पार्षद का आरोप: कूड़े की आड़ में नगर निगम में खेला जा रहा भ्रष्टाचार का खेल

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नगर निगम में कूड़े की आड़ में भ्रष्टाचार का खेल खेले जाने का आरोप लगाते हुये निगम के पाषदों ने नगर निगम के अधिकारियों और कूड़ा उठाने वाली कंपनी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इन पार्षदों ने पत्रकारों के सामने अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार करने का चिट्ठा खोला। इन पार्षदों ने दावा किया है कि इस खेल में निगम को करोड़ों रुपये का प्रतिवर्ष नुकसान हो रहा है।
शनिवार को प्रेस क्लब में पार्षद अंकुर महता ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया कि कूड़ा उठाने वाली कंपनी केआरएल चौबीस घंटे शहर से कूड़ा उठाने का दावा करने के बाद भी शहर में जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हैं। उन्होंने कहा कि कागजों में सफाई दिखाकर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये की हेराफेरी की जा रही है। उन्होंने भ्रष्टाचार की बानगी देते हुये बताया कि निगम के कूड़ा ढोने के एक वाहन संख्या यूके 08 सी 5308 से दिसम्बर से आज तक 20 हजार टन कूड़ा ढोया जा चुका है, जबकि गाड़ी की कूड़ा उठाने की क्षमता छह टन है। प्रति बार गाड़ी में 150 कुंतल कूड़ा उठाना दर्शाया गया है, जो कि संभव नहीं है। उन्होंने  बताया कि कूड़ा उठाने का जिम्मा लेने वाली कंपनी केआरएल के पास अपनी एक भी गाड़ी नहीं है। सभी गाड़ियां निगम की उपयोग की जा रही हैं। निगम ने कम्पनी को 19 गाड़ी देना बताया गया है, जबकि कार्य में 52 गाड़ियांं लगी हुई हैं। अधिकांश गाड़ियों का न तो रजिस्ट्रेशन है और अन्य अनिवार्य कागजात। महता ने बताया कि नगर में कूड़ा निस्तारण प्लांट वर्ष 2012 में शुरू किया गया था, जबकि प्लांट में विद्युत कनेक्शन वर्ष 2017 दिसम्बर माह में लिया गया। प्लांट में वर्ष 2018 से लेकर आज तक 1048 से लेकर 3700 यूनिट बिजली की खपत हुई है, जो कि घरेलूू बिल के बराबर है। ऐसे में प्लांट द्वारा कूड़ा निस्तारण का अनुमान लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि निगम बोर्ड ने वर्ष 2018 में कंपनी को 20 से 25 लाख रुपये के प्रति माह भुगतान पर कूड़ा उठाने का जिम्मा दिया था, लेकिन नए बोर्ड के आने के बाद कंपनी का भुगतान 30 लाख रुपये कर दिया। उन्होंने कहाकि अनुबंध के मुताबिक केआरएल कम्पनी घरों से कूड़ा उठाने का जो चार्ज कर रही है, उसे इसका अधिकार नहीं है। उन्होंने मांग की कि निगम को कम्पनी को हटाकर सफाई का कार्य अपने हाथों में लेना चाहिए। निगम अधिकारियों को बिना बोर्ड की अनुमति लिए छह लाख तक के भुगतान का अधिकार है, जबकि बिना बोर्ड की अनुमति के 30 लाख रुपये से अधिक का भुगतान भी कम्पनी को किया जा रहा है। उन्होंने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की। प्रेसवार्ता के दौरान पार्षद जौली प्रजापति, चिराग, रेणू अरोड़ा, एकता गुप्ता, मयंक गुप्ता आदि मौजूद थे।