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दिल्ली में शुरू हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक, बड़े फैसलों का इंतजार

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नई दिल्ली, 1वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर नियम बनाने वाली जीएसटी काउंसिल की 25वीं बैठक दिल्ली में आयोजित की गई है। दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली कर रहे हैं। अनुमान है कि हर बार की तरह इस बार भी जीएसटी काउंसिल कई उत्पादों को जीएसटी को उसके मौजूदा वर्ग से निचले वर्ग में ला सकती है। ये कदम आम लोगों को राहत देने के लिए उठाया जा सकता है।

केंद्र सरकार ने 1 जुलाई, 2017 को पूरे देश में जीएसटी लागू करके ‘एक राष्ट्र, एक कर’ की संकल्पना को मूर्त रूप दिया था। जीएसटी को लेकर नियम बनाने के लिए जीएसटी काउंसिल का गठन किया गया। इस काउंसिल में सभी राज्यों के वित्त मंत्री सदस्य होते हैं| केंद्रीय वित्त मंत्री इसके पदेन अध्यक्ष होते हैं। 

 त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड बजा चुनावी बिगुल

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Election
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नई दिल्ली,   निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को पूर्वोत्तर के तीन राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड में आगामी विधानसभा चुनावों से जुड़े मतदान कार्यक्रम की घोषणा कर दी। मतदान दो चरणों में होगा। पहले चरण के तहत त्रिपुरा में 18 फरवरी को मतदान होगा| दूसरे चरण में नगालैंड एवं मेघालय में 27 फरवरी को मतदान होगा।

दिल्ली में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त अचल कुमार ज्योति ने बताया कि तीनों राज्यों में एक ही दिन 3 मार्च को मतगणना होगी। तीनों राज्यों में विधानसभा की 60-60 सीटें हैं। मेघालय में 8.30 लाख, नगालैंड में 11.89 लाख और त्रिपुरा में 25.6 लाख मतदाता हैं।

पहले चरण के लिए त्रिपुरा में 24 जनवरी को अधिसूचना जारी होगी| 31 जनवरी को नामांकन भरने की अंतिम तिथि, एक फरवरी को नामांकन पत्रों की जांच, 3 फरवरी तक नाम वापसी और 18 फरवरी को मतदान होगा। मेघालय और नगालैंड में 31 जनवरी को अधिसूचना जारी होगी| वहां 7 फरवरी को नामांकन भरने की अंतिम तिथि, 8 फरवरी को नामांकन पत्रों की जांच, 12 फ़रवरी तक नाम वापसी और 27 फरवरी को मतदान होगा। तीनों राज्यों में मतगणना 3 मार्च को एक साथ होगी।

मेघालय में 6 मार्च, नगालैंड में 13 मार्च और त्रिपुरा में 14 मार्च को विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। ऐसे में 5 मार्च तक चुनाव कार्यक्रम संपन्न होना चाहिए। मेघालय और नगालैंड में क्रमश: 55 और 59 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए संरक्षित हैं। त्रिपुरा में 10 सीटें अनुसूचित जाति और 20 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं।

श्री ज्योति ने बताया कि सभी उम्मीदवारों को अपने फार्म में दिए गए सभी कॉलम भरने होंगे। उम्मीदवार अपने चुनाव के दौरान 20 लाख रुपये तक ही चुनाव कैंपेन के तौर पर खर्च कर सकेंगे। सभी महत्वपूर्ण घटनाक्रमों की वीडियो द्वारा जांच की जाएगी।

पिछले कुछ चुनावों की तरह 7 दिन पहले मतदाताओं को फोटो वोटर स्लिप दी जाएगी। मेघालय में इस बार 24 प्रतिशत मतदान केन्द्रों का इजाफा किया गया है। मेघालय में 3,082, नगालैंड में 2,187 और त्रिपुरा में 3,214 मतदान केन्द्र बनाए गए हैं। गुजरात और हिमाचल में हुए चुनावों की तरह हर सीट में एक मतदान केन्द्र ऐसा होगा जो पूरी तरह से महिलाओं द्वारा संचालित होगा जिसमें सुरक्षा भी महिला जवानों द्वारा की जाएगी।

मतदान के लिए इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) मशीन होंगी। इसका अर्थ है कि हर मतदाता वोटिंग मशीन में जिस उम्मीदवार को वोट देगा उसकी एक पर्ची वीवीपीएटी मशीन के माध्यम से निकलते हुए वह देख पाएगा। हर सीट पर एक मतदान केन्द्र की वोटिंग मशीनों की गणना को वीवीपीएटी मशीनों की पर्चियों से मेल कर देखा जाएगा। 

उत्तराखंड के आर्गेनिक स्टेट बनने से रुकेगा पलायन, बढ़ेगी आय: महाराज

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देहरादून। विधान सभा सभागार में पलायन रोकने के लिए आयोजित कार्यशाला में प्रदेश के पर्यटन व संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि आज सामुदायिकता की सहायता से विकास करने की आवश्यकता है। कृषकों की आय दोगुना वृद्धि करने के लिए कृषकों को मार्केटिंग सुविधा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि आर्गेनिक उत्पाद अधिनियम लाया जायेगा। उत्तराखंड के आर्गेनिंग स्टेट बनने से कृषकों की आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी।

विधानसभा सभागार आयोजित हुई कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए सतपाल महाराज ने कहा कि कृषि, उद्यान, तीर्थ में आय वृद्धि के लिए सफलता की कहानी को सामने लाया जाए। त्यूणी, चकराता क्षेत्र के हटाल एवं सैंज गांव में गोभी और टमाटर क्लटर के रूप में पैदावार की वृद्धि हुई है। इस कारण कृषकों की आय में लगभग दोगुनी वृद्धि होने से जो 40 व्यक्ति पलायन कर चुके थे, वे पुनः वापस अपने गांव पहुंचे। इस इनोवेशन से 27 कृषक लाभान्वित हो रहे हैं।
कार्यशाला में चर्चा के दौरान कहा गया कि आलवेदर रोड, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन से पर्यटकों से होने वाली आय में वृद्धि होगी। लगभग 10 लाख पर्यटकों से होने वाले आय में वृद्धि हो जाएगी। परिणाम स्वरूप प्रदेश का आर्थिक तंत्र मजबूत होगा। इसके प्रभाव से पलायन रोकने में मदद मिलेगी।
विदेशी अनुभवों को किया जाए शामिल
कार्यशाला में सुझाव दिया गया कि चार धाम यात्रा योजना मंदिर के प्रसाद में वैल्यू एड किया जाए और इसे स्थानीय आर्थिकी से जोड़ा जाए। बद्रीनाथ के समीप बद्रीतुलसी और बद्रीगाय के दूध की महत्ता को सामने लाया जाए। साथ ही विदेशी अनुभवों को भी शामिल करने का सुझाव रखा गया। पेरू-बोल्विया में पैदा होने वाले हाईप्रोटीन केरूआ उत्पाद का प्रयोग पैदावार के रूप में भूटान ने किया है। यदि उत्तराखंड इसका प्रयोग करे तो राज्य में प्रोटीन क्रांति लाई जा सकती है। स्प्रिंग वाटर हारवेस्टिंग जैसे इनोवेटिव तरिके से कृषकों की आए दोगुनी होगी और इसकी मदद से पलायन रूकेगा। कार्यशाला में कृषि विभाग, उद्यान विभाग, पशुपालन विभाग, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, उत्तरांचल उत्थान परिषद स्वयंसेवी संस्था के प्रतिनिधियों ने भी अपने संस्था द्वारा पलायन रोकने के लिए किए जाने वाले इनोवेटिव कार्यक्रम की जानकारी दी।
बैठक में प्रेम बड़ाकोटी, अध्यक्ष उत्तरांचल उत्थान परिषद, सचिव दिगम्बर सिंह नेगी, परियोजना निदेशक जलागम नीना अग्रवाल, निदेशक उद्यान बीएसनेगी, उप निदेशक राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड जेबीसिंह, सहायक निदेशक कृषि लतिका सिंह आदि मौजूद रहे। 

भेल में हाथियों का उत्पात बना मुसीबत

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हरिद्वार। बीएचईएल के रिहायशी इलाकों में हाथियों व तेंदुओं का उत्पात लगातार जारी है। जंगली जानवरों के रिहायशी इलाकों में लगातार आने से क्षेत्र के लोग सहमे हुए हैं, वन विभाग इस ओर से आंखें बंद किए बैठा है। हाथी कभी भी किसी के घर की चारदीवारी गिरा जाते हैं, कभी गाड़ियों पर सूंड पटककर उन्हें क्षतिग्रस्त कर देते हैं। कभी सड़कों पर इधर-उधर आवारा की तरह घूमते रहते हैं। लोग डर के कारण दिन में भी घरों से बाहर निकलते हुए भी डरते हैं। मंगलवार देर रात हाथी ने सड़क पर आकर फिर उत्पात मचाया। विगत एक सप्ताह में जंगली हाथी क्षेत्र में दो लोगों को जहां मौत के घाट उतार चुका है वहीं दो लोगों को हमला कर घायल भी कर चुका है। बावजूद इसके वन विभाग हाथियों की रिहायशी इलाकों में रोकथाम के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। वन विभाग की उदासीनता के चलते लोगों में विभाग के प्रति रोष है।

कोहरे और पाले की मार से फसल हो रही बर्बाद

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ऋषिकेश। ग्रामीण क्षेत्र श्यामपुर के खदरी खड़क माफ़ के किसान आजकल फसल पर दोहरी मार झेल रहे हैं। एक ओर किसानों की फसल कोहरे और पाले से पीली पड़ रही है वहीँ दूसरी ओर फसल को जंगली जानवर रौंद रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि वह सब जंगली जानवरों से फसल को बचाने के लिए रात भर जागकर खेतों में रात बिताने को मजबूर है। कुछ फसल पाले से खराब हो रही है और जो कुछ बची फसल उसे जंगली जानवर कुचल देते है। इस पर सामाजिक कार्यकर्ता विनोद जुगलान का कहना है कि राज्य को बने हुए 17 वर्ष बीत गए हैं किंतु फसल सुरक्षा हेतु न तो आज तक सुरक्षा तटबन्ध बन पाया है न सौर ऊर्जा बाड़ ही लग पायी है। जिसके कारण किसानों की आजीविका खतरे में पड़ गयी है। लोग खेत बेचने को मजबूर हो रहे हैं। किसान अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्षरत हैं किन्तु प्रशासन मूक बना हुआ है। किसानों के प्रति सरकार की असंवेदनशीलता के कारण ही लोग खेती से विमुख होने लगे हैं जिसके फलस्वरूप महँगाई बढ़ना निश्चित है। उन्होंने बताया कि एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति दिन ढाई हजार किसान खेती छोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों की माँग पर शीघ्र ध्यान देना चाहिए। वन विभाग के द्वारी जंगली जानवरों से फसल की सुरक्षा के लिए सुरक्षा दीवार बनायी जाये।

छात्रवृत्रि भारत सरकार के पोर्टल के माध्यम से होगी आॅन लाइन

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गोपेश्वर। समाज कल्याण विभाग के माध्यम से संचालित पूर्वदशम् एवं दशमोत्तर छात्रवृति वित्तीय वर्ष 2017-18 से भारत सरकार के पोर्टल के माध्यम से किया जायेगा। इस शासनादेश के क्रम में जिलाधिकारी आशीष जोशी ने समाज कल्याण एवं शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बैठक लेते हुए छात्रवृत्ति के लिए निर्धारित पोर्टल पर सभी पात्र छात्रों का आॅनलाइन आवेदन कराने के निर्देश दिये है।
जिलाधिकारी ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों व जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए कि स्कूलों में छात्रवृति के पात्र छात्र-छात्राओं का निर्धारित समय के भीतर आवेदन करवा लें। कहा कि छात्रवृति से कोई भी पात्र बच्चा वंचित नही होना चाहिए। जिन छात्रों को आय, जाति प्रमाण पत्र तथा आधार कार्ड बनाने में परेशानियां हो रही है, उनकी हर संभव मदद करने के निर्देश भी दिये। आॅन लाइन आवेदन भरते समय छात्र का नाम, बैंक खाता संख्या व अन्य विवरण को सही सही भरने को कहा ताकि भविष्य में किसी प्रकार की शिकायत न हो।
जिला समाज कल्याण अधिकारी सुरेन्द्र लाल ने बताया छात्रवृति के लिए 31 जनवरी तक आॅनलाइन आवेदन भरा जा सकता है तथा संबंधित शिक्षण संस्थाऐं 15 फरवरी तक आॅनलाइन प्रपत्रों को जिला समाज कल्याण कार्यालय को उपलब्ध करवाया जाना है। ताकि 28 फरवरी तक सभी त्रुटियों को ठीक कर सके। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी विनोद गोस्वामी, मुख्य शिक्षा अधिकारी एलएम चमोली, जिला शिक्षा अधिकारी आशीष भंडारी, जिला समाज कल्याण अधिकारी सुरेन्द्र लाल आदि मौजूद थे।

शिकायना मुखिया: देहरादून की इस नन्ही गायिका ने मचाई घूम

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& टीवी पर आ रहे रियालिटी शो वॉयस इंडिया किड्स में देहरादून के पिता-बेटी की जोड़ी ने घूम मचा रखी है। देहरादून के विकास व ङीरा मुखिया की 11 साल की बेटी शिकायना ने इस शो के टॉप-टेन में जगह बना कर खासी सुर्खियां बटोर ली हैं।

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देहरादून के सेंट थॉमस स्कूल की क्लास 6 में पढ़ने वाली शिकायना ने इस शो में अपनी खास गायिकी से यह मुकाम हासिल किया है। इस शो में राज्य के कुछ और बच्चों ने भी हिस्सा लिया लेकिन वो पहले कुछ राउंड में ही बाहर हो गये, वहीं शिकायना अपनी गायिकी के बल पर सफलता की सीढ़ियां चढ़ती गई।

शिकायना के पिता विकास खुद एक गायक हैं और बिना किसी फॉर्मल ट्रैनिंग के अपनी गायिकी को आगे बढ़ा रहे हैं। अपने पिता से ही उसे विरासत में संगीत के प्रति लगाव मिला है औऱ कम उम्र से ही वो गीतों को गुनगुनाती आ रही है।

फिलहाल वो देहरादून वापस आ गई हैं और चैनल की तरफ से मुकाबले के अगले पड़ाव की तारीख का इंतज़ार कर रही है। संगीत के अलावा वो छोटी कहानियां भी लिखती हैं और अपने छोटे भाई के साथ खेलना भी उसे खासा पसंद है। शिकायना की मां देहरादून के ही कर्नल ब्राउन स्कूल में पढ़ाती हैं।

शिकायना के लिये मुकाबले के सबसे यादगार पलों में से है वो पल जब उसने जज हिमेश रेशमिया की नकल की और जजों और लोगों ने उसे खूब पसंद किया।

शान, हिमेश, पलक, पपॉन जैसे संगीत के दिग्गजों के सामने परफॉर्म करने के एहसास के बारे में वो कहती है कि, “थोड़ा नर्वस थी, एक्साइटेड भी। मैने ‘कैसी पहेली है ये ज़िदगी’ गाया और सभी जजों ने मेरी तारईफ की तो काफी अच्छा लगा।”

पिता-बेटी की ये जोड़ी उत्तराखंड मे ही नही देशभर में खासी पसंद की जा रही है, शिकायना के पिता बताते हैं कि, “कल ही मेरी बेटी को महाराष्ट्रा के फैंस की तरफ से तोह्फा आया है।”

आज ङीरा और विकास अपनी बेटी की अभी तक की कामयाबी से खासे खुश हैं, वो कहते हैं कि, “हमारी बेटी ने इस कड़े मुकाबले में जो मुकाम हासिल किया है वो ही हमारे लिये किसी जीत से कम नही है।”

न्यूजपोस्ट की तरफ से  पिता-बेटी की जोड़ी को आने वाले समय के लिये ढेरों शुभकामनाऐं।

कुछ खास और अलग है मुकेश का पेंटिंग स्टाईल

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तस्वीरों की सबसे खास बात है कि वह आपको समय से पीछे लेकर जाते हैं और अगर तस्वीरें हाथ से बनाई गई हो तो मज़ा दोगुना हो जाता है। ऐसे ही एक युवा कलाकार हैं ऋषिकेश के मुकेश नेगी। उम्र केवल 22 साल लेकिन जब वह अपने पेटिंग ब्रश से कुछ बनादें तो ऐसा लगता है मानो किसी अनुभवी व्यक्ति ने चित्रकारी की हों।जी हां मुकेश एक बहुत ही युवा और उम्दा कलाकार हैं और अपनी पेंटिंग से उन्होंने हर किसी का मन मोह लिया है।

शुरुआती शिक्षा ऋषिकेश से लेने के बाद मुकेश ने देेहरादून से बी.कॉम किया है।परिवार में माता-पिता और भाई हैं।मुकेश की चित्रकारी की खास बात है वह अपने स्टाईल में पेंट करते हैं।

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बचपन से कला के बेहद शौकीन मुकेश ने शुरुआत कार्टून बनाकर की और समय के साथ उन्होंने पोर्ट्रेट में स्केचिंग करना शुरु किया।बदलते वक्त और अपने हुनर से मुकेश हर बार कुछ अच्छा और नया करना चाहते थे और अब वह ना केवल कागज की शीट पर पेंटिंग करते हैं बल्कि जूते और कपड़े पेंट करना भी मुकेश के हुनर का शानदार प्रदर्शन है।मुकेश से हुई टीम न्यूजपोस्ट से बातचीत में उन्होंने बताया कि, “उन्होने अपने दोस्तों के लिए जूते पेंट किए हैं और वह अपने दोस्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है। दरअसल लोग पेंट तो करते हैं लेकिन जूतों पर पेंट करना वो भी बिना सीखे यह अविश्वसनीय है।लेकिन मुकेश वाकई में जूते और कपड़े पेंट करना पसंद करते हैं।”

अपने जूनुन को पूरा करने के लिए मुकेश हर रोज़ कुछ ना कुछ बनाते हैं और कहते हैं कि आने वाले समय में चाहे जो भी नौकरी करे पेटिंग करना मैं नहीं छोड़ सकता और हमेशा कुछ ना कुछ नया करता रहूंगा।

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टीम न्यूजपोस्ट से बातचीत में युवा कलाकार मुकेश कहते हैं कि, “एक शैली में पेंट नही करता बल्कि हर चीज में अपना हाथ आजमाता हूँ। चाहे वह चारकोल,पोस्टर,एक्रेलिक पेंटिंग,पेन,टैटू,इंक और हर तरह की चित्रकारी करना पसंद करता हूँ।” मुकेश को अपने पेंटिंग क्षेत्र में बहुत ज्यादा सहयोग ना मिलने के कारण वह फाईन आर्ट की डिग्री ना ले सके लेकिन फिर भी उनकी चित्रकारी किसी फाईन आर्ट की डिग्री धारकों से कम नही है।मुकेश कहते हैं कि, “जैसे कि ज्यादातर लोग सोचते हैं कि पेंटिंग और चित्रकारी का ज्यादा स्कोप नहीं मुझे भी यह आए दिन सुनने को मिलता है लेकिन फिर भी मैं बिना पेंट किए नहीं रह सकता।”

मुकेश जो अपने ब्रश से करते हैं वह वाकई सराहनीय है और टीम न्यूजपोस्ट मुकेश को उनकी पेंटिंग के लिए बहुत सारी शुभकानाएं देता है।

मसूरी आने वाले युवाओं के माता पिता से पुलिस क्यों करना चाहती है बात?

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जो युवा अब पहाड़ों की रानी मसूरी का रुख करने वाले हैं उनके लिये शहर में घुसने के लिये अपने परिवार की इजाज़त लेनी ज़रूरी होगी। और बच्चों के पास माता पिता की परमीशन है या नही इसकी तस्दीक खुद मसूरी पुलिस करेगी।

मसूरी थाने की पहली महिला एसएचओ भावना कैंथोला ने इसकी तैयारी कर ली है। न्यूजपोस्ट से बात करते हुए उन्होने बताया कि “ये एक छोटी सी कोशिश है शहर में युवाओं के बीच बढ़ते शराब पीने और हुड़दंग करने के चलन को रोकने की।हम लगातार चैकिंग करेंगे और माता पिता की परमीशन को एक निरोधक की तरह इस्तेमाल किया जायेगा ताकि आने वाले समय में ये युवा भी बेहतर शहरी बन सके।”

देहरादून मसूरी के बीच के 33 किमी के रास्ते पर शराब पीकर गाड़ी चलाने की बढ़ती घटनाओं के कारण पुलिस ने कोल्हू खेत में चैकिंग अभियान शुरू कर दिया है। शराब पीकर गाड़ी चलाने को रोकने के लिये एसएचओ भावना अब पुरूष पुलिस बल के साथ साथ महिला पुलिसकर्मियों की भी तैनाती की तैयारी कर रही है।

पुलिस के इस कदम का मसूरी के लोग भी स्वागत कर रहे हैं। सुधांशु रावत की गाड़ी को पिछले महीने ही शराब के नशे में घुत छात्रों ने अपनी गाड़ी से टक्कर मार दी थी। वो कहते हैं कि “ज्यादातर माता पिता को इस बात के बारे मे जानकारी नही होती है कि उनके बच्चे देहरादून से मसूरी जा रहे हैं। ऐसे में न केवल छात्रों के लिये बल्कि सड़क पर चल रहे और लोगों के लिये भी ये छात्र खतरा बन जाते हैं। इस कदम से कम से कम छात्रों में डर रहेगा।”

मसूरी के व्यापारी रजत अग्रवाल कहते हैं कि “पुलिस इस कदम को किस तरह लागू करती है बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा। अगर जगह जगह इस तरह की चैकिंग होती रही तो शहर में यहां आने वाले रास्तों पर जाम लग सकता है जो कि व्यापार के लिये ठीक नही होगा।”

वहीं मसूरी निवसी गणेश सैली कहते हैं कि “ये सही तरीका है। मसूरी और आस पास के छात्रों में शराब पीकर हादसों का शिकार होना का चलन पिछले कुछ समय में काफी बड़ गया है।मसूरी देहरादून के रास्ते में हादसों को रोकने के लिये ये एक सार्थक कदम है।”

बहरहाल मसूरी में पुलिस के इस कदम को लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया आ रही है पर इतना तो तय है कि लगातार बढ़ रहे सड़क हादसों को रोकने के लिये कुछ सख्त कदम उठाने की ज़रूरत है और ये उन्ही में से एक है।

मानकों की धज्जियां उडा रहे होटल

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ऊधमसिंहनगर, बीते दिसंबर माह में मुंबई के कमला मिल कम्पाउंड स्थित मोजोस ब्रिस्टो पब में हुए अग्निकांड में 15 लोगों की जलकर मौत हो गई थी। पब में आपातकालीन रास्ता नहीं होने की वजह से लोग जान नहीं बचा सके थे। आग की घटना से सिख लेते हुए ऊधमसिंहनगर के एसएसपी सदानंद दाते ने अग्निशमन विभाग को होटल, बैंकट हॉल और स्कूलो में आग से सुरक्षा को लेकर इंतजाम जांचने के निर्देश दिए थे।

अग्निशमन द्वारा जाँच के बाद चौकाने वाला खुलासा हुआ है, जाँच में जिला मुख्यालय रुद्रपुर में होटल कृष्णा, अम्बर, कौशल्या रेजीडेंसी, कार्बेट इन, के के, सोनिया, कंचन तारा, गगन ज्योति, संगम मैरिज, मानसरोवर, राजमहल सहित 29 प्रतिष्ठानों और बैंक्वेट हॉलो के पास अग्निशमन विभाग का अनापत्ति प्रमाण पत्र ही नहीं है। और न ही अग्नि सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम है। ऐसे में अगर आग की कोई घटना घटित हो जाए तो उस पर काबू पाने के लिए दमकल विभाग पर ही निर्भरता है।

इतना ही नहीं कई प्रतिष्ठानों में आपातकालीन रास्ता भी नहीं है। रुद्रपुर के अग्निशमन अधिकारी हरीश गिरी ने बताया कि होटलों में आपातकालीन रास्ता होना बेहद जरुरी है। मानकों के अनुसार अग्निशमन उपकरण भी जरुरी है। शहर के 29 प्रतिष्ठानों अग्निशमन विभाग द्वारा खामिया पाई गई है जिसकी रिपोर्ट एसएसपी को सौंपी जायेगी।