ब्रह्म मुहूर्त में जयकारों के साथ बद्री विशाल के खोले गए कपाट

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गोपेश्वर। भगवान बदरीनाथ के कपाट शुक्रवार को ब्रह्म मुहुर्त में 04:15 बजे आम श्रद्धालुओं के खोल दिए गए हैं। इस के अवसर उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने अपने पति प्रदीप कुमार, पुत्र अभिनव के साथ भगवान बदरीविशाल की पूजा अर्चना कर अखंड ज्योति के दर्शन किये। अखंड ज्योति के दर्शन करने के बाद राज्यपाल को मंदिर समिति ने स्मृति चिन्ह व अंग वस्त्र भेंट किया।
इस दौरान मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल, मंदिर समिति के मुख्य कार्यधिकारी बीडी सिंह, जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया, पुलिस अधीक्षक यशवंत सिंह चैहान आदि मौजूद रहे। इस दौरान उन्होंने जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक से यात्रा व्यवस्थाओं की जानकारी ली। शुक्रवार को कपाट खुलने पर हरिद्वार के सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, बदरीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट ने भी अखंड ज्योति के दर्शन किए।
 
देश के अंतिम गांव माणा भी पहुंचीं राज्यपाल
बदरीनाथ दर्शन करने के बाद राज्यपाल मौर्य ने देश के अंतिम गांव माणा का भ्रमण कर स्थानीय महिलाओं से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने महिलाओं से बातचीत करते हुए स्थानीय हस्तशिल्प एवं उत्पादों की जानकारी लेते हुए उनका हालचाल जाना और उनके साथ फोटो भी खिंचवाई। माणा गावं से थोड़ा आगे जाकर उन्होंने सरस्वती और अलकनंदा संगम, सतोपंत मार्ग, देवी मंदिर, भीमपुल, वसुधारा जलप्रपात आदि का नजारा लेते हुए इन ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी भी ली।  राज्यपाल ने कार से माणा से आठ किलोमीटर आगे घस्तोली क्षेत्र का भ्रमण भी किया। राज्यपाल शुक्रवार को भी बदरीनाथ में ही रात्रि विश्राम करेंगी तथा शनिवार को प्रातः 11:50 बजे बद्रीनाथ धाम से कार से जोशीमठ होते हुए गौचर हेलीपैड पहुंचेंगी तथा गौचर से हेलीकाप्टर से देहरादून के लिए रवाना होंगी।
बदरीनाथ धाम के एतिहासिक स्थलों पर भी पहुंच रहे हैं श्रद्धालु
बैकुंठ धाम के आसपास शुक्रवार को तप्तकुंड, नारद कुंड, शेष नेत्र झील, नीलकंड शिखर, उर्वशी मंदिर, ब्रह्म कपाल, माता मूर्ति मंदिर तथा देश के अंतिम गांव माणा, भीमपुल एवं वसुधारा आदि ऐतिहासिक एवं दर्शनीय स्थलों पर भी श्रद्वालु एवं पर्यटकों की भारी भीड लगी रही।
पिछले तीन वर्षों में लगातार बढ़ी है श्रद्धालुओं की संख्या
मंदिर समिति से मिले पिछले तीन सालों के आंकड़ों पर नजर डाले तो वर्ष 2016 में 6,54,355 वर्ष 2017 में 9,20,466 तथा वर्ष 2018 में 10,48,051 श्रद्वालु बद्रीनाथ पहुंचे। श्रद्वालुओं की प्रत्येक वर्ष बढ़ती संख्या को देखते हुए शासन प्रशासन भी आवश्यक सुविधाएं जुटाने के लिए तत्पर है।
स्थानीय लोगों के लिए छह माह के त्यौहार से कम नहीं यात्रा
बदरीनाथ धाम की यात्रा स्थानीय माणा व बामणी गांव निवासियों के लिए किसी त्यौहार से कम नहीं है। यहां के लोग यात्रा खुलने का बेसब्री से इंतजार करते हैं। यात्रा खुलते ही यहां के ग्रामीण अपने गांव पहुंच कर बदरीनाथ व यहां के क्षेत्रपाल घंटाकर्ण की पूजा अर्चना के साथ ही अपनी काश्ताकरी में भी जुट जाते है। माणा के पूर्व प्रधान पिताम्बर मोल्फा कहते हैं कि छह माह भगवान की सेवा का मौका मिलना यहां के नागरिकों के लिए परम सुख है।
धाम में लड़खड़ायी संचार सेवा
बदरीनाथ धाम में संचार सेवा अभी भी लड़खडायी हुई है। इससे यात्रियों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली से आये राजीव मोहन कहते हैं कि घर से चले तीन दिन हो गये हैं। घर बात करनी थी लेकिन यहां पर संचार सेवा नहीं होने के कारण घर बात नहीं हो पायी है। शुक्रवार को प्रेस प्रतिनिधियों को भी खबर भेजने के लिए बदरीनाथ से 44 किमी दूर जोशीमठ आना पड़ा।