ज्वालापुर स्थित मण्डी के कुएं पर प्राथमिक विद्यालय नं.-5 का भवन जर्जर हो चुका है। काफी अर्से से स्कूली बच्चे आसमान के नीचे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। विद्यालय में 201 बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए पहुंच रहे हैं। मात्र एक प्रधानाध्यापक के सहारे शिक्षण का कार्य किया जा रहा है।
प्राथमिक विद्यालय नं.-5 स्कूल भवन की छत टूट चुकी है, मात्र एक कमरे की छत बची हुई है जिसमें 201 बच्चों के लिए मिड-डे-मील के बनाने का कार्य किया जाता है। कमरे की हालत ऐसी है कि छत का प्लास्टर कभी भी नीचे गिर जाता है। बरसात के दौरान बच्चों की शिक्षा पूरी तरह से प्रभावित रहती है। स्कूल के प्रांगण में वृक्ष के नीचे पढ़ाई कार्य किया जाता है। भवन की जर्जर हालात के बाद भी दिक्कतें कम नहीं है, बल्कि 201 बच्चों को शिक्षा देने का भार एक अध्यापक पर है। ऐसे में बच्चों की शिक्षा किस तरह हो पा रही होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
शिक्षा विभाग स्कूली शिक्षा को लेकर किस कदर लापरवाही बरत रहा है, यह सबके सामने है। प्रधानाध्यापक फरमूद अहमद ने बताया कि स्कूल बिल्डिंग निर्माण को लेकर विवाद चला आ रहा है। स्कूल में अध्यापकों की अतिरिक्त तैनाती के लिए विभाग को अवगत भी कराया गया लेकिन अब तक किसी भी अध्यापक की नियुक्ति नहीं हो पाई।
बरसात के समय नौनीहालों पर खतरा मंडराता है लेकिन क्या करें, टूटी बिल्डिंग में ही शिक्षा का कार्य किया जाता है। बरसात में स्कूल के प्रांगण में पानी भर जाता है। बिजली पानी की आपूर्ति नहीं हो पाती। शौचालय की व्यवस्था भी खराब है। राज्य एवं केन्द्र सरकारें लगातार सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने की घोषणायें तो करती हैं लेकिन धरातल पर कुछ भी नजर नहीं आता।






















































