महिलाअों में गंम्भीर समस्या है ऐनीमिया

महिलाओं की स्थिति और समस्या पर जब भी चर्चा होती है तो दो महत्वपूर्ण बिन्दु सबसे पहले सामने आते है- सामाजिक समस्या में सबसे ऊपर घरेलू हिंसा और स्वास्थ्य में रक्त अल्पता यानि ऐनीमिया। दोनों गम्भीर समस्या है जिनका निदान बहुत जरूरी है। दोनों के कारण जाचँना उसके दुष्प्रभाव का पता लगाना और फिर समाधान करना महिलाओं के जीवन के लिए अनिवार्य है- बल्कि प्राथमिकता है।
हमारे देश में महिलाओं और किशोरियों में ऐनीमिया विश्व की तुलना में खतरे से भी ऊपर पहुँच चुकी समस्या है। ऐनीमिया का अर्थ है -‘‘ खून में सामान्य से कम लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या का होना। यह लाल रक्त कोशिका में पाए जाने वाले एक पदार्थ (कण) रूधिर कोशिका (हीमोग्लोबिन) की संख्या में कमी आने से होती है। आमतौर पर 100 ग्राम खून में 15 ग्राम लाल रक्त कण जरूरी है- यानि 15 ग्राम हीमोग्लोबिन। ’’इससे कम रक्त कण का होना खून की कमी कहलाता है।

हीमोग्लोबिन – एक विशेष प्रोटीन है, जिसका आॅक्सीजन से मजबूत सम्बन्ध है। इसमें आयरन फोलिक एसिड और विटामिन 12 जैसे घटक होते हैं। हीमोग्लोबिन पूरे शरीर में आॅक्सीजन प्रवाहित करता है- इसकी संख्या में कमी का अर्थ है- शरीर में आॅक्सीजन की आपूर्ति में कमी। आॅक्सीजन की कमी से शरीर में थकान और कमजोरी तो रहती ही है और भी बहुत सी बिमारियाँ शरीर में घर कर लेती है। हिमोग्लोबिन (लाल रक्त कण) हमारे बोन मैरो में बनते है।
ऐनीमिया के साधारणतः कारण हैः-
. भोजन में लौह तत्वों की कमी
. शरीर द्वारा लौह तत्वों के उपभोग की समस्या
. मुहं, आधार, नली आतों में रक्त स्राव जैसे रोग
. मासिक-धर्म के समय ज्यादा स्राव
. अधिक दर्दनाशक दवाओं का सेवन
. बचपन से कुपोषण का शिकार होना
. विरासत में थैलेसीमिया जैसी बिमारी का होना

ऐनीमिया के लक्षण ऐसे होते हैः-
. हमेशा थकान व कमजोरी बनी रहना
. त्वचा, होंठ, आँख, मसूड़ों, नाखून, हथेली में पीलापन होना
. सोचने में परेशानी-भ्रम का अनुभव होना
. चक्कर आना, बेहोशी छा जाना
. दिल की धड़कन तेज होना
. बच्चों का धीमा विकास
. भूख की कमी
. माँ बनने पर जोखिम की स्थिति

समाधानः-
समस्त कारणों का निदान ही प्रत्येक बिमारियों का समाधान होता है इसके अतिरिक्त-
. चिकित्सक के निर्देश पर विशेष भोजन पर ध्यान देना।
. हरी पत्तेदार, सब्बिजयां, दूध, मेवे, मछली, अंडा अपने भोजन में शामिल करना।
. दिन में कम से कम 8 गिलास तरल पदार्थ पीना -विशेष तौर पर पानी।

हमारे देश में महिलाओं एवं किशोरियों में ऐनीमिया के आंकड़े देखे जाए तो ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में कोई खास अन्तर नहीं है। स्पष्ट है कि यह बिमारी विकास से ज्यादा जानकारी एवं जागरूकता से जुड़ी है। केरल ही एकमात्र ऐसा राज्य जहां यह सबसे कम है।

इस समस्या का सबसे बड़ा समाधान है महिलाओं और किशोरियों को इस बिमारी के दुष्पारिणामों को बताना, उन्हें स्थानीय उपलब्ध भोजन को साफ सफाई से पकाने व खाने के तरीके समाझाना, लक्षण दिखने पर तत्काल डाक्टर से सम्पर्क करने को प्रेरित करना और सबसे महत्वपूर्ण ढेर सारा पानी पीना चाहे कितने भी घरेलू कार्यो में व्यक्त रहे।
तीनों समय पूरा भोजन खाए समय से, साथ ही दाल, सब्जी, रोटी, चावल, फल, दूध, अंडा, मेवे अपने भोजन में शामिल करें।
सबसे आसान है- जिस मौसम में जो सब्जी, फल, पैदा होते है उन्हें भरपूर खाए। और भी आसान है याद रखे अपने भोजन में  ये पांच चीज़ों को शामिल करें और ऐनीमिया से बचें।

  • घी
  • मूंगफली
  • अनाज
  • हरी सब्जी और
  • गुण