशन करने में आने वाले खर्च का 60 फीसद केंद्र सरकार, 35 फीसद राज्य सरकार व पांच फीसद पैक्स समितियां खर्च करेगी। इस व्यवस्था के तहत सभी 759 पैक्स समितियों को ऑनलाइन किया जाएगा। अध्यक्ष ने बताया कि विभाग केंद्र सरकार से अपील कर रहा है कि चूंकि, राज्य की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है तो इसलिए केंद्र 80 फीसद खर्च वहन करे। बताया कि पहले चरण में सहकारी बैंक व फाइनेंस सिस्टम को डिजीटलाइज्ड करने के बाद पीडीएस सिस्टम, धान व गेहूं खरीद आदि सभी को इसके दायरे में शामिल किया जाएगा। जल्द ही ऑनलाइन करने की प्रक्रिया शुरू होगी।
2000 कार्यक्रम चलाएगा नाबार्ड
कार्यक्रम के दौरान नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक ने कहा कि अभी राज्य के किसान ऑनलाइन सिस्टम से अंजान है। इसलिए नाबार्ड दो हजार जागरूकता कार्यक्रम चलाने की तैयारी कर रहा है। जिससे किसानों को जागरूक किया जाएगा।
विशेषज्ञ देंगे किसानों को ट्रेनिंग
राज्य सहकारी संघ के अध्यक्ष दान सिंह रावत ने कहा कि सहकारिता विभाग भी किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएगा। इस दौरान विशेषज्ञ किसानों को इस व्यवस्था की बेसिक ट्रेनिंग देंगे। साथ ही विभाग ऑनलाइन प्रक्रिया को होर्डिंग्स, बैनर व नुक्कड़ नाटक के माध्यम से भी किसानों को जागरूक करेगा।
भ्रष्टाचार पर लगेगी लगाम
कार्यक्रम में निबंधक सहकारी समितियां बीएम मिश्रा ने बताया कि डिजीटलाइजेशन से भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी। हालांकि, इस व्यवस्था में कुछ जोखिम भी हैं, जिसका सावधानी से निस्तारण करना होगा।

अर्किटेक्ट प्लानर को लोक सूचनाधिकारी बनाए जाने पर सूचना आयोग ने जताई नाराजगी

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(देहरादून) सूचना आयोग ने सिडकुल (आइटी पार्क) में आर्किटेक्ट प्लानर को लोक सूचनाधिकारी (पीआइओ) बनाए जाने पर नाराजगी जाहिर की है। आयोग ने सिडकुल के प्रबंधन निदेशक को निर्देश दिए कि वह महाप्रबंधक (जीएम) को लोक सूचनाधिकारी बनाने की कार्रवाई अमल में लाएं। ताकि सूचना देने में अनावश्यक विलंब न हो।
टीएचडीसी कॉलोनी देहरादून निवासी महेश सैनी ने सिडकुल से विभिन्न बिंदुओं की सूचना मांगी थी। तय समय के भीतर पर्याप्त सूचना न मिल पाने पर उन्होंने सूचना आयोग में अपील की। आयोग के निर्देश के बाद सूचना तो उपलब्ध करा दी गई, लेकिन इस मामले में हुए विलंब पर राज्य सूचना आयुक्त सुरेंद्र सिंह रावत ने नाराजगी व्यक्त की। आयुक्त ने पाया कि सिडकुल में आर्किटेक्ट प्लानर को लोक सूचनाधिकारी बनाया गया है, जो कि प्रशासनिक अधिकारी नहीं हैं।
उन्होंने टिप्पणी में कहा कि प्रशासनिक ज्ञान के अभाव में ही इस मामले में सूचना देने में बेवजह विलंब हुआ है। हालांकि अकारण सूचना में विलंब अक्षम्य है, लिहाजा राज्य सूचना आयुक्त ने लोक सूचनाधिकारी का स्पष्टीकरण तलब किया कि क्यों न उन पर 25 हजार रुपये का अधिकतम जुर्माना लगा दिया जाए। उन पर जुमार्ने की राशि सुनवाई की अगली तिथि 19 दिसंबर को तय की जाएगी। 

देहरादून में सामने आये रोड रेज का मामला, जेडएसआई प्रमुख पर रॉड से हमले का प्रयास

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भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआइ) की क्षेत्रीय प्रमुख डॉ. अर्चना बहुगुणा पर कुछ युवकों ने रॉड से हमले का प्रयास किया। इसके साथ ही उनके साथ अभद्रता भी की गई। डॉ. बहुगुणा की कार से आरोपियों की कार को हल्की टक्कर लगने पर ही कार सवार युवक भड़क उठे और उन पर रॉड तान दी।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक जेडएसआइ की क्षेत्रीय प्रमुख डॉ. अर्चना बहुगुणा सोमवार शाम को कार से कौलागढ़ की तरफ से बेटी को ट्यूशन छोडऩे जा रही थीं। इसी दौरान सिनर्जी अस्पताल के पास राम विहार की गली में चढ़ाई के दौरान उनकी कार थोड़ा पीछे आ गई और उनकी कार से सटकर चल रही दूसरी कार से टकरा गई। डॉ. बहुगुणा के मुताबिक टक्कर बेहद मामूली थी और उन्होंने इस पर माफी भी मांगी, लेकिन कार सवार युवक उनके साथ गाली-गलौच करने लगे। जब उन्होंने समझाने का प्रयास किया तो कार सवार युवकों ने रॉड निकालकर उन पर तान दी। आरोप है कि युवकों ने यह कहकर धमकाने का प्रयास भी किया कि ‘तुम नहीं जानते कि हम लोग कौन हैं। हालांकि डॉ. अर्चना बहुगुणा के ड्राइवर ने मोबाइल से युवकों की तस्वीर खींची तो वे मुहं छिपाकर भाग खड़े हुए। बताया जा रहा है कि युवक आसपास के इलाके के ही थे। खबर लिखे जाने तक इस मामले की शिकायत पुलिस में नहीं की जा सकी थी।

पुलिस में महिलाओं की भर्ती महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है: अनिल रतूड़ी

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पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय नरेन्द्रनगर, टिहरी गढ़वाल में आयोजित विशेष महिला उपनिरीक्षक नागरिक पुलिस सीधी भर्ती के 48 उपनिरीक्षक नागरिक पुलिस प्रशिक्षुओं की दीक्षान्त परेड में मुख्य अतिथि के रूप में पुलिस महानिदेशक ने परेड का मान-प्रणाम ग्रहण किया गया और दीक्षान्त परेड का निरीक्षण किया। 

इस मौके पर बेहतरीन प्रदरऩश करने वाली कैडेटस को सम्मानित किया गया। इनमे कुमारी लक्ष्मी सकलानी, कुमारी पिंकी तोमर, प्रथम परेड कमाण्डर प्रीति ग्वाड़ी, द्वितीय परेड कमाण्डर पूनम रावत तथा परेड एडज्यूडेन्ट के लिये कुमारी मेघा शर्मा शामिल रही।

शानदार परेड के लिए समस्त प्रशिक्षुओं को बधाई देते हुए पुलिस महानिदेशक ने कहा कि, “राज्य में पहली बार इतनी बडी संख्या में पुलिस में महिलाओं की भागीदारी हो रही है यह महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है। आप सौभाग्यशाली हैं कि एक ऐसे वर्दीधारी बल में शामिल हो रहें  जिसे एक्जीक्यूटिव कानून के अधिकार मिले हैं तथा एक प्रजातान्त्रिक व्यवस्था में अत्याधिक शक्तियां प्रदान की गयी हैं। वर्दी पहनना एक गौरव का विषय है जो आपको  अपने कर्तव्य पालन करने के लिए प्रेरित करती है।” 

राज्य के पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय नरेन्द्रनगर में पहली बार सीधी भर्ती के माध्यम से चयनित उपनिरीक्षकों का एक वर्ष का आधारभूत प्रशिक्षण सफलता पूर्वक पूरा कराया गया। इससे पहले उप निरीक्षकों के आधारभूत प्रशिक्षण राज्य से बाहर उत्तर-प्रदेशअन्य राज्यों में सम्पन्न कराये जाते रहे है।

राज्य पुलिस में महिला उपनिरीक्षकों की भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा वर्ष-2016 में महिला उपनिरीक्षकों की विशेष भर्ती करायी गयी। वर्तमान में महिला उपनिरीक्षक सीधी भर्ती वर्ष-2016 के माध्यम से चयनित प्रथम बैच में 44 महिला तथा वर्ष-2014 के 4 (2 पुरूष, 2 महिला) कुल 48, उपनिरीक्षक प्रशिक्षु कसम परेड के उपरान्त पुलिस की मुख्यधारा में शामिल हुये। इसी क्रम में द्वितीय बैच के प्रशिणाधीन 29 प्रशिक्षु माह फरवरी 2018, तथा तृतीय बैच के 47 प्रशिक्षु माह मई 2018 में इस संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त कर राज्य के पुलिस बल में शामिल होंगे।

भविष्य में लोक सेवा आयोग के माध्यम से चयनित 21 पुलिस उपाधीक्षकों का प्रशिक्षण भी पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय नरेन्द्रनगर में संचालित किया जाना भी प्रस्तावित है।    

जसपुर में मिला डायनासोर जैसा कंकाल

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जसपुर, विद्युत उपकेंद्र के पुराने खंडहरनुमा भवन में डायनासोर की तरह दिखने वाले किसी जीव का कंकाल मिला है। इसकी लंबाई दो फीट और ऊंचाई एक फीट बताई जा रही है। कंकाल देखने में हूबहू डायनासोर जैसा है। इसको लेकर क्षेत्र में खासा कौतूहल है। पुलिस ने कंकाल कब्जे में लेकर जांच में वनाधिकारियों से मदद मांगी है। आमतौर पर इस तरह आकृति के जीव उत्तराखंड के जंगलों में नहीं देखे गए हैं।

कस्बे के फैज-ए-आम मार्ग स्थित विद्युत सब स्टेशन का 35 वर्ष पुराना भवन खंडहर में तब्दील हो चुका है। यहां बिलिंग काउंटर बनाने के लिए रविवार को विभागीय कर्मचारी सफाई करा रहे थे। तभी कबाड़ निकालते समय ठेकेदार सलीम अहमद को उसमें कंकाल दिखाई दिया। कर्मचारी ने कंकाल को बाहर निकाला। कंकाल देख सभी अचंभे में पड़ गए। इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों व पुलिस को दी गई। इसी दौरान डायनासोर जैसा कंकाल मिलने की सूचना क्षेत्र में फैल गई। कंकाल देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। पुलिस ने कंकाल कब्जे में लेकर कोतवाली में रखा है।

कोतवाल अबुल कलाम ने बताया कि, “विभागीय अधिकारियों को भी इसकी सूचना दी गई है। वन विभाग के अधिकारियों को यह पता करने के लिए बुलाया गया है कि कंकाल किस प्रजाति के वन्यजीव का है।”

कुमाऊं पश्चिमी वृत्त के वन संरक्षक डॉ. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि डायनासोर विलुप्त हो चुके हैं। इसे डायनासोर तो नहीं कह सकते, लेकिन उत्तराखंड के जंगलों में इस आकृति का कोई जीव भी नहीं पाया जाता। कंकाल की पूंछ संदेह पैदा कर रही है। यह किसी पक्षी प्रजाति का भी हो सकता है। कंकाल की कार्बन डेटिंग के सहारे जांच की जाएगी।

पश्चिमी विक्षोभ के चलते नैनीताल का तापमान काबू में रहा

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rain saves naini lake

नैनीताल का मौसम खुशनुमा बनाए रखने में पश्चिमी विक्षोभ कारगर साबित हुआ। बीते मई में भी अधिकतम तापमान 29 डिग्री सेल्सियस के पार नहीं जा पाया। नैनीताल स्थित मौसम विज्ञान केंद्र के आंकड़ों के अनुसार इस साल गर्मी में जब मैदान इलाके तप रहे थे उस समय यहां समय-समय पर बारिश मेहरबान होती रही। जून में भी आए दिन वर्षा का क्रम जारी रहा और तापमान को सिर उठाने का मौका नहीं मिला।

सरोवर नगरी में इस बार पश्चिमी विक्षोभ के साथ ही मानसून जमकर मेहरबान रहा। मई से लेकर सितंबर तक 2134 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई। जीआइसी मौसम विज्ञान केंद्र से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक मानसून के सर्वाधिक मेघ जुलाई में बरसे। जिसमें 788 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई। मई में 225 मिमी वर्षा हुई, जबकि प्रचंड गर्मी वाले जून में 306 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई। अगस्त में 427 मिमी वर्षा हुई। सितंबर माह में 391 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई। मौसम विज्ञान केंद्र प्रभारी प्रताप सिंह बिष्ट का मानना है कि संभवत: मई में कई बार पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय रहने से यहां के वातावरण के नमी में काफी वृद्धि हो गई और लोकल वर्षा का चक्र चल पड़ा। जिससे स्थानीय वर्षा शुरू हो गई।

इस वर्ष मई से अक्टूबर के बीच अधिकतम पारा (डिग्री सेल्सियस में) 

7,8 व 15 मई -29

5 जून -29

24 जुलाई- 22.7

7 अगस्त – 24

30 सितंबर- 25

17 अक्टूबर- 25

पिछले सात सालों में पारा 

-मई 2017  में तीन बार अधिकतम 29 व जून में एक ही बार

-मई 2016 मई दो बार अधिकतम 29 डिग्री सेल्सियस

– मई 2015 मई में दो बार पारा 31 डिग्री सेल्सियस तक गया और जून में पांच बार 31 तक पहुंचा।

– मई 2014 मई में 28 से उपर नही गया, जून में 30 डिग्री सेल्सियस पर आकर ठहरा

– मई और जून 2012 में 31 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा।

आठ साधुओं समेत 15 को मिली बद्रीनाथ में रहने की अनुमति

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(गोपेश्वर) बद्रीनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। इस अवधि में बद्रीनाथ में बिना अनुमति के पुलिस और सेना के अलावा जिन्हें रहना होता है, उन्हें प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ती है। इस बार आठ साधुओं सहित 15 लोगों को अभी तक बद्रीनाथ में रहने की अनुमति मिली है।
शीतकाल में बद्रीनाथ मंदिर में सुरक्षा और अन्य आश्रमों, भवनों के कुछ लोग प्रशासन की अनुमति से ही रह पाते हैं। जो तपस्वी साधु भी बद्रीनाथ में इस अवधि में तप करना चाहते हैं, उन्हें भी इसके लिए प्रशासन से अनुमति लेनी होती है। इसके लिए बद्रीनाथ में अभी तक 8 साधुओं साहित 15 लोगों ने यहां पर रहने की अनुमति प्रशासन से मांगी है। हालांकि अभी यह संख्या और भी बढ़ सकती है। मंदिर की सुरक्षा के लिए बीकेटीसी के निश्चित कर्मी भी बद्रीनाथ में रहेंगे। बद्रीनाथ के थानाध्यक्ष दीपक रावत ने बताया कि बद्रीनाथ में 8 साधुओं सहित 15 लोगों को अभी तक बद्रीनाथ धाम में रहने की अनुमति मिली है। उन्होंने कहा कि यह संख्या बढ़ भी सकती है।

योगध्यान बदरी में विराजे उद्धव व कुबेरजी

बद्रीनाथ के कपाट बंद होने के बाद सोमवार को उद्धवजी व कुबेरजी का उत्सव विग्रह योगध्यान बदरी पांडूकेश्वर में विराजमान हो गये हैं। जहां शीतकाल में इनकी पूजा-अर्चना की जाएगी। वहीं आदिगुरु शंकाराचार्य की गद्दी को नृसिंह मंदिर जोशीमठ लाया गया है।
बद्रीनाथ के कपाट बंद होने के बाद बदरीश पंचायत से कुबेर जी व उद्धव जी के उत्सव विग्रह को योगध्यान बदरी पांडूकेश्वर लाया जाता है। रविवार को बदरीनाथ के कपाट संधसमय बंद होने के कारण कुबेर व उद्धव के उत्सव विग्रह को सोमवार को पांडुकेश्वर लाया गया जहां पूजा अर्चना के बाद उन्हें विराजमान किया गया। जहां पर शीतकाल में दोनों देवों की पूजा अर्चना की जाएगी। वहीं आदिगुरु शंकराचार्य की गद्दी को भी जोशीमठ नृसिंह मंदिर में स्थापित कर दिया गया है। जहां पर इसकी शीतकाल में पूजा-अर्चना की जाएगी। 

भविष्य बद्री मंदिर के कपाट भी हुए बंद

 पंच बद्री में से एक भविष्य बद्री (सुभाई) मंदिर के कपाट भी बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के समय पर रविवार सांय 7 बजकर 28 मिीतकाल के लिए बंद हो गए हैं।
भविष्य बद्री मंदिर के मुख्य पुजारी सुशील चंद डिमरी ने बताया कि बद्रीनाथ मंदिर की तरह भविष्य बद्री मंदिर के कपाट भी नित्य पूजा, अभिषेक और भोग के बाद शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। अब अगले वर्ष भगवान के कपाट बद्रीनाथ के कपाट खुलने के समय ही खुलेंगे। मान्यता है कि भविष्य में जोशीमठ-बद्रीनाथ मार्ग पर जब जय-विजय पहाड़ मिल जाएंगे, तभी भगवान बद्री विशाल के दर्शन भविष्य बद्री में होंगे। मूल रूप से भविष्य बद्री के रूप में एक जगह पत्थर पर भगवान बद्री विशाल का अदभुत विग्रह स्वयं अंकित हो रहा है। भगवान के चेहरे के दर्शन पूर्ण रूप से प्रकट होने लगा है। यह स्थान जोशीमठ मलारी मोटर मार्ग पर तपोवन से सलधार होते हुए सुभाई गांव में भविष्य बद्री मंदिर स्थापित है। यहां पर भगवान श्री हरी के साथ-साथ शालिग्राम रूप में बद्रीश पंचायत भी अंकित हो रही है। 

मुख्यमंत्री स्वास्थ बीमा योजना के लाभार्थी इलाज की झेल रहे परेशानियां

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(देहरादून) मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत मरीजों को अब नई मुसीबत से जूझना पड़ रहा है। उनके पास कार्ड है, पर इलाज फिर भी नहीं मिल पा रहा। अस्पताल पहुंचने पर पता चलता है कि कार्ड मान्य नहीं है। ऐसे में उन्हें बिना इलाज वापस लौटना पड़ रहा है।
एमएसबीवाई से जुड़ी बीमा कंपनी ने राज्य स्थापना दिवस पर योजना से हाथ खींच लिए थे। जिसके बाद से इस योजना के तहत मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा था। स्थिति बिगड़ती देख सरकार ने मरीजों का खर्च स्वयं वहन करने का फैसला लिया। इस काम के लिए मुख्य चिकित्साधिकारियों को माध्यम बनाया गया है। एमएसबीवाई कार्ड धारकों को सीएमओ से अप्रूवल मिलने के बाद इलाज दिया जाता है। इलाज में आने वाले खर्च का बिल बनाकर सीएमओ ऑफिस भेजा जाता है। फिर सीएमओ कार्यालय की तरफ से भुगतान जारी किया जाता है। लेकिन इस बीच कई मरीज ऐसे भी हैं, जो अभी भी इलाज से महरूम हैं। अस्पतालों से ऐसे मरीज लगातार बिना इलाज लौट रहे हैं। बताया गया कि विभागीय वेबसाइट पर कार्ड सत्यापित करने पर ‘अमान्य’ का मैसेज आ रहा है। बता दें कि त्रुटियों के चलते बीमा कंपनी ने गत वर्ष करीब तीन लाख कार्ड ब्लॉक कर दिए थे। तब यह कहा गया कि कार्ड अपात्र लोगों के ब्लॉक किए गए हैं। जबकि इनमें कई बीपीएल व अन्य पात्र लोग भी शामिल थे। ऐसे में सैकड़ों लोग पात्र होकर भी ब्लॉक कार्ड लिए घूम रहे हैं। इसका पता उन्हें तब चलता है जब वह अस्पताल इलाज के लिए पहुंचते हैं। अधिकारियों का कहना है कि बिना कार्ड का सत्यापन हुए इलाज दे पाना संभव नहीं है।
क्या है एमएसबीवाई
अप्रैल 2015 में शुरू हुई मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत लाभार्थियों को बायोमेट्रिक स्मार्ट कार्ड जारी किए गए थे। जिसके तहत कार्डधारक परिवार को 50 हजार रुपये का हेल्थ कवर और सवा लाख रुपये गंभीर बीमारियों का बीमा कवर मिलता है। इस कार्ड का इस्तेमाल एमएसबीवाई के पैनल में शामिल किसी भी अस्पताल में इलाज के लिए किया जा सकता है। योजना में सरकारी कर्मचारी, पेंशनर और आयकर दाता शामिल नहीं हैं। 

अब सिर्फ करना नहीं है, वरन क्या करना है, ये भी निर्धारित करना हैः मुख्यमंत्री

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(देहरादून) प्रारंभिक फेज में अधिकारी उप जिलाधिकारी, सीडीओ, जिलाधिकारी के रूप में नीतियों, नियमों, निर्देशों का सिर्फ पालन कर रहे थे, लेकिन आठ-10 साल के अनुभव के बाद अब बड़ी जिम्मेदारियों के साथ उन्हें नीतियों-नियमों के निर्धारण में भी अपनी भूमिका अदा करनी होगी। वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के फेज-तीन मध्यावधि प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘सिर्फ करना नही है, वरन क्या करना है, अब यह भी आपको निर्धारित करना है।

सोमवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के प्रशिक्षण सत्र को संबोधित किया। ये अधिकारी अकादमी में फेज-तीन मध्यावधि प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए आए हैं। आईएएस प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि 22 राज्यों के 85 अधिकारियों की उपस्थिति राष्ट्र की विशालता और विविधता में एकता की परिचायक है। उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य ने देश के चार कोनों में चार धाम स्थापित कर सांस्कृतिक एकता को मजबूत किया था। सरदार पटेल ने स्वतंत्रता प्राप्त होने के उपरान्त देश की विभिन्न रियासतों को भारत संघ में विलय करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यावधि प्रशिक्षण कार्यक्रम 8-10 वर्ष का अनुभव प्राप्त कर चुके अधिकारियों के लिए आयोजित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आधुनिक कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी से लगातार अपडेट रहने को कहा। उन्होने कहा कि नई पीढ़ी अधिक होशियार है, उन्हें रिस्पांस तेज चाहिए, इसलिये आईएएस अफसर भी आधुनिक तकनीक के साथ लगातार रिस्पांसिव व अपडेटेड हों। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब व्हाट्सएप और सोशल मीडिया पर जनता अपनी समस्याए एवं शिकायतें भेजती है और तत्काल प्रतिउत्तर एवं समाधान की अपेक्षा करती है। अधिकारियों को भी नयी तकनीकि को अपनाना होगा।
मुख्यमंत्री ने जन संवाद का महत्व बताते हुए कहा कि कई बार जनता के बीच में से बहुत अच्छे सुझाव एवं समाधान प्राप्त होते हैं, अतः जनता से संवाद लगातार बनाए रखें। मुख्यमंत्री ने स्वंय के कृषि मंत्री के कार्यकाल का उल्लेख करते हुए बताया कि उन्होंने अपने अधिकारियों के साथ 07 दिन क्षेत्र भ्रमण किया और मौके पर ही तीन शासनादेश जारी किए थे। जनता से वार्तालाप के दौरान व्यवहारिक समाधान प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार जो नर्सरी एक्ट लाने जा रही है, वह भी जनता से प्राप्त सीधे फीडबैक के आधार पर ही तैयार किया गया है। उन्होने कहा कि समाज के प्रत्येक वर्ग में कोई न कोई गुण अवश्य होता है, उसको पहचान कर, सबको साथ लेकर आगे बढ़ना वरिष्ठ अधिकारियों की जिम्मेदारी है।
मुख्यमंत्री ने गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरित मानस में उल्लिखित पक्तियों ‘‘सचिव, वैद, गुरु तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस; राज, धर्म तन, तीनि कर होई बेगिहि नास‘‘ का उल्लेख किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारियों को राजनीतिक नेतृत्व के समक्ष अपनी राय बेबाकी से स्पष्ट वादिता के साथ रखनी चाहिए। उन्होने कहा नियम-कानूनों की जानकारी रखना तथा उनके बारे में अवगत कराना सचिव का कार्य है।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का स्वागत करते हुए अकादमी की निदेशक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी उपमा चौधरी ने कहा कि उनके कार्यकाल में पहली बार किसी मुख्य अतिथि ने पूरा अकादमी गीत सबके साथ पढ़ा। उन्होने उत्तराखण्ड सरकार द्वारा किए जा रहे विभिन्न जन कल्याणकारी कार्यो का उल्लेख भी किया। श्रीमती चौधरी ने कहा कि उत्तराखण्ड चौथा राज्य है जो ग्रामीण क्षेत्रों के लिए खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित हुआ है। उन्होने राज्य सरकार की 670 न्याय पंचायतों को ग्रोथ सेण्टर बनाने की योजना, टेली रेडियोलॉजी, टेलीमेडिसिन, बैलून टेक्नोलॉजी का भी उल्लेख किया। उन्होने बाहर से आये आईएएस अधिकारियों को रिस्पना और कोसी नदी के पुनर्जीवीकरण अभियान के बारे में भी बताया।
एक माह के फेज-3 प्रशिक्षण कार्यक्रम में 22 राज्यों के 85 अधिकारी हैं। अधिकांश अधिकारी वर्ष 2006 से 2008 बैच के हैं। उत्तराखण्ड काडर के बृजेश संत, राघव लंगर, राजेश कुमार, एसएन पाण्डे और विनोद रतूड़ी इस मध्यावधि प्रशिक्षण कार्यक्रम में सम्मिलित है। इस मौके पर मुख्यमंत्री की सचिव राधिका झा, अकादमी की संयुक्त निदेशक आरती आहूजा आदि भी उपस्थित थे।

पति-पत्नी के बीच विवाद में बीच-बचाव करना बड़े भाई को पड़ भारी

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छोटे भाई को पत्नी के साथ लड़ता देख बड़े भाई को बचाव करना भारी पड़ गया। विवाद बढ़ने पर छोटे भाई ने पत्थर मारकर बड़े की हत्या कर दी। घटना के बाद आरोपी फरार हो गया।

बाजपुर, पति-पत्नी के बीच विवाद में बीच-बचाव करना बड़े भाई को भारी पड़ गया। बात बढ़ने पर हुई मारपीट में छोटे भाई ने उसकी हत्या कर दी।

ग्राम महेशपुरा में राजेशअपनी पत्न्नी से झगड़ा कर रहा था। बीच बचाव को आए बड़े भाई राकेश ने राजेश को समझाने का प्रयास किया। इसी बीच पत्नी को छोड़ राजेश अपने बड़े भाई और भाभी से उलझ गया। इस दौरान गुस्साए राजेश ने भाई पर पत्थर से हमला कर दिया। पत्थर लगते ही राकेश की मौके पर ही मौत हो गई।

घटना की सूचना पर पहुंची दोराहा पुलिस मामले की जांच की जा रही है। चौकी प्रभारी पंकज जोशी ने बताया कि, “अभी तक पत्थर लगने से मृत्यु होने का मामला सामने आया है, फिर भी ग्रामीणों से पूछताछ की जा रही है।” परिवार की ओर से तहरीर आने पर मामला दर्ज किया जाएगा। वहीं घटना की सूचना उच्चाधिकारियों को भी दे दी गई।