“घोस्ट विलेज” की परिभाषा बदलता “देवलसारी प्रोजक्ट”

homestay, devalsari
Devalsari homestay, a home away from home

“हम ग्रामीणों को अपनी जमीन और घर ना बेचने के लिए मना रहे हैं। इसके लिये, हम उनके दरवाजे तक रिस्पॉंसिबल टूरिज्म ला रहे हैं। हम चाहते हैं कि वे अपनी जमीनों और घरों के मालिक बने रहें और किसी और के लिए काम करके अपनी जिंदगी ना जिएं।”

इसी सोच के साथ देवलसारी इंवायरमेंट एंड टेक्नॉलिजी डेवलेपमेंट सोसाइटी की शुरुआत साल 2016 में हुई थी।

Deodar forest in Devalsari

मसूरी से लगभग 50 किलोमीटर दूर, थत्यूड़ के पास देवलसारी इंवायरमेंट एंड टेक्नॉलिजी डेवलेपमेंट सोसाइटी प्रोजक्ट 70 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। इस प्रोजक्ट का नाम उत्तराखंड की सफल कहानियों में लिया जाता है।

आज इस परियोजना के बैनर तले दस गाँव अपने हरे-भरे देवदार के जंगल के बीच  इको-टूरिज़्म के जरिए व्यवसाय के मौके बढ़ा रहे हैं।

27 साल के अरुण गौर बंगसील गांव के रहने वाले है जो देवलसारी के उन बीस गांवों में से एक है जो इस परियोजना के अंतर्गत आता है। इस प्रोजक्ट के तहत अरुण गांव के युवाओं और बुजुर्गाों को अलग-अलग क्षेत्रों में ट्रेनिंग देकर उन्हें हॉस्पिटेलिटी के माध्यम से बेहतर होस्ट बनाने के साथ-साथ नेचर गाइड की ट्रेनिंग भी देते हैं. इस के जरिए गांव के लोग अपने गेस्ट को देवदार के घने पेड़ों के बीच बर्ड वॉचिंग, बटरफ्लाई वॉक, हैरिटेज वॉक के लिए ले जा सकते हैं। इस समय देवलसारी परियोजना किसी भी दिन अपने टेंट में ऑथेंटिक जौनपुरी क्यूजिन के साथ बीस पर्यटकों के रुकने की व्यवस्था कर सकता है।

Research Centre in Devalsari

अरुण कहते हैं, “मैं पेशे से मधुमक्खी पालन विशेषज्ञ हूं और मैने पूरे राज्य में कई कार्यशालाएं आयोजित की है, लेकिन कुछ साल पहले, मैं अपने घर लौट आया और एनजीओ के साथ स्वरोजगार के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के ऊपर काम करना शुरू कर दिया।”

हालांकि, अरुण बताते हैं कि जनवरी से जून तक देवलसारी जाने का सबसे अच्छा मौसम है, “हर मौसम कुछ अलग होता है। हमारे पास साल भर के ग्राहक हैं जो आते हैं तो पचास से अधिक लोगों को रोजगार मिलता ही है। दैनिक मजदूरों से, टट्टू मालिक, राशन दुकान मालिक, वे सभी इन कैंप के माध्यम से अपना जीवनयापन करते हैं।

Devalsari
Few of butterflies spotted in Devalsari

पिछले दो वर्षों में, इस परियोजना ने हर साल 15 लाख से अधिक का टर्नओवर दिया है। जिसके साथ चार और होम-स्टे अभी बनाए जा रहे हैं, अरुण को यकीन है कि उनकी सफलता की कहानी अन्य गाँवों में दोहराई जाएगी, और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उत्तराखंड की पहचान बनने वाले भूतिया गांव अब और नहीं है।