कैबिनेट मे होगी कई मुद्दों पर चर्चा

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सोमवार को आयोजित होने वाली कैबिनेट बैठक में प्रदेश के बडे विकास खण्डो में उप विकास खण्डो की स्थापना पर विचार-विमर्श किया जायेगा।  मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस बारे में जानकारी दी
  •  प्रदेश में वर्षा आधारित पर्वतीय खेती को बढ़ावा देने के लिये सामुहिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिये लीजिंग पाॅलिसी भी कैबिनेट में रखी जायेगी, ताकि जमीन के मालिक को यह विश्वास रहे कि उसकी जमीन सुरक्षित है तथा खेती करने वाला भी निश्चित होकर खेती कर सके।
  • उन्होने कहा कि प्रदेश में जमीनों के बिखराव की भी समस्या है, इसका एक मात्र निदान चकबन्दी हो सकता है, इस सम्बंध में भी कैबिनेट में चर्चा की जायेगी।
  • पर्वतीय क्षेत्रो में लोग खेती की ओर आकर्षित हो सके, इसके लिये अपने खेत में काम करने वाली महिला को भी मनरेगा श्रमिक के रूप में पंजीकृत किया जायेगा।
  • रावत ने कहा कि अभी तक सामुहिक खेती के लिये एक लाख की धनराशि ब्याजमुक्त दिये जाने का प्राविधान था, इसे अब अनुदान के रूप में दिये जाने की व्यवस्था की जायेगी, इससे महिला स्वंय सहायता समूह को प्राथमिकता दी जायेगी।
  • उन्होने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रो में मण्डी न होने के कारण वहां के उत्पादो को बाजार से लिंकेज करने में कठिनाई होती है इसके लिये मैदानी क्षेत्रो की बड़ी मण्डियो की उपमण्डी पर्वतीय क्षेत्रो में स्थापित किये जाने का प्रस्ताव भी कैबिनेट के समक्ष रखा जायेगा। इससे पर्वतीय क्षेत्रो के उत्पादों को बाजार उपलब्ध हो सकेगा तथा पर्वतीय खेती को सही दिशा मिलने के साथ ही गांवो और बाजार का संबंध भी जुड़ सकेगा।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि केन्द्र से जो भी धनराशि दी जाती है वह संवैधानिक व्यवस्था के तहत दी जाती है। वित्त आयोग द्वारा वित्तीय संसाधनों के बंटवारें में केन्द्रीय करों में राज्य का जो हिस्सा निर्धारित किया है, उसमें 200 करोड़ की कमी उत्तराखण्ड हिस्से में हो रही है। 14वें वित्त आयोग के प्रभावी होने से राज्य को 1700 करोड़ रूपये कम मिल रहे है। इस अन्तर को केन्द्रीय वित्त मंत्री ने भी स्वीकार किया है। उन्होंने बाह्य सहायतित योजनाओं में राज्य की योजनाओं को 90-10 के अनुपात में लाने के लिये वित्त मंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने राज्य के सांसदों से अपेक्षा की है कि वे केन्द्रीय सहायता के अवशेष 200 करोड़ रूपये उपलब्ध कराने में सहायोग करें। उन्होंने कहा कि सीएसएसआर के तहत बाढ़ नियन्त्रण आदि कार्याें के लिये राज्य के अंशदान के भुगतान के बाद भी 750 करोड़ रूपये तथा एसपीए के अधीन स्वीकृत योजनाओं का भी भुगतान नही किया जा रहा है।