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घोटालेबाजों को बचा रही एसआईटी,एचसी की हो निगरानी

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काशीपुर, एनएच-74 मुआवजा घोटाले की एसआइटी जांच जसपुर और काशीपुर से आगे क्यों नहीं बढ़ रही है, और एनएचएआइ के अधिकारियों को जांच से बाहर आखिर क्यों रखा गया है, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने काशीपुर में कहा कि मुआवजा घोटाले में एसआईटी की जांच कई सवाल खडे कर रही है, एसआईटी की जांच की दिशा सही नहीं है जबकि कई नामों को एसआईटी अब भी दबाये हुए है, वहीं रावत ने कहा कि मुआवजा एनएचएआइ के अधिकारियों ने दिया था तो वो जांच से बाहर क्यो है।

पुर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एनएच मुआवजा घोटाले की जांच पर सवाल खडे करते हुए कहा कि जसपुर और काशीपुर को ही जांच के दायरे में रखा गया है जबकि काशीपुर से आगे भी एनएच का काम हुआ है और वहीं भी घोटालों की जडें जमीं है, लेकिन एसआईटी की जांच सीमित क्यो कि गयी है ये सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल खडे करता है?

रावत ने कहा कि बाजपुर गदरपुर किच्छा सितारगंज में भी एनएच में घोटाले हुए है जिनकी तरफ जांच की कोई पहल नहीं की जा रही है जबकि कई नाम और भी है जिनको एसआईटी सार्वजनिक नहीं कर रही है और बडे मगरमच्छों को बचाने में लगी है, यही नहीं इशारों में रावत ने कहा कि जो घोटाले में शामिल थे, वो सत्ता की गोद में बैठ गये हैं इस लिए उनकी तरफ किसी का ध्यान नहीं है, रावत ने घोटाले की जांच हाईकोर्ट की देखरेख में कराए जाने की मांग की।

निगम के सीमा विस्तार पर गर्मायी राजनीति

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काशीपुर, नगर निगम का सीमा विस्तार हो गया है, जिसमें करीब 15 गांव और जुडने जा रहे हैं, और निगम के बीस वार्ड और बढने की उम्मीद जतायी जा रही है, वहीं सीमा विस्तार को लेकर विरोध के स्वर भी मुखर होने लगे है, निर्धारित सीमा विस्तार को भाजपा की साजिश बताया जा रहा है, जिससे सीमा विस्तार का मामले पर राजनीति गर्मा गयी है।

नगर निगम के विस्तारीकरण की राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। सरकार ने नगर निगम को एक सप्ताह के भीतर परिसीमन कर वार्डों की सूची तलब की है। सरकार ने नगर निगम के सीमा विस्तार प्रस्ताव पर 22 सितंबर 2017 को मंजूरी दी। सरकार के आदेश पर संयुक्त मजिस्ट्रेट विनीत तोमर ने आपत्तियों पर सुनवाई की। ग्राम प्रधान व कांग्रेस और बसपा नेताओं ने आपत्तियां दर्ज कराई। जारी अधिसूचना में 13 ग्राम सभाएं, दो ग्राम सभाएं आंशिक और एक राजस्व गांव को नगर सीमा में सम्मलित कर दिया है। नगर निगम की जनसंख्या एक लाख 21 हजार 610 है। सम्मलित क्षेत्र की जनसंख्या 67 हजार है। सीमा विस्तार से नगर की जनसंख्या एक लाख 88 हजार 610 हो जाएगी। नगर निगम में अभी 20 वार्ड है। सीमा विस्तार के बाद वार्डों की संख्या 35 से 40 तक होने का अनुमान है।

वहीं सीमा विस्तार की अधिसूचना जारी होने पर राजनीतिक दलों, ग्राम प्रधान संघ ने कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने सीमा विस्तार को हाइकोर्ट में चुनौती देने की घोषणा की है। ब्लॉक प्रमुख ने इसे अव्यवहारिक और राजनीतिक निर्णय बताकर विरोध जताया है।नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष शमशुद्दीन ने कहा कि सीमा विस्तार अव्यवहारिक है। इसके पीछे राजनीतिक स्वार्थ है। विस्तार में नगर से लगे गांवों को छोड़ा गया। दूर के गांवों लिए गए। जिन गांवों का शहरीकरण हो चुका है उनको नहीं लिया। नगर निगम के पास पहले ही कर्मचारियों की कमी है। उन्होंने इस निर्णय के विरूद्ध अदालत जाने की बात कही है।

ऋषिकेश से स्वर्गाश्रम को जोड़ने के लिए तीन लेंन के पुल का पिछले 5 सालों से इंतज़ार

ऋषिकेश, पर्यटन नगरी ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला-राम झूला अपनी विशेष पहचान रखते है, लेकिन ये दोनों पुल पैदल आने जाने का साधन है काफी लम्बे समय से छेत्र में एक अन्य पल की मांग की जा रही थी, जिसका शिलान्यास पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने अपने कार्यकाल में किया था, जिसका नाम जानकी पुल रखा गया लेकिन बजट के अभाव में इस पुल का काम पिछले 5 सालों से लटका हुआ है। 

ऋषिकेश से स्वर्गाश्रम, नीलकंठ महादेव को  जोड़ने के लिए जानकी पुल का निर्माण होना है जिसका शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने किया था, जिस से नीलकंठ कावड़ यात्रा में जाने वाले  श्रधालुओ को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा, ऋषिकेश से 35 करोड़ 53 लाख की लागत  से बनने वाला जानकी पुल पैदल के साथ साथ हल्के वाहनो के लिए भी प्रयोग में आएगा ,लेकिन अभी तक इस पुल के निर्माण के लिए कार्य बड़ी धीमी गति से चल रहा है।

मुनि की रेती पालिका अध्यक्ष शिव मूर्ति कंडवाल का कहना है कि, “सरकार इनसे लिए काफी समय से काम देख रही है लेकिन बजट न मिलने से काम फिलहाल अधूरा है,  जानकी पुल का निर्माण ऋषिकेश के पूर्णानंद घाट से वेद निकेतन घाट के बीच होना है जिस से स्वर्गाश्रम जाने वाले यात्रियों को लगभग तीन किलो मीटर की दुरी और लगभग पैदल जाने का 1 घंटे का समय बचेगा।”

पिछली सरकार द्वारा भी इस पल के लिए वादे किये गए थे लेकिम कार्य पूरा नहीं हो सका, ऐसे में बीजेपी सरकार के आने से एक बार फिर लोगों में पुल के प्रति उम्मीद जगी है लेकिन लोगों में अब इसके खिलाफ गुसा भी देखा जा रहा है क्युकी कार्य जस का तस पड़ा हुआ है जिससे सबसे ज्यादा लोगों और यहाँ पहुंचने वाले पर्यटकों को उठानी पद रही है। 

पर्यटन के छेत्र में अपनी विशेष पहचान बना चुके लक्ष्मण झूला -राम झूला के बाद अब जानकी पुल का बेसब्री से इंतज़ार है जिसके बनने से इन दोनों पुलो पर दुपहिया वाहनो और भीड़भाड़ का दबाव काम होगा, और तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को भी सहूलियत मिलेगी। अब देखने लायक बात होगी की प्रदेश सरकार इस थमी योजना को कब तक पूरा कर पाते है                

फुटपाथ पर रात गुजार रहे असहायों की सुध नहीं

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विकासनगर। पछवादून में कोई भी रैनबसरा नहीं होने के कारण बेघर लोगों को सर्द रातें फुटपाथ पर ही रात गुजारनी पड़ती है, जबकि अधिकांश क्षेत्रों में फुटपाथ नहीं होने के चलते बेघर लोग हाईवे पर ही सोने को मजबूर हैं, जिसके चलते दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है। ठंड बढ़ने के बावजूद तहसील प्रशासन द्वारा इन लोगों को कंबल भी मुहैया नहीं कराए गए हैं, वहीं निकाय प्रशासन ने भी अभी तक अलाव की कोई व्यवस्था नहीं की है।

पछवादून में दर्जनों लोग रात फुटपाथ पर गुजारते हैं। पांच लाख की आबादी वाले इस क्षेत्र में कोई भी रैन बसेरा व सेल्टर होम नहीं है, जिससे बेसहरा, बेघर लोगों को कड़ाके की ठंड में भी बिना छत के नीचे रात गुजारनी पड़ती है। गौरतलब है कि पूरे क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक लोग फुटपाथ पर रात गुजारते हैं, जिनमें से कुछ मजदूरी करने वाले हैं तो कुछ भीख मांग कर जीवनयापन करने वाले भी हैं। कुछ मानसिक विक्षिप्त लोग भी सड़क पर ही रात गुजारते हैं। इनमें से किसी के लिए प्रशासन ओर से कोई सहायता नहीं दी जा रही है। बताते चलें कि पछवादून के तीनों निकायों अलाव की व्यवस्था भी नहीं की गई है, साथ ही कस्बों में फुटपाथ नहीं है। जिससे रात में वाहनों के चपेट में आने की संभावना भी बनी रहती है। पूरे क्षेत्र में ऐसे लोगों के रहने के लिए प्रशासन की ओर से टीन शेड भी नहीं बनाए गए हैं। जिसके चलते दर्जनों लोगों को ठंड में खुले आसमान के नीचे रात गुजारनी पड़ती है, वहीं इस वर्ष तहसील प्रशासन ने इन लोगों को कंबल भी वितरित नहीं किए हैं। जबकि मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगों को कुछ ही दूरी पर बने राज्य मानसिक रोग संस्थान में भर्ती कराने की व्यवस्था भी की जा रही है। उधर, एसडीएम जितेंद्र कुमार ने कहा कि शीघ्र ही असहाय जनों को कंबल वितरित कर दिए जाएंगे। जबकि मानसिक विक्षिप्त लोगों को स्वास्थ्य संस्थान में भर्ती कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर टीम का गठन किया जाएगा।

सरकार पर जनता रखे भरोसाःसीएम

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रुद्रपुर, मुख्यमंत्री  ने तराई के संस्थापक महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित रामसुमेर शुक्ल की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस दौरान पंडित शुक्ल की स्मृति में आयोजित प्रतिभा सम्मान कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि लचीली नजूल नीति तैयार करेंगे, ताकि लोगों को उसका लाभ मिल सके। कहा कि एनएच घोटाले की जांच वह सीबीआई से कराना चाहते थे, लेकिन सीबीआई ने जांच करना स्वीकार नहीं किया। इसलिए सरकार ने समानान्तर जांच कराई और आज दो पीसीएस अफसरों समेत दस लोग जेल में हैं।

श्री रावत ने कहा कि सरकार के आठ महीने पूरे होने जा रहे हैं। हमने पहला निशाना भ्रष्टाचार पर किया। ऊधमसिंह नगर में एनएच 74 में मुआवजा घोटाला हुआ और बिहार के चारा घोटाले की तर्ज पर खाद्यान्न घोटाला हुआ। उन्होंने आरएफसी को बर्खास्त किया तथा तमाम अधिकारियों को स्थानांतरित किया। वह गरीबों का हक किसी को नहीं छीनने देंगे। कहा कि एनएच घोटाले में हमने सीबीआई जांच की मांग की थी, लेकिन सीबीआई ने जांच स्वीकार नहीं की, जिस कारण उन्होंने समानांतर जांच कराई।

जांच अभी जारी है। जो भी दोषी होंगे वह जेल जरूर जाएंगे। सरकार संस्थागत भ्रष्टाचार को रोक रही है। कहा कि वह विकास करना चाहते हैं। जनता सरकार पर भरोसा रखे, हम भ्रष्टाचार की कालिख से साफ निकलेंगे। हम सिंगल विंडो सिस्टम लागू कर रहे हैं, ताकि जनता को भटकना न पड़े।

छात्रों ने कुलसचिव का पुतला फूंका

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एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विवि श्रीनगर के स्वामी रामतीर्थ परिसर बादशाहीथौल टिहरी के छात्र नेताओं ने परिसर गेट पर एकत्रित होकर विश्वविद्यालय के कुलसचिव एके झा का पुतला फूंका। छात्रसंघ अध्यक्ष सुशील सिंह रावत ने कहा कि कुलसचिव के बहुत लम्बे समय से बाहर रहने से विश्वविद्यालय एवं छात्र हितों के अनेकों विकास कार्य बाधित हो रहे हैं। उन्होंने कुलसचिव पर अनियमितता बरतने का आरोप लगाया है।

छात्र नेता अक्षत पवन बिजल्वाण और राहुल बिजल्वाण ने बताया कि मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से कुलपति प्रो. जेएल कॉल को भेजे गए जवाबी नोटिस को भी कुलसचिव ने गंभीरता से न लेकर जवाब ठीक और उचित तरीके से नहीं दिए। उन्होंने कहा कि जिन कार्यों में अनियमित चर्चाओं के आरोप कुलपति पर लगाए जा रहे हैं, वे सभी प्रशासनिक कार्य हैं और उनमें किसी भी प्रकार की गड़बड़ी के लिए कुलपति नहीं, बल्कि कुलसचिव जिम्मेदार हैं।

कुलसचिव की लापरवाही का खामियाजा कुलपति को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कुलसचिव को बर्खास्त करने की मांग की और शीघ्र ही स्थाई कुलसचिव की नियुक्ति करने की मांग की है।

कार की टक्कर से बाइक सवार समेत तीन लोग घायल

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ऋषिकेश, ऋषिकेश-बद्रीनाथ मार्ग के शिवपुरी में एक कार ने दो बाइक सवारों को टक्कर मार दी। कुल तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें ऋषिकेश राजकीय चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है।

पुलिस के अनुसार, सोमवार की सुबह 10:30 बजे दो बाइकों पर सवार होकर तीन लोग शिवपुरी से ऋषिकेश आ रहे थे। ऋषिकेश की ओर जा रही तेज गति से एक कार ने बाइक सवार को सामने से टक्कर मार दी। वहीं उसे बचाने के चक्कर में दूसरी बाइक को भी टक्कर मार दी। जिस पर सवार तेज सिंह पुत्र दरम्यान सिंह निवासी नई टिहरी गढ़वाल, मेहरबान सिंह पुत्र गजे सिंह निवासी ग्राम नाही नई टिहरी, सुरेंद्र सिंह पुत्र सोहनलाल पोस्ट शिवपुरी ग्राम कलतरी टिहरी गढ़वाल गंभीर रूप से घायल हो गए।

जिन्हें आपातकालीन सेवा 108 द्वारा राजकीय चिकित्सालय ऋषिकेश में उपचार के लिए लाया गया। जहां मेहरबान सिंह की हालत को गंभीर देखते हुए उसे हायर सेंटर के रेफर कर दिया। पुलिस ने कार को कब्जे में लेकर मामले की जांच प्रारंभ कर दी है।

सारी सर और फफक कर रो पडे डीपी सिंह

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रुद्रपुर, एनएच 74 घोटाले के आरोपी निलंबित पीसीएस अफसर डीपी सिंह की रिमांड अवधि पूरी हो गयी, पुछताछ में कुछ भी नहीं उगलवा पायी एसआईटी, मगर सवालों के जवाब देने के बजाय कई बार फफक कर रो पडे डीपी सिंह, और सारी सर कहकर चुप हो गये।

डीपी सिंह की रिमांड अवधि पुरी होते ही उनको मेडिकल कराकर कोर्ट में पेश किया गया। जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। रिमांड अवधि पर डीपी सिंह ने अपनी जुबान पर ताला लगाए रखा, लेकिन तीन दिन वह डरे और सहमे रहे। सूत्रों ने बताया कि एसआईटी ने कुछ दस्तावेजों को पुन: प्रमाणित कराया, ताकि कोर्ट में यह साबित किया जा सके कि दस्तावेजों पर हस्ताक्षर डीपी सिंह के ही हैं। कमीशन के बावत एसआईटी डीपी सिंह से कुछ भी नहीं उगलवा सकी। डीपी सिंह से खुद पुलिस कप्तान डा. सदानंद एस दाते तक ने कई बार पूछताछ की।

एसआईटी के सूत्रों ने बताया कि डीपी सिंह रिमांड अवधि पर डरे सहमे से रहे। एसआईटी अब बाजपुर क्षेत्र में हुए घोटाले की जांच कर रही है। अभी गदरपुर, रुद्रपुर व किच्छा तहसीलों की जांच होना बाकी है। जिसमें कई अफसरों एवं कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई होने की संभावना बनी हुई है। वहीं धोखाधड़ी करके कई गुना मुआवजा हासिल करने वाले किसानों से रिकवरी करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

एसआईटी की पूछताछ के दौरान निलंबित पीसीएस अफसर डीपी सिंह फफक फफक कर रो पड़े। एसआईटी के सवालों का दे पाने में असमर्थ महसूस कर रहे डीपी सिंह रो पड़े। कई बार उन्होंने सॉरी सर शब्द कह कर अपनी जान छुड़ाने की कोशिश की।

मेडीसिटी हास्पिटल का सीएम ने किया उद्घघाटन

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रुद्रपुर,  मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को रुद्रपुर में मेडीसिटी हॉस्पिटल का फीता काटकर उद्घाटन किया। सीएम रावत ने हॉस्पिटल के शिलापट का भी अनावरण किया। इस मौके पर मेडीसिटी के डायरेक्टर ऑफ बोर्ड दीपक छाबड़ा, रोहताश बत्रा एवं अंजू छाबड़ा ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

इस दौरान सीएम ने वहां मौजूद लोगों को कहा कि यह हॉस्पिटल जनपद भर के मरीजों के अलावा सूबे के कई अन्य शहरों के मरीजों के लिए लाभदायक सिद्ध होगा। इस मौके पर मेडीसिटी के डायरेक्टरों ने भी सीएम को बताया कि उनका यह हॉस्पिटल 200 बेड का सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल है। जहां पर हर तरह की मरीजों के लिए सुविधाएं उपलब्ध हैं। आधुनिक मशीनों से मरीजों का व्यवस्थित, सुलभ और सस्ता इलाज संभव है। मरीजों की हर सुविधा का ध्यान रखा जाता है।

इस मौके पर सूबे के केबिनेट मंत्री प्रकाश पंत, शिव प्रकाश, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अजय भट्ट, केबिनेट मंत्री यशपाल आर्या, यूपी सरकार के राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख मौजूद थे।

डीपी से नहीं उगलवा पायी एसआईटी घोटालेबाजों के राज

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रुद्रपुर, एनएच मुावजा घोटाले के मुख्य आरोपी डीपी सिंह की तीन दिन की रिमांड आज खत्म हो गयी है, पूर्व एसएलओ डीपी सिंह की तबीयत खराब होने के कारण जहां एसआईटी उनसे पुरी तरह से पुछताछ नहीं कर पायी वहीं कई सवालों के जवाब डीपी ने पुराने ही दौहराये तो कुछ सवालों पर डीपी की चुप्पी बनी रही और हाईकोर्ट में जवाब देने की बात कहीं गयी, वहीं डीपी अब हाईकोर्ट में अपनी जमानत के लिए याचिका लगाने के भी प्रयास में लगे हैं।

गौरतलब है कि मुआवजा घोटाले में तीन दिन की रिमांड पर लेने के बाद पूर्व एसएलएओ डीपी सिंह से पुलिस ने दूसरे दिन पांच घंटे तक पूछताछ की। इस दौरान उन्होंने कुछ सवालों के जवाब दिए तो कुछ में पहले के बयानों पर ही अड़े रहे। लेकिन उनकी हालत खराब होने पर उन्हें शनिवार की रात हल्द्वानी स्थित सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसलिए पुलिस ने रविवार को रिमांड पर लेकर उनसे पूछताछ की थी। बाद में उन्हें रातभर सिडकुल चौकी में रखा गया।

सोमवार को एसआइटी ने एकबार फिर सिडकुल चौकी में ही डीपी सिंह से पूछताछ की। दिनभर पुलिस ने उनसे मुआवजा घोटाले से संबंधित कई सवाल किए। इसमें उन्होंने कुछ सवालों के जवाब दिए तो कुछ में पुराने बयानों पर ही डटे रहे। एसआइटी अधिकारियों के अनुसार सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने डीपी को अपनी बात नैनीताल कोर्ट में रखने के आदेश दिए हैं। रिमांड की अवधि पूरी होने पर डीपी सिंह को वापस नैनीताल जेल भेज दिया जाएगा।