(देहरादून) आमूमन लोग जनहित के मुद्दों को दर किनार करते हुए बेवजह पचड़े में फंसना नहीं चाहते हैं। जहां सामुहिक हक की बात होती है तो वहां कोई भी खड़ा होकर पैरवी नहीं करना चाहता है। लेकिन दून निवासी मनमोहन लखेड़ा ने ऐसे लोगों के बीच एक नजीर पेश की है। उनके 25 पैसे के पोस्ट कार्ड ने न केवल सरकार को हिला कर रख दिया बल्कि अतिक्रमण हटाने के लिए प्रशासन की सड़कों पर परेड भी करा दी है।
दरअसल, इन दिनों राजधानी में चारों तरफ जिस अतिक्रमण हटाने को लेकर चर्चा हो रही हैं। वह दून निवासी मनमोहन लखेड़ा की याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा लिए गए फैसले के कारण हुआ है। यह जनहित याचिका उन्होंने अप्रैल 2013 में 25 पैसे के पोस्ट कार्ड पर भेजा था। मनमोहन लखेड़ा ने बताया कि 2013 में एक बार डिस्पेंसरी रोड, मोतीबाजार आदि कई जगहों पर पुलिस ने अतिक्रमण हटाया था। इस पर उन्होंने कोतवाली पहुंचकर पुलिस का धन्यवाद भी किया था। लेकिन, कुछ दिन बाद जब फिर से अतिक्रमण फैल गया, तो वह दुबारा कोतवाली पहुंचे और पुलिस अधिकारियों से इस संबंध में शिकायत की। इस पर तत्कालीन पुलिस अधिकारी ने बताया कि साहब हम तो काम करना चाहते हैं लेकिन नेता लोग काम करने नहीं देते हैं। तब उन्हें समझ में आया कि अगर सड़कों से अतिक्रमण हटाना है तो हाईकोर्ट को सहारा लेना पड़ेगा। इस पर उन्होंने जीपीओ से 25 पैसे का एक पोस्ट कार्ड लिया और शहर की सड़कों पर हो रहे अतिक्रमण को लेकर साधारण डाक से पोस्ट कार्ड हाईकोर्ट भेजा। उनके प्रार्थना पत्र को हाईकोर्ट ने स्वीकार कर तत्कालीन बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव शर्मा को कोर्ट कमीशनर नियुक्त किया और उनसे देहरादून के अतिक्रमण पर एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी। इस रिपोर्ट के आधार पर ही अब हाईकोर्ट ने देहरादून में अतिक्रमण हटाने को लेकर सरकार को आदेश दिए हैं। बतौर याचिकाकर्ता मनमोहन लखेड़ा का कहना है कि अस्थाई राजधानी देहरादून में राज्य बनने के बााद सबसे अधिक आबादी बढ़ी है। आबादी के साथ यहां सड़कों पर वाहनों का दवाब भी बढ़ा है। आज तमाम जगहों फुटपाथ पर लोगों ने कब्जा कर लिया है जिसके कारण राहगीरों को मजबूरन सड़क पर चलना पड़ता है। इसके कारण सड़क दुर्घटनाएं भी बढ़ती जा रही हैं। कहा कि प्रशासन को पहले चरण में फुटपाथ से अतिक्रमण हटाना चाहिए और दूसरे चरण में नदी नालों की बात सोचनी चाहिए। क्योंकि एक साथ सभी जगह अतिक्रमण हटाने जाएंगे तो शहर में अफरातफरी का माहौल पैदा होगा। इससे निपटना प्रशासन के लिए भी चुनौती भरा होगा।
                



















































