वायुसेना ने तेजस मार्क-2 के डिजाइन को दी मंजूरी, 2023 में शुरू होंगे ट्रायल

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भारतीय वायुसेना ने तेजस मार्क-1ए के 83 फाइटर जेट के सौदे पर इसी साल फरवरी में एयरो इंडिया के दौरान हस्ताक्षर होने के बाद अब एलसीए तेजस मार्क-2 के डिजाइन को भी मंजूरी दे दी है। अगले साल तक स्वदेशी बहुद्देशीय लड़ाकू विमान तेजस मार्क-2 का प्रोटोटाइप आने की संभावना है। एचएएल ने एयरो इंडिया में भी तेजस मार्क-2 का मॉडल और डिजाइन पेश किया था। इस युद्धक विमान के तेज रफ्तार संबंधी ट्रायल साल 2023 में शुरू होंगे। इसका उत्पादन 2025 के आसपास तक शुरू हो जाने की संभावना है।

एयरो इंडिया में 83 तेजस मार्क-1ए फाइटर जेट के सौदे पर हस्ताक्षर होने के बाद हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने इसके उन्नत संस्करण तेजस एमके-2 पर अपना ध्यान केन्द्रित कर दिया था। एचएएल ने ही स्वदेशी बहुद्देशीय लड़ाकू विमान तेजस के बाद इसके एमके-1 और एमके-1ए संस्करण तैयार किये हैं, इसलिए तेजस एमके-2 के लिए कोई नई तकनीक विकसित नहीं करनी पड़ी है। तेजस मार्क-2 पहले के सभी संस्करणों का आधुनिक रूप होगा, जिसमें ज्यादा शक्तिशाली इंजन, ज्यादा फ्यूल क्षमता, नेक्स्ट जेनरेशन की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और कई खास एविएशन सिस्टम होंगे।

तेजस का नया संस्करण तेजस मार्क-1 से ज्यादा शक्तिशाली होगा। 4.5 जनरेशन का मार्क-2 फ्रांस के राफेल को टक्कर देने लायक होगा। यह ज्यादा हथियार और गोला-बारूद ले जाने में सक्षम होने के साथ ही मजबूत इंजन क्षमता और आधुनिक युद्ध प्रणालियों से लैस होगा। एचएएल प्रमुख के मुताबिक एलसीए मार्क-2 में हवा से सतह पर मारक भूमिकाओं के लिए उत्कृष्ट हथियारों की एक विस्तृत श्रृंखला होगी। इसे सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस-एनजी, रुद्रम I, II, III, स्वदेशी एंटी-एयरफील्ड हथियार, निर्भय ए, स्कल्प मिसाइल, पॉप आई और इजराइली स्पाइस-2000 बमों से भी एकीकृत किया जाएगा।

वैमानिकी विकास एजेंसी के निदेशक डॉ. गिरीश एस देवधर का कहना है कि मार्क-1 विमान 17.5 टन का है, तेजस मार्क-2 उसकी तुलना में तीन टन अधिक भारी है। यह 900 किलोग्राम अधिक ईंधन की खपत करता है, जिससे यह ज्यादा उड़ान भरने में सक्षम है। यह साढ़े छह टन हथियार और भंडार ले जा सकता है, जो मार्क-1 की क्षमता से लगभग दोगुना है। तेजस एमके-1 और एमके-1ए के परीक्षण उड़ानों से मिले सबक मार्क-2 के निर्माण में मदद करेंगे। तेजस मार्क-2 की व्यापक डिजाइन समीक्षा (सीडीआर) तैयार करके वायुसेना के उप प्रमुख (डीसीएएस) एयर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी को भेजी गई थी जिसे उन्होंने 15 नवंबर को स्वीकार कर लिया था।

वायुसेना सूत्रों के अनुसार व्यापक डिजाइन समीक्षा (सीडीआर) की भारतीय वायुसेना से मंजूरी मिलने पर एचएएल के लिए मार्क-2 का पहला प्रोटोटाइप बनाने का रास्ता साफ हो गया है। सीडीआर किसी भी विमान को डिजाइन करने में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसमें एयर फ्रेम डिजाइन की जांच करके तय किया जाता है कि विमान निर्माण और परीक्षण के लिए तैयार है और यह लागत, समय एवं जोखिम के भीतर अपने निर्धारित प्रदर्शन करेगा। एचएएल और वैमानिकी विकास एजेंसी (एडीए) को मार्क-1 के 40 यानी दो स्क्वाड्रन लड़ाकू विमानों की मौजूदा कमियों पर भी फोकस करना होगा। तेजस एमके-1ए के 20 विमान प्रति वर्ष वायुसेना को मिलेंगे। तेजस एमके-1ए की आपूर्ति 2023 से शुरू होगी और 2027 तक पूरे 83 विमान वायुसेना को मिल जाएंगे।