गैरसैंण में बजट सत्र, घर से उठने लगी आवाज

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उत्तराखंड
पर्वतीय जनभावनाओं की राजधानी गैरसैंण में बजट सत्र कराने के लिए भाजपा के घर से ही आवाज उठने लगी है। बजट सत्र इस माह के आखिरी या फिर मार्च माह के पहले सप्ताह में आयोजित किया जा सकता है। सरकार ने अभी कोई इशारा नहीं किया है कि बजट सत्र कहां होगा। वैसे, मानकर चला जा रहा है कि बजट सत्र देहरादून में ही आयोजित किया जाएगा। गैरसैंण में बजट सत्र के लिए उठ रही आवाज की वजह ये भी है कि पिछले साल 2019 में एक भी सत्र वहां आयोजित नहीं कराया गया था जबकि 2018 में इसी सरकार ने वहां पर बजट सत्र कराया था।
-भाजपा विधायक महेश नेगी की मांग के समर्थन में हैं कई भाजपाई
-2018 में गैरसैंण में बजट सत्र आयोजित कर चुकी है त्रिवेंद्र सरकार
दरअसल हरीश रावत सरकार ने सत्ता से जाते जाते 2016 में विधानसभा में एक संकल्प पारित किया था। इसमें बजट सत्र गैरसैंण में कराने की बात कही गई थी। 2017 में जब त्रिवेंद्र सरकार बनी, तब वह बजट सत्र तो गैरसैंण में आयोजित नहीं करा पाई, लेकिन संकल्प का उस पर इस कदर प्रभाव हावी था, कि कड़कती ठंड के बीच दिसम्बर में गैरसैंण में सत्र आयोजित कराया गया। यहीं नहीं कुछ महीने बाद मार्च 2018 में सरकार फिर से गैरसैंण पहुंच गई थी। मगर 2019 खाली चला गया। गैरसैंण में कोई भी सत्र आयोजित न होने पर खूब हो हल्ला मचा। राज्य आंदोलनकारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया, लेकिन सरकार देहरादून से बाहर नहीं निकली। अब एक बार फिर उसके गैरसैंण को लेकर रुख पर सबकी निगाहें हैं।
इन स्थितियों के बीच भाजपा के द्वाराहाट विधायक महेश नेगी ने सीएम से बजट सत्र गैरसैंण में कराने की मांग की है। अपने ही विधायक की मांग से सरकार पर गैरसैंण में सत्र को लेकर दबाव बढ़ सकता है। ज्यादा दिन नहीं हुए जबकि स्पीकर प्रेम चंद्र अग्रवाल ने भी कहा था कि गैरसैंण में 2019 में एक सत्र जरूर होना चाहिए था। बताया जा रहा है कि भाजपा के कई और विधायक गैरसैंण में ही बजट सत्र कराने के पक्ष में हैं।
वैसे सूत्रों के अनुसार सरकार कोई ऐसा रास्ता तलाश रही है, जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। इस क्रम में बजट सत्र को देहरादून में ही कराकर उसे स्थगित रखने पर भी विचार किया जा रहा है। ताकि चारधाम यात्रा से पहले गैरसैंण में एक विशेष सत्र आयोजित कर वहीं सत्रावसान कर दिया जाए। सरकार की मंशा गैरसैंण मसले पर विपक्ष को किसी तरह का कोई मौका न देने का भी है। हालांकि तय क्या होता है, यह अभी कुछ दिन बाद साफ हो जाएगा। वैसे, शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक का कहना है कि सरकार गैरसैंण से जुड़ी जनभावनाओं को समझती है और उचित समय पर सही फैसला करेगी।