Page 336

नशाखोरी के विरुद्ध चलाएंगे अभियान

0

पिथौरागढ़, पुलिस अधीक्षक अजय जोशी ने बाहरी व्यक्तियों के सत्यापन कार्य में तेजी लानें के निर्देश देते हुए युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति पर चिंता जताई।

नेशनल फाउंडेशन फॉर कम्युनल हारमोनी कैंपेन के तहत एसपी की अध्यक्षता में विभिन्न संगठनों की बैठक हुई, जिसमें युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति पर चिंता प्रकट की गई। साथ ही शहर की यातायात व्यवस्था, सांप्रदायिक सौहार्द और बाहरी व्यक्तियों के सत्यापन पर भी चर्चा की गई।

बैठक में विभिन्न संगठनों के लोगों ने लोहाघाट में घटित गोवंश की हत्या का मुद्दा उठाते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं ठीक नहीं हैं। उन्होंने नशे पर रोक के लिए सभी थानाध्यक्षों को चेकिंग अभियान चलाने के निर्देश दिए। साथ ही नशा करने वाले संभावित स्थानों पर लगातार औचक निरीक्षण किया जाएगा।

ये कैसा डायनासोर का उत्तराखण्ड में मचा शोर

0

उधमसिंह नगर। जसपुर में विद्युत उपकेंद्र के पुराने खंडहरनुमा भवन में डायनासोर की तरह दिखने वाले किसी जीव का कंकाल मिला है। इसकी लंबाई दो फीट और ऊंचाई एक फीट बताई जा रही है। कंकाल देखने में हूबहू डायनासोर जैसा है। इसको लेकर क्षेत्र में खासा कौतूहल है। पुलिस ने कंकाल कब्जे में लेकर जांच में वनाधिकारियों से मदद मांगी है। आमतौर पर इस तरह आकृति के जीव उत्तराखंड के जंगलों में नहीं देखे गए हैं।

कस्बे के फैज-ए-आम मार्ग स्थित विद्युत सब स्टेशन का 35 वर्ष पुराना भवन खंडहर में तब्दील हो चुका है। यहां बिलिंग काउंटर बनाने के लिए रविवार को विभागीय कर्मचारी सफाई करा रहे थे। तभी कबाड़ निकालते समय ठेकेदार सलीम अहमद को उसमें कंकाल दिखाई दिया। कर्मचारी ने कंकाल को बाहर निकाला। कंकाल देख सभी अचंभे में पड़ गए। इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों व पुलिस को दी गई। इसी दौरान डायनासोर जैसा कंकाल मिलने की सूचना क्षेत्र में फैल गई। कंकाल देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। पुलिस ने कंकाल कब्जे में लेकर कोतवाली में रखा है।

विश्वविघालय में घुसा मगरमच्छ, मचा हड़कम्प

0

रुद्रपुर। पंतनगर विश्वविद्यालय के परिसर में एक मगरमच्छ घुस आया। जिससे लोगों में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में इसकी सूचना वन विभाग को दी। कड़ी मेहनत के बाद वन विभाग ने मगरमच्छ पर काबू पाया।

पंतनगर विश्वविद्यालय के मत्स्य विज्ञान महाविद्यालय में अचानक कहीं से एक मगरमच्छ घुस आया। जब महाविद्यालय के फिश हैचरी कर्मियों ने मगरमच्छ को देखा तो उनमें दहशत फैल गर्इ। उन्होंने तुरंत इसकी सूचना विवि के अधिकारियों और वन विभाग को दी। सूचना पर पहुंचे वन विभाग के कर्मियों ने एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद मगरमच्छ को पकड़ लिया और उसे गूलरभोज जलाशय में छोड़ा गया। वन रेंजर शशिवर्धन अधिकारी ने बताया कि पकड़ा गया मगरमच्छ अभी बच्चा है। वहीं कयास लागए जा रहे हैं कि मगरमच्छ हैचरी के बगल में बहने वाली बेनी नदी से आया होगा।

घोटालों के कालेज में पुस्तकों का भी घोटाला

0
राधेहरि राजकीय महाविद्यालय प्रशासन द्वारा लाइब्रेरी में पुस्तकों की खरीद में भारी घोटाले का आरोप लगाते हुए छात्र नेताओं ने लाइब्रेरी में हंगामा काटा। उन्होंने कार्यकारी प्राचार्या का घेराव कर आरोप लगाया कि पुस्तकें बगैर किसी टेंडर के निर्धारित मूल्य से अधिक दामों पर खुले बाजार से क्रय की गई हैं। इतना ही नही, पुस्तकों की संख्या भी कई गुना अधिक दर्शाई गई है।

महाविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष गुरप्रेम सिंह ने 16 नवंबर को आरटीआई के तहत महाविद्यालय में वर्ष 2015 से अब तक खरीदी गई पुस्तकों के बारे में पूर्ण विवरण मांगा है। छात्र नेताओं का आरोप है कि महाविद्यालय प्रशासन ने इन किताबों की खरीद में लाखों का घोटाला किया है। मामले को लेकर छात्रसंघ अध्यक्ष गुरप्रेम सिंह, पूर्व अध्यक्ष राहुल कांबोज, संयुक्त सचिव प्रियंका के नेतृत्व में छात्रों ने महाविद्यालय की लाइब्रेरी में हंगामा काटा।

उनका कहना था कि कॉलेज की लाइब्रेरी में दो माह पूर्व बहुत कम संख्या में पुस्तकें आई हैं, जबकि उनकी संख्या हजारों में बताई गई है। इन किताबों पर अंकित मूल्य काले स्कैच पेन से मिटाए गए है। कॉलेज प्रशासन ने 18 लाख 66 हजार 550 रुपये की पुस्तकें खरीदने का दावा किया गया है, जबकि लाइब्रेरी में पहुंची पुस्तकों का वास्तविक मूल्य दो लाख रुपये से भी कम है। ज्यादातर पुस्तकें मौजूदा पाठ्यक्रम से भिन्न है। उन्होंने मामले की जांच कराए जाने को लेकर कार्यकारी प्राचार्या डॉ. कमला शर्मा का घेराव भी किया। हंगामा करने वालों ने पुस्तकों की खरीद के मामले की निष्पक्ष जांच न होने पर आमरण अनशन शुरू करने की भी चेतावनी दी।

महाविद्यालय के पुस्तकालय प्रभारी डॉ. सुभाष सिंह कुशवाहा ने भी स्वीकार किया कि पुस्तकों की खरीद नियमानुसार नहीं की गई है। इस कारण इन पुस्तकों को दो माह बाद भी लाइब्रेरी के रिकार्ड में नहीं चढ़ाया जा सका है। डॉ. कुशवाहा ने बताया कि महाविद्यालय प्रशासन द्वारा जो पुस्तकें खरीदी जाती है, उन्हें पुस्तकालय के रिकार्ड में चढ़ाया जाता हैै। रिकार्ड में पुस्तकें चढ़ाते समय लेखक, पुस्तक का नाम, संस्करण, प्रकाशक का नाम, प्रकाशन का वर्ष, बिल नंबर आदि का संपूर्ण विवरण दर्ज किया जाता है। तीन माह पूर्व लाइब्रेरी में लाई गई पुस्तकों का बिल आदि प्राप्त नहीं हो सका है। इस कारण ये पुस्तकें रिकार्ड में नहीं चढ़ाई जा सकी हैं।

मछली पालन से सुधरेगी किसानों की आर्थिकी

0

देहरादून। मत्स्य विभाग एवं मत्स्य पालकों को विश्व मात्स्यिकी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि किसानों की आय को दोगुनी करने के लिए मछली पालन एक अच्छा विकल्प हो सकता है। उन्होंने कहा कि मछली पालन को मार्केटिंग की समस्या नहीं होती और ना ही मूल्य की शिकायत होती है।

मंगलवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने वीर शिरोमणि माधव सिंह भंडारी किसान भवन, देहरादून में विश्व मात्स्यिकी दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मत्स्य पालन में जागरूकता की कमी के कारण हम आवश्यकता के अनुरूप उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं। मत्स्य उत्पादन में लगे किसानों को उत्पादन बढ़ाने के लिए मत्स्य उत्पादन का ज्ञान बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने अध्ययन पर बल देते हुए कहा कि यदि हमारा किसान पढ़ा लिखा होगा, तो नई तकनीक का उपयोग कर अपने उत्पादन को बढ़ा सकेगा। उन्होंने कहा कि किसानों को इंटीग्रेटिड खेती करने की जरूरत है। यदि मत्स्य पालन के साथ बत्तख पालन को जोड़ दें तो इससे मछलियों को वन्य जीवों से सुरक्षा एवं चारा दोनों उपलब्ध होगा, साथ ही बत्तख के अंडे से कमाई के स्रोतों में वृद्धि होगी। मत्स्य पालन के प्रशिक्षण के लिए रिफ्रेशर कोर्स भी चलाए जाने चाहिए। उन्होंने इस अवसर पर मत्स्य पालन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कृषकों को सम्मानित भी किया। उन्होंने चयनित मत्स्य पालकों को इंसुलेटेड वैन, मोबाइल फिश आउटलेट एवं आईसबॉक्स से लैस मोटरबाइक भी वितरित की।
इस मौके पर राज्यमंत्री(स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्या ने कहा कि मछली पालन जहां किसानों के लिए लाभप्रद व्यवसाय है, वहीं स्वास्थ्य के लिए भी लाभप्रद है। पर्वतीय क्षेत्रों में इसके प्रति उदासीनता को समाप्त किया जाना चाहिए। यह कम लागत में अधिक मुनाफा वाला कार्य है। इससे रोजगार भी उपलब्ध होगा। इस अवसर पर सचिव मत्स्य आर.मीनाक्षीसुंदरम और निदेशक यूसर्क दुर्गेश पंत भी उपस्थित रहे।

राज्य का अपना डाटा सेंटर मार्च तक होगा स्थापित

0

देहरादून। उत्तराखंड डिजिटल इंडिया के नौ स्तम्भों को मजबूत करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। मार्च, 2018 तक राज्य का अपना डाटा सेंटर भी स्थापित हो जाएगा। 450 ट्रेटाबाइट के इस डाटा सेंटर के जरिए हाइपर कनवर्जेंट इंफ्रास्ट्रक्चर (एचसीआई) बनेगा।

डिजिटल इंडिया के नौ स्तम्भों में ब्रॉडबैंड हाइवेज, यूनिवर्सल एक्सेस टू मोबाइल कनेक्टिविटी, पब्लिक इंटरनेट एक्सेस प्रोग्राम, ई-गवर्नेंस, ई-क्रांति, इंफार्मेंशन फॉर ऑल, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग, आईटी फॉर जॉब्स, अर्ली हरवेस्ट हैं। इसके लिए राज्य स्वान का अपग्रेडेशन, एयरोस्टेट बलून, ई-डिस्ट्रिक्ट, सीएम डैशबोर्ड, ब्लॉक स्तर तक वीडियो कांफ्रेंसिंग पर फोकस कर रहा है। इस संबंध में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने ग्राम पंचायतों तक फाइबर केबिल बिछाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत नेट की इस परियोजना का लाभ उठाया जाए। बैठक में बताया गया कि आईटीडीए(सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी) द्वारा स्टेट डाटा सेंटर को अंतिम रूप दिया जा रहा है। स्वान(क्षेत्रीय विस्तार नेटवर्क) को अपग्रेड किया जा रहा है। अभी तक तहसील/ब्लॉक स्तर पर 133 पॉप्स(प्वांइट ऑफ प्रिजेंस) के माध्यम से चलाया जा रहा है। नेशनल इंफार्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर का पायलट क्रियान्वयन देश के सात जनपदो में, जिसमें उत्तराखण्ड में हरिद्वार में किया जा रहा है। हरिद्वार के 06 ब्लॉक, 315 ग्राम पंचायतों में 660 हॉरिजेंटल कार्यालयों को इससे जोड़ा गया है।
इसके अलावा 131 ई-डिस्ट्रिक्ट केन्द्रों और ग्राम स्तर तक व्यक्तिगत कॉमन सर्विस केन्द्रों के माध्यम से जन सेवाएं दी जा रही है। इस समय 7950 कॉमन सर्विस केन्द्र संचालित हैं। इससे व्यक्तिगत उद्यमियों को रोजगार के अवसर मिल रहे है। साथ ही सचिवालय ई-गेट पास, बैलून प्रोजेक्ट, माई गोव, उमंग, राजकीय कार्यालयों में ई-ऑफिस आदि पर भी कार्य चल रहा है। बैठक में प्रमुख सचिव वित्त राधा रतूड़ी, सचिव आईटी रविनाथ रमन, निदेशक आईटीडीए अमित सिन्हा, अपर सचिव अरुणेन्द्र सिंह चौहान आदि अधिकारी उपस्थित रहे। 

सैंपल लेकर जांच कराना ‘भूल’ गया खाद्य सुरक्षा विभाग

0

(देहरादून) किसी भी जांच का असर तब नजर आता है जब उसके परिणाम तुरंत मिल जाएं। खाद्य सुरक्षा का कामकाज इसके ठीक उलट चलता है। रिकॉर्ड दुरुस्त करने के लिए त्योहारी सीजन में दूध और अन्य खाद्य पदार्थों की सैंपलिंग तो तेज कर ली जाती है, मगर उसके परिणाम को लेकर सरकारी तंत्र सुस्त पड़ जाता है। जिन खाद्य पदार्थों की सैंपलिंग के परिणाम 14 दिन के भीतर आने जाने चाहिए, महीनों तक भी पता नहीं चल पाता कि वे खाने लायक भी थे या नहीं। अब दिवाली के आसपास लिए गए सैंपलों का ही उदाहरण लीजिए। इसकी रिपोर्ट अब तक नहीं आई है।
त्योहारी सीजन में दूध एवं अन्य खाद्य पदार्थों में मिलावट कोई नई बात नहीं है। हैरत देखिए कि जांच के लिए जब अपनी लैब नहीं थी, तब भी रिपोर्ट आने में वक्त लगता था और अब रुद्रपुर में अपनी लैब है, तब भी परिणाम नहीं मिल पाते। दिवाली नजदीक आते ही खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण सैंपलिंग के मोर्चे पर चुस्त नजर आया। विभागीय टीम ने बाजार से धड़ाधड़ खाद्य पदार्थों के सैंपल लिए। विभागीय टीम ने शहर व आसपास छापेमारी कर तकरीबन 70 से अधिक सैंपल लिए। जहां सैंपल लिए गए उनमें छोटे-छोटे व्यापारी ही नहीं, बल्कि कई नामचीन प्रतिष्ठान भी शामिल हैं। बहरहाल सैंपलिंग तो हो गई, लेकिन इन खाद्य पदार्थों की रिपोर्ट कब आएगी, इसका अब तक अता-पता नहीं है। अधिकारी बताते हैं कि सभी सैंपल रुद्रपुर लैब को भेज दिए गए हैं। नियमत: इनकी रिपोर्ट एक पखवाड़े के भीतर आ जानी चाहिए, लेकिन एक माह बाद भी रिपोर्ट का अता पता नहीं है। रिपोर्ट तब आती है जब मिलावट का ‘जहर’ आम आदमी के हलक से नीचे उतर चुका होता है।
इस बारे में डॉ. बृजमोहन शर्मा, सचिव स्पेक्स
 कहते हैं कि “खाद्य पदार्थों के परीक्षण की प्रक्रिया बहुत जटिल नहीं है। न इसमें ज्यादा वक्त लगता है। रिपोर्ट त्योहार बीत जाने के कई दिन बाद आती है। जिस कारण आम आदमी को इसका फायदा नहीं मिलता।” वहीं जिला अभिहीत अधिकारी जीसी कंडवाल का कहना हा कि “दिवाली पर लिए गए सैंपल परीक्षण के लिए सैंपल लैब को भेजे गए थे। हाल में लैब से पत्र प्राप्त हुआ है। जिसमें काम की अधिकता के कारण और समय मांगा गया है। रिपोर्ट आने पर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।”

‘48वें आईएफएफआई’ का शाहरुख ने किया उद्घाटन

0

गोवा में शुरू हुए 48वें ‘अन्तराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव-2017’ का उद्घाटन बालीवुड स्टार शाहरुख खान ने और कार्यक्रम का संचालन राजकुमार राव और राधिका आप्टे ने किया ।

महोत्सव की शुरुआत ईरानी निर्देशक माजिद मजीदी की फिल्म ‘बियॉन्ड दा क्लाउड’ से हुआ। ‘बियॉन्ड दा क्लाउड’ मुंबई पृष्ठ भूमि पर बनी फिल्म है। इस फिल्म के मुख्य किरदार शाहिद कपूर के छोटे भाई इशान खट्टर और मालविका मोहनन हैं। मालविका मोहनन प्रसिद्ध सिनेमेटोग्राफर कु मोहनन की बेटी हैं।

इस फिल्म से जुड़ी खास बात यह है इशान खट्टर इस और ईरानी निर्देशक माजिद मजीदी की यह डेब्यु फिल्म है।
48वें अन्तराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के उद्घाटन समारोह में सूचना और प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी, फिल्म जगत से संगीतकार ए.आर रहमान, फिल्म निर्देशक विशाल भारद्वाज व कई अन्य कलाकार मौजूद रहे।

हाथी की मौत मामले में दो निलंबित

0

रामनगर- रामनगर के आमपोखरा रेंज में हाथी की मौत के मामले में दो कर्मचारियों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की गई है। बीते 28 अक्टूबर को आमपोखरा रेंज में दो हाथी दांत के साथ वन गूजर कासम को वन विभाग की टीम ने पकड़ा था। पूछताछ में आरोपी कासम द्वारा हाथी को चोरी छिपे दबाकर दांत निकालने की बात कही गई थी। इसके बाद वन विभाग की टीम ने हाथी को दबाने के मामले में हरीश चंद्र व एजाज को भी गिरफ्तार किया था।
इस मामले में वन विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल उठे थे। क्योंकि इतने बड़े हाथी को मारने व उसके दबाने की भनक वन कर्मियों को नहीं लगी। इस मामले की दो रेंजर जांच भी कर रहे हैं। ड्यूटी के प्रति लापरवाही पर वन विभाग ने संबंधित क्षेत्र के वन दरोगा व वन रक्षक के खिलाफ शासन को उनके निलंबन की संस्तुति भेजी थी। बताया जाता है कि दोनों कर्मचारियों के निलंबन के आदेश आ गए। हालांकि अधिकारियों को यह आदेश नहीं मिले हैं। सूत्रों की यदि मानें तो दो रेंजरों पर भी कार्रवाई हो सकती है। एसडीओ कलम सिंह बिष्ट ने बताया कि दोनों कर्मचारियों पर कार्रवाई के लिए संस्तुति की गई थी।

गेहूं बीज घोटाले की जांच को टीम बिहार और यूपी रवाना

0

रुद्रपुर-16 करोड़ रुपये के टीडीसी गेहूं बीज घोटाले की जांच के लिए एसआईटी की टीमें यूपी और बिहार को रवाना होंगी। यह टीमें वहां स्टाक का सत्यापन करेंगी। एसपी सिटी व एसआईटी के प्रभारी देवेंद्र पिंचा ने बताया कि टीडीसी गेहूं बीज घोटाले की जांच अंतिम चरण में है।

एसपी सिटी श्री पिंचा ने बताया कि टीडीसी गेहूं बीज घोटाले में एसआईटी ने सभी दस्तावेजों की जांच कर ली है। यहां के स्टाक का सत्यापन किया जा चुका है। चूंकि गेहूं का बीज यूपी व बिहार में बेचा गया है, इसलिए वहां भी स्टाक रजिस्टरों का सत्यापन किया जाएगा। गौरतलब है कि टीडीसी गेहूं बीज घोटाले की शासन स्तर से जांच कराने के बाद रिपोर्ट दर्ज कराने का निर्देश दिया गया था। टीडीसी के अधिकारियों ने गेहूं बीज को न सिर्फ सस्ते दामों पर बेचा, बल्कि एक के साथ एक कट्टा फ्री देने की स्कीम चला कर टीडीसी को करोड़ों की क्षति पहुंचाई थी, जिससे टीडीसी का अस्तित्व ही खतरे में आ गया था। कर्मचारियों को वेतन देने के भी लाले पड़ गए थे। शासन ने इस घोटाले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। इस मामले में टीडीसी के पूर्व प्रबंध निदेशक समेत कई अफसरों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी। एसआईटी मौजूद आरोपियों के बयान दर्ज कर चुकी है। गेहूं बीज घोटाले की जांच अंतिम चरण है। माना जा रहा है कि टीडीसी गेहूं बीज घोटाले में टीडीसी के कुछ अफसरों पर कार्रवाई होनी तय है।