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बाइक चलाते मुंह पर कपड़ा बांधने पर होगी कार्रवाई

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हरिद्वार जनपद, के रुड़की कोर्ट परिसर में हुए देवपाल राणा शूटआउट मामले में पुलिस अब सुरक्षा की जगह समीक्षा करने में जुट गई है। साथ ही अब नए आदेश भी जारी हो गए हैं, जिसके मुताबिक अब रुड़की में बाइक पर मुंह ढककर सफर करने वालों को कानून के पचड़े में फंसना पड़ सकता है।

हरिद्वार जिला लगातार अपराधियों के निशाने पर हैं। डबल मर्डर की गुत्थी अभी तक सुलझी भी नहीं थी कि रुड़की में शूटआउट ने पुलिस प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। जिले में बदमाशों के बुलंद हौसलों से लगता है जैसे अपराधियों के मन में अब पुलिस का बिल्कुल भी खौफ नहीं बचा है। वहीं सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या सच में हरिद्वार अपराधियों के लिए हत्या, लूट और डकैती जैसी वारदात को अंजाम देने का सॉफ्ट प्वाइंट बन गया है।

रुड़की परिसर में हुए कुख्यात देवपाल राणा हत्याकांड मामले के बाद पुलिस ने इलाके में दोपहिया वाहन पर सफर करते हुए मुंह ढकने वालों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। एसपी देहात मणिकांत मिश्रा ने सभी थाना प्रभारियों को आदेश दिए हैं कि कोई भी व्यक्ति अगर बाइक या स्कूटर मुंह ढक कर चलाएगा, तो उसके ऊपर कार्रवाई की जाए। मामले को लेकर हरिद्वार एसएसपी कृष्ण कुमार वीके का कहना है कि ये आदेश फिलहाल रुड़की में लागू किया गया है। दरअसल, देवपाल राणा हत्याकांड मामले में आरोपी बाइक पर जब आये थे, तो मुंह ढक कर ही आये थे। लिहाजा ऐसे में पुलिस चाहती है कि इस ट्रेंड को रोका जाए। 

अब नाबालिग को वाहन चलाना पड़ेगा महंगा

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नाबालिग बच्चों के दोपहिया वाहन चलाने को लेकर हरिद्वार पुलिस अब सख्त हो गई है। जिसके चलते पुलिस ने स्कूलों के बाहर पहुंचकर कई स्कूटी और बाइकों के चालान किए। साथ ही मां-बाप से भी नाबालिग बच्चों को गाड़ी न देने की अपील की गई। पुलिस द्वारा बीते बुधवार से शुरू हुआ ये अभियान फिलहाल एक हफ्ते तक चलेगा।

आज कल स्कूलों में बड़ी संख्या में नाबालिग बच्चे स्कूटी और बाइकों से स्कूल आते हैं, जिसके चलते न केवल आए दिन हादसे हो रहे हैं बल्कि पुलिस को इसे रोकना भी चुनौती है। हालात ये हैं कि स्कूली बच्चों के पास लाइसेंस नहीं होता और कई तो नाबालिग होते हैं, ऐसे में स्कूल आने वाले छात्रों का चालान कर गाड़ियां सीज कर दी गई, साथ ही इनके परिजनों को सूचना भी दे दी है। लोगों की माने तो स्कूलों के बाहर बड़ी संख्या में वाहन खड़े रहते हैं, इससे न केवल आने-जाने में बड़े वाहनों को दिक्कत होती है, बल्कि सड़क पर इनकी तेज स्पीड भी चिंता का विषय बनी रहती है।

कॉर्बेट लैंडस्केप में सुधारे जाएंगे वन्य जीवों के रहने की जगह

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(नैनीताल) कॉर्बेट लैंडस्केप के जंगलों में वन्यजीवों के वास स्थल अधिक अनुकूल बनाए जाएंगे। विशेषज्ञों की मदद से रामनगर वन प्रभाग में आठ स्थानों पर सघन ग्रासलैंड विकसित करने का काम शुरू कर दिया गया है।
जंगल में ग्रासलैंड ही हिंसक वन्य जीवों के छिपने, सोने व शिकार करने के अलावा चीतल सांभर, पाड़ा, हाथियों के चारे व रहने के लिए उपयुक्त जगह होती है। कार्बेट लैंडस्केप के रामनगर वन प्रभाग में जो ग्रासलैंड हैं, उनमें कई तरह की खरपतवार भी है। जो दूसरी प्रजाति के चारे को उगने नहीं देती है। ऐसे में चीतल, सांभर, पाड़ा व हाथियों को चारा नहीं मिल पाता है। यह खरपतवार वन्य जीवों की पंसदीदा प्रजाति के चारे के उगने में बाधक बनी है। ग्रासलैंड से खरपतवार हटाने व वन्य जीवों की निर्भरता वाली घास लगाने के लिए इन दिनों मध्यप्रदेश से वनस्पति विशेषज्ञ मुरातकर पहुंचे हैं। मुरातकार मध्यप्रदेश, उड़ीसा व छत्तीसगढ़ में बेहतर ग्रासलैंड विकसित कर चुके हैं। रामनगर वन प्रभाग यहां भी उनकी मदद ले रहा है। उन्होंने फील्ड कर्मियों को ग्रासलैंड विकसित करने से संबंधित जानकारियां दी।
मामले में डीएफओ रामनगर वन प्रभाग नेहा वर्मा ने बताया कि कर्मचारियों को मध्यप्रदेश के विशेषज्ञ द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कर्मचारियों को बताया जा रहा है कि किस महीने में कौन सी खरपतवार हटानी है। कब उसे लगाना चाहिए। साथ ही घास को पहचानने व कौन सी घास किस जानवर के लिए है, कौन सा क्षेत्र किस घास के लिए बेहतर है, इसकी जानकारी दी जा रही है।

यह है खरपतवार: लैंटाना, गाजर घास, काला बासा, वन तुलसी, पाती अधिकांश क्षेत्रों में फैली है। इस चारे को वन्य जीव नहीं खाते हैं। जबकि ग्रासलैंड में खस, दूब, गोरिया, कुमेरिया, फिरकिरी, बाबड़, पेनीकम, कांस, कुस घास लगाने की तैयारी चल रही है।

इन स्थानों परं विकसित होंगे ग्रासलैंड:कोसी रेंज में जमनिया चौड़, कोटा रेंज में चौफला, भंडार पानी, कालीगाड़, कुंआचौड़, देचौरी रेंज में हाथी गलियार, सांदनी चौड़, कालाढूंगी में ढापला।

साइबर अपराध का प्लेटफार्म बन रहा सोशल मीडिया

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(देहरादून) सोशल मीडिया पर अपराध का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है, इससे भी ज्यादा चिंताजनक यह है कि साइबर अपराधी आए दिन नए-नए तरीके अख्तियार कर लोगों को अपना शिकार बना हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो इसी साल नौकरी और लॉटरी जिताने के नाम पर 55 लोग ठगी का शिकार हो चुके हैं। जबकि एटीएम को आधार कार्ड से जोड़ने के नाम पर 380 लोगों को साइबर ठग अब तक निशाना बना चुके हैं।

सैंकड़ों लोग हो रहे साइबर अपराध का शिकार
मौजूदा समय में सोशल मीडिया आम आदमी के जीवन में दखल दे चुका है और हाल के वर्षों में अभिव्यक्ति का बड़ा माध्यम भी बनकर उभरा है। सोशल मीडिया के इसी बढ़ते दायरे का साइबर अपराधी अब अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल करने लगे हैं। 14 नवंबर को क्लेमेनटाउन के बिजनेस पार्क में ऐसे ही साइबर अपराधियों के ठिकाने का पता चला था, जहां कॉल सेंटर की आड़ लेकर ठग देश के विभिन्न प्रांतों के बेरोजगारों को एक साल से ठगी का शिकार बना रहे थे। इसके पहले 24 सितम्बर को नेहरू कॉलोनी में भी ऐसे ही एक कॉल सेंटर का एसटीएफ ने पर्दाफाश किया था। यह तो वह कॉल सेंटर और प्लेसमेंट एजेंसियां हैं, जिनका फर्जीवाड़ा पकड़ में आ चुका है। सूत्रों की मानें तो देहरादून में ऐसी कई संस्थाएं हैं जो बेरोजगारों को नौकरी दिलाने का झांसा देकर अपनी जेबें भर रहे हैं। साइबर अपराधियों के निशाने पर सिर्फ बेरोजगार हों, ऐसा नहीं है। आम लोगों से लेकर नौकरीपेशा, कारोबारियों को भी साइबर ठग निशाने बना रहे हैं। एसटीएफ की मानें तो इस साल एटीएम क्लोनिंग से लेकर बैंक खातों को आधार से जोडऩे के नाम पर 380 लोगों को साइबर ठग शिकार बना चुके हैं।

फिर भी सबक नहीं ले रहे लोग
एसटीएफ जहां सोशल मीडिया पर संपर्क में आने वाले लोगों की सत्यता जाने बगैर कोई कदम उठाने से बचने की आए दिन सलाह देती रहती है। आरबीआई किसी से भी बैंक खाते से जुड़ी कोई जानकारी साझा न करने की अपील करता आ रहा है। यही नहीं, आए दिन साइबर ठगी के मामले सुर्खियों में आते रहते हैं, इसके बावजूद लोग ठगों के प्रलोभन में आकर अपनी गोपनीय जानकारियां साझा करते जा रहे हैं। साइबर ठगों का अपने मंसूबे में कामयाब होने का यह एक बड़ा कारण है। मामले में एसएसपी एसटीएफ रिधिम अग्रवाल का कहना है कि साइबर ठगों पर शिकंजा कसने के हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन इस तरह की ठगी का शिकार होने से बचने के लिए जागरुकता अहम है। इसके लिए स्कूल-कॉलेजों के साथ जनसामान्य के बीच जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

अपराध पर अंकुश लगाने के लिए शहर में लगे सीसीटीवी कैमरे

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(पौड़ी) देवभूमि उत्तराखण्ड के गढ़वाल का द्वार कहे जाने वाले कोटद्वार में बिगड़ती यातायात व्यवस्था एवं बढ़ते अपराध को देखते हुए कोतवाली पुलिस कोटद्वार के द्वारा शहर के मुख्य मुख्य स्थानों एवं मार्गो पर बीईएल के सहयोग से सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।
शहर के मुख्य मार्गो पर बिगड़ती ट्रैफिक व्यवस्था और बढ़ते अपराधों को देखते हुए पिछले काफी समय से मुख्य मार्गो पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने की मांग की जा रही थी, जिसके बाद भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड कोटद्वार के सौजन्य से शुक्रवार को कोटद्वार के झंडाचौक, कौड़िया चेकपोस्ट व बीईल के आस-पास सीसीटीवी कैमरा लगाए गए, जिसका उदघाटन आज एसएसपी पौड़ी जेआर जोशी के द्वारा कोटद्वार कोतवाली के कंप्यूटर कक्ष में किया गया। एसएसपी जगतराम जोशी ने बताया कि कोतवाली पुलिस सभी मुख्य मार्गों पर 24 घण्टे निगरानी रखेगी, इससे बढ़ते अपराध व बिगड़ती ट्रैफिक व्यवस्था पर लगाम लगेगी।

राज्य और ऊर्जा निगम कर्मचारियों का कार्य बहिष्कार शनिवार से

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 राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के बैनर तले 23 सूत्रीय मांगों को लेकर 25 से 30 नवम्बर तक राज्य कर्मचारी सुबह 10 से दोपहर एक बजे तक कार्यबहिष्कार करेंगे। वहीं, शुक्रवार को परिषद के प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर प्रह्लाद सिंह और महामंत्री प्रदीप कोहली ने सचिवालय में प्रमुख सचिव वित्त राधा रतूड़ी से वार्ता की। इसमें 27 नवम्बर को मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह से वार्ता होना तय हुआ।
प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर प्रह्लाद सिंह और महामंत्री प्रदीप कोहली ने बताया कि प्रमुख सचिव वित्त से सभी मुद्दों पर सकारात्मक वार्ता हुई। उम्मीद है कि मुख्य सचिव के साथ प्रस्तावित वार्ता में मांगों पर सहमति बन जाएगी। उन्होंने कहा कि एसीपी की नई व्यवस्था से कर्मचारियों का हित प्रभावित हो रहा है। नई व्यवस्था में प्रोन्नत वेतनमान 10, 20 और 30 वर्ष की सेवा पर मिलेगा। पूर्व की व्यवस्था में 10, 16 और 26 वर्ष की सेवा पर मिलता था। उन्होंने कहा कि वेतन समिति के समक्ष करीब 300 संवर्गों की वेतन विसंगतियों को प्रमाण के साथ रखा गया था लेकिन मात्र 28 संवर्गों के वेतन विसंगति का ही निराकरण किया गया। अन्य मांगों पर भी शासन स्तर पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसके चलते आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ा।
परिषद की अन्य मांगें कर्मचारियों, शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारी, पेंशनर के लिए यू-हेल्थ स्मार्ट कार्ड सेवा शुरू करना, कर्मचारी कल्याण निगम की स्थापना, व्यापार कर व जीएसटी में छूट, 300 के स्थान पर 500 दिन का उपार्जित अवकाश संविदा एवं दैनिक वेतन आदि पर कार्यरत कर्मचारियों का नियमितीकरण, पदोन्नति के लिए अनिवार्य सेवा में शिथिलीकरण आदि हैं। राजधानी में कर्मचारी विकास भवन में एकत्र होंगे और प्रदर्शन करेंगे। 

ऊर्जा के तीनों निगमों के कार्मिक 25 से आंदोलन पर

ऊर्जा के तीनों निगमों के कार्मिकों का आंदोलन शनिवार से शुरू होगा। पदोन्नत वेतनमान और पे-मैट्रिक्स के मसले पर कोई कार्यवाही नहीं होने से गुस्साए चार प्रमुख संगठन संयुक्त रूप से तीनों निगमों के मुख्यालयों में गेट मीटिंग करेंगे। सरकार और शासन पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए उत्तरांचल पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन, पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन, ऊर्जा कामगार संगठन, ऊर्जा ऑफीसर्स, सुपरवाइजर्स एंड स्टाफ एसोसिएशन से जुड़े कार्मिकों ने पांच जनवरी से हड़ताल की चेतावनी दी।

संयुक्त मोर्चे के गढ़वाल मंडल मीडिया प्रभारी दीपक बेनीवाल ने बताया कि शासन के रुखे रवैये से कार्मिकों में भारी रोष है। अक्टूबर में पे-मैट्रिक्स और पदोन्नत वेतनमान की व्यवस्था का संशोधित आदेश जारी करने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया था। दीपावली के वक्त वित्त मंत्री प्रकाश पंत और शासन में वार्ता हुई थी। भरोसा दिया था कि एक महीने के भीतर समस्या का समाधान हो जाएगा। दरअसल, सातवें वेतनमान को लागू करने का शासनादेश जारी हुआ तो इसमें पदोन्नत वेतनमान की व्यवस्था को बदल दिया। साथ ही पे-मैट्रिक्स का निर्धारण भी गलत हुआ है। ऊर्जा निगमों में पदोन्नत वेतनमान क्रमश: 9, 14, 19 वर्ष की सेवा पर मिलता था लेकिन सातवें वेतनमान के आदेश के बाद इसे 10, 20, 30 वर्ष कर दिया। यह अव्यवहारिक है। उन्होंने बताया कि दोनों मुद्दों पर तीनों निगम प्रबंधन शासन को प्रस्ताव को भेज चुके हैं लेकिन संशोधित शासनादेश जारी नहीं हुआ।
आंदोलन का कार्यक्रम
-27 नवंबर से शाम पांच बजे के बाद कार्मिक अपना सरकारी मोबाइल स्विच ऑफ कर देंगे।
-चार से 30 दिसंबर तक हरिद्वार, डाकपत्थर, रुड़की, हल्द्वानी, रुद्रपुर, श्रीनगर, उत्तरकाशी, देहरादून आदि क्षेत्र में केंद्रीय पदाधिकारी कार्मिकों के साथ बैठक करेंगे और मुख्य अभियंताओं को ज्ञापन सौपेंगे।
-चार जनवरी को गांधी पार्क से सचिवालय कूच किया जाएगा।
-पांच जनवरी को अद्र्धरात्रि से हड़ताल शुरू कर दी जाएगी। 

होटल के बाहर खड़ी बाइक चोरी

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हरिद्वार, ज्वालापुर कोतवाली क्षेत्रान्तर्गत एक होटल में शराब पीने आए दो युवकों की मस्ती पर एक चोर ने पानी फेर दिया। युवक होटल के कमरे में मस्ती करते रहे और होटल के बाहर खड़ी बाइक लेकर चोर चम्पत हो गया। पीड़ित पुलिस से मदद की गुहार लगा रहा है। पुलिस को होटल के बाहर लगी सीसीटीवी फुटेज में चोर की फोटो दिखाई दी है।

शिवमूर्ति गली निवासी निखिल चोपड़ा अपने दोस्त वेद प्रकाश के साथ गुरुवार की रात्रि आठ बजे केटीएस बाइक पर सवार होकर मध्य हरिद्वार गोविंद पुरी घाट के सामने होटल गंगा व्यू पहुंचे। निखिल ने अपनी बाइक संख्या यूके-08 एबी-4305 होटल के बाहर सड़क पर खड़ी कर दी, जबकि निखिल अपने दोस्त के साथ होटल के कमरे में चला गया। करीब डेढ़ घंटे के बाद जब निखिल बाहर आया तो बाइक गायब मिली।

निखिल ने बाइक चोरी की सूचना होटल मैनेजर को दी। मैनेजर ने सीसीटीवी फुटेज को खंगाला तो एक युवक बाइक को ले जाता हुआ दिखाई दिया, तत्काल पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज को कब्जे में ले लिया है। पुलिस चोर की तलाश में जुट गई है। 

जोशीमठ से अॉल वेदर रोड को न जोड़ने पर स्थानीय लोगों ने निकाला जुलूस

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बद्रीनाथ धाम के मुख्य पड़ाव जोशीमठ में ऑल वेदर रोड को न जोड़ने के विरोध में शुक्रवार को जोशीमठ वासियों ने बाजार बंद कर जुलूस प्रदर्शन किया।

ऑल वेदर रोड जोशीमठ से 18 किमी पहले ही हेलंग से सीधे मारवाड़ी जोड़े जाने के विरोध में जोशीमठ के स्थानीय व्यापारियों, नागरिकों तथा जनप्रतिनिधियों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि बद्रीनाथ जाने वाले यात्री हेलंग से सीधे बद्रीनाथ धाम पहुंच जाएंगे और जोशीमठ इससे अछूता रह जाएगा, जिससे यहां के लोगों को भारी नुकसान पहुंचेगा।

पैनखंडा संघर्ष समिति के अध्यक्ष रमेश सती ने कहा कि आॅल वेदर रोड को बाइपास के बजाय जोशीमठ नगर को जोड़ते हुए जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जोशीमठ नगर बद्रीनाथ धाम का मुख्य पड़ाव है क्योंकि यात्रा से ही यहां का व्यवसाय चलता है, अगर बाइपास बना तो, इसका पूरा विरोध किया जाएगा। पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष व भाजपा नेता रामकृष्ण रावत ने कहा कि जोशीमठ धार्मिक नगरी है और यहां पर भगवान नृसिंह का मंदिर भी है, जिसके दर्शन किए बिना बद्रीनाथ की यात्रा सफल नही मानी जाती है। इसलिए ऑल वेदर रोड जोशीमठ नगर से जोड़ी जानी चाहिए।

हाईकोर्ट की निगरानी में हो एनएच घोटाले की जांचः हरीश रावत

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रुद्रपुर, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि एनएच 74 मुआवजा घोटाले की एसआईटी जांच हाईकोर्ट की निगरानी में कराई जानी चाहिए। कहा कि एनएचएआई के अफसरों को जांच के दायरे से बाहर रखना सवाल खड़े कर रहा है। श्री रावत ने कहा कि उन्होंने ही मुख्यमंत्री रहते कमिश्नर को मौखिक रूप से एनएच घोटाले की जांच के निर्देश दिए थे तथा जांच को एसआईटी का गठन किया था।

पूर्व मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि वह एसआईटी पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते, लेकिन इतना जरूर चाहते हैं कि एसआईटी की जांच हाईकोर्ट की निगरानी में हो। कहा कि जिस तरह एनएचएआई के अफसरों को जांच के दायरे से बाहर रखा जा रहा है, उससे यह आशंका है कि एसआईटी पर राजनीतिक दबाव आ सकता है। कहा कि जिन पर अपने माल की रखवाली का दायित्व था और जिनका माल लुटता रहा और उन्हें जांच के दायरे से बाहर कैसे कर दिया गया?

कहा कि एसआईटी की जांच मात्र कुछ किलोमीटर तक ही सिमट कर रह गई है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सीबीआई जांच की मांग मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने की थी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जांच रोकी। मुख्यमंत्री बताएं कि सीबीआई जांच क्यों नहीं हुई। उन्हें तो सीबीआई की जांच पर न भरोसा था और न है। वह तो हाईकोर्ट की निगरानी में जांच चाहते हैं ताकि वास्तविक दोषियों पर कार्रवाई हो। श्री रावत ने कहा कि कांग्रेस के जिस एकाउंट की बात की जा रही है एसआईटी उसकी भी जांच कर ले। उसमें 80 फीसदी लेन देन तो उत्तराखंड से बाहर का है

नौनिहालों को अंडा खिलाना शिक्षकों को पड़ रहा भारी

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Mid-day Meal Children Akshaya Patra

(विकासनगर) नौनिहालों को पौष्टिक आहार के तौर पर मध्याह्न भोजन योजना के तहत अंडा खिलाना गुरु जी को भारी पड़ रहा है। विभाग द्वारा विद्यालयों को पांच रुपये प्रति अंडे की दर से एक माह का बजट मुहैया कराया जा रहा है, जबकि बाजार में इन दिनों प्रति अंडा सात रुपये की दर से बिक रहा है। ऐसे में नौनिहालों के पौष्टिक आहार के लिए शिक्षकों को अपनी जेब ढीली करनी पड़ रही है। दबी जुबान में शिक्षक इसे नौनिहालों के बहाने आर्थिक शोषण करार दे रहे हैं।
गत वर्ष शिक्षा विभाग ने एमडीएम योजना के तहत सप्ताह में एक दिन नौनिहालों को अंडा खिलाने का फरमान जारी किया था। पिछले वर्ष शिक्षकों ने बमुश्किल अंडे की व्यवस्था कर दी थी लेकिन इस वर्ष सर्दियां शुरू होते ही बाजार में अंडे के बढ़े दामों ने शिक्षकों की हालत पतली कर दी है। सबसे अधिक परेशानी उन विद्यालयों के शिक्षकों को झेलनी पड़ रही है जहां छात्र संख्या सौ से अधिक है। यहां प्रति अंडा दो रुपये शिक्षकों को अपनी जेब से लगाने पड़ रहे हैं। जबकि कई विद्यालयों में आज भी छात्र संख्या तीन सौ या उससे अधिक है। सहसपुर ब्लॉक के प्रावि में छह पचास नौनिहाल अध्ययनरत हैं। ऐसे में प्रति सप्ताह शिक्षकों को 1200 से अधिक रुपये अपनी जेब से खर्च करने पड़ रहे हैं। अब दबी जुबान में शिक्षक इसे नौनिहालों के बहाने खुद का आर्थिक शोषण भी करार देने लगे हैं।
गोपनीयता की शर्त पर कुछ शिक्षकों ने बताया कि विभाग द्वारा बाजार मूल्य के अनुरूप अंडे की कीमत मुहैया नहीं कराई गई तो विद्यालयों में अंडा खिलाना बंद कर दिया जाएगा। उधर, अपर निदेशक सर्व शिक्षा डॉ मुकुल कुमार सती ने कहा कि जीएसटी लगने के बाद बढ़े दाम के अनुसार भुगतान करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जा रहा है। जबकि बढ़ी हुई कीमत के आधार पर भुगतान नहीं होता तब तक शिक्षक अपने विवेक से अंडे के बजाय नौनिहालों को फल या गुड़ पापड़ी खिला सकते हैं।