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स्वैच्छिक रक्तदान मानवता की सबसे बड़ी सेवा: राज्यपाल

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देहरादून। रोटरी क्लब द्वारा देहरादून में नवम्बर में रक्तदान माह आयोजित किया गया था। इसमें उन्हें विभिन्न व्यक्तियों व संस्थानों का सहयोग मिला था। शिविर में चार हजार यूनिट से भी अधिक रक्त एकत्र किया गया। गुरुवार को इसमें योगदान करने वालों को प्रदेश के राज्यपाल डॉ कृष्ण कांत पॉल ने सम्मानित किया।
राजभवन में रोटरी क्लब द्वारा आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल डॉ पॉल ने रक्तदाताओं को सम्मानित करते हुए रक्तदान के लिए लोगों को जागरूक किए जाने की जरूरत बताई। रक्तदान से जहां लाखों जिंदगियां बचती हैं वहीं रक्तदाताओं के स्वास्थ्य पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने विभिन्न रक्तदाताओं को सम्मानित करते हुए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि रक्तदान से लाखों जिन्दगियों को बचाने का नेक काम करने वाले सभी के लिए प्रेरक हैं। यह बहुत ही पुण्य का काम है। स्वैच्छिक रक्तदान मानवता की सबसे बड़ी सेवा है। इसमें बिना किसी प्रतिफल की आशा के रक्तदान किया जाता है। इसके लिए परोपकारी सोच होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अपने छात्र जीवन में वे भी रक्तदान करते रहे हैं और इससे बड़ा संतोष मिलता था। रक्त धर्म, जाति से परे है, न तो स्वैच्छिक रक्तदाता यह पूछता है कि उसका रक्त किसे दिया जाएगा और न ही रक्त ग्रहण करने वाला यह पूछता है कि उसे किस व्यक्ति का रक्त दिया जा रहा है। दुनिया में रक्त की आवश्यकता, लगातार बढ़ती जा रही है। यह सर्वविदित तथ्य है कि रक्तदान करने से स्वास्थ पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।उन्होंने कहा कि तथा उत्तराखंड में रोटरी क्लब सामाजिक कल्याण के दूसरे क्षेत्रों में भी योगदान कर सकता है। इस अवसर पर रोटरी क्लब के डॉ एस फारूख, टीके रूबी, वीएस भारद्वाज आदि उपस्थित रहे।

बढ़ती महंगाई के विरोध में कांग्रेसियों का प्रदर्शन

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ऋषिकेश। हरिद्वार रोड स्थित पुरानी चुंगी पर कांग्रेस के प्रदेश महासचिव जयपाल जाटव के नेतृत्व में गुरुवार को कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने देश में बढ़ती मंहगाई के विरोध में केंद्र सरकार के खिलाफ सड़कों पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। जाटव ने कहा कि केन्द्र सरकार की जनविरोधी नीतियों की वजह से महंगाई अपने चरम पर है। रोजमर्रा की सभी जरूरी चीजें आम आदमी की पकड़ से दूर होती जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि रसोई गैस के दामों में लगातार हो रही मूल्य वृद्धि से लोगों का बजट बिगड़ गया है। राशन की दुकानों पर मिलने वाले मुठ्ठीभर अनाज पर भी सरकार ने अपनी कुद्रष्टि डाल दी है। चीनी के बाद अब केरोसिन तेल भी राशन की दुकानों मे गरीब आदमी को खपत के अनुसार नहीं मिल पा रहा। इससे यह स्पष्ट है कि सरकार को आम आदमी की कोई परवाह नहीं है। प्रदर्शनकारियों मे सुनील गोस्वामी, राजाभाऊ शास्त्री, जतिन जाटव, जोगेंद्र प्रजापति, सतीश जाटव, आशीष राय, ओमप्रकाश, मंगल सिंह, अशोक कुमार, विनय दूबे, हंसराज, संजय कश्यप, पंकज शास्त्री, प्रदीप कुमार, अर्जून कुमार,विनोद चौहान, कालीचरण आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे।

नए साल पर सैलानियों के लिए कैम्पिंग और रिवर राफ्टिंग पर 50 प्रतिशत की छूट

ऋषिकेश। उत्तराखंड के ऋषिकेश मे गंगा के तट नए साल के स्वागत के लिए सज गये है ,राफ्टिंग कंपनिया भी ग्राहकों को लुभाने के लिए साल के इस वीकेंड पर बीच कैम्पिंग ओर रिवाराफ्टिंग पर 50 प्रतिशत की छूट दे रही है। अगर आप हर साल के शोर शराबे से परेशान है तो गंगा के तट पर शांति ओर रोमांच का अनुभव कर सकते है। साथ ही उत्तराखंड की संस्कृति ओर खानपान का मजा भी उठा सकते है गंगा के  तट आपके इंतज़ार के लिए सज गये है।

10517326_1575794285971707_3904411165797686078_o पश्चिमी देशो के साथ साथ भारत में भी अब एडवेंचर स्पोर्ट  दीवानापन बढ़ता जा रहा है उत्तराखंड में ऋषिकेश की  पहचान वर्ल्ड  मैप पर रिवर राफ्टिंग के साथ साथ  बंजी जम्पिंग ,रेप्लिंग ,फ़्लाइंग फॉक्स जैसे विदेशी खेलो से भी बनती जा रही है। रोज़ बड़ी संख्या में दीवाने इन खेलो का लुफ्त उठाने उत्तराखंड में आ रहे है। दीपक भट्ट,राफ्टिंग व्यवसायी  का कहना है की ऋषिकेश में राफ्टिंग कम्पनिया अपने न्यू इयर  टेरिफ में एक कपल के  एक रात दो दिनो के लिए लंच डिनर ब्रेकफास्ट राफ्टिंग कैंप फायर के साथ मात्र 2500 से शुरुवात की है और तीन दिन और दो रातो के लिए राफ्टिंग माउन्टेन ट्रेकिंग कैंप फायर लंच डिनर ब्रेकफास्ट के लिए 4999 से शुरुवात की है। राफ्टिंग कंम्पनियां 2500 से लेकर 12000 रूपये तक के आकर्षक पैकेज दे रहे है। दिल्ली से आयी पर्यटक श्रेया ने कहा की  ऋषिकेश  पहुंचकर राफ्टिंग का मजा ले रहे है। गंगा की लहरों पर सवारी के खेल का नाम है रीवर राफ्टिंग ,जिसका अनुभव एक नया रोमांच दे देता है।उत्तराखंड के साहसिक पर्यटन  की पहचान बन गयी  रिवर राफ्टिंग अब नयी उचाईयो को छूने  लगी  है अभी तक आपने अगर रिवर राफ्टिंग का मजा नहीं लिया है तो चले आईये ऋषिकेश

उत्तराखंड के ऋषिकेश में गंगा नदी के तट पर नए साल का इंतज़ार के लिए सज गए है होटल और रिवर राफ्टिंग कम्पनिया पर्यटकों को आकर्षक पैकेज दे रही है अगर आप एक नए अनुभव की तलाश में है तो चले आये ऋषिकेश।

विकास की भेंट चढ़ते उत्तराखंड के हजारों पेंड़

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उत्तराखंड के वनों पर मानों विपत्ती सी ही आ गई हैं।पहले ऑल वेदर रोड बनाने के लिए रुद्रप्रयाग रेंज में हजारों पेड़ों को काटा गया और अब सड़क चौड़ी करने के लिए हरिद्वार रेंज में भगवानपुर के आसपास लगभग दो तीन किलोमीटर में हजारों यूकलिप्टिस के पेड़ों को काट दिया गया है।

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अगर आप देहरादून-दिल्ली हाइवे पर सफर कर रहे हैं तो आप देखेंगे की सड़क किनारे पड़े हजारों पेड़ इंसानों के विकास की बलि चढ़ चुके हैं और अभी तो यह शुरुआत है आगे आने वाले समय में ना जाने कितने और पेड़ कांटे जाऐंगे।दरअसल पिछले दिनों ऑल वेदर रोड परियोजना के लिए सड़क किनारे के हजारों चीड़ के पेड़ काट दिए गए जिसका विरोध सोशल मीडियी के माध्यम से हर तरफ हुआ।

आपकों बतादें कि सड़कें, बांध, पर्यटन, रेलवे लाइन आदि के निर्माण में पिछले दो वर्षों में दस लाख पेड़ काटे जा चुके हैं। वर्तमान में आल वेदर रोड के निर्माण में जिस तरह से पेड़ों की अंधाधुध कटाई चारधाम यात्रा मार्ग पर हो रही है, उससे पूरा हिमालय हिल चुका है।गंगोत्री से लेकर ऋषिकेश तक पड़ों की निर्मम कटाई हो रही है।आॅल वेदर सड़क के नाम पर जिस तरह से विकास के नाम पर दानवीय प्रवृति दिख रही है, वह खतरनाक संकेत है। 18 से 24 मीटर चौड़ी सड़क बनाने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है और 24 मीटर का अधिग्रहण हो रहा है।

पेड़ो को काटने के बारे में टीम न्यूजपोस्ट से बातचीत में वन एंव पर्यावरण की अपर सचिव मीनाक्षी जोशी ने कहा कि, “पेड़ों को काटने की मुख्य वजह है सड़कों का चौड़ीकरण, सड़को को बढ़ाने के लिए पेड़ों को काटना जरुरी है लेकिन हम केवल पेड़ नहीं काट रहे साथ ही हम नए पेड़ लगा भी रहें हैं।”

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वहीं पर्यावरणविद और उत्तराखंड के ग्रीन अम्बेसडर जगत सिंह चौधरी यानि जंगली जी ने टीम न्यूजपोस्ट से बातचीत में कहा कि, “उत्तराखंड को पर्यावरण और विकास को साथ लेकर चलना होगा।विकास कौन नहीं चाहता,अच्छी सड़के कौन नहीं चाहता लेकिन उसके लिए जंगलों को निर्ममता से काटना कोइ विकल्प नहीं।हिमलाय पहले से ही संवेदनशील है।भूकंप जोन में पांचवे स्थान पर आने वाला प्रदेश है,ब्लासटिंग और लैंडस्लाइडिंग में भी उत्तराखंड का नाम काफी ऊपर है।इसके साथ ही उत्तराखंड की नदियां सूख रहीं,जल स्तर गिर रहा और अब यह योजनाओं के लिए जंगलों का काटना पर्यावरण के लिए नुकसानदेह है।जंगली जी ने कहा कि सरकार को अगर सच में विकास करना ही है तो इसके लिए नए सिरे से सोचना होगा और नई तकनीक विकासित करनी होगी जिसपर किसी का ध्यान नहीं जा रहा।” जंगली जी ने कहा कि, “अगर सच में उत्तराखंड को विकासित करना है तो आने वाली पीढ़ी के लिए पेड़ों को काटने से बेहतर विकल्प है पेड़ों को रिप्लानट करना यानि की एक जगह से पेड़ उठाकर दूसरी जगह लगाना।ऑल वेदर रोड में करोडो़ं का बजट खर्च होगा अगर थोड़ा सा बजट पेड़ों को रिप्लांट करने में किया जाएगा तो ऑल वेदर रोड के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा भी कि जाएगी। जंगली जी ने कहा कि राज्य में पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने की जरुरत है।विकास के नाम पर हम हिमालय को नुकसान नहीं पहुंचा सकते और एनजीटी भी इस मुद्दे पर कोइ ठोस कदम नहीं उठा रहा।”

आपको बतादें कि पेड़ काटने के विषय को लेकर सारे विभाग चुप्पी साधे हुए हैं, किसी के पास सवालों के जवाब नहीं हैं सारे विभाग अपने-अपने काम कर रहे हैं, किसी के पास पर्यावरण संरक्षण के लिए कोई विकल्प नहीं है।एनजीटी से लेकर हर किसी के पास उत्तराखंड के लिए पर्यावरण संरक्षण के लिए कोई ठोस उपाय नहीं हैं।

यहां देखें विडियोः

बैलेट से चुनाव कराने से डरती है भाजपाः प्रीतम

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देहरादून, भारतीय जनता पार्टी पर धोखाघड़ी का आरोप लगाते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि भापजा वैलेट से चुनाव कराने से इसलिए डरती है क्योकि वह जानते हैं वे हार जाएंगे। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश निकाय चुनावों में जहां-जहां वैलेट पेपर का प्रयोग हुआ है वहां-वहां सत्ताधारी दल भाजपा चुनाव हारी है और जहां ईवीएम से हुए वहां जीती है।

आगामी नगर निकाय चुनावों पर चर्चा को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह की अध्यक्षता में गढ़वाल मण्डल के प्रदेश पदाधिकारियों, पीसीसी सदस्यों, जिला एवं शहर कांग्रेस अध्यक्षों, जिला पंचायत अध्यक्षों तथा पार्टी के अनुषांगिक संगठनों के अध्यक्षों की बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि “भारत का लोकतंत्र दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और लोकतंत्र में ईवीएम पर प्रश्न उठाए गए हैं। यदि कोई शंका उठी है तो उसका निराकरण भी करना होगा। कांग्रेस पार्टी उत्तराखण्ड राज्य में आगामी नगर निकाय चुनावों को ईवीएम के स्थान पर बैलेट पेपर से करवाने का समर्थन करती है। ईवीएम की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न के लिए उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा वैलेट से चुनाव कराने से क्यों कतरा रही है। उत्तर प्रदेश निकाय चुनावों में जिस जगह वैलेट पेपर का प्रयोग हुआ है वहां सत्ताधारी दल भाजपा चुनाव हारी है और जहां ईवीएम से हुए वहां जीती है। कांग्रेस पार्टी ईवीएम के मामले में अन्य विपक्षी दलों का भी सहयोग लेगी।” 

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नगर निकायों के सीमा विस्तार के सम्बन्ध में बैठक में उठाए गए सवाल पर कहा कि, “उत्तराखण्ड सरकार द्वारा नादिर शाही फरमान जारी कर प्रदेशभर के नगर निकायों में मनमाने ढंग से किया जा रहा सीमा विस्तार तर्क संगत नहीं है। प्रदेश की जनता के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी राज्य सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध करते हुए अपना आन्दोलन जारी रखेगी।” सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि, “नगर निकाय चुनाव के सम्बन्ध में सरकार द्वारा अभी तक आरक्षण के सम्बन्ध में कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है क्योंकि सीमा विस्तार के कारण आरक्षण का मामला भी सरकार अपने मनमाफिक करना चाहती है।”  राज्य सरकार जनभावनाओं को कुचलने का काम कर रही है, कांग्रेसजन सरकार के जन विरोधी फैसलों के खिलाफ सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष करेगी तथा गांव तक जन समस्याओं के समाधान के लिए पद यात्रायें निकालेगी।”

पारदर्शी खरीद को सरकार ने किया करार

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देहरादून। गवर्नमेन्ट ई-मार्केट प्लेस के माध्यम से सरकारी विभागों में पारदर्शी, त्वरित एवं भ्रष्टाचार मुक्त अधिप्राप्ति (खरीद) व्यवस्था लागू करने के लिए वाणिज्य विभाग, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार एवं उत्तराखण्ड सरकार के मध्य समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया गया। समझौता ज्ञापन पर राज्य सरकार की ओर से प्रमुख सचिव राधा रतूड़ी एवं गवर्नमेन्ट ई-मार्केट प्लेस की ओर से सीईओ से एस. सुरेश कुमार ने हस्ताक्षर किए।

बुधवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत की उपस्थिति में इस करार पर हस्ताक्षर किए गए। इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि गवर्नमेन्ट ई-मार्केट प्लेस पोर्टल के माध्यम से सरकारी विभागों में की जाने वाली खरीद में पारदर्शिता आ सकेगी। राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने के लिए जीरो टोलरेन्स की नीति अपनाई है। इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार मुक्त शासन की ओर एक और कदम बढ़ाया है। गवर्नमेन्ट ई-मार्केट प्लेस की शुरूआत भारत सरकार के डिजिटल इंडिया अभियान के अन्तर्गत सरकारी मंत्रालयों, विभागों, पीएसयू, स्वायत्त निकायों आदि में सामान व सेवाओं की खरीद में पारदर्शिता, प्रतिस्पर्धा व निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए वाणिज्य विभाग, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा की गयी है। इस अवसर पर मुख्य सचिव उत्पल कुमार, सचिव भूपिंदर कौर औलख, दिलीप जावलकर, एमडी सिडकुल एन.के.झा, सौजन्या, उपनिदेशक जेम दीपेश गहलोत और बिजनेस मैनेजर जेम अनुदा शुक्ला भी उपस्थित थी।

जनवरी से नौ जिलों का होगा मास्टर प्लान तैयार

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देहरादून। स्थानीय विकास प्राधिकरण के गठन के बाद उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण (उडा) ने नौ जिलों में करीब 27 हजार हैक्टेयर क्षेत्रफल पर मास्टर प्लान तैयार करने की कसरत शुरू कर दी है। जनवरी माह से इन जिलों में मास्टर प्लान के लिए बेस सर्वे का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। जबकि अल्मोड़ा जनपद में सर्वे कार्य के लिए आदेश भी जारी कर दिए गए हैं और यहां चंद रोज के भीतर सर्वे कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

उडा के कार्यक्रम प्रबंधक कैलाश पांडे के मुताबिक जनवरी माह के पहले या दूसरे सप्ताह में मास्टर प्लान के लिए सर्वे का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। इसके लिए विभिन्न सूचीबद्ध एजेंसियों को जिम्मा सौंपा गया है। सर्वे में संबंधित क्षेत्रों की भौगोलिक वस्तु स्थिति का जीआइएस (ग्लोबल इंफॉर्मेशन सिस्टम) का सहारा लिया जाएगा। पूरे क्षेत्र की मैपिंग कर स्पष्ट किया जाएगा कि धरातल पर कहां पर क्या है। सर्वे के लिए एजेंसियों को छह माह क समय दिया जाएगा। इसके बाद धरातलीय प्रकृति के बाद मास्टर प्लान तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। मास्टर प्लान के बाद संबंधित क्षेत्र में इसी के अनुरूप भवनों के नक्शे पास किए जाएंगे। जबकि फिलहाल विकास प्राधिकरणों में आसपास के भू-उपयोग के हिसाब से निर्माण की अनुमति दी जा रही।
यहां होगा मास्टर प्लान को सर्वे
जिला, प्राधिकरण क्षेत्र
पौड़ी, पौड़ी।
चमोली, चमोली, औली।
उत्तरकाशी, उत्तरकाशी-गंगोत्री।
रुद्रप्रयाग, रुद्रप्रयाग।
नैनीताल, नैनीताल-हल्द्वानी-काठगोदाम।
ऊधमसिंहनगर, काशीपुर-बाजपुर-किच्छा।
चंपावत, चंपावत।
पिथौरागढ़, पिथौरागढ़।
अल्मोड़ा, अल्मोड़ा।
मास्टर प्लान एक साथ होगा तैयार
उडा के कार्यक्रम प्रबंधक कैलाश पांडे के मुताबिक स्थानीय विकास प्राधिकरण के गठन के बाद प्रदेश में 12 जिला स्तरीय प्राधिकरण भी बनाए गए। नौ स्थानीय प्राधिकरणों में सर्वे के बाद जिला स्तरीय प्राधिकरण में पूरे जिले को सर्वे के दायरे में लिया जाएगा और फिर पर मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा।

कनासर रेंज में चली कैल के चार पेड़ों पर आरियां

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विकासनगर। चकराता वन प्रभाग की कनासर रेंज में अवैध पातन का मामला प्रकाश में आया है। कैल के चार पेड़ों पर आरियां चला दी गई। रिजर्व फोरेस्ट में हुए अवैध पातन से महकमे में हड़कंप की स्थिति है। मामले ने वन विभाग की गश्त की कलई भी खोल कर रख दी है। हालांकि मामला प्रकाश में आने पर विभाग ने एक व्यक्ति के‌ खिलाफ वन संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई करते हुए दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

जानकारी के अनुसार बीती 23 दिसंबर को वन कर्मी को सूचना मिली कि रिजर्व फोरेस्ट में कैल के चार पेड़ों को काटा गया है। जिसे पर वन कर्मियों ने कुनैन कक्ष संख्या 13 (बी) में कैल की चार ठूंठे दिखाई दी। जिस पर वन कर्मियों ने आसपास के क्षेत्र में कांबिंग की। जहां उन्हें झाड़ियों में छिपा कर रखे 58 स्लीपर और आठ डांटे मिली, जिन्हें काटे गए पेड़ों से तैयार किया गया था। जिन्हें वन कर्मियों ने जब्त कर लिया। एसडीओ एमएस काला ने बताया कि जांच में सूरजन सिंह निवासी ग्राम कचाणू का नाम प्रकाश में आया है। जिसके खिलाफ केस दर्ज किया है। आरोपी से दो लाख रुपये का जुर्माना वसूला गया है। उधर, डीएफओ दीपचंद आर्य ने बताया कि मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है। मामले में संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों का स्पष्टीकरण तलब किया गया है। कोई लापरवाही उजागर होने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

थाने से गायब हुए दुर्लभ कछुए, छिपाने में जुटा महकमा

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हरिद्वार,  रायवाला पुलिस ने बीती 22 दिसंबर को एक सेंट्रो कार से 16 कछुए के साथ तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने इस कार्रवाई के बाद अपने अधिकारियों की पीठ भी थपथपा प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी। पत्रकारों के सामने अधिकारी ये बार-बार कह रहे थे कि हमारी टीम ने दुर्लभ प्रजाति के 16 कछुए पकड़े है। लेकिन अब इन कछुओं की बरामदगी में झोल नजर आ रहा है। दरअसल, पुलिस ने जो बयान प्रेस को जारी किये थे, उनमें कछुए की संख्या 16 बताई गई थी। लेकिन जब कैमरे के सामने आरोपियों के साथ कछुओं को दिखाया गया तो उसमें कछुए 16 नहीं बल्कि 18 थे। पुलिस ने आरोपियों से 18 कछुए कब्जे में लिये, अब सवाल ये है कि पुलिस की गिनती में फर्क कैसे आ रहा है। कहीं कछुओं को इधर-उधर तो नहीं कर दिया गया है।

रायवाला थाना प्रभारी महेश जोशी पहले कहते हैं कि कछुए सिर्फ 16 ही हैं। आपकी गिनती में फर्क हो गया होगा। फिर वो कहते हैं कि कछुए हमने वन विभाग को दे हैं और कछुए 16 ही थे। रायवाला प्रभारी का कहना है कि उनके लिए भी इनको जिंदा रखना बड़ी मुश्किल का काम हो गया था और सभी को कोर्ट के आदेश के बाद पार्क में छोड़ दिया गया है। पुलिस का बयान असंतोषजनक और लापरवाह था। एएसपी मंजूनाथ से जब इस मामले पर जानकारी मांगी गई तो उन्होंने भी कछुए की संख्या को 16 ही बताई। हालांकि उन्होंने इस बात पर अपनी सहमति जताई कि अगर कछुओं की संख्या में कुछ गड़बड़ी है तो इसे एक बार फिर से दिखा लिया जाएगा।

वन विभाग के मोतीचूर रेंज में तैनात डीपी उनियाल का उनका कहना था कि पुलिस की तरफ से आये पत्र में 16 कछुओं की बात कही गई थी। लेकिन अभी तक हमने पुलिस से कछुए लिए ही नहीं है। उनियाल का कहना है कि आज ये कछुए पुलिस विभाग से लिए जाएंगे जिनको पार्क में छोड़ा जाएगा। अब बड़ा सवाल ये है कि कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ ? अगर वन विभाग और कोर्ट को कागजों में 16 कछुओं की संख्या बताई गई है तो 2 और कछुए कहां चले गए। इस सवाल का जवाब पुलिस विभाग के पास नहीं है। इन तथ्यों को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे दुर्लभ प्रजाति के पकड़े गए ये कछुए थाने से ही गायब हो गये हैं। जिसे अब छिपने में पूरा महकमा लगा हुआ है।

प्रशासन ने अवैध 280 पक्के निर्माणों को ढहाया

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देहरादून, प्रशासन ने भारी पुलिस बल की मौजूदगी में शीशमबाड़ा में सीआरपीएफ को आवंटित भूमि से कब्जे हटा दिए। करीब छह घंटे चले अभियान के दौरान एक दर्जन जेसीबी से 280 पक्के निर्माणों को ढहाया गया। इस दौरान कब्जाधारी रोने बिलखने लगे। उन्होंने शासन प्रशासन से घरों को ना उजाड़ने की गुहार लगाई।

anti encroachment drive

अवैध निर्माण को पूरी तरह से हटाने के बाद ही पुलिस प्रशासन की टीमें वापस लौटी। एडीएम अरविंद कुमार पांडेय ने सीआरपीएफ के अधिकारियों को खाली कराई गई भूमि पर शीघ्र कब्जा लेने के निर्देश दिए। बुधवार की सुबह करीब आठ बजे एडीएम और एसपी सिटी प्रदीप राय की अगुवाई में पुलिस बल और प्रशासनिक अधिकारी झाझरा पुलिस चौकी में एकत्र हुआ। करीब साढ़े आठ बजे सभी शीशमबाड़ा पहुंचे। कब्जों को हटाने के लिए पूरे इलाके को चार जोनों में बांटा गया। सभी जोन के लिए एक-एक एसडीएम और सीओ की तैनाती की गई।

अनाउंसमेंट कर सभी लोगों से मकानों को खाली करने के को कहा गया, हालांकि अधिकांश लोग पहले ही अपना सामान समेट कर जा चुके थे। सुबह 10 बजे जेसीबी से ‌अवैध निर्माणों को ढहाने की कार्रवाई शुरू हुई, जो शाम करीब चार बजे तक चली। अवैध निर्माण ढहने पर शासन प्रशासन ने राहत की सांस ली। बतादें कि वर्ष 2013 में शासन ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल को शीशमबाड़ा में सात हेक्टेयर भूमि आवंटित की थी, लेकिन शासन प्रशासन की लापरवाही से यहां कब्जे हो गए।