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ईको टूरिज्म में स्थानीय लोगों को नहीं मिल रहा लाभ

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देहरादून। उत्तराखंड में ईको टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं और इसके अनुरूप यह सेक्टर बड़ी संख्या में रोजगार के मौके पैदा कर रहा है। हालांकि चिंता की बात यह कि इसका लाभ यहां के लोगों को नहीं मिल पा रहा। ईको टूरिज्म के क्षेत्र में बाहर के बड़े घराने लाभ कमा रहे हैं और यहां के लोगों को वाहन चालक व कुक आदि जैसी नौकरियां ही नसीब हो रही हैं। यह बात ‘हिमालयन हेरिटेज: कम्युनिटी-लेड इकॉनोमिक रीजेनरेशन’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में उत्तराखंड कैंप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी समीर सिन्हा ने कही।

बुधवार को भारतीय वन्यजीव संस्थान में इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चर हेरिटेज (इंटैक) के सहयोग से आयोजित सम्मेलन में समीर सिन्हा ने इस बात पर भी बल दिया कि हिमालय की विरासत ईको टूरिज्म का लाभ सबसे पहले यहां के लोगों की आर्थिकी बढ़ाने के रूप में दिया जाना चाहिए। इसके लिए स्थानीय समुदाय को स्वरोजगार से जोड़ा जाना चाहिए। वहीं, इंदिरा गांधी इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय भोपाल के निदेशक प्रो. सरित कुमार चौधरी ने बताया कि उनके संग्रहालय में समूचे हिमालयी क्षेत्रों की पारंपरिक वस्तुओं को संकलित किया गया है। इस तरह के प्रयास हर क्षेत्र में किए जाने चाहिए, ताकि पर्यटन को बढ़ावा मिल सके और लोगों की आर्थिकी में भी सुधार हो सके। इसी कड़ी में साहित्कार डॉ. शेखर पाठक ने ने कहा कि उत्तराखंड में विभिन्न स्थानों में पूर्व में कॉपर के बर्तनों का प्रयोग किया जाता था। यदि इस तरह के पारंपरिक बर्तनों आदि को फिर से बढ़ावा दिया जाए तो स्थानीय समुदाय को इसके कई लाभ प्राप्त हो सकते हैं। हालांकि इस पर प्रसिद्ध लेखक डॉ. पुष्पेश पंत ने असहमति व्यक्त करते हुए कहा कि यह बीती बात हो चुकी है और अब बात मौजूदा संसाधनों पर की जानी चाहिए। जम्मू कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर तक फैले हिमालयी क्षेत्र में ऐसे तमाम प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं, जिनके बल पर वहां के जनसमुदाय की आर्थिकी सुधारी जा सकती है। सम्मेलन में प्रोडक्ट डिजाइन, ईकोस्ट्रीम सिक्किम के निदेशक सोनम ताशी ने बताया कि जो उत्पाद स्थानीय स्तर पर तैयार किए जाते हैं, यदि उनकी बेहतर डिजाइनिंग और मार्केटिंग की जाए तो इसके बेहतर परिणाम सामने होंगे। राष्ट्रीय सम्मेलन में डॉ. लोकेश ओहरी, सुधीर सिंह आदि ने विषय पर विचार रखे।

चार ​शिक्षकों के भरोसे चल रहा इंटर कॉलेज कांडाखाल

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देहरादून। सरकारी सहायता प्राप्त अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों का हाल देखना हो तो पौड़ी जिले के इंटर कॉलेज कांडाखाल (द्वारीखाल) चले जाइए। कॉलेज में शिक्षकों के 18 सृजित पदों के सापेक्ष यह विद्यालय चार नियमित और दो पीटीए शिक्षकों के भरोसे चल रहा है। छात्र-छात्राओं के भविष्य को लेकर चिंतित क्षेत्रवासी इस विद्यालय के प्रांतीयकरण की मांग लगातार उठाते आ रहे हैं।

इंटर कॉलेज कांडाखाल बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक सत्यप्रसाद कंडवाल इस मामले में न सिर्फ विभागीय अधिकारी बल्कि मंत्रियों से भी कई बार मुलाकात कर चुके हैं। पर सिवाय कुछ आश्वासन कुछ नहीं मिला। उन्होंने अब कोर्ट जाने की बात कही है। कंडवाल का कहना है कि पूरा सरकारी तंत्र स्कूल प्रबंधन के सामने बौना साबित हो रहा है। विगत 18 माह से विद्यालय के प्रांतीयकरण को लेकर आंदोलन चल रह है, लेकिन सुधलेवा कोई नहीं है। प्रदेश भाजपा मुख्यालय में आयोजित जनता दरबार में कंडवाल ने यह मसला काबीना मंत्री सुबोध उनियाल के समक्ष रखा। जिन्होंने भरोसा दिलाया कि इस मामले में जनभावनाओं के अनुरूप जल्द कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। उन्होंने फोन पर महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा कैप्टन आलोक शेखर तिवारी से भी बात की। इस प्रकरण में जल्द कार्रवाई के निर्देश उन्होंने दिए हैं। 

विकास व पर्यावरण में संतुलन आवश्यकः राज्यपाल

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देहरादून। विकास और पर्यावरण में संतुलन स्थापित करना होगा। सस्टेनेबल डेवलपमेंट की अवधारणा को अपनाना होगा। ऐसी नीति अपनानी होगी जिससे हिमालय के दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की आधारभूत आवश्यकताएं भी पूरी हों और पर्यावरण व जैव विविधता का संरक्षण भी सुनिश्चित हो। श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय द्वारा दून विश्वविद्यालय में ‘हिमालयी क्षेत्रों में सस्टेनेबल डवलपमेंट की चुनौतियां’ विषय पर यह बात कही। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण में शोध व नवाचारों को बढ़ावा देने की भी जरूरत बताई। 29 से एक दिसंबर तक चलने वाली अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में देश दुनिया के विशेषज्ञ अपने विचार रखेंगे।
दून विश्वविद्यालय में हिमालयी पर्यावरण और विकास को लेकर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन होने जा रहा है। जिसमें हिमालय के विभिन्न पहलुओं पर काम कर रहे दुनियाभर के विद्वानों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ राज्यपाल डा. कृष्ण कांत पॉल ने किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हिमालय केवल एक भू-स्थलाकृति ही नहीं है बल्कि यह मानव सभ्यता का महत्वपूर्ण केंद्र भी है। यहां हमारी सनातन धर्म व संस्कृति की धारा सदियों से प्रवाहित होती रही है। हिमालय का अध्ययन केवल एक भौगोलिक इकाई के वैज्ञानिक विश्लेषण तक ही सीमित नहीं रखा जा सकता है। हिमालय समृद्ध भारतीय संस्कृति की आत्मा है। राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखंड एक प्रमुख हिमालयी राज्य है। ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव उत्तराखंड में भी देखने को मिल रहा है। हर साल बादल फटने, भूस्खलन जैसी दैवीय आपदाएं की घटनाएं हो रही हैं। अगर हमें हिमालय, यहां के वनों, नदियों, जीव जंतुओं, जैव विविधता की रक्षा करनी है तो स्थानीय लोगों की सहभागिता सुनिश्चित करनी होगी। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में पलायन बड़ी समस्या है। राज्य सरकार ने महत्वपूर्ण पहल करते हुए पौड़ी में पलायन आयोग स्थापित किया है। राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने पर विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में ज्ञान का सृजन होता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस तीन दिवसीय सेमीनार में वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों के गम्भीर मंथन से कुछ ठोस निष्कर्ष अवश्य निकलेंगे जो कि नीति निर्धारण में सहायक होंगे।
केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री अजय टम्टा ने कहा कि ऐसी तकनीक के विकास पर ध्यान देना चाहिए जिससे दैवीय आपदाओं का कुछ समय पहले पूर्वानुमान लगाया जा सके। विकास व पर्यावरण एक दूसरे के पूरक हैं। केंद्र सरकार हिमालयी पारिस्थितिकी के संरक्षण व स्थानीय लोगों की विकास की आवश्यकता को पूरा करने के लिए गम्भीर है। केंद्र सरकार ने उच्च हिमालयी अध्ययन केंद्र खोलने की आवश्यकता महसूस करते हुए जीबीपंत हिमालयी पर्यावरण व विकास संस्थान को जीबीपंत हिमालयी पर्यावरण व स्थायी विकास के राष्ट्रीय संस्थान के रूप में अपग्रेड किया है।
सेमीनार के उद्घाटन के अवसर पर विधायक दिलीप सिंह रावत, अपर मुख्य सचिव डाॅ. रणवीर सिंह, सचिव रविनाथ रमन, विज्ञान व तकनीक विभाग, भारत सरकार से आए वैज्ञानिक डाॅ. अखिलेश गुप्ता, श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. यूएस रावत, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. कुसुम अरूणाचलम सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

जल, ऊर्जा व वन विभाग राज्य हित में मिलकर करेंगे कामः सीएम

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देहरादून। राज्य की 33 जल विद्युत परियोजनाओं के संचालन के लिए जन संसधान, ऊर्जा और वन विभाग मिलकर काम करेंगे। दिल्ली में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री स्वतंत्र प्रभार आरके सिंह साथ मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने इन परियाजनाओं को लेकर चर्ता की।

बुधवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द सिंह रावत ने नई दिल्ली में केन्द्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आरके सिंह से भेंट की। मुख्यमंत्री ने बताया कि केन्द्रीय मंत्री से वार्ता के दौरान उत्तराखण्ड की 33 जल विद्युत परियोजनाओं पर व्यापक चर्चा की गई। इस सम्बंध में ऊर्जा, जल संसाधन एवं वन मंत्रालय तीनों विभागों के मिलकर राज्य हित में सकारात्मक परिणाम देने का केन्द्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री ने आश्वासन दिया। देहरादून एवं हरिद्वार में अंडर ग्राउण्ड केबल के लिए सीएसआर में फंडिंग देने के लिए भी मुलाकात के दौरान सहमति बनी। मुख्यमंत्री ने कहा कि लखवाड़-ब्यासी परियोजना, किसाऊ बांध परियोजना, टिहरी हाइड्रो पावर कार्पोरेशन (टीएचडीसी) के लिए भी केन्द्र सरकार का सकारात्मक सहयोग मिल रहा है। वार्ता के दौरान उत्तराखण्ड में हास्पिटिलिटी यूनिवर्सिटी के लिए भी सहमति बनी तथा इसके लिए उन्होंने हर संभव सहयोग का भी आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री को अवगत कराया कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा जनपद उत्तरकाशी में भागीरथी नदी के 100 किमी विस्तारित क्षेत्र गौमुख से उत्तरकाशी तक 4179.59 वर्ग किमी को ईको सेंसेटिव जोन के अन्तर्गत अधिसूचित किया गया है। मुख्यमंत्री ने आग्रह किया कि इस क्षेत्र में कुल 82.5 मेगावाट की पूर्व में आवटिंत 25 मेगावाट क्षमता तक की 10 लघु विद्युत परियोजनाओं कार्य शुरू किए जाने की अनुमति प्रदान की जाय जैसा कि पश्चिमी घाट महाराष्ट्र व हिमाचल प्रदेश को दी गई है।
मुख्यमंत्री ने लखवाड़ बहुउदेश्यीय तथा किशाऊ बहुउदेशीय परियोजनाओं पर भी शीघ्र सहमति प्रदान किए जाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि अलकनंदा तथा भागीरथी नदियों पर 70 में से 33 जल विद्युत परियोजनाएं जिनकी कुल क्षमता 4060 मेगावाट व लागत 41,000 करोड़ रूपये है, एनजीआरबीए, ईको संसेटिव जोन और उच्चतम न्यायालय के निर्देशो क्रम में बन्द पड़ी है। मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया कि यदि एक संयुक्त शपथ पत्र ऊर्जा मंत्रालय, जल संसाधन मंत्रालय तथा पर्यावरण व जल मंत्रालय द्वारा मा.उच्चतम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाए तो उक्त परियोजनाओं के लिए शीघ्र अनुमोदन मिल सकता है। इसी प्रकार चमोली की 300 मेगावाट की बावला नन्दप्रयाग जल विद्युत परियोजना के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री को बताया कि इस परियोजना से सम्बन्धित डीपीआर केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण के समक्ष अनुमोदन के लिए लम्बित है क्योंकि जल संसाधन मंत्रालय द्वारा इन्वार्यमेन्टल फ्लों का अभी अध्ययन नहीं किया गया है। साथ ही बावला नन्द प्रयाग जल विद्युत परियोजना जबकि तथा नन्द प्रयाग लंगासू विद्युत परियोजना हेतु पर्यावरण व वन मंत्रालय द्वारा पर्यावरणीय अध्ययन के लिए टर्म्स ऑफ रेफरेन्स का अनुमोदन किया जाना बाकी है। मुख्यमंत्री ने टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड में उत्तराखण्ड के 25 प्रतिशत हिस्सेदारी के प्रकरण को आपसी सहमति से सुलझाने का सुझाव भी केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री को दिया। जिस पर उन्होंने सहमति व्यक्त की है।
मुख्यमंत्री ने यह भी अनुरोध किया कि देहरादून, हरिद्वार तथा नैनीताल अंडरग्राउन्ड केबलिंग के लिए 1883.16 करोड़ रुपये का वित्तीय प्रस्ताव ऊर्जा मंत्रालय के समक्ष रखा गया है। इसमें हरिद्वार कुम्भ क्षेत्र हेतु अन्डरग्राउण्ड केबलिंग का कार्य भी सम्मिलित है। एकीकृत ऊर्जा विकास योजना (आईपीडीएस) के अन्तर्गत 190.68 करोड़ रूपये की डीपीआर भी देहरादून तथा हरिद्वार के सरकारी कार्यालयों में सोलर रूफ टॉप सिस्टम लगाने के लिए ऊर्जा मंत्रालय के समक्ष रखी गई है। मुख्यमंत्री और केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री के मध्य लघु जलविद्युत, ट्रांसमिशन वडिस्ट्रीब्यूसन के लिए ईएपी और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की कारपोरेट सोशल रिसपोंसिबिलीटी के अंतर्गत राज्य में प्रस्तावित हास्पिीटीलिटी यूनीवर्सीटी के लिए फंडिंग के मुद्दों पर भी चर्चा की गई। इसके लिए उन्होंने सहयोग का आश्वासन दिया है। इस अवसर पर सचिव, ऊर्जा श्रीमती राधिका झा उपस्थित थी।
केंद्रीय मंत्री ने की समीक्षा
केन्द्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री आरके सिंह के साथ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड की ऊर्जा परियोजनाओं की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऊर्जा के क्षेत्र में उत्तराखण्ड सरकार द्वारा की गई पहलों में विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता बढाने के लिए विद्युत विभाग के अधिकारियों के प्रदर्शन की, उनकी चरित्र पंजिका में प्रविष्टि की जा रही है। एलईडी बल्बों का सभी सरकारी एवं गैर सरकारी कार्यालयों में उपयोग किया जा रहा है, जबकि एलईडी बल्बों का वितरण स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से किया जा रहा है। विद्युत आपूर्ति, उपयोग एवं गुणवत्ता बढाने आदि के संबंध में की गई इन तीन पहलों को केन्द्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आरके सिंह ने सराहा है तथा इसे बेस्ट प्रेक्टिसेज के रूप में माना। उन्होंने राज्य के इन प्रयासों को अन्य राज्यों को भी अपनाने को कहा। केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि इस संबंध में सभी राज्यों को पत्र लिखा जाएगा।

नए पाठ्यक्रमों के लिए साल में एक ही बार हों आवेदनः सीएस

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देहरादून। नर्सिंग संस्थानों में नए पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए वर्ष में एक बार ही आवेदन कराए जाएंगे। मुख्य सचिव ने निजी संस्थानों की इम्पावर्ड कमेटी की बैठक में उक्त निर्देश दिए।

बुधवार को मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में सचिवालय में निजी नर्सिंग संस्थानों को अनापत्ति दिए जाने से संबंधित इम्पावर्ड कमेटी की बैठक आयोजित हुई। मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि नर्सिंग के नए पाठ्यक्रमों के संबंध में निजी संस्थानों की सुविधा को देखते हुए व्यवहारिकता को देखते भविष्य में वर्ष में एक बार ही आवेदन जमा कराए जाएं। कार्य के सरलीकरण व व्यवहारिकता को देखते हुए निरीक्षण दल प्रवेश प्रक्रिया से पूर्व पुनः भौतिक निरीक्षण करने पर भी विचार करें। बैठक में बताया कि वर्ष 2018-19 में निर्धारित प्रक्रिया के तहत निजी नर्सिंग संस्थान खोलने औऱ सीट वृद्धि के लिए वर्ष में दो चरणों जनवरी और जून में आवेदन किए जाते हैं, अब वर्ष में एक बार ही आवेदन करने पर निर्णय लिया गया। पाठ्यक्रम में एकरूपता लाने व संसाधनों के समुचित उपयोग के लिए देहरादून में संचालित स्टेट कालेज नर्सिंग तथा स्टेट स्कूल ऑफ नर्सिंग को एक ही संस्थान के रूप में सम्मिलित करने का निर्णय लिया गया। राज्य के विभिन्न जिलो में 05 ए.एन.एम सेन्टर जो वर्तमान में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग के अधीन संचालित है, उन्हे अब चिकित्सा शिक्षा विभाग के नियंत्रण में चलाया जाएगा।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के 25 निजी नर्सिंग संस्थान चल रहे है, जो 04 मैदानी जिलों तक ही सीमित हैं। पर्वतीय जनपदों में भी नर्सिंग संस्थान खोलने के नये प्रस्ताव तैयार कर इन्वेस्टर्स को आमंत्रित किया जाय। वर्तमान में जनपद बागेश्वर तथा उत्तरकाशी में कोई नर्सिंग कालेज नही है। उन्होंने कहा कि इन जनपदों में कालेज खोलने हेतु निजी संस्थानों को आमंत्रित करने के साथ ही विद्यार्थियों को बेहतर रोजगार हेतु कैम्पस चयन की प्रक्रिया अपनायी जाए। मुख्य सचिव ने कहा कि निरीक्षण दल को पुनर्गठित करते हुए उनसे अपेक्षा की जाए कि उनके द्वारा जो भी संस्तुति दी जाए वह स्पष्ट व निश्चित हो। बैठक में अन्य राज्यों की भांति स्टेट मेडिकल फैकल्टी, स्टेट नर्सिंग काउंसिल, पैरामेडिकल काउंसिल एवं डेन्टल काउंसिल तथा मेडिकल काउंसिल को चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग से स्थानान्तरित कर चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधीन किये जाने पर निर्णय लिया गया। नर्सिंग छात्रों के लिए कौशल विकास विकसित करने के उद्देश्य से तीनों राजकीय मेडिकल कॉलेजों में छात्र-छात्राओं को प्रयोगात्मक प्रशिक्षण दिये जाने पर सहमति दी गई। बैठक में सचिव एनके झा, अपर सचिव डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, श्री चन्द्रेश कुमार, महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. अर्चना, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. आशुतोष सयाना, सीएमएस देहरादून डॉ. केके टम्टा समेत चिकित्सा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। 

लोकसभा अध्यक्ष से कांग्रेसी नेता को मिली मदद

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Sumitra Mahajan

देहरादून। घर को जोगी जोगणा आन गांव का सिद्ध यह कहावत पूरी तरह उत्तराखंड में चरितार्थ हो रही है। आर्थिक तंगी से गुजर रहे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता विनोद कांबोज गोगी ने बीमारी के कारण आर्थिक मदद के लिए विधायक, मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष समेत अन्य प्रदेशों के दरवाजे खटखटाए उन्हें कहीं से कोई राहत नहीं मिली,लेकिन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की ओर से मिली मदद से श्री गोगी गद्गद हैं और उनको शुभकामनाएं भेजना चाहते हैं।

एक लंबे अरसे अस्वस्थ चल रहे विनोद कांबोज गोगी अस्वस्थ तथा आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं,लेकिन इसके लिए स्थानीय विधायक विनोद चमोली समेत सभी दरवाजे खटखटाए। इतना ही नहीं उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष तथा विभिन्न प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को भी पत्र भेजा। जहां झारखंड के मुख्य सचिव ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को उनका पत्र अग्रसरित किया है। वहीं विधायक विनोद चमोली ने मुख्यमंत्री से आर्थिक सहायता के लिए उनका पत्र अग्रसरित कर दिया है,लेकिन इसे मानवता पराकाष्ठा ही कहेंगे कि लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने श्री गोगी को पचास हजार की आर्थिक सहायता भेज दी है।
लोकसभा सचिवालय की ओर से अनुसचिव श्वाती परवाल ने अविलंब लोकसभा की ओर से स्वीकृत यह राशि भेजने का लोकसभा के लेखाधिकारी को आदेश दिया। इस पत्र के माध्यम श् वाती परवाल ने लिखा है कि मैं डेढ़ लाख की राशि भेज रही हूं,जो लोकसभा अध्यक्ष ने दो लोगों को स्वीकृत की है,इनमें विनोद कांबोज गोगी, को चिकित्सकीय प्रयोग के लिए 50 हजार की राशि तथा अनुज कुमार सिंह लोकसभा सचिवालय को एक लाख रूपए की राशि भेजी गई है। इसी पत्र में अनुसचिव श्वती परवाल ने प्रभावितों को भेजा है,जिसमें पांचवें स्थान पर विनोद कुमार कांबोज तथा छठे स्थान पर अनुज कुमार सिंह का नाम शामिल है।
श्री गोगी का कहना है कि लोकसभा अध्यक्ष के इस कार्रवाई से वे कृत-कृत्य हैं,लेकिन उन्हें इस बात का दुख अवश्य है कि अपनी ही सरकार तथा चुने जनप्रतिनिधियों द्वारा इस विषय में ध्यान नहीं दिया गया है,जो दुख का सूचक है। उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री का भी आभार जताया है,जिन्होंने नियमों का हवाला देते हुए प्रदेश के लोगों को ही आर्थिक मदद देने का निवेदन किया है। श्री गोगी चाहते हैं कि प्रदेश सरकार इस संदर्भ में विशेष प्रयास करे और उन्हें इस संदर्भ में मदद की मांग की है। 

खनन पर रोक के लिए जारी रहेगा मातृसदन का आंदोलनः शिवानंद

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हरिद्वार। गंगा में खनन का विरोध कर रहे मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद महाराज ने कहा कि नियमों को ताक पर रखकर कराए जा रहे खनन का नजारा केंद्रीय वन एवं पर्यावरण के देहरादून स्थित क्षेत्रीय कार्यालय से आए वैज्ञानिकों की टीम ने खुद अपनी आंखों से देख लिया है। टीम के निरीक्षण के दौरान करीब डेढ़ सौ वाहन गंगा से खनन सामग्री ढ़ोते मिले। पत्रकारों से वार्ता करते हुए उन्होंने कहा कि प्रतिदिन करीब ढ़ाई करोड़ रूपए की खनन सामग्री गंगा से निकाली जा रही है। जबकि रोजाना एक हजार टन खनन करने की ही अनुमति है। खनन सामग्री ढोने वाले वाहनों की निगरानी के लिए लगाए गए कैमरे भी ठीक ढंग से काम नहीं कर रहे हैं। ऐसे में खनन में लगे वाहनों से रायल्टी वसूलने में भी गड़बड़झाला हो रहा है। जिससे सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है। खनन में लगे लोगों ने सारे टापू खोद दिए हैं। जिससे बड़े-बड़े गढ्ढे हो गए हैं। नियम विरूद्ध हो रहे खनन के लिए सरकार व जिला प्रशासन पूरी तरह जिम्मेदार है। जिस तरह गंगा को खोदा जा रहा है। उससे आने वाले समय में गंगा करा अस्तित्व बचा रहेगा। इस पर भी सवालिया निशान लग गए हैं। सरकार, प्रशासन व स्थानीय विधायक को पर्यावरण से किसी तरह का कोई मतलब नही है। गंगा में खनन के खिलाफ मातृसदन का संघर्ष अपना संघर्ष जारी रखेगा। ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद की तपस्या को एक माह पूरा होने के बावजूद अभी तक शासन व प्रशासन की और से कोई सुध नहीं ली गयी है। बावजूद इसके मातृसदन अपना आंदोलन जारी रखेगा।

साल 2019 तक उत्तराखंड को बनाएंगे पूर्ण साक्षर

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हल्द्वानी। उच्च शिक्षा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ. धन सिंह रावत ने बुधवार को उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में शौर्य दीवार का अनावरण किया। इस दौरान उन्होंने उच्च शिक्षा में किए जा रहे प्रयासों के बारे में विस्तार से जानकारी दी और कहा, उच्च शिक्षा के विकास के लिए पैसे की कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी। इसके साथ ही घोषणा की कि 2019 तक राज्य को पूर्ण रूप से साक्षर बना दिया जाएगा।

उच्च शिक्षा राज्य मंत्री ने शौर्य दीवार में प्रदर्शित 54 वीरों की गाथा को हिंदी में प्रकाशित कर विद्यार्थियों को उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। कहा कि वह प्रत्येक विश्वविद्यालय की यथास्थिति को समझने के लिए दो दिन बैठक करेंगे। राज्य के विश्वविद्यालयों में स्थायी कुलसचिव नियुक्त होने तक प्रतिनियुक्ति पर कुलसचिव शीघ्र नियुक्त किए जाने का आश्वासन दिया। इसके लिए सीएम से बात हो गई कि कुछ पीसीएस अधिकारियों को कुलसचिव के लिए दिया जाए। उन्होंने कहा कि 2019 तक राज्य को पूर्ण साक्षर बनाने के लिए प्रत्येक डिग्री कॉलेज का विद्यार्थी द्वारा पांच निरक्षरों को साक्षर करने की व्यवस्था निर्धारित की जाएगी।
उच्च शिक्षा राज्य मंत्री ने 500 डिग्री व इंटर कॉलेजों को ई-लर्निंग से जोडऩे का भी वादा किया। सभी कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में समाधान पोर्टल की शुरुआत होगी। डॉ. रावत ने कहा, डिग्री कॉलेज के प्रत्येक विद्यार्थी को उत्तराखंड का इतिहास पढ़ाया जाएगा। साथ ही उन्होंने हिमालयन अध्ययन केंद्र के लिए प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए। कुलपति प्रो. नागेश्वर राव ने कहा, विश्वविद्यालय दूरस्थ शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। वर्तमान में छात्रों की संख्या 40 हजार पार हो गई है। पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री बची सिह रावत ने भी समारोह को संबोधित किया। इस दौरान विश्वविद्यालय के दो एप भी लांच किए गए। 

सोशल मीडिया पर एंटी सोशल होते उत्तराखंड के नेता

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देशभर में डिजिटल इंडिया के दौर में नेताओं में सोशल मीडिया का चलन भी बढ़ चुका है।फेसबुक पर एक्टिव होने के साथ-साथ अब सभी नेता ज्यादा से ज्यादा मात्रा में टिव्टर पर एक्टिव रहने की कोशिश करते हैं। आम लोगों के लिये भी नेताओं और अधिकारियों तक अपनी बात पहुंचाने का ये एक ासान माध्यम बन गया है। कंयोकि मामला सारजनिक मंच पर होता है इसलिये नेताओँ और धिकारियों के लिये शिकायतों पर काम करना आसानी या मजबूरी बन जाता है।

उत्तराखंड की बात करे तो यहां परिवहन एवं समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य को छोड़ तकरीबन सभी मंत्री ट्विटर का प्रयोग कर रहे हैं। ये बात अलग है कि मंत्रियों के अधिकतर ट्वीट आम जनता की जरूरत और मतलब से जुड़ी न होकर खुद के प्रचार पाने या फिर सक्रियता दिखाने तक ही सीमित होते हैं।

प्रदेश में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ट्विटर पर सर्वाधिक लोकप्रिय हैं। हालांकि सबसे पहले ट्विटर में आने वालों में वित्त एवं पेयजल मंत्री प्रकाश पंत का नाम आता है। वहीं, कृषि विभाग संभाल रहे सुबोध उनियाल ऐसे मंत्री हैं जो आठ फरवरी के बाद से ट्विटर से दूरी बनाए हुए हैं।

  • त्रिवेंद्र सिंह रावत : तमाम विभाग संभाल रहे सीएम 167 लोगों को फॉलो करते हैं, जबकि फॉलोअर 63373 हैं।
  • ट्विटर पर सक्रिय : 11 सितंबर 2013 से
  • सक्रियता : राष्ट्रपति, पीएम, केंद्रीय मंत्रियों को रिट्वीट करते हैं। अब तक 3124 ट्वीट। अपने दौरे और राजनेताओं की जयंती, पुण्यतिथि पर ही ट्वीट करते हैं।
  • प्रकाश पंत : वित्त, कर एवं पेयजल मंत्री 456 लोगों को फॉलो करते हैं, जबकि इनके फॉलोअर 4122 हैं।
  • ट्विटर पर सक्रिय : 12 मई 2012 से
  • सक्रियता : पीएम, सीएम व केंद्रीय मंत्रियों को रिट्वीट करते हैं। अब तक 1389 ट्वीट। दौरे व विभिन्न लोगों की जयंती व पुण्यतिथि पर ही अधिक ट्वीट करते हैं।
  • मदन कौशिक : शहरी विकास मंत्री व शासकीय प्रवक्ता 94 लोगों को फॉलो करते हैं, जबकि फॉलोअर 986 हैं।
  • ट्विटर पर सक्रिय : 23 मई 2017 से
  • सक्रियता : केंद्रीय मंत्रियों के साथ ही प्रदेश के मंत्री, डीएम, एसएसपी को फालो करते हैं। अब तक 369 ट्वीट। अपने भ्रमण को ही अधिक ट्वीट करते हैं।
  • सतपाल महाराज : पर्यटन, सिंचाई एवं संस्कृति मंत्री 83 लोगों को फॉलो करते हैं, जबकि फॉलोअर 6276 हैं।
  • ट्विटर पर सक्रिय : 29 मार्च 2014 से
  • सक्रियता : पीएम, केंद्रीय मंत्रियों को फॉलो व रिट्वीट करते हैं। अब तक 1484 ट्वीट। भ्रमण, राजनैतिक लोगों से मुलाकात व जयंती, दिवस की फोटो ट्वीट करते हैं।
  • सुबोध उनियाल : कृषि मंत्री 126 लोगों को फॉलो करते हैं, जबकि इनके फॉलोअर 425 हैं।
  • ट्विटर पर सक्रिय : 22 नवंबर 2014 से
  • सक्रियता : पीएम, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष व राजनेताओं को फॉलो करते हैं। कुल 247 ट्वीट। आखिरी बार 3 फरवरी को पीएम मोदी व अपनी फोटो के साथ ट्वीट किया ‘भाजपा के संग आओ बदले उत्तराखंड।’
  • अरविंद पांडेय : विद्यालयी शिक्षा और खेल मंत्री 235 लोगों को फॉलो करते हैं, जबकि फॉलोअर 1733 हैं।
  • ट्विटर पर सक्रिय : 1 मई 2017 से
  • सक्रियता : पीएम, केंद्रीय मंत्रियों के साथ मंत्रालयों के ट्वीट को रिट्वीट करते हैं। अब तक 1646 ट्वीट। भ्रमण, कार्यक्रम के फोटो, विभिन्न शख्सियत की जयंती-पुण्यतिथि से जुड़े ट्वीट करते हैं।
  • डॉ. धन सिंह रावत : उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) 86 लोगों को फॉलो करते हैं, जबकि फॉलोअर 2158 हैं।
  • ट्विटर पर सक्रिय : 4 मई 2014 से
  • सक्रियता : पीएम, सीएम व केंद्रीय मंत्रियों को रिट्वीट करते हैं। अब तक 981 ट्वीट। ट्वीट खुद के भ्रमण, कार्यक्रम और जयंती-पुण्यतिथि से संबंधित होते हैं।
  • रेखा आर्या : बाल एवं महिला कल्याण राज्य मंत्री 52 लोगों को फॉलो करती हैं, जबकि इसके फॉलोअर्स 453 हैं।
  • ट्विटर पर सक्रिय : 24 जुलाई 2017 से
  • सक्रियता : पीएम, केंद्रीय मंत्री व महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय को रिट्वीट करती हैं। अब तक 104 ट्वीट। 18 अगस्त को आखिरी ट्वीट में लिखा ‘बाल श्रम की कुरीति दूर करने को आगे आएं।’
  • मंत्री आर्य ट्विटर से गायब 
  • उत्तराखंड कैबिनेट में परिवहन एवं समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य ट्विटर से दूर हैं। हालांकि फेसबुक पर तीन एकाउंट और एक पेज से जरूर सक्रिय हैं।

काशीपुर नैनीताल हाईवे पर अतिक्रमण पर हाइकोर्ट के निर्देश

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नैनीताल। अतिक्रमण पर एक बार फिर हाई कोर्ट ने शक्त रवैय्या दिखया है,हाई कोर्ट ने रामनगर-काशीपुर मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग पर अतिक्रमण मामले में सरकार को दो सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं। एन एच पर हो रहे अतिक्रमण को हटाने के लिए प्रसादं द्वारा कारवाही के नाम पर महज इतिश्री ही कि जाति रही है।

रामनगर निवासी मोहम्मद सुलेमान ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि रामनगर-काशीपुर मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग-121 चिलकिया-टांडा मल्लू पर अतिक्रमण किया गया है। याचिका में कहा गया है कि टांडा चौराहे पर स्कूल बसें, ट्रैक्टर-ट्रॉली, सवारी बस, डंपर तथा ट्रकों की हर समय आवाजाही बनी रहती है। जिस कारण लगातार जाम लगा रहता है। आए दिन हादसे होते रहते हैं। याचिका में बताया गया है कि इस मामले में पूर्व में चंद्र सती की ओर से जनहित याचिका दायर की गई थी, कोर्ट ने दो साल पहले 12 अगस्त को याचिका निस्तारित करते हुए कहा था कि यदि फिर से अतिक्रमण किया गया तो फिर से याचिका दायर कर सकते हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसफ व न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद दो सप्ताह में स्थिति साफ करने के निर्देश दिए गए।