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नि:शुल्क चिकित्सा शिविर में मरीजों का हुआ परीक्षण

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एम्स के आयुष विभाग द्वारा सोमवार को श्यामपुर खदरी में नि:शुल्क चिकित्सा शिविर लगाया गया। जिसमें एम्स के डॉ मीनाक्षी जगझापे (आयुर्वेद), डॉ अन्विता सिंह (योग), डॉ रविन्द्र अन्थवाल (होम्योपैथी) द्वारा लगभग 150 मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।

शिविर में एम्स के डॉ मीनाक्षी जगझापे (आयुर्वेद), डॉ अन्विता सिंह (योग), डॉ रविन्द्र अन्थवाल (होम्योपैथी) द्वारा मरीजों का परीक्षण किया गया। शिविर में अस्थमा, त्वचा रोग, गठिया, शुगर, पेट विकार के मरीज अधिकतर पाए गए। एम्स के चिकित्सकों द्वारा सम्बंधित रोगों का उपचार तथा नि:शुल्क दवाइयां एवं स्वास्थ्य सम्बंधित जागरुकता सामग्री वितरित की गई। इस चिकित्सा शिविर में श्यामपुर खदरी के ग्राम प्रधान स्वरूप सिंह द्वारा आयुष विभाग को सहयोग प्रदान किया गया।

दो दिन बाद निकली धूप से लोगों को ठंड से राहत

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ऋषिकेश, दिसम्बर माह के पहले पखवाड़े में ठंड अपना असर दिखाने लगी है। दो दिन तो आसमान में बादलों की चादर छायी रही जिससे लोग धूप के लिए तरस गए थे। ऐसे में दो दिन बाद निकली जिससे लोगों को राहत मिली। बच्चे व बुजुर्ग सुबह से ही धूप सेकते नजर आये।

मौसम ने एक बार फिर करवट ली और सुबह की शुरुआत ठंडी हवाओं से हुई लेकिन जैसे-जैसे सूरज आसमान में चढ़ता गया ठंड जाती रही। सर्द मौसम का असर स्कूल-कॉलेजों में भी देखने को मिल रहा है। विशेषकर परिषदीय प्राथमिक व जूनियर स्कूलों में छात्र संख्या निरंतर कम होती जा रही है। कई स्कूलों में छात्र संख्या नगण्य ही रही। दिसम्बर माह के आगाज के बाद से ठंड में रेल व सड़क यातायात भी खासा प्रभावित चल रहा है। ऐसे में गंतव्य को जाने की जल्दी में मुसाफिरों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

अंबानी की पार्टी में एश्वर्या रही सेंटर ऑफ अट्रैक्शन

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पति अभिषेक बच्चन के साथ मुकेश अंबानी के घर डिनर के लिए पहुंची बॉलीवुड अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन ने ऐसा गाउन पहना जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही थी। ऐश्वर्या के गाउन की कीमत 3.7 लाख रुपये थी। वह पूरी पार्टी में लोगों का सेंटर ऑफ अट्रैक्शन बनी रहीं। पार्टी में ऐश्वर्या के फैशन सेंस के साथ गाउन की कीमत को लेकर भी चर्चा होती रही।

ऐश्वर्या की स्टाइलिस्ट आस्था शर्मा ने उनकी कुछ तस्वीरें अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर की हैं। पीले रंग का यह गाउन बॉलरुम गाउन और कोट का मैच है। कंप्लीट वेस्टर्न लुक वाले इस गाउन के साथ उन्होंने एक ग्रे रंग का बाउल स्टाइल क्लच भी ले रखा है। अपने लुक को फिनिशिंग टच बच्चन बहू ने मिनिमम मेकअप और लाइट शेड लिपस्टिक से दिया। उल्लेखनीय है कि ऐश्वर्या इन दिनों सोशल लाइमलाइट और पार्टीज के साथ अपनी अगली फिल्म ‘फन्नेखां’ की शूटिंग में भी व्यस्त हैं।

अमेरिका के भरोसे चल रहा एनिमल बर्थ कंट्रोल

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देहरादून। पशु कल्याण बोर्ड को प्रदेश में अब तक कोई पशुचिकित्सा विशेषज्ञ नहीं मिल पाया है। तभी तो एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) कार्यक्रम अमेरिकी संस्था के भरोसे चल रहा है, लेकिन एबीसी कार्यक्रम से संस्था की हर महीने लाखों की कमाई हो रही है। इस पर बोर्ड का जवाब भी हास्यास्पद है। बोर्ड का कहना है कि हम कर भी क्या सकते हैं, जब हमारे पास कोई एक्सपर्ट ही नहीं है।

दरअसल, हाईकोर्ट के निदेशानुसार पशु कल्याण बोर्ड प्रदेश के शहरों में नगर निकायों की मदद से एबीसी कार्यक्रम चला रहा है। नवंबर 2016 में देहरादून नगर निगम क्षेत्र से कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी। बोर्ड ने एबीसी कार्यक्रम के लिए अमेरिकी संस्था से अनुबंध किया है। संस्था को शहर से अवारा कुत्तों को पकड़ने व उनकी नसबंदी करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। अनुबंध के अनुसार, प्रत्येक कुत्ते की नसबंदी के लिए 840 रुपये निर्धारित है।
अनुबंध के मुताबिक, हर साल 8400 अवारा कुत्तों की नसबंदी करना अनिवार्य है। इस लिहाज से देखें तो संस्था को सालाना 70 लाख 5600 रुपये की आय हो रही है, जबकि प्रत्येक माह 5 लाख 88 हजार रुपये का भुगतान किया जा रहा है। पशु कल्याण बोर्ड के संयुक्त निदेशक शरद भंडारी का कहना है कि विभाग के पास कोई एक्सपर्ट या स्टाफ नहीं है। उन्हें कुत्तों की नसबंदी का ज्यादा अनुभव नहीं है। इससे कुत्तों की नसबंदी कराने में ज्यादा लागत आ रही है। कार्यदायी संस्था के चिकित्सक वैक्सीनिंग में बहुत छोटा कट लगाते हैं, जबकि विभागीय चिकित्सक अनुभव न होने के कारण 8-10 टांके के लायक बड़ा कट लगाते देते हैं। इससे सिलाई करने में काफी समय लगता है। इतने में कट के भीतर कीटाणु प्रवेश कर जाते हैं। बताया गया है कि संस्था के 100 में दो-तीन केस ही खराब होते हैं, जबकि विभागीय पशु चिकित्सकों से 12-18 केस खराब होते हैं।

बीडीसी सदस्यों और ग्राम प्रधानों ने फूंका प्रदेश सरकार का पुतला 

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हल्द्वानी,  नगर निगम में हुए सीमा विस्तार पर राजनीती शुरू हो गई है। जिसको लेकर बीडीसी सदस्य और ग्राम प्रधानों में खासा रोष व्याप्त है। ग्राम प्रधानों और बीडीसी सदस्यों ने विकासखंड कार्यालय पर जमकर नारेबाजी की और प्रदेश सरकार का पुतला फूंका।

नगर निगम हल्द्वानी के विस्तार के बाद उसमें शामिल किए गए गावों को हटाने की मांग भी जोर पकड़ने लगी है। ग्राम प्रधान और बीडीसी सदस्यों ने विकासखंड कार्यालय पहुंचकर इसके विरोध में प्रदर्शन किया। पूर्व दर्जाधारी महेश शर्मा के नेतृत्व में पहुंचे प्रदर्शनकारियों ने विकासखंड कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया।

इस मौके पर राज्य सरकार पर मनमाने परिसीमन का आरोप लगाते हुए सरकार का पुतला फूंका। सभा में महेश शर्मा ने कहा कि जब तक सरकार पंचायत प्रतिनिधियों को विश्वास में लिए बिना सरकार ऐसे फैसले करती रहेगी हम लगातार विरोध करेंगे। हल्द्वानी नगर निगम में शुक्रवार को जारी अधिसूचना के तहत 36 गांवों को शामिल किया गया है। अब इन गांवों को नगर का हिस्सा बनाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर भी तैयारियां चल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार चुनावी फायदे के बजाए गांव के वास्तविक विकास पर फोकस करे। जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लेकर काम करें और मानकों का पूर्ण पालन कराया जाए।

राहुल गांधी को कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर कांग्रेसियों में खुशी की लहर

आखिरकार वो दिन आ ही गया जिसका कांग्रेस कार्यकर्ता पिछले काफी समय से इंतजार कर रहे थे, सोनिया गांधी के बाद अब राहुल गांधी को कांग्रेस की कमान मिल चुकी है। आज जैसे ही राहुल गांधी को कांग्रेस का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया उसके बाद से ही पूरे देश भर में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई।

दिल्ली से लेकर देश के कोने कोने में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर बधाई दी, कुछ ऐसा ही नजारा तीर्थ नगरी ऋषिकेश में भी देखने को मिला जहां पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने पर मिठाइयां बांटी और खूब पटाखे फोड़े।

कांग्रेस जिला अध्यक्ष जयेंद्र रमोला ने बताया कि इस पल का काफी समय से इंतजार किया जा रहा था कि कब कांग्रेस की कमान राहुल गांधी के हाथों में आएगी, उन्होंने बताया कि राहुल गांधी को पार्टी की कमान सौंपना कहीं न कहीं कांग्रेस के आने वाले कल के लिए भी बेहतर साबित होगी।

एम्स में ट्रांसप्लांट से लेकर प्लास्टिक सर्जरी तक जल्द शुरू होगा बेहतर ट्रीटमेंट

ऋषिकेश। अपने बेहतर इलाज और सहूलियत के लिए जाने जाने वाला एम्स अब अपने इलाकों में बढ़ोतरी करने जा रहा है, ऋषिकेश एम्स में पहुंचने वाले मरीजों को अब प्लास्टिक सर्जरी और ट्रांसप्लांट के लिए दिल्ली-चंडीगढ़ जैसे महानगरों में नहीं भटकना पड़ेगा क्योंकि अब ऋषिकेश एम्स जल्द ही इन सब सुविधाओं को अपने याहं खोलने जा रहा है, एक निजी कार्यक्रम पर पहुंचे एम्स डायरेक्टर प्रोफेसर रविकांत ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि ऋषिकेश एम्स आने वाले दिनों में अपने इलाज को और बेहतर करना चाहता है अभी तक यहां ट्रांसप्लांट, कार्डिक सर्जेरी और प्लास्टिक सर्जरी जैसी सुविधा नहीं है लेकिन जल्दी ही ऋषिकेश एम्स इन सब को अपने इलाज में शामिल करने जा रहा है जिससे यहां पहुंचने वाले मरीजों को बड़ी बीमारियों के लिए दूर-दूर नहीं भटकना पड़ेगा।

 

नगर निगम के प्रतिबंध के बावजूद ट्रेंचिंग ग्राउंड में फेंका जा रहा है कूड़ा

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देहरादून। शहर में कूड़े का अवैध ढंग से उठान किया जा रहा है। शहर में कई ऐसी संस्थाएं सक्रिय हैं जिनके द्वारा कई वार्डों में अवैधानिक तरीके से कूड़ा एकत्र किया जा रहा है। इतना ही नहीं यह संस्थाएं न केवल वार्डों में लगे निगम के कूड़ेदानों का कूड़ा फेंकने के लिए इस्तेमाल करते हैं बल्कि इनके द्वारा निगम के सहस्त्रधारा रोड स्थित ट्रेंचिंग मैदान तक में कूड़ा फेंका जा रहा है। गजब तो यह कि निगम को इसकी कानोंकान तक खबर नहीं है। अब निगम ऐसे मामलों पर कार्रवाई करने की बात कर रहा है।

नगर निगम देहरादून क्षेत्र में साठ वार्ड हैं। 2013 से पहले तक शहर में दून वैली वेस्ट मैनेजमैंट कंपनी कूड़े का डोर टू डोर उठान करती रही। हालांकि कंपनी के हाथ पीछे खींच लेने के बाद से नगर निगम ही शहर भर में कूड़ा उठान का काम कर रहा है। नगर निगम के अलावा कोई दूसरा कूड़े का उठान कर ही नहीं सकता है। बावजूद इसके शहर में कई ऐसी संस्थाएं सक्रिय हैं जो धड़ल्ले से नगर निगम की नाक के नीचे कई पॉश कॉलोनियों से कूड़े का उठान करने में लगी हैं।
बता दें कि नगर निगम की ओर से डोर टू डोर उठान के लिए पचास रूपए का यूजर चार्ज नियत है जबकि यह संस्थाएं लोगों से सौ से लेकर दो सौ रूपए प्रति माह वसूलने का काम कर रही हैं। यही नहीं कूड़े के छंटान के बाद इसमें से निकलने वाले मैटेरियल को भी यह संस्थाएं कबाड़ी आदि को बेचकर नोट छापने का काम कर रही हैं। जबकि नियमत: यह पूरी तरह से गलत है।
आर्यनगर समेत सालावाला, राजपुर रोड से सटी साकेत कॉलोनी, दून विहार के अलावा शहर के ऊपरी इलाकों में इस तरह की संस्थाएं ज्यादा सक्रिय हैं। यही नहीं इन संस्थाओं के द्वारा राजस्व के लिहाज से तो निगम को चूना लगाया ही जा रहा है, साथ ही इनके द्वारा निगम के संसाधनों का भी खुलेआम इस्तेमाल किया जा रहा है। हाल यह है कि इन संस्थाओं के द्वारा न केवल वार्डों में रखे कूड़ेदानों में कूड़ा फेेंका जाता है बल्कि इनके द्वारा निगम के ट्रेंचिंग मैदान में भी गुपचुप तरीके से कूड़ा फेंकने की जानकारी सामने आयी है। जबकि निगम ने सहस्त्रधारा रोड स्थित ट्रेंचिंग मैदान में कूड़ा फेंकने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया हुआ है।
उधर, महापौर विनोद चमोली का कहना है कि अगर इस तरह से हो रहा है तो यह सरासर गलत है। अधिकारियों को ऐसी संस्थाओं को चिन्हित करने के निर्देश दिए जा रहे हैं। इसके बाद नियमानुसार संस्थाओं पर कार्रवाई की जाएगी।
नगर निगम के लिए पार्षद आंख कान का काम करते हैं। ऐसे में निगम को किसी भी जानकारी की सूचना सबसे पहले पार्षद के स्तर से ही उपलब्ध करायी जाती है लेकिन संस्थाओं द्वारा अवैध कूड़ा उठान के मामले में पार्षद भी मुंह सिले बैठे हैं। ऐसे में निगम पार्षदों की मिलीभगत से भी इंकार नहीं किया जा सकता। हालांकि सालावाला के पार्षद भूपेंद्र कठैत का कहना है कि जब भी इस तरह के मामले सामने आए तो हमने हमेशा सक्रियता के साथ निगम को अवगत कराया। 

क्रिकेटर पोते बुमराह से मिलने अहमदाबाद गये दादा का साबरमती नदी में मिला शव

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टीम इंडिया के क्रिकेटर जसप्रीत बुमराह के दादा संतोख सिंह बुमराह की लाश गुजरात की साबरमती नदी से बरामद की गर्इ है। 84 साल के संतोख सिंह बुमराह अपने पोते से मिलने के लिए अहमदाबाद निकले थे। इसके बाद से वो लापता चल रहे थे। जिससे परेशान उनके परिजनों ने शुक्रवार को उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई।

आपको बतादें कि भारतीय क्रिकेट टीम में तेज़ गेंदबाज़ी में फलक पर चमकने वाले जसप्रीत बुमराह को कौन नहीं जानता। हर फोरमेट में अपनी तेज गेंदबाजी से बल्लेबाज को क्लीन बोल्ड करने वाले जसप्रीत बुमराह के परिवार की हकीकत सुनकर आप भी रह जाएंगे दंग। वक्त की मार से परिवार किस मुफलिसी के दौर से गुजर रहा है ये देख कर आप भी कहने को हो जाएंगे मजबूर की वक्त जब बदलता है तो राजा भी रंक बन जाता है।

यहां रहते थे बुमराह के दादा:

जसप्रीत बुमराह के दादा संतोख सिंह उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले के छोटे से कस्बे किच्छा में आर्थिक संकट का सामना कर रहे थे। किराये के टूटे फूटे कमरे में रह कर वो टैम्पू चलवाकर कर अपनी और अपने छोटे अपाहिज बेटे के साथ आजीविका चला रहे थे।

कभी गुजरात के अहमदाबाद मे बटवा इंडस्ट्रियल स्टेट में संतोख सिंह बुमराह का जलवा हुआ करता था। वो लग्ज़री कारो और प्लेन में सफर किया करते थे। अहमादाबाद में उनकी जेके इण्डस्ट्रीज़, जेके मशीनरी इकोमेंट प्राइवेट लिमिटेड और जेके इकोमेंट नामक फैक्ट्रियां थीं। इसके अल्वा दो सिस्टर कंसर्न गुरुनानक इंजीनियरिंग वर्क्स और अजीत फैब्रीकेटर भी थी। सारा कारोबार क्रिकेटर जसप्रीत बुमराह के पिता जसवीर सिंह बुमराह संभालते थे। 2001 में बेटे की मौत से संतोख सिंह टूट गए और फैक्ट्रियां भी आर्थिक संकट से घिर गई। बैंको का कर्ज़ा निबटाने के लिये उन्हें तीनो फेक्ट्रियों को बेचना पड़ा। अपनी शानदार ज़िन्दगी का ज़िक्र करते करते संतोख सिंह की आखो में आंसू तैरने लगते थे।

चौरासी साल के बुज़ुर्ग संतोख सिंह बुमराह को अपनी मुफलिसी ज़िन्दगी से कोई शिकायत नहीं है,वो इसे सब कुदरत की देन मानते हैं। लेकिन अपने बेटे जसवीर सिंह के बेटे जसप्रीत को भारत की क्रिकेट टीम में तेज़ गेंदबाज़ी करते टीवी स्क्रीन पर देख कर उन्हें अपने खून पर फक्र होता था। संतोख सिंह का कहना था कि जीवन के आखरी पड़ाव में पोते को गले लगा कर प्यार कर सके। उसे आर्शीवाद दे सके। उनका अपाहिज बेटा भी अपने भतीजे से मिलने के लिये बेताब था।

वक्त के दिन और रात, वक्त से कल और आज, वक्त की हर शेय गुलाम, वक्त का हर शेय पे राज, वक्त की गर्दिश से है चांद तारो का निजाम, वक्त की ठोकर में है क्या हुकुमत क्या समाज, जी हां एक पुरानी फिल्म का ये गीत जसप्रीत बुमराह के परिवार पर सटीक बैठता है जिन्होने वक्त की मार को करीब से देखा है और उसको महसुस कर रहे हैं…  लेकिन जो भीं हो भले संतोख मुफलिसी में रहे हो लेकिन अपने पोते को गेंदबाज़ी करते देख कर उनका दिल जवान हो जाता था। सब कुछ भूल कर वो अपने पोते से मिलने का सपना सजोये हुए थे।

लेकिन शायद संतोख के लिए वह समय नहीं आया कि वह अपने पोते से मिल सके,गले से लगा सके और उसे आर्शीवाद दे सकें।संतोख निकले तो अपने पोते जसप्रीत से मिलने थे लेकिन सायद वक्त को कुछ और मंजूर था।घर से अहमदाबाद निकले तो सही सलामत लेकिन इसके बाद से ही संतोख बुमराह का कोर्इ पता नहीं लग पाया। जब वो वापस नहीं लौटे तो उनके परिजनों ने बीते शुक्रवार को इसकी रिपोर्ट पुलिस में दर्ज करार्इ। इसके बाद से ही पुलिस उनकी तलाश में जुट गर्इ। जिसके बाद पुलिस को साबरमती नदी में उनकी लाश होने की खबर मिली और वहां से उनकी लाश बरामद की गर्इ।

 

अभिनेत्री अनुष्का शर्मा के गुरु के गांव में खुशी का माहौल

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हरिद्वार। अभिनेत्री अनुष्का शर्मा और भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली के विवाह की खबरों को लेकर अनुष्का के आध्यात्मिक गुरु के गांव में उत्साह का माहौल है। अनुष्का के आध्यात्मिक गुरु अनंत बाबा का हरिद्वार के पथरी क्षेत्र के छोटे से गांव अम्बुवाला में आश्रम है। अनुष्का पहले भी विराट के साथ यहां आकर अपने गुरु का आशीर्वाद ले चुकी हैं। अनंत बाबा के भी विराट-अनुष्का की शादी में इटली जाने की चर्चाओं से गांव में उत्साह का माहौल है। हालांकि आश्रम में कोई भी इस बारे में बात करने को तैयार नहीं है।

इसी आश्रम में आकर अनुष्का अपनी अधिकांश फिल्मों की सफलता के लिए पूजा-पाठ करवाती रही हैं। वर्ल्डकप के दौरान कोहली की सफलता के लिए अनुष्का यहां दो बार अनुष्ठान करने भी आई थीं। कहा जाता है कि अनुष्का अपने गुरु से बिना पूछे कोई शुभ काम नहीं करती हैं। करीब दो साल पहले जब अनुष्का और विराट की सगाई की चर्चाएं जोरों पर थीं, तब भी अनुष्का व विराट उत्तराखंड के आनंदा रिसोर्ट में जाने से पहले दोनों आश्रम में गुरु का आशीर्वाद लेने आए थे।
अनुष्का और विराट की शादी की चर्चाओं से गांव के लोग बहुत खुश हैं। उनका कहना है कि आश्रम में एक-दो बार अनुष्का कोहली के साथ यहां आई थीं और गांव के लोगों ने उनके साथ फोटो भी खिंचवाई थीं। दो साल पहले विराट और अनुष्का नए साल का जश्न मनाने उत्तराखंड में नरेंद्र नगर के आनंदा रिसोर्ट आए थे। तब दोनों की सगाई होने की चर्चाएं भी सुर्खियां बनी थीं। इन चर्चाओं को तब ज्यादा बल मिला था जब अनुष्का और विराट गुपचुप तरीके से देर रात आश्रम में पंहुचे थे और आश्रम को पहले से ही कह दिया गया था कि उनके आने की जानकारी किसी को ना दी जाए। तब दोनों ने बाबा अनंत के साथ फोटो खिंचवाई थी। माना जा रहा है कि बाबा अनंत विराट अनुष्का की शादी के लिए इटली गए हुए हैं। हालांकि बाबा के आश्रम में कोई भी कैमरे पर इस बारे में बोलने के लिए तैयार नहीं है।